डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय | Biography of Ambedkar Biography in Hindi
डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय
Biography of Ambedkar Biography in Hindi
अम्बेडकर का जीवन परिचय (Biography of Ambedkar)
- जन्म -14 अप्रैल 1891
- स्थान -मध्य प्रदेश में इंदौर के पास मऊ छावनी
- पिता का नाम रामजी सकपाल
- माता का नाम भीमाबाई
- पत्नी का नाम रामाबई
- अम्बेडकर का उपनाम सकपाल
- मृत्यु -6 दिसम्बर, 1969
भीमराव अम्बेडकर सामान्य परिचय
भीमराव अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश में इंदौर के पास मऊ छावनी में हुआ था। उस समय वहां उनके पिता अंग्रेजी सेना में शिक्षक के रूप में सूबेदार थे। वैसे उनका गांव अम्बावाडे था जो महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में है। उनके पिता का नाम रामजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था।
भीमराव अम्बेडकर का बचपन
- भीमराव अम्बेडर का बचपन में ताता के नाम पर भीम नाम रखा गया था तथा उपनाम सकपाल था, परंतु उनके एक शिक्षक जिनका उपनाम अम्बेडकर था के दिल में भीम के लिए बहुत स्नेह तथा जगह थी ओर वह भीम को अपना बेटा मानते थे। अतः इस शिक्षक के स्नेह एवं ममता के फलस्वरूप भीम ने अपना उपनाम सकपाल की जगह अम्बेडकर लिख दिया था।
- इस प्रकार भी सच है कि इस शिक्षक ने खुद ही स्कूल के स्कॉलर के रजिस्टर में भीम के उपनाम सकपाल की जगह अम्बेडकर लिख दिया था। इस प्रकार से डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर में माता, पिता और शिक्षक का समावेश हो गया।
- भीम की बुआ मीराबाई सतारा आ गयी और उसने भीम का लालन-पालन किया । भीम के पिता ने भीम को पढ़ना, लिखना और गिनती सिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वे उन्हें महाभारत तथा रामायण के आंश, कबीर के भक्ति गीत तथा महाराष्ट्र के महान संतों की गाथाएं सुनाया करते थे। भीम ने यहां से अपनी प्रारंभिक शिक्षा वर्ष 1900 में पूरी कर ली ।
भीमराव अम्बेडकर की शिक्षा
- भीम का मुम्बई के मराठा हाई स्कूल में दाखिला वर्ष 1900 में करा दिया गया। यहां उनके हृदय में शिक्षा प्राप्त करने की इच्छा तीव्र होती गयी ओर उन्हें यह बढ़ावा अपने पिता से सबसे अधिक मिला।
- कुछ समय बाद इसी वर्ष भीम को यहां की सबसे अच्छी एलफिन्सटन हाई स्कूल में प्रवेश मिल गया। उनका गहरा लगाव संस्कृत सीखने में था, परंतु उन्हें अपनी इच्छा के विरुद्ध फारसी भाषा सीखनी पड़ी। फिर भी उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा वर्ष 1908 में उत्तीर्ण कर ली और फारसी में तो सर्वाधिक अंक प्राप्त किए। उन दिनों उनके समदाय में ग्रामीण विद्यार्थी का स्कूली शिक्षा प्राप्त करना अकल्पनीय था, इसलिए समुदाय के लोगों ने उनकी सफलता पर उत्सव मनाया। उत्सव के समय उनकी मराठी के प्रसिद्ध विद्वान केए केलुस्कर से मुलाकात हुई।
- वे धीरे-धीरे भीम को इतना चाहने लगे कि उन्होंने भीम को न केवल अपने पास से सैंकड़ों पुस्तकें पढ़ने को दी, बल्कि अपनी लिखति पुस्तक भगवान बुद्ध का चरित्र भी उपहार में दी। इस पुस्तक ने भीम के मस्तिष्क को बहुत अधिक प्रावित किया जिससे बाल्यकाल में ही उनका मानस बौद्ध धर्म को स्वीकार करने का बन गया।
भीमराव अम्बेडकर व्यक्तिगत जीवन
