नैतिक दुविधा का अर्थ | नैतिक दुविधा का निवारण , नैतिक दुविधाओं के प्रकार | Meaning Type and Solution of Moral dilemma
नैतिक दुविधा का अर्थनैतिक दुविधा का निवारण , नैतिक दुविधाओं के प्रकार
नैतिक दुविधा का अर्थ
- नैतिक दुविधा का अर्थ होता है असमंजस की स्थिति तथा जब हम सार्वजनिक पद को धारण करते हैं तब वह हमारी जिम्मेदारी होती है कि हम अपने निर्णयों को नैतिक तत्वों के अनुसार संरचित करें। इस प्रक्रिया में एक से ज्यादा विकल्प विकसित हो सकते हैं तथा इन विकल्पों में कम से कम एक पक्ष नैतिक होता है। यह स्थिति हमारे सामने नैतिक दुविधा के रूप में आती है।
- नैतिक दुविधाएँ सिर्फ सार्वजनिक जीवन में ही नहीं बल्कि निजी जीवन के प्रत्येक पहलू से भी संबंधित होती है। इसीलिये इसका एक व्यक्ति के लिए भी उतना ही महत्व है, जितना लोकसेवकों के लिए।
नैतिक दुविधा का निवारण Resolution of moral Dilemma
इस तरह की स्थितियों का निवारण करने के लिए
सामान्य व अनिवार्य रचित नियम नहीं होते हैं इसीलिए इनका समाधान और भी ज्यादा कठिन
हो जाता है और अकसर हम निजी और सार्वजनिक जीवन में इन नैतिक दुविधाओं को सुलझाने
में असफल हो जाते हैं। इनके निवारण के लिए सामान्यतः हमें निम्न प्रक्रिया का पालन
करना चाहिए
1. कानून/नियम/ विनियम का सहारा लें
- नैतिक दुविधाओं की स्थिति में सबसे पहला मार्गदर्शन एक कर्ता को नियम और कानूनों से मिलता है जब भी नैतिक ក दुविधा की स्थिति उत्पन्न हो और दो विकल्पों में से एक चुनाव करना कठिन हो तो क कानून और नियम सर्वोच्च और स्वीकार्य हल होते हैं।
2. ऐसे नैतिक निर्णयों का सहारा लेना जो सार्वजनिक हित की पूर्ति करते हैं
- जब भी नैतिक दुविधा की स्थिति उत्पन्न हो तथा दो विकल्पों में चुनाव की कानूनी दिशा निर्देश स्पष्ट तौर पर उपलब्ध न हो उस स्थिति में वैसे विकल्पों का चयन किया जाना चाहिए जो नैतिक रूप से ज्यादा तार्किक और ज्यादा सार्वजनिक हित को बढ़ावा देने वाले हों।
3. पूर्व परिपाटी का पालन करना
- यदि नैतिक दुविधा के समाधान में उपर्युक्त दोनों हल संतोषजनक निर्णय पर नहीं पहुँचा पा रहे हैं उस स्थिति में एक लोकसेवक को चाहिए कि वह उस दशाओं में पूर्व में लिये गये निर्णयों का पालन करें। इस तरह से वह संतोषजनक समाधान कर सकता है अपनी नैतिक दुविधा का लेकिन यह समाधान सर्वोत्तम नहीं होगा। इसीलिये यह समाधान के अंतिम विकल्प के तौर पर प्रयोग किया जाना चाहिए।
नैतिक दुविधाओं के प्रकार Types of ethical dilemmas
वर्तमान समय में लोक सेवकों के सामने जो नैतिक
दुविधायें आती हैं, उन्हें हम निम्न तरह से वर्गीकृत कर सकते हैं।
1. व्यक्तिगत हित बनाम सार्वजनिक हित
- नैतिक दुविधा का यह प्रथम प्रकार है जिसमें लोक सेवक के सामने ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है जब उसे व्यक्तिगत हितों और सार्वजनिक हितों की दुविधा में से किसी एक का चयन करना होता है और इस समस्या का समाधान नैतिक तर्क के आधार पर किया जा सकता है।
2. वरीयता की दुविधा
- नैतिक दुविधाओं में ऐसे अवसर भी आते हैं। जब उपलब्ध विकल्प अनिवार्य होते हैं लेकिन उनकी अनिवार्यता के संबंध में दुविधा उत्पन्न हो जाती है।
3. आवश्यकताओं की दुविधा
- नैतिक दुविधाओं में यह भी संभव है कि दो उपलब्ध विकल्पों में किसी एक विकल्प को ही चुना जा सकता है और दूसरे विकल्प को त्यागना ही पड़ेगा।
4. दो नैतिक तर्कों में दुविधा का उत्पन्न होना
- इस प्रकार की नैतिक दुविधा में उपलब्ध दोनों विकल्प नैतिकता से जुड़े होते हैं जैसे- आदेश बनाम जनता का हित, धार्मिक मूल्य बनाम कानून।
Post a Comment