मनोवृत्ति के प्रकार्य | The Functions of Attitude
मनोवृत्ति के कार्य
- मनोवृत्ति कुशल प्रशासन, व्यक्तिगत उपलब्धि और प्रभावी संचालन से संबंधित है क्योंकि यह व्यक्ति के सकारात्मक सोच, निपुणता, कार्यशैली से प्रदर्शित होती है। विख्यात मनोविज्ञानी मैकाइवर के अनुसार किसी भी व्यक्ति की सफलता और असफलता का स्तर उस व्यक्ति की मनोवृत्ति पर निर्भर है न कि अभिक्षमता पर.
- किसी भी व्यक्ति में ढेर सारी आकांक्षाएँ, उम्मीदें, स्वप्न, नवीनतम विचार, नई दिशा हो सकती है, वह शक्ति का स्रोत एवं शक्ति से परिपूर्ण हो सकता है, सब कुछ संभव हैं लेकिन सफलता मनोवृत्ति निर्धारित करती है। मनोवृत्ति का कार्य सभी स्थल में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कुशल प्रशासन, प्रभावशाली संचालन एवं प्रबंधन से संबंधित है। जिसका उपयोग प्रशासन एवं प्रबंधन में प्रभावशाली ढंग से किया जाता है।
मनोवृत्ति के प्रकार्य The Functions of Attitude
(1) संज्ञानात्मक कार्य ( Congnitive Function)
- मनोवृत्ति का गठन और विकास ज्ञान पर आधारित है। व्यक्ति सूचनाओं को विभिन्न माध्यमों द्वारा ग्रहण करता है संचयन करता है, वर्गीकृत करता है और उसका उपयोग करता है।
- मनोवृत्ति को यहाँ पर सूचनाओं से जोड़ा गया है जो उस व्यक्ति के ज्ञान के रूप में परिवर्तित हो जाती है। मनोवृत्ति किसी व्यक्ति, वस्तु, समाज, देश और व्यवस्था से संबंधित होती है इसलिए उस व्यक्ति का ज्ञान इन सभी विषयों पर मनोवृत्ति को निर्देशित करता है। कई अनुसंधान बताते हैं कि व्यक्ति जब भी किसी सामाजिक स्थिति को अनुभव करता है तब वह सबसे पहले हर उद्दीपन को सकारात्मक एवं नकारात्मक रूप में वर्गीकृत करता है। हमारे चारों ओर असंख्य सूचनाएँ मौजूद रहती हैं। जिनमें अनावश्यक सूचनाओं में हम न उलझे इसके लिए ज्ञानात्मक मनोवृत्ति अत्यंत सहायक होती है।
(2) भावनात्मक प्रकार्य (Affective Function)
- यह मनोवृत्तियाँ व्यक्ति की भावनाओं से गहरे तौर पर जुड़ी होती हैं। इसलिए मनोवृत्तियों के अनुकूल व्यवहार करने पर हमे संतोष मिलता है कि हम अपनी भावनाओं को व्यक्त कर पा रहे हैं।
(3) आत्मरक्षार्थ प्रकार्य- (Ego- defence function)
- यह मनोवृत्ति का महत्वपूर्ण कार्य है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने अहम, आत्म-सम्मान की रक्षा करता है। जैसे- किसी विचार पर समाज में सहमति है उस विचार को यदि हम तीव्रता से व्यक्त करें तो समाज तो हमारी प्रशंसा करता ही है, हमें भी गौरव का अनुभव होता है। इसके लिए कई मनोवैज्ञानिक तकनीक हैं जो निम्नवत हैं-
Ego Defense Function
- (a) प्रक्षेपण- प्रक्षेपण मनोविज्ञान की वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा हम अपनी कमियों को दूसरों के ऊपर पर मढ़ते है।
- (b) औचित्य निर्माण- अपनी असफलता से निपटने के लिए कोई सामाजिक कारण ढूँढ़ लेना। जैसे कोई अन्तर्जातीय विवाह करना चाहता था, परंतु लड़की ने ही मना कर दिया। अब मित्रों के बीच कहता है, समाज अन्तर्जातीय विवाह नहीं करने देती है इसलिए संबंध विच्छेद हो गए।
