बक्सर युद्ध के बाद बंगाल की स्थिति | Bengal After Buxar War
बक्सर युद्ध की विजय के बाद अंग्रेजों ने मीर जाफर को बंगाल का नबाब बनाया। गद्दी का सुख वह अधिक दिनों तक नहीं देख पाया और शीघ्र ही उसकी मृत्यु हो गई।
अंग्रेजों ने मीर जाफर के पुत्र नजमुद्दौला को उसका उत्तराधिकारी चुना तथा उसे ऐसी सन्धि करने पर विवश कर दिया, जिससे बंगाल का शासन कम्पनी के नियंत्रण में आ गया।
क्लाइव ने गवर्नर के रुप में अपनी पुनर्नियुक्ति के बाद नजमुद्दौला को 50 लाख रुपए सालाना पेंशन देकर बंगाल का सम्पूर्ण राजस्व कम्पनी को हस्तान्तरित करने पर सहमत कर लिया.
1766 में नजमुद्दौला की मृत्यु के उपरान्त उसके अल्पायु भाई सैफुद्दौला नबाब बना। नए नबाब की पेंशन को घटाकर 10 कर दी गई।
1775 में कलकत्ता की सुप्रीम कोर्ट ने यह निश्चय किया कि नबाब सार्वभौम शासक नहीं है। एक न्यायाधीश ने तो उसे “भूसे से भरे एक बोतल" के रुप में उल्लखित किया।
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