अम्बेडकर द्वारा साप्ताहिक मूक नायक का प्रकाशन |Publication of Weekly Mook Nayak by Ambedkar
अम्बेडकर द्वारा साप्ताहिक मूक नायक का प्रकाशन |Publication of Weekly Mook Nayak by Ambedkar
- डॉ. अम्बेडकर मुम्बई के कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकॉनोमिक्स में वर्ष 1918 में पॉलिटिकल इकॉनोमी के प्राफेसर नियुक्त हो गये।
- इसी बीच वे कोल्हापुर के महाराजा शाहू के संपर्क में आए जो काफी समय से जाति बंधन का तोड़ने एवं अछूतों को हर तरह से उभार कर उनकी सहायकता करने की कोशिश कर रहे थे।
- कोल्हापुर के महाराजा शाहू के के आर्थिक सहयोग से उन्होंने वर्ष 1920 में मराठी भाषा में साप्ताहिक पत्र मूक नामक का प्रकाश शुरू किया। हालांकि स्वयं डॉ अम्बेडकर इसके संपादक नहीं थे, लेकिन इसके माध्यम से अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने से यह उनकी जुबान बन गया था।
- डॉ. अम्बेडकर बड़ौदा के महाराजा से छात्रवृत्ति एवं अपनी फारसी मित्र नवल बथेना से पांच हजार रुपए ऋण लेकर आगे अध्ययन हेतु वर्ष 1920 में पुन: लंदन चले गए। वहां आर्थिक तंगी के कारण उनका नाश्ता और भोजन बहुत ही कम मात्रा में होता था। तथा वे प्रायः पैदल ही चला करते थे, लेकिन उनकी ज्ञान के प्रति गहरी आस्था के कारण लंदन स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स एंड पालिटिक्स से वर्ष 1921 में प्राविन्शियल डिसेंट्र डिसेंट्रलाइजेशन ऑफ इम्पीरियल फाइनेंस इन ब्रिटिश इंडिया पर मास्टर ऑफ इंपीरियल फाइनेंस इन ब्रिटिश इंडिया पर मास्टर ऑफ साइंस, लंदन ग्रेज इन से पर्ष 1922 में बार एक लॉ और यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन से वर्ष 1923 में दि प्राब्लम ऑफ रुपी पर डॉक्टर ऑफ साइंस की उपाधियां मिली। उन्होंने लंदन प्रवास के दौरान ही जर्मनी के बॉन विश्वविद्यालय से संस्कृत का अध्ययन कर अपनी तीव्र इच्छा भी पूरी कर ली।
- डॉ. अम्बेडकर शिक्षा पूर्ण कर सक्रिय राजनीति में सम्मिलित हो जाने के विचार से अप्रैल 1923 में भारत लौट आये। उन्हांने अपने फासरी मित्र नवल बथेना के बार फिर आर्थिक सहयोग से वकील के रूप में अपनी प्रैक्टिस शुरू कर दी ।
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