नीतिशास्त्र में मूल्यों के प्रकार |मानवीय मूल्य की व्याख्या |Types of values ​​in ethics in Hindi

 नीतिशास्त्र में मूल्यों के प्रकार

Types of values ​​in ethics in Hindi

नीतिशास्त्र में मूल्यों के प्रकार |मानवीय मूल्य की व्याख्या |Types of values ​​in ethics in Hindi


 

 नीतिशास्त्र में मूल्यों के प्रकार- 

  •  नैतिक मूल