अम्बेडकर द्वारा किए गए प्रमुख कार्य | Major Work By B.R.Ambedkar
अम्बेडकर द्वारा किए गए प्रमुख कार्य
अम्बेडकर द्वारा हितकारिणी सभा का गठन (Organising Hit Karni sabha by Ambedkar)
- डॉ अम्बेडकर ने अछूतों में जाग्रति लाने तथा उन्हें उनक सामाजिक अधिकारों के प्रति जागरूक बनाने के लिए वर्ष 1924 में बहिष्कृत हितकारिणी सभा का गठन किया
- अपने विचार अछूतों तक ठीक से पहुंचाने के लिए वर्ष 1927 में मराठी भाषा में पाक्षिक पत्र बहिष्कृत भारत भी प्रारंभ किया। एक बार तो उन्होंने इसके संपादकीय में यहां तक लिख दिया था कि यदि लोकमान्य तिलक अछूत होते तो स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है के स्थान पर वे यह नारा लगतो अस्पृश्यता नरष्ट करना हमारा कर्तव्य है।
अम्बेडकर द्वारा विधान परिषद की सदस्यता (Membership of Legislatiive Council)
- डॉ. अम्बेडकर मुम्बई विधान परिषद के वर्ष 1927 में नामजद सदस्य बन गये। अब वे दलित वर्ग के दुख दर्द आसानी से सरकार के सामने रख सकते थे, इसलिए उन्होंने वर्ष 1923 में विधान परिषद द्वारा पारित एसके बोले के प्रस्ताव अछूतों को उन सभी सार्वजनिक स्थलों, कुओं तथा धर्मशालाओं के प्रयोग की अनुमति होगी जिनका निर्माण तथा रखरखाव सरकारी धनराशि से किया जाता है। उन्हें स्कूल, न्यायालय, सरकारी कार्यालयों तथा दवाखानों के उपयोग की भी अनुमति होगी, जो अभी तक मात्र कागजों में ही था कि क्रियान्विति पर जोर दिया।
अम्बेडकर द्वारा जल ग्रहण अभियान (Jal Grahan Expedition )
- डॉ. अम्बेडकर ने कोलाबा जिले के महाद नगर निगम द्वारा निर्मित चावदार तालाब से अछूतों को पानी नहीं भरने देने के कारण महाद में 19 मार्च 1927 को एक विशाल जनसभा का आयोजन किया और उनकी अगुवाई में जुलूस आगामी दिन तालाब के पास पहुंचा डॉ. अम्बेडकर पहले व्यक्ति थे जिन्होंने 20 मार्च 1927 का तालाब का पानी पिया।
- इसके बाद तो एक-एक अछूत ने भी तालाब का पानी पिया। इस घटना के बाद से लोगों ने डॉ. अम्बेडकर को प्यार और श्रद्धा से बाबा साहब पुकारना प्रारंभ कर दिया।
- डॉ. अम्बेडकर नहीं चाहते हुए भी मुम्बई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में कानून के प्रोफेसर की नौकरी वर्ष 1928 में ग्रहण कर ली, क्योंकि परिवार को चलाने के लिए उन्हें रुपयों पैसों की जरूरत जो थी। वैसे उनकी वकालत तो काफी अच्छी चलती थी, परंतु वे अछुतों के उद्धार के आगे उसमें वांछित समय नहीं दे पाते थे। इसलिए उन्होंने अपने परिवर के भरण-पोषण करने का मात्र यही जरिया अपनाया।
- डॉ. अम्बेडकर ब्रिटिश सरकार के निमंत्रण पर वर्ष 1930, 1931, एवं 1932 को गोल मेज सम्मेलनों में शामिल होने के लिए लंदन गए। उन्होंने तीसरे सम्मेलन में वहां यह कहकर हमारे दुखों का तब तक अंत नहीं होगा, जब तक राजनीतिक सत्ता हमारे हाथों में नहीं आ जाती।
- अछूतों के लिए पृथक निर्वाचन का अधिकार प्राप्त कर लिया। इस अधिकार से हरिजन ईश्वर की संतान हिंदुओं से अलग हो सकते थे, क्योंकि महात्मा गांधी वर्ण व्यवस्था को कायम रखते हुए छुआछूत का मिटाना चाहते थे, जबकि डॉ. अम्बेडकर वर्ण व्यवस्था को भी समूल नष्ट करना चाहते थे।
पूना समझौता (Poona Pact)
- डॉ. अम्बेडकर की वर्ण व्यवस्था को सममूल नष्ट करने की नीति के विरुद्ध महात्मा गांधी ने आमरण अनशन वर्ष 1932 में प्रारंभ कर दिया। इन्हीं दिनों उन्हें गिरफ्तार कर पूना की यरवदा जेल में भेज दिया। इसी बीच उनका स्वास्थ्य गिरने लग गया ओर वे करीब-करीब मृत्यु के द्वार पर थे .
