आधुनिक भारतीय इतिहास लेखन की नवीनतम प्रवृत्तिःसबअल्टर्न इतिहास
बीसवीं शताब्दी के अंतिम दो दशकों आधुनिक भारत के इतिहास लेखन में एक नई प्रवृत्ति का जन्म हुआ.
रणजीत गुहा को इस निम्न वर्गीय या सबअलटर्न कहे जाने वाले इतिहास लेखन का मुख्य प्रेरक माना जाता है. सबअल्टर्न इतिहासकारों ने पहले के सारे इतिहास लेखन को इलीट वर्ग का इतिहास कह कर खारिज कर दिया.
गुहा ने निम्नवर्गों का इतिहास लिखने की प्रेरणा दी. उन्होने अपनी रचना एलीमेण्ट्री ऑसपेक्ट्स ऑफ पीज़ेंट्स इनसर्जेन्सी इन कोलोनियल इंडिया में किसानों की स्वचेतना की बात की.
अतः गुहा ने मत दिया कि औपनिवेशिक भारत में किसानों के आन्दोलन राष्ट्रीय आन्दोलन की विचारधारा के प्रसार का परिणाम (जैसा राष्ट्रवादी) इतिहासकारों का विचार था) नही थे, और न ही वे औपनिवेशिक शोषण के विरुद्ध संगठित उन किसानों के संघर्ष थे जो औपनिवेशिक सत्ता को उखाड़ फेकना चाहते थे, जैसा मार्क्सवादी इतिहासकार मानते हैं, बल्कि वे शोषण के विरुद्ध किसानों के स्वतः स्फूर्त संघर्ष थे. इसप्रकार सबअलटर्न इतिहासकारो ने तर्क दिया कि आधुनिककाल में मुख्य संघर्ष इलीट और सबअलटर्न के बीच था. अनेक आलोचनाओं के बावजूद यह इतिहास लेखन कमजोर तबकों, दलितों, किसानों तथा महिलाओं की चेतना एवं विचारधारा को उदघाटित करने में काफी सफल रहा है.
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