आचार संहिता क्या होती है |आचार संहिता |Code of Ethics in Hindi

 आचार संहिता क्या होती है 

आचार संहिता क्या होती है |आचार संहिता |Code of Ethics in Hindi


आचार संहिता और आचरण संहिता में अंतर 

 आचार संहिता क्या होती है 

  • आचार संहिता (Code of Ethics) सामाजिक आकांक्षाओं से बनने वाले सिद्धांतों का एक समूह होता हैजो लोकसेवा के कार्यगतिविधिलोकसेवकों की पहल और व्यवहार में सही व गलत के बीच स्पष्टता को सुनिश्चित करता है। आचार संहिता का सहारा लेकर कोई सिविल सेवक अपने कार्यों को सामाजिक मानकों के अनुरूप करने का निर्णय कर सकता है। आचार संहिता की प्रकृति अमूर्त और व्यक्ति निष्ठ होती है।

 आचरण संहिता क्या होती है 

  • जबकि आचरण संहिता (Code of Conduct) लोक सेवकों के आचरण एवं व्यवहार से संबंधित होता है। इसके लिए सरकार के द्वारा एक क्रमिक प्रक्रिया से आचरण नियमों को विकसित किया गया है। इसमें सरकार के द्वारा सिविल सेवकों के व्यवहारों की अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए आचरण नियमावली तैयार की जाती है। कि लोक सेवकों के द्वारा कौन-कौन सा व्यवहार किया जाना और कौन-कौन सा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए। आचरण संहितासिविल सेवकों के व्यवहारों की स्पष्ट व्याख्या वस्तुनिष्ठता के आधार पर करता है।

 

आचार संहिता (Code of Ethics)

 

  • नीति संहिता कुछ नैतिक नियमों का समुच्चय होता है जो सदस्यों के कार्य व्यवहार एवं निर्णय लेने की प्रक्रिया का मार्गदर्शन करते हैं। यहां कुछ मूल्योंमानकों एवं नियमों का उल्लेख होता है। यह सदस्यों से अपेक्षा रखता है कि वे अपने व्यवहार में इसका पालन करें। 
  • नीति संहिता उद्देश्य सदस्यों को आचरण करते समय नैतिक होने हेतु मार्गदर्शित करना हैउनके भीतर उचित और अनुचित की समझ विकसित करनी है और इस समय का उपयोग निर्णय लेते समय करना है। 
  • आचार संहिता मूल्यों पर आधारित होती है। इसका भारत में नैतिक संहिता के संबंध में यूँ तो हमारे धार्मिक ग्रंथ और आध्यात्मिक नेता हमारा मार्गदर्शन करते हैं। लेकिन इन सभी में गाँधीजी द्वारा उल्लेखित सात (7) सामाजिक पापों का वर्णन सर्वश्रेष्ठ नैतिक संहिता का उदाहरण है।


गाँधीजी द्वारा उल्लेखित सात  सामाजिक पाप कौन से हैं 

 

1) बिना सिद्धांत के राजनीति

2) बिना काम के धन 

3) बिना अंतःकरण के आराम 

4) बिना चरित्र के ज्ञान 

5) बिना नैतिकता के व्यापार 

6) बिना मानवता के विज्ञान

7) बिना बलिदान के पूजा

 

आचार संहिता के लिए किए गए प्रयासों में अमेरिकन सोसाइटी फॉर पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (ASPA) द्वारा सेवकों के लिए वर्णित नैतिक सिद्धांत तथा ब्रिटेन की नोलन समिति द्वारा सुझाए गए नैतिक नियम आदर्श हैं। भारत में सर्वप्रथम 1997 में मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में लोक सेवकों के लिए आचार/ नैतिक संहिता के लिए माँग उठी। इसी संबंध में भारत सरकार के कार्मिकशिकायतपेंशन मंत्रालय ने नैतिक संहिता का प्रारूप तैयार किया है। 


लोक सेवकों के लिए आचार/ नैतिक संहिता के  प्रमुख प्रावधान

01-सिविल सेवकों की ईमानदारी व नैतिकता बनाए रखने के लिए उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि वे नागरिकों को आसानी से उपलब्ध रहेपूर्वाग्रह से मुक्त और सेवाओं की गुणवत्ता और समयबद्ध रूप से उसकी उपलब्धता सुनिश्चित करे।

02-  सिविल सेवकों को संविधान के मूल्यों और विधि के शासन के प्रति प्रतिबद्धता रखनी चाहिए और अपने वरिष्ठों के किसी भी अवैधानिक आदेश का पालन नहीं करना चाहिए।

03-  किसी भी राजनीतिक विचारधारा के प्रति उनका लगाव नहीं होना चाहिए। 

04- उनका दृष्टिकोण व्यावसायिक होना चाहिए तथा अपने कनिष्ठ अधिकारियों को भी अवैधानिक कार्य करने के विरोध के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और अच्छे कार्य करने वाले कनिष्ठ अधिकारियों को पुरस्कृत करना चाहिए।

05- सिविल सेवकों को राजनेताओं और किसी भी राजनीतिक दल से संबंध बनाने के प्रयत्न नहीं करना चाहिए और अपने पद का दुरुपयोग व्यक्तिगत लाभ के लिए नहींहोना चाहिए।

 

इस प्रारूप पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका। 


2006 बिल में शामिल आचार/नैतिक नियमों का उल्लेख

वर्ष 2006 में लोक सेवा बिल तैयार किया गया है यह बिल अभी भी लंबित है। इस बिल में शामिल आचार/नैतिक नियमों का उल्लेख इस प्रकार है 

01- लोक सेवकों को अच्छे अभिशासन के लिए यथासंभव पारदर्शिता और जवाबदेहिता के आधार पर कार्य करना चाहिए। गोपनीयता वहीं तक रखनी चाहिए जो जनहित के लिए आवश्यक हो ।

 

02-  किसी लोकसेवक को आचार नियम के रूप में इस बात का ध्यान रखना चाहिए। कि उसकी कौन सी पहल अधिक से अधिक लोगों के लिए हितकर हैक्या उसकी पहल से किसी समुदाय के अधिकार का उल्लंघन तो नहीं हुआ हैक्या उस लोक सेवक ने कार्य करते हुए न्याय किया है?

 

03- आचार नियम के रूप में अतिसंवेदनशील वर्गों के प्रति सहिष्णुताधैर्यभेदभावहीनतासंवेदनादया व सद्गुण को इसमें शामिल किया गया है।

 

04- उच्च नैतिक मानक बनाए रखनालोगों की उन्नतिमानवतासंस्कृतिसामाजिक मूल्य के प्रति संवेदनशीलता को प्रस्तुत करना। इस विधेयक में यह स्पष्ट किया गया है कि आचार नियम को पूर्णत: परिभाषित नहीं किया जा सकता है। यह प्रशासनिक अधिकारियों की ऐच्छिक प्राथमिकता है जो समाज या नागरिक उनसे व्यवहार करने की अपेक्षा रखते हैं। अर्थात् सामान्य अर्थों में आचार संहिता और कुछ भी नहीं है बल्कि प्रशासन से नागरिकों की आकांक्षाएँ हैंजिसका ध्यान अधिकारियों को रखना चाहिए।

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