- अत: डॉ. अम्बेडकर ने महात्मा गांधी की प्राण रक्षा के लिए व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाते हुए उनके 25 सितंबर 1932 को बातचीत की। बातचीत के दौरान जब महात्मा गांधी ने डॉ. अम्बेडकर से यह कहा, आप जन्म से अछूत हैं, मैंने स्वेच्छा से होना स्वीकार किया है, तो डॉ. अम्बेडकर द्रवित हो गए और उन्होंने अछूतों के लिए पृथक निर्वाचन पद्धति के बदले पेन का आदान-प्रदान किया।
- भारतीय इतिहास में यह समझौता पूना समझौता के नाम से जाना जाता है। डॉ. अम्बेडकर की पत्नी रामाबई का देहांत 27 मई 1935 को हो गया। इस साध्वी स्त्री ने डॉ. अम्बेडकर के अछूतोत्थान में लगे रहने के कारण सारे जीवन में एकांत, बरीबी और उपेक्षा को चुपचाप सहा था।
- इस घटना के थोड़े समय बाद ही डॉ. अम्बेडकर को मुम्बई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल पद पर कार्य करने का आमंत्रण मिला जिसे उन्होंने 2 जून 1935 को स्वीकार कर लिया। हालांकि वे शोक के दौर में थे, फिर भी उन्होंने न केवल पढ़ना आरंभ कर दिया, बल्कि कॉलेज का प्रशासन भी संभाल लिया।
अम्बेडकर द्वारा धर्म परिवर्तन की घोषणा (Declartaion of Religion Conversion)
- धर्म परिवर्तन ने दलित वर्गों के सम्मेलन, जो 13 अक्तूबर 1935 को नासिक जिले के येवाला में हुआ और जिसमें करीब दस हजार से अधिक अछूत उपस्थित हुए, में अपने डेढ़ घंटे से अधिक के उत्तेजित भाषण में हिंदुओं द्वारा अछूतों पर किये जा रहे अत्याचारों का बखान करते हुए कहा, धर्म आदमी के लिए है न कि आदमी धर्म के लिए उन्होंने हिंदू धर्म में कदापि नहीं मरूंगा।
- मूसलमान, इंसाई, बौद्ध सिख, फारसी, जैन आदि विभिन्न धर्मों के उच्च नेता उनसे अपना-अपना धर्म अंगीकार करने का अनुनय विनय करने लगे। बाद में जब हिंदू हित के प्रतिनिधियों का एक दल उनसे मिला तो उन्होंने कहा मैं पांच साल तक रूकने के लिए तैयार हूं ओर अगर इस दौरान हिंदू अपने शब्द नहीं, कर्मों से यह विश्वास दिला दें कि उनका हृदय बदल गया है तो मैं पूरे मामले पर फिर से विचार करूंगा।
डॉ. अम्बेडकर द्वारा विधानसभा की सदस्यता (Membership of Legislatvie Assembly )
- डॉ. अम्बेडकर ने स्वतंत्र मजदूर दल के नाम से नये राजनीतिक दल का अगस्त 1936 में गठन किया, जिसके तहत उन्होंने मुम्बई विधानसभा का चुनाव वर्ष 1937 में लड्डा तथा वे भारी बहुमत से विधायक चुने गये। वे धीरे-धीरे समाज के कमजोर वर्गों के पक्के नेता बन गये।
डॉ. अम्बेडकर का पुस्तकओं विशेष लगाव
पुस्तकालय की स्थापना (Establishment of Library)
- डॉ. अम्बेडकर द्वारा अपने गृह की ऊपरी मंजिल पुस्तकालय की स्थापना की गयी। उनकी अध्ययन में गहरी रूचि थी। उनका अध्ययन के लिए उनका प्रेरक वाक्य था कम खाओ, अधिक पढ़ो, इसलिए वे अपनी दैनिक आवश्यकताओं को त्याग कर पुस्तकें खरीदते थे।
- वे कहा करते थे, मेरे जैसे व्यक्ति को जिसे समाज ने बहिष्कृत किया उसे इन पुस्तकों ने अपने हृदय में स्थान दिया है।
- इस पुस्तकालय में देश विदेश की लगभग 32000 पुस्तकों का दुर्लभ संकलन था।
- पंडित मदन मोहन मालवयी अपने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के लिए इन पुस्तकों को खरीदना चाहते थे, किंतु डॉ. अम्बेडकर ने पुस्तकें बेचने के लिए मना कर दिया।
- उनका यह पुस्तकालय देश के निजी पुस्तकालयों में सबसे अच्छा गिना जाता था।
- वे पढ़ने-लिखने के इतने दीवाने थे कि वे पुस्तकालय में ही रहते, वहीं खाते और सोते भी वहीं थे।
- वे पुस्तकों को अपना मित्र मानते थे। उन्होंने स्वयं अने पुस्तकों एवं आलेखों की रचना की थी।
डॉ. अम्बेडकर को श्रम मंत्री का दायित्व (Responsibility of Labour Minister)
- डॉ. अम्बेडकर ने मुम्बई की गवर्नर जनरल ऑफ इंडिया लार्ड लिनलिथगों द्वारा कार्यकारणी परिषद के सदस्य के रूप में 2 जुलाई 1942 को नियुक्ति की गयी। इसके पश्चात उन्हें श्रम मंत्री बनाया गया।