- (c) विस्थापन अपने भावों/संवेगों का उचित ढंग से विस्थापन करना। यदि ऐसा नहीं करता है तो व्यक्ति के सामाजिक संबंध भी खराब होते हैं और वह असफल हो जाता है।
- (d) दमन- बुरी आदतों, घटनाओं को दबाकर आत्मरक्षा करना।
(4) व्यवहारात्मक प्रकार्य (Behavioral Function)
- मनोवृत्ति का प्रमुख उद्देश्य व्यवहार की अभिव्यक्ति है। मनोवृत्ति विभिन्न माध्यम से प्रकट होती है जिसमें, अधिकांश भाग शरीर के हाव-भाव स्थान, भाव-भंगिमा का है। संकेत, चिन्ह, प्रतिबिंब का भी उपयोग किया जाता है। इसलिए मनोवृत्ति के प्रदर्शन में इन सभी माध्यमों का महत्वपूर्ण योगदान है। एक लोकसेवक को इन सभी माध्यमों के द्वारा मनोवृत्ति को प्रदर्शित करने के लिए आवश्यक रूप से उपयोग करना चाहिए एवं इन सभी माध्यमों का ज्ञान होना चाहिए।
(5) साधनात्मक प्रकार्य (Instrumental Function)
- यह मनोवृत्ति प्रशंसा, दंड, पुरस्कार, प्रोत्साहन पर आधारित है, बाल्य अवस्था से ही मनोवृत्ति का विकास पुनर्बलन द्वारा होता है। बालक वह क्रिया बार-बार करता है जिसके लिये उसे पुरस्कृत किया जाता है। इसलिए उसकी मनोवृत्ति उस व्यक्ति या वस्तु के लिए सकारात्मक हो जाती है या दंड आधारित नकारात्मक मनोवृत्ति का विकास जाता इसलिए प्रशासनिक सेवाओं में इस विधि का उपयोग प्रभावशाली ढंग से किया जाता है। कार्यस्थल में जिस मनोवृत्ति का विकास करना है उसको पुनर्बलित किया जाना चाहिए और जिसको दंड किया जाना चाहिए उसको हतोत्साहित किया जाना चाहिए। उदाहरण भ्रष्ट लोकसेवकों की सूची, पुलिस, मीडिया, निष्ठा और ईमानदारी के प्रोत्साहन के लिए।
(6) मूल्य अभिव्यक्ति प्रकार्य (The Value expression function)
- मनोवृत्ति व्यक्ति को उसके द्वारा स्वीकार्य प्रधान मूल्यों एवं आत्म सम्प्रत्यय को अभिव्यक्ति करने में मदद करती है। यह मनोवृत्ति यह दर्शाती है कि हम कौन हैं? और हम किस चीज को प्राप्त करना चाहते हैं। एक व्यक्ति अपने गुणों और व्यवहारों के संबंध में जो मत रखना है वही उसका आत्म-प्रत्यय है। यह आत्म प्रत्यय व्यक्ति के व्यवहारों, योग्यताओं और गुणों के संबंध में उसकी मनोवृत्ति, निर्णय एवं मूल्यों का योग है।
उदाहरण- कोई 'क' धार्मिक व्यक्ति का अपने धर्म से बहुत लगाव है, वह दूसरे धर्मावलंबियों के प्रति नकारात्मक प्रवृत्ति विकसित करता है। कल्पना करें कि वह 'क' व्यक्ति अपने समान विचार वाले लोगों के समूह के साथ है। 'क' कहता है कि नि:संदेह हमारा धर्म सबसे अच्छा है। अन्य धर्मों में कुछ अच्छाइयाँ हैं परंतु वह हमारे धर्म की तुलना में कहीं नहीं ठहरता है अन्य लोग उसका समर्थन एवं प्रशंसा करते है, तब उस स्थिति में अनुकूलन वृत्ति प्रबल होती है उस समूह के सभी लोग उस धर्म विशेष से संबंधित धार्मिक प्रतीकों को धारण करते हैं। यही मूल्य अभिव्यक्ति वृत्ति या आत्म अभिव्यक्ति व्यवहार है।
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