भारत के राष्ट्रीय दलों के बारे में जानकारी |भारत के राष्ट्रीय राजनैतिक दल | National Political Parties Of India
भारत के राष्ट्रीय दल
भारत के राष्ट्रीय दलों के बारे में जानकारी
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई) और कांग्रेस (आई)
- 1885 में भारत की सबसे पुरानी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का जन्म भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के रूप में हुआ था। आम तौर पर यह माना जाता है कि कांग्रेस भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान एक आंदोलन था। यह वस्तुतः स्वतंत्रता के बाद एक राजनैतिक पार्टी बन गई थी। उसका मुख्य उद्देश्य स्वतंत्र भारत में चुनाव करना या अपने प्रभुत्व के दौरान कांग्रेस ने सभी जाति समूहों और धार्मिक अल्पसंख्यकों सहित सामाजिक समूहों का समर्थन किया।
- कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकारों ने समाज में परिवर्तन के उद्देश्य से अनेक कल्याणकारी नीतियों की शुरुआत की इनमें से सर्वाधिक महत्वपूर्ण नीति भूमि सुधार, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का आरक्षण, सामुदायिक विकास कार्यक्रम शामिल थे। हालांकि इन नीतियों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, उन्होंने कांग्रेस से समाज के बड़े वर्गों के बीच लोकप्रिय बनाया।
- लेकिन कांग्रेस की लोकप्रियता लंबे समय तक बरकरार नहीं रह सकी। 1960 के दशक में कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार की नीतियों के विरूद्ध अनेक राज्यों में असंतोष की भावना फैल गयी। इसके परिणाम स्वरूप, कांग्रेस ने 8 राज्यों में 1967 के विधानसभा चुनावों में हार के पश्चात गैर कांग्रेसी सरकारों की स्थापना हुई इससे भारत की दलीय प्रणाली में कांग्रेस की प्रमुखता समाप्त हो गई।
- 1969 में कांग्रेस को दो दलों में बाँटा गया, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (संगठन) और कांग्रेस (ओ) थे, जिसके नेतृत्व कामराज और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (रिक्विजिशन) और कांग्रेस (आर) जिसका नेतृत्व इंदिरा गाँधी ने किया लेकिन इंदिरा गाँधी की अध्यक्षता वाली कांग्रेस ने 1971 के आम चुनावों में सर्वाधिक सीट जीतने वाली पार्टी के रूप में उभरी।
- 1971 के आम चुनावों में, तथा लोकसभा चुनावों में 518 सीटो में से 352 सीट पर जीत दर्ज की। जब कांग्रेस पार्टी का दौर था तब 1960 के दशक के अंत से अनेक राज्यों में उभरते हुए क्षेत्रीय दलो और नेताओं में चुनौती दी । और 1970 में अंत में केन्द्र में जनता पार्टी ने इसे चुनौती दी। कांग्रेस 1980 के दशक के दौरान एक मजबूत राजनैतिक शक्ति बनी हुई थी। यद्यपि आने वाले दशकों में हालांकि कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी रही, लेकिन एक प्रमुख पार्टी का दर्जा उसने गंवा दिया इसका प्रभाव क्षेत्रीय गठबंधन (यूपीए) के रूप में बना रहा है।
भारतीय जनता दल (बी.जे.पी)
- भारतीय जनता पार्टी की जड़ों का पता भारतीय जन संघ से लगाया जा सकता है। भारतीय जन संघ की स्थापना 1951 में हिन्दूओं की राजनैतिक शाखा के रूप में हुई थी। राष्ट्रीय संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक जन संघ / भारतीय संघ (बी.जे.एस) की स्थापना एक विख्यात वकील श्यामी प्रसाद मुखर्जी ने की थी ।
- भारतीय जन संघ ने 1960 के दशक में भारत में हिंदी भाषी क्षेत्रों में अच्छा खासा समर्थन प्राप्त किया। 1977 में इसका विलय चार अन्य दलों के साथ जनता पार्टी में हो गया ।
- जनता पार्टी के खंड के विघटन के बाद भारतीय जन संघ 5 अप्रैल, 1980 को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नाम से एक अलग नाम वाली पार्टी के रूप में उभरा। इस पार्टी के अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी इसके प्रथम अध्यक्ष थे।