- उन्होंने अप्रैल 1944 में एके ऐसे अधिनियम का प्रस्ताव रख जिसमें कारखानों तथा औद्योगिक प्रतिष्ठानों में पूरे वर्ष काम करने वाले मजदूरों को सवेतन अवकाश प्रदान करने की व्यवस्था थी तथा उन्होंने फरवरी 1946 में मजदूरों को दस घंटों की मजदूरी का समय घटाकर आठ घंटे कराने वाले विधेयक को भी पारित करा लिया। इस प्रकार उन्होंने भारतीय मजदूरों के जीवन में क्रांतिकारी सुधार किये, परंतु उन्होंने कार्यकारिणी परिषद की सदस्यता से जुलाई 1946 में त्याग पत्र दे दिया।
डॉ. अम्बेडकर द्वारा महाविद्यालयों का संचालन (Inaugruation of Calleges)
- डॉ. अम्बेडकर ने मुम्बई में जनता शिक्षा समाज नामक संस्था की स्थापना 8 जुलाई 1945 के की तथा उसी के तहत सिद्धार्थ महावद्यिालय भी 20 जून 1946 को खोला। उन्होंने यह नाम इसलिए रखा, क्योंकि सिद्धार्थ बुद्ध का पर्यायवाची शब्द है। और वे चाहते थे कि यहां के विद्याथी एवं शिक्षक भगवान बुद्ध के उपदेशों पर चले ओर उनके आदर्शों को जीवन में उतारे।
- उन्होंने महाराष्ट्र के औरंगाबाद में मिलिन्द महाविद्यालय की भी जून 1950 में स्थापना की। इस महाविद्यालय का नाम ग्रीक राजा मिनानडर जिसे बौद्ध साहित्य में मिलिंद के नाम से जाना जाता था के नाम पर रखा गया जिसने भारत के उत्तर पश्चिमी प्रांतों पर शासन किया तथा वे बहुत बड़े विद्वान के रूप में भी ख्याति प्राप्त थे।
- उनका समस्त कार्य बौद्ध के उपदेशों पर आधारित था। धीरे धीरे जनता शिक्षा समाज ने महाराष्ट्र में कई स्थानों पर ऐसी अनेक संस्थाएं खोलकर अपना जाल बिछा लिया।
डॉ. अम्बेडकर को विधि मंत्री का दायित्व (Responsibility of Law Minister)
- डॉ. अम्बेडकर स्वतंत्र भारत के प्रथम केंद्रीय मंत्रिमंडल में 15 अगस्त 1947 को विधि मंत्री बनाये गये, परंतु मंत्रिमंडल ने उनके द्वारा प्रस्तुत हिंदू धर्म संहिता अधिनियम पूणरूपेण पारित नहीं करने से उन्होंने 27 सितंबर 1951 को विधि मंत्री पद से त्याग पत्र दे दिया और विपक्ष के नेता बन गये।
डॉ. अम्बेडकर द्वारा संविधान का निर्माण (Framing of Constitution )
- डॉ. अम्बेडकर भारतीय संविधान प्रारूप समिति के 29 अग्रसत 1947 को अध्यक्ष नियुक्त किए गए। उनकी अध्यक्षता में भारत का संविधान 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन में बनकर तैयार हुआ जिसमें 22 भाग 395 अनुच्छे, 12 अनुसूचियां तथा 3 परिशिष्ट हैं।
- यह संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर 1949 को अंगीकृत अधिनियमित और आत्मसमर्पित किया गया, जो देश में 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ।
- उन्होंने इस संविधान में समाज के कमजोर वर्गों को पूर्ण न्याय प्रदान किया एवं उनसे छुआछुत बरते वालों के लिए कड़े दंड की व्यवस्था की, इसलिए उन्हें भारत का अधुनिक मनु भी कहा जाता है।
डॉ. अम्बेडकर को राज्य सभा की सदस्यता (Membership of Rajya Sabha)
- डॉ. अम्बेडकर ने अपने द्वारा स्थापित ऑल इंडिया शिडयूल्ड कास्ट फेडरेशन (1942) के तत्वावधान में वर्ष 1952 में मुंबई से लोकसभा का चुनाव लड़ा। वे कांग्रेसी उम्मीदवार एनएस काजरोलकर से पराजित हो गए, परंतु वे इस पराजय से निराश नहीं हुढ़ वे मुम्बई के प्रतिनिधि के रूप में राज्य सभा के सदस्य मई 1952 में चुन लिये गये।
डॉ. अम्बेडकर को मिली मानद उपाधियां (Honority Doctrorateship)
- डॉ. अम्बेडकर को भारत का संविधान निर्माण के बाद अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ लॉ की वर्ष 1952 तथा भारत के उस्मानिया विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ लिटरेचर की वर्ष 1953 में मानद उपाधियां प्रदान की गयीं।
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