लोक प्रशासन का विषय क्षेत्र |Subject area of ​​Public Administration

लोक प्रशासन का विषय क्षेत्र |Subject area of ​​Public Administration


लोक प्रशासन का विषय क्षेत्र

इस आर्टिकल के अंतर्गत यह समझेंगे की लोक प्रशासन में किन तथ्यों तथा समस्याओं का अध्ययन किया जाता हैअर्थात लोक प्रशासन का अध्ययन क्षेत्र क्या हैजिस प्रकार आपने इस विषय की परिभाषा तथा इसके स्वरूप के सम्बन्ध में विद्वानों में तीव्र मतभेद पायाउसी प्रकार का मतभेद विषय के अध्ययन क्षेत्र के सम्बन्ध में भी पाया जाता है। 


 लोक प्रशासन का अध्ययन क्षेत्र क्या है

वास्तव मेंपरिवर्तन के इस युग में लोक प्रशासन जैसे गतिशील विषय का क्षेत्र निर्धारित करना अत्यन्त मुश्किल कार्य है। मोटे तौर पर इस सम्बन्ध में निम्नलिखित दृष्टिकोण प्रचलित हैं-


लोक प्रशासन के संबंध में संकुचित दृष्टिकोण


  • इस दृष्टिकोण के अनुसार लोक प्रशासन का सम्बन्ध शासन की कार्यपालिका शाखा से हैइसलिए इसके अंतर्गत केवल कार्यपालिका से सम्बन्धित कार्यों का अध्ययन किया जाना चाहिए। 


  • हर्बर्ट साइमन तथा लूथर गुलिक जैसे विद्वान इस दृष्टिकोण के समर्थक है। इस दृष्टिकोण को स्वीकार करने पर लोक प्रशासन के क्षेत्र के अंतर्गत निम्नलिखित बातें सम्मिलित की जा सकती हैं कार्यरत कार्यपालिका अर्थात असैनिक कार्यपालिका का अध्ययनसामान्य प्रशासन का अध्ययनसंगठन सम्बन्धी समस्याओं का अध्ययनकार्मिक प्रशासन का अध्ययनवित्तीय प्रशासन का अध्ययन और प्रशासनिक उत्तर दायित्व एवं उपलब्धियों का अध्ययन।

 

लोक प्रशासन का व्यापक दृष्टिकोण

 

  • यह दृष्टिकोण लोक प्रशासन के क्षेत्र के अंतर्गत उन सभी क्रियाओं के अध्ययन पर बल देता है जिनका उद्देश्य लोक नीति को पूरा करना अथवा क्रियान्वित करना होता है। 
  • दूसरे शब्दों में इस दृष्टिकोण के अनुसार लोक प्रशासन के अंतर्गत सरकार के तीनों अंगों- कार्यपालिकाव्यवस्थापिका एवं न्यायपालिका से सम्बन्धित कार्यों का अध्ययन किया जाना चाहिए। 

निग्रोव्हाइटमार्क्सविलोबी आदि विद्वान इस दृष्टिकोण के समर्थक हैं। 

इस दृष्टिकोण को स्वीकार करने पर लोक प्रशासन के विषय क्षेत्र की व्याख्या में निम्नलिखित बातें दृष्टिगोचर होती है -

1. समाज के सहयोगात्मक प्रयास का अध्ययन

2. सरकार के तीनों अंगो का अध्ययन

3. लोक नीति के निर्माण एवं क्रियान्वयन का अध्ययन

4. प्रशासन के सम्पर्क में आने वाले निजी संगठनों एवं व्यक्तियों के व्यवहार का अध्ययना

 

लोक प्रशासन का पोस्डकार्ब दृष्टिकोण

 

इस दृष्टिकोण के प्रमुख प्रणेता लूथर गुलिक हैं। यद्यपि गुलिक से पहले उर्विकहेनरी फेयोल इत्यादि विद्वानो ने भी पोस्डकॉब दृष्टिकोण अपनाया थाकिन्तु इन विचारों को सुव्यवस्थित ढंग से प्रस्तुत करने का श्रेय गुलिक को जाता है। 