- 1980 के दशक में भाजपा एक मामूली सी स्थिति में भी, जहां राजनैतिक उपस्थिति हिन्दी प्रदेशों में कुछ ही राज्यों तक सीमित थी । परन्तु, नए राज्य क्षेत्र और नए मित्र देशों की खरीद ने इसे आम जनता के साथ भारत की प्रमुख राजनैतिक ताकत में बदल दिया, जिसके समर्थक पूरे देश के लोग हैं।
- कांग्रेस के पतन के साथ ही भाजपा का विस्तार हुआ। लोकसभा के राष्ट्रीय स्तर पर इसकी सीटों की वृद्धि हुई। 1984 में इसकी 2 सीटों से बढ़कर 2019 में लोकसभा चुनावों में 303 सीट हो गई। जब 2014 में लोकसभा चुनाव में इसकी वृद्धि हुई। जिनमें इसने 282 सीटें जीत ली थी। उसने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए आंदोलन, अनुच्छेद 370 का उन्मूलन, तीन तलाक का उन्मूलन आदि जैसे मुद्दों से जुटाने के द्वारा जनसर्मथन का मार्ग प्रषस्त किया। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एन.डी.ए) के प्रमुख सदस्य के रूप में भाजना 2014 से भारत में केन्द्र सरकार का नेतृत्व कर रही है। तथा 2014 और 2018 के मध्य एन. डी.ए गठबंधन की सरकारें 8 राज्यों से बढ़कर 20 राज्यों में बनीं। 2019 में, 11 राज्यों में भाजपा के नेतृत्व में मुख्यमंत्री पद पर कार्यरत है।
बहुजन समाज पाटी (बसपा)
- बहुजन समाज भारत में सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक है। यह उत्तर भारत में एक प्रभावशाली राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरा। उत्तर प्रदेश में यह पार्टी चार बार सरकार बना चुकी है और इस पार्टी की नेता (अध्यक्ष) मायावती को उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री के रूप में चार बार मुख्यमंत्री बनाया गया। जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कि उसने बहुजन समाज या बहुसंख्यक समाज के बीच एक आधार का सहारा लिया और दलित, आदिवासी समुदाय, अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक (ईसाई, सिख, मुसलमान) जैसे दल।
- (बी.एस. पी) की स्थापना 14 अप्रैल, 1984 को दलित नेता कांशीराम ने की थी। बी.एस. पी. बनाने से पहले कांशीराम ने सीमांत समुदाय को संगठित किया। 1978 में डी.एस. 4 ( दलित शोषित समाज संघर्ष समिति) जैसी संस्थाओं की स्थापना की। बैयसेक (बी.ए.एम.सी.ई.एफ) को केन्द्र सरकार के कर्मचारियों का सहारा मिला। बी.एस.पी. का मुख्य लक्ष्य समाज में उपेक्षित समुदायों तथा बहुजन समाज को सशक्त बनाना था। बी एस पी के सिद्धान्त के नारे इस जोश को रेखांकित करते हैं।
ये नारे थे:
"मत हमारा, राज तुम्हारा (उच्च जाति) नहीं चलेगा नहीं चलेगा" तथा "मत से लेगें पी.एम. / सी एम और आरक्षण से एस पी / डी. एम।"
- बी.एस.पी. ने चुनावी मोर्चे पर तेजी से प्रगति की है। 1996 तक बीएसपी ने एक राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल कर लिया था। बी.एस. पी. प्रमुख मायावती पहली बार 1995 में उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री बनी।
- मायावती की अध्यक्षता में राजनीतिक शासनों में बी.एस. पी. वाली सरकार ने कमजोर वर्गों के कल्याण के लिए अनेक कार्यक्रम शुरू किए। अंबेडकर गाँव कार्यक्रम (विलेज प्रोग्रेम) इन कार्यक्रमों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं। अंबेडकर गाँवों के कार्यक्रमों के तहत बीएसपी सरकार ने अंबेडकर गाँवों में कल्याण नीतियाँ शुरू की। अंबेडकर गाँवों में अनुसूचित जातियों की काफी संख्या थी। बी.एस.पी. सरकार ने सामाजिक उद्देश्यों या सीमांत समुदायों में साथ जुड़े प्रतीकों, नायकों तथा प्रतीकों को सांस्कृतिक मान्यता प्रदान की।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सी.पी.आई) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी पार्टी (सी.पी.आई) एम.
