मनोवृत्ति परिवर्तन के सिद्धांत |Theory of Attitudinal Change

 मनोवृत्ति परिवर्तन के सिद्धांत |Theory of Attitudinal Change

मनोवृत्ति परिवर्तन के सिद्धांत |Theory of Attitudinal Change


 

कार्यात्मक सिद्धांत (Functional Theory)

  • कार्यात्मक सिद्धांत की एक महत्वपूर्ण पूर्वकल्पना (Assumption) यह है कि प्रत्येक मनोवृत्ति एक खास उद्देश्य को पूरा करती है। इसी उद्देश्य के अनुसार ही व्यक्ति अपनी मनोवृत्ति में परिवर्तन लाता है। किसी मनोवृत्ति में परिवर्तन करने से पहले व्यक्ति को यह पता होना चाहिए कि इस मनोवृत्ति का महत्व क्या हैमनोवृत्ति का एक प्रेरणात्मक आधार होता है जिसके द्वारा मनोवृत्ति परिवर्तन की व्याख्या संभव होती है। इस प्रेरणात्मक आधार को मनोवृत्ति के कार्यों के रूप में समझा जा सकता है।

 

सामंजस्य सिद्धांत (Congruity Theory)

  • इस सिद्धांत द्वारा मनोवृत्ति परिवर्तन की व्याख्या मौलिक पूर्वकल्पना के संगति सिद्धांत के अनुकूल ही है। असंगति से मनोवृत्ति परिवर्तन के लिए व्यक्ति में दबाव उत्पन्न होता है। अर्थात जब मनोवृत्ति में संज्ञानात्मक तत्वों से असंगति उत्पन्न होती है तो इससे व्यक्ति में मनोवृत्ति परिवर्तन करके असंगति से उत्पन्न तनाव को दूर करने की प्रबलता बढ़ जाती है।
  • सामंजस् सिद्धांत के अनुसार दो संज्ञानात्मक तत्व जो आपस में संबंधित होते हैं। दोनों में परिवर्तन होता है ताकि सामंजस्य में वृद्धि हो सके तथा मनोवृत्ति परिवर्तन का स्वरूप स्थिर हो सके। जैसे किसी नयी सूचना या विरोधी विचारमत के होने से दृढ़ मनोवृत्ति में कम तथा कमजोर मनोवृत्ति में अधिक परिवर्तन होगा। इस परिवर्तन का परिणाम व्यक्ति के संज्ञानात्मक क्षेत्र में एक सामंजस्य स्थापित करना होता है। इस प्रकार से इस सिद्धांत के संज्ञानात्मक परिवर्तन की मात्रा तथा दिशा जिनसे सामंजस्य या संगतता में वृद्धि होती हैके बारे में पूर्वानुमान लगाया जाता है।

 

सामाजिक अधिगम सिद्धांत (Social learning Theory) 

  • मनोवृत्ति परिवर्तन के सामाजिक अधिगम या सीखना सिद्धांत का विकास शास्त्रीय अनुबंधों तथा साधनात्मक अनुबंधन के पुनर्बलन नियमों पर आधारित है। इस नियम के अनुसार यदि एक स्वाभाविक उद्दीपक जैसे भोजन के साथ दूसरा तटस्थ उद्दीपक जैसे घंटी को बजाया जाता है तो कुछ प्रयास के बाद इस तटस्थ उद्दीपक के द्वारा स्वाभाविक अनुक्रिया जैसे लार निकलना जो सिर्फ स्वाभाविक उद्दीपक के प्रति होती हैंउत्पन्न होने लगती है।

 

संतुलन के संप्रत्यय का सिद्धांत

  • इसे POX त्रिकोण के रूप में भी व्यक्त किया जाता है। इसमें वह व्यक्ति है जिसकी मनोवृत्ति का अध्ययन किया जाना है, o एक दूसरा व्यक्ति है तथा विषयवस्तु है जिसके प्रति अभिव्यक्ति का अध्ययन करना है। यह भी संभव है कि तीनों व्यक्ति ही हो। जब PO मनोवृत्ति, O X मनोवृत्ति तथा P X मनोवृत्ति के बीच एक असंतुलन की अवस्था होती है तो मनोवृत्ति में परिवर्तन होता है अतः मनोवृत्ति में संतुलन की दिशा में परिवर्तन होता है। असंतुलन तब पाया जाता है जब (i) P-O-X त्रिकोण तीनों भुजाएँ नकारात्मक होती है (ii) दो भुजाएँ सकारात्मक एवं एक भुजा नकारात्मक होती है। संतुलन तब पाया जाता है जब तीनों भुजाएँ सकारात्मक होंया दो भुजाएँ नकारात्मक एवं एक भुजा सकारात्मक हो। 


