कर्नाटक युद्ध में अंग्रेजों की सफलता के कारण |Reasons for the success of the British in the Karnatak War
कर्नाटक युद्ध में अंग्रेजों की सफलता के कारण
- हांलाकि दूसरे कर्नाटक युद्ध की शुरुआत तक दोनों कम्पनियों की शक्ति एक समान दिख रही थी, लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि बुनियादी तौर पर अंग्रेज मजबूत स्थिति में थी।
- ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी की आर्थिक स्थिति काफी मजबूत थी और वे अपनी सरकार को ऋण भी देती थी, वहीं दूसरी ओर फ्रांसीसी कम्पनी एक सरकारी कम्पनी थी और धन के लिए अपनी सरकार पर निर्भर थी।
- मजबूत आर्थिक स्थिति ने एक संगठन के रूप में अंग्रेजी कम्पनी को फ्रांसीसी कम्पनी की तुलना से कई बेहतर स्थिति में ला दिया था।
- अंग्रेजी कम्पनी के अधिकारियों को यह स्पष्ट रुप से पता था कि उनके आर्थिक हित सीधे तौर पर कम्पनी के आर्थिक हित से जुड़े हुए है। अतः वे अपना काम अधिक परिश्रम के साथ करते थे, लेकिन एक सरकारी कम्पनी होने के नाते फ्रांसीसी कम्पनी की संगठनात्मक स्थिति ऐसी नहीं थी।
- अंगेजों की सफलता का एक अन्य कारण उसके तीन महत्वपूर्ण केन्द्र कलकत्ता, मद्रास, एवं मुम्बई थे। अगर किसी एक केन्द्र पर संकट आता भी था, तो उसका प्रभाव दूसरे क्षेत्रों पर नहीं पड़ता था। तीनों केन्द्रों को एक ही समय में जीतना सम्भव नहीं था। वहीं दूसरी ओर फ्रांसीसियों के पास पांडिचेरी के अलावा इस प्रकार का अन्य कोई केन्द्र नहीं था, दूसरा , जिस पर निर्भर हुआ जा सके। यहीं कारण था कि जैसे ही पांडिचेरी का पतन हुआ फ्रांसीसी कम्पनी का सितारा हमेशा के लिए डूब गया।
- फ्रांसीसी कम्पनी के अधिकारियों की रणनीति में हमेशा मतभेद दिखता है, वहीं अंग्रेज अधिकारी अपने कार्यों को संगठित रुप से अंजाम देते थे। अतंत: अंग्रेजी कम्पनी की विजय का एक बड़ा कारण इनकी समुद्री शक्ति थी।
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