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सी.पी.आई.) की कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना 1925 में हुई थी। यह मार्क्सवाद से प्रेरित है। यह दल प्रथम लोकसभा (1952 1957) की मुख्य (प्रमुख) विपक्षी पार्टी बना। इसके एजेंडे में महिलाओं की सामाजिक समानता, निजि स्वामित्व वाले उधमों, का राष्ट्रीयकरण, भूमि सुधार छोटी (पिछड़ी जातियों के लिए सामाजिक न्याय तथा प्रदर्शन और हड़तालों के माध्यम से विरोध प्रदर्शन का अधिकार जैसी मांगे शामिल हैं।
- 1957 के चुनाव में सी. पी. आई. केरल विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद संसदीय लोकतंत्र में चुनाव जीतने वाली विश्व की पहली कम्युनिस्ट पार्टी बन गई थी। इस चुनाव में मिली जीत के कारण ई.एम.एस. नम्बूदरीपाद केरल के मुख्यमंत्री बने। भारत में यह पहली गैर-कांग्रेसी सरकार भी थी।
- भारत में प्राप्त स्वतंत्रता की प्रकृति, भारतीय राज्य की प्रकृति और सोवियत संघ तथा चीन के प्रति दृष्टिकोण के बारे में सी.पी.आई के अंदर बहुत मतभेद थे। इनके कारण नेताओं का एक दल सी. पी. आई. से बाहर आया और उन्होंने 1964 में एक अलग नाम से पार्टी बनाई जिसका नाम था भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और सी.पी.आई. (एम.), जिसका एक प्रमुख नेता था जिसका नाम नम्बूदरीपाद था।
- साम्यवादी दल राज्य की प्रकृति को विश्लेषण का एक महत्वपूर्ण प्रश्न मानते है और भारतीय राज्य के स्वरूप के विषय में दोनों पक्षों की समझ में अंतर था। भारतीय अर्थव्यवस्था की समझ में भारतीय राज्य राष्ट्रीय बुर्जुआ पूँजी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है, और सी. पी. आई (एम) भारतीय राज्य बर्जुआ, जमींदारों और विदेशी पूँजी के गठजोड़ का प्रतिनिधित्व करता है भारत के तीन राज्य पश्चिम बंगाल, केरल और त्रिपुरा इसका सबसे बड़ा सहारा है।
- सन् 1957 में नम्बूदरीपाद की पहली कम्युनिस्ट सरकार के अलावा, 1977 से अब तक उन्होंने कई वामपंथी और लोकतांत्रिक दलों के साथ मिलकर कई बार सरकार बनाई। परंतु पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में इन दलों के समर्थन में धीरे-धीरे कमी आई।
- पश्चिम बंगाल में मुख्य रूप से अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टी.एम.सी.) और त्रिपुरा में भाजपा की इनकी स्थिति में गिरावट आयी है। ये सीपीआई और सीपीआई (एम) की सदस्यता संरचना होती है तथा भाजपा और डी. एम. के कैडर आधारित पार्टियां हैं।
5 राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एन.सी.पी.) तथा अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टी. एम. सी)
- एन. सी. पी. की स्थापना 25 मई 1999 को शरद पवार, पी. ए. संगमा तथा तारिक अनवर द्वारा हुई थी। पी. ए. संगमा ने 2012 में पार्टी छोड़ दिया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से निष्कासित होने पर, इन तीनों से इस दल का निर्माण किया क्योंकि तीनों नेताओं को सोनिया गांधी का नेतृत्व पसदं नहीं था क्योंकि वे उन्हें विदेशी मानते थे।
- यह दल खुद को एक सहस्राब्दी पार्टी "मिलेनियम पार्टी" मानते थे जो एक आधुनिक और प्रगतिशील अभिविन्यास वाला दल है, जो समग्र लोकतंत्र, गांधीवादी धर्मनिरपेक्षता और संघवाद के जरिए राष्ट्रीय एकता में विश्वास रखता है।
- शरद पवार इसके प्रभावशाली नेता हैं जिसका महाराष्ट्र में काफी लोगों का समर्थन प्राप्त है। यू.पी.ए. I और यू.पी.ए. II के दौरान, यह पार्टी कांग्रेस के साथ थी।
तृणमूल कांग्रेस पार्टी (TMC) 1998
- तृणमूल कांग्रेस की स्थापना 1 जनवरी, 1998 को ममता बनर्जी द्वारा हुई थी। इस पार्टी के बनाने से पहले, ममता बनर्जी कांग्रेस पार्टी में काफी सक्रिय थी और वो 26 सालों से कांग्रेस से जुड़ी थी।
- इस पार्टी को पश्चिम बंगाल के लोगों का समर्थन है, जहाँ ममता बनर्जी की सरकार है। पश्चिम बंगाल के अलावा, केरल, मणिपूर, त्रिपूरा, असम, हरियाणा, अरूणाचल प्रदेश और उड़ीसा के विधान सभा चुनावों में तृणमूल कांगेस ने भागेदारी की थी।
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