मनोवृत्ति परिवर्तन का विसन्नादिता सिद्धांत (Cognitive dissonance)

 

विसन्नादिता सिद्धांत एक बहुत तर्कसंगत विचार के साथ प्रारंभ होता है। लोग असंगतता पसंद नहीं करते हैं और जब यह होता हैं तो हमें तकलीफ होती है। विसन्नादिता को दूर करने हेतु तीन प्रणालियाँ प्रयुक्त होती हैं।

 

(i) मनोवृत्ति परिवर्तन-

  •  मनोवृत्ति परिवर्तन करने से संज्ञानात्मक तत्वों की विसन्नादिता कम हो जाती है। एक 50 वर्षीय व्यक्ति निरंतर पाबंदी के साथ ऑफिस जाता है जिससे उसे घृणा है। विसन्नादिता को घटाने के लिए या तो वह खुद आश्वस्त कर सकता है कि वास्तव में वह अपनी नौकरी से घृणा नहीं करता अथवा नौकरी छोड़ देगा।

 

(ii) नवीन सूचनाओं का संग्रह

  • व्यक्ति अपनी मनोवृत्ति के समर्थन में नवीन सूचनाएं जुटाता है। इन नवीन सूचनाओं के द्वारा व्यक्ति आश्वस्त होता है कि वास्तव में कोई समस्या है या असंगति नहीं है।

 

(iii) द्वन्द के महत्व को घटाना-

  • विसन्नादिता को समाप्त करने की तीसरी प्रणाली के अंतर्गत द्वंद्व के महत्व को कम करता हैताकि सुरक्षित रूप से उसकी उपेक्षा कर सके। जैसे एक धूम्रपान एवं मद्यपान करने वाला युवक अपने मन में सोचता है कि धूम्रपान एवं मद्यपान से फेफड़े एवं लीवर खराब हो सकते हैं किंतु ऐसा होने से पहले देश में परमाणु युद्ध भी हो सकता है जिससे कोई भी व्यक्ति नहीं बचेगा इसलिए इतना सोचने की आवश्यकता हमे नहीं है और जो द्वंद्व चल रहा है उसको कुतर्क के माध्यम से हम घटा देते हैं।

 

आत्मसात्करण विषमता का सिद्धांत (Assimilation contract Theory) 

  • आत्मसात्करण विषमता सिद्धांत के अनुसार मनोवृत्ति के उद्देश्य से जब भी व्यक्ति को कोई सूचना दी जाती है तो इसकी प्रभावशीलता इस बात पर आधारित होती हैं कि व्यक्ति उस सूचना को किस तरह से स्वीकार किया गया है। 
  • सूचना प्राप्तकर्ता की वर्तमान मनोवृत्ति जिसे आन्तरिक स्थिरण बिन्दु कहा जाता है तथा दी गई से उत्पन्न मनोवृत्ति में कितना अंतर हैं। जब कोई सूचना स्वीकरण के विस्तार के क्षेत्र में भीतर पड़ता है तो स्पष्टतः मनोवृत्ति में परिवर्तन होता है परंतु यदि कोई सूचना स्वीकरण के इस विस्तार से बाहर खासकर अस्वीकरण के विस्तार के क्षेत्र में पड़ता है तो उससे मनोवृत्ति में परिवर्तन नहीं होता है।
  • बल्कि ऐसी सूचना जो अस्वीकरण के विस्तार के क्षेत्र में होती हैसे कभी-कभी सूचना प्राप्तकर्ता की प्रारंभिक मनोवृत्ति और भी दृढ़ या मजबूत हो जाती हैजिसे सामाजिक मनोविज्ञान में धमाका प्रभाव कहा जाता

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