पोस्डकॉब शब्द

पोस्डकॉब शब्द अंग्रेजी के सात शब्दों के प्रथम अक्षरों से मिलकर बना है। ये शब्द निम्नवत है- 

1. Planing योजना बनाना

2. Organization संगठन बनाना

3. Staffing- कर्मचारियों की व्यवस्था करना

4. Directing- निर्देशन करना

5. Coordinaton- समन्वय करना

6. Reporting- रपट देना और 

7. Budgeting- बजट तैयार करना।

 

लोक प्रशासन का आदर्शवादी दृष्टिकोण

 

  • यह दृष्टिकोण इस मान्यता पर आधारित है कि लोककल्याणकारी राज्य और लोक प्रशासन में कोई अन्तर नहीं है। जिस प्रकार लोक कल्याणकारी राज्य का उद्देश्य जनता का हित करना हैठीक उसी प्रकार लोक प्रशासन का अर्थ जनता के हित में सरकार के कल्याणकारी कार्यों को मूर्त रूप प्रदान करना है। लोक प्रशासन एक व्यापक विषय है और इसके अंतर्गत जनहित में किये जाने वाले समस्त कार्यों का अध्ययन किया जाना चाहिए।


उपर्युक्त दृष्टिकोण की समीक्षा करने पर आपको यह स्पष्ट हो जायेगा कि इनमें से कोई भी दृष्टिकोण पूर्ण नहीं है।

 

  • प्रथम दृष्टिकोण लोक प्रशासन को शासन की कार्यपालिका शाखा से सम्बन्धित मानता हैलेकिन यथार्थ में यह केवल कार्यपालिका शाखा का ही अध्ययन नहीं हैबल्कि इससे बहुत ज्यादा है।


  • दूसरे व्यापक दृष्टिकोण के मुताबिक लोक प्रशासन में सरकार के तीनों अंगों को शामिल किया गया है जिसे भी पूर्णतः उचित नहीं कहा जा सकता है। अगर इस दृष्टिकोण को माना जाए तो लोक प्रशासन अस्पष्ट विषय बनकर रह जायेगा। 


  • तीसरे दृष्टिकोणजिसे 'पोस्डकॉर्बका नाम दिया जाता है इस आधार पर आलोचना की जा सकती है कि यह केवल प्रशासन की तकनीकों से सम्बन्धित हैउसके पाठ्य विषय से नहीं। इस दृष्टिकोण में यह भी कमी है कि इसमें मानवीय पहलू की उपेक्षा की गयी है।


  • अंत में चौथा दृष्टिकोण आदर्शवादी दृष्टिकोण भी सही नहीं कहा जा सकताक्योंकि यह लोक प्रशासन के वास्तविक क्षेत्र का विवेचन नहीं करके भविष्य में बनने वाले लोक प्रशासन के क्षेत्र का काल्पनिक वर्णन करने लगता है।

 

स्पष्टतः उपर्युक्त दृष्टिकोणों में किसी एक को पूर्णतः सही मानना ठीक नहीं हैपरन्तु सत्यता का अंश सभी में है। यानि लोक प्रशासन सरकार के तीनों अंगों से सम्बन्धित हैपरन्तु कार्यपालिका से ज्यादा जुड़ा हुआ है। इसमें पोस्डकॉर्बकी प्रक्रिया अपनायी जाती है और इसका भावी स्वरूप विस्तृत और व्यापक है। 


इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि लोक प्रशासन में निम्नलिखित विषय क्षेत्रों का अध्ययन किया जाना चाहिए

 

  • सार्वजनिक कार्मिक प्रशासन का अध्ययन, 
  • सार्वजनिक वित्तीय प्रशासन का अध्ययन, 
  • प्रशासनिक अथवा संगठनात्मक सिद्धान्तों का अध्ययन, 
  • तुलनात्मक लोक प्रशासन का अध्ययन,

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