- भीम जब लगभग 15 वर्ष के थे तब उनका नौ वर्ष की बालिका रामी से वर्ष 1906 में विवाह गया। विवाह के बद रामी का नया नाम रामाबई रखा गया। उनके दो पुत्र यशवंत एवं राजरत्न एवं एक पुत्री इंदु पैदा हुई । परंतु दुर्भाग्य से राजरत्न एवं इंदु की मृत्यु बचपन में ही हो गई।
- भीम की ज्ञान प्राप्त करने की तीव्र इच्छा को उनके कम उम्र में विवाह भी दबा नह सका, क्योंकि उनके पिता का हौसला उन्हें लगातार आगे पढ़ने के लिए प्रेरणा देता रहा। भीम ने जैसे-तैसे मुई के एलफिन्सटन कॉलेज में वर्ष 1908 में दाखिला लेकर वर्ष 1910 में इंटर उत्तीर्ण कर लिया। इसके बाद उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ जाने से उनके पास आगे पढ़ाई करने का कोई जरिया नहीं रहा।
- उन दिनों बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव मेधावी विद्यार्थियों की पढ़ाई में मदद करना चाहते थे, इसलिए केएक केलुस्कर ने महाराजा से भीम की पढ़ाई के लिए बात की और महाराजा ने भीम की प्रतिभा को देखकर 25 रुपए मीने की छात्रवृत्ति देना तय कर दिया । इसके बाद बिना किसी रुकावट के भीम ने अपनी पढ़ाई जारी रखी ओर उन्होंने वर्ष 1913 में बीए उत्तीर्ण कर लिया।
- भीम ने पिता की गरीबी के खिलाफ जीवन संग्राम में हिस्सा लेने की उम्मीद में बड़ौदा राज्य की सेवा में लैफ्टिनेंट का दायित्व वर्ष 1912 में संभाल लिया।
- उन्होने कुछ दिनों तक तो यहां काम किया, लेकिन दुर्भाग्य ने उनको एक बार फिर हरा दिया और उन्हें मुम्बई लौटना पड़ा। भीम को अपना लैफ्रिनेंट के पद का भार संभालने के मात्र 15 दिनों के बाद ही उन्हें अपने बीमार पिता को संभालने मुम्बई आना पड़ा और वहां पहुंचने पर भीम ने अपने पिता को मृत्यु शैय्या पर जूझते पाया।
- अंत में उनके पिता रामजी सकपाल का देहांत 2 फरवरी 1913 का हो गया। इस प्रकार से उनके जीवन इतिहास में एक युग कर अवसान हो गया।
भीमराव अम्बेडकर का लंदन जाना
- भीम को बड़ौदा के महाराजा ने अध्ययन समाप्त होने के बाद से अगले दस वर्षों की अवधि तक बड़ौदा राज्य की नौकरी करने की शर्त पर एक बार फिर भीम को आगे अध्ययन करने के लिए जुलाई 1913 में अमेरिका के न्यायार्क में कोलंबिया विश्वविद्यालय भेज दिया।
- उन्हांने वहां से वर्ष 1915 में एनशियंट इंडियन कॉमर्स थीसिस के साथ एमए की उपाधि प्राप्त की। यहीं से उन्होंने दि नेशनल डिविडेंड ऑफ इंडिया एक हिस्टोरिक एंड एनालेटिकल स्टडी पर वर्ष 1916 पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। अब उनका नाम भीमराव अम्बेडकर से डॉ. भीमराव अम्बेडकर हो गया।
डॉ. अम्बेडकर अमेरिका से लंदन
- डॉ. अम्बेडकर अमेरिका से जून 1916 में लंदन चले गये। वहां अर्थशास्त्र के अध्ययन के लिए लंदन स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स एंड पालिटिक्स एवं विधिशास्त्र के लिए लंदन ग्रेज इन में प्रवेश लिया।
- उनका लंदन में अध्ययन भी बड़ौदा के महाराजा द्वारा प्रदत्त छात्रवृत्ति से ही संभव हो पाया, लेकिन महाराजा के दीवान की बेरूखी के कारण उन्हें भारत आना पड़ा, परंतु उनके आने से पहले उनके हितैषी प्रो एडविन केनन से चार वर्षों में कभी भी पुनः लंदन आकर आगे की पढ़ाई करने की इजाजत मिल गयी थी।
- डॉ अम्बेडकर को अनुबंध के आधार पर सिंतबर 1917 में बड़ौदा में यह नौकरी छोड़ दी और वे वापस मुंबई आ गए।
डॉ. अम्बेडकर का राजनीतिक जीवन
- डॉ. अम्बेडकर प्रबल देशभक्त और भारत के राष्ट्रीय एकीकरण के समर्थक थे, लेकिन सार्वजनिक जीवन में महात्मा गांधी और कांग्रेस के साथ हमेशा से मतभेद बने रहे। जिसका एक आधार तो दलितों के लिए पृथक् प्रतिनिधित्व का प्रश्न था इसके साथ ही डॉ. अम्बेडकर का मानना था कि उन व्यक्तियों तथा संस्थाओं को अछूतों की बात कहने का हक नहीं जो अछूत नहीं है।
- सन् 1936 ई. में डॉ. अम्बेडकर ने 'इण्डिपेण्डेण्ट लेबर पार्टी की स्थापना की। इस राजनीतिक संस्था ने दलित वर्ग, मजदूर व किसानों की अनेक समस्याओं को लेकर कार्य किये बम्बई प्रदेश में इस पार्टी ने सन् 1957 ई. का चुनाव लड़ी।
- इसने अनुसूचित जातियों के लिए सुरक्षित 15 में से 13 तथा 2 सामान्य सीटों पर विजय प्राप्त की 7 अगस्त 1942 ई. को उन्हें गवर्नर जनरल की परिषद का सदस्य मनोनित किया। इसी दौरान उन्होंने इण्डिपेण्डेण्ट लेबर पार्टी को "अखिल भारतीय अनुसूचित जाति संघ में बदल दिया।
- कांग्रेस के साथ मतभेद होने के बावजूद कांग्रेस नेता विशेषतया नेहरू और पटेल भी डॉ. अम्बेडकर की प्रतिभा के कायल थे। अतः कांग्रेस ने सहयोग देकर संविधान सभा का सदस्य निर्वाचित करवाया।
- संविधान सभा में उन्हें "प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाकर महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा गया। भारतीय संविधान के निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहीं। इसके चलते संविधान पर उनकी व्यक्तिगत सोच का व्यापक प्रभाव पड़ा और संविधान में अछूतों के कल्याण एवं उत्थान हेतु अनेक प्रावधान करवाये ।
- 3 अगस्त, 1949 ई. को डॉ. अम्बेडकर को भारत सरकार का कानून मंत्री बना दिया गया। कानून मंत्री के रूप में उनका सबसे अधिक प्रभाव कार्य 'हिन्दू कोड बिल था। इस कानून का उद्देश्य था, "हिन्दूओं के सामाजिक जीवन में सुधार तलाक की व्यवस्था और स्त्रियों के लिए संपत्ति में हिस्सा इस कानून की कुछ प्रमुख बातें थी।
- पं. नेहरू के साथ मतभेद के चलते 27 दिसम्बर, 1951 ई. को डॉ. अम्बेडकर ने मंत्रिमण्डल से त्याग पत्र दे दिया।
- 1955ई. उन्होंने भारतीय बुद्ध महासभा की स्थापना की तथा भारत में बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार का बीड़ा उठाया 6 दिसम्बर, 1969 ई. को उनका देहावसान हो गया।
डॉ. अम्बेडकर की प्रमुख रचनाएँ एवं कृतित्व
1. "रूपये की समस्या इसकी उत्पत्ति और समाधान (1923)
2. जाति का नाश (1936)
3. थॉट्स ऑन पाकिस्तान (1941)
4. कांग्रेस और गांधी ने अछूतों के लिए क्या किया है ? (1945)
5. पाकिस्तान या भारत वर्ष का विभाजन (1946)
6. अछूत, वे कौन थे? और अछूत कैसे बनें ? ( 1948 )
7. भाषायी राज्यों पर विचार
8. बुद्धा एण्ड हिज धम्मा (1957)
9. हू वर दि शुद्वाज? (1946)
10. स्टेट एण्ड माइनॉरिटिज (1948)
11. दि राइज एण्ड फॉल ऑफ दि हिन्दू वूमैन
12. गांधी एण्ड गांधीज्म
डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर संगठन एवं संस्थानों की स्थापना में योगदान
1. "बहिष्कृत हितकारिणी सभा 20 जुलाई, 1924
2. "इनडिपेण्डेन्ट लेबर पार्टी ऑफ इण्डिया' अक्टूबर 1936
3. अनुसूचित जाति फंडरेशन 1942
4. भारतीय बुद्ध महासभा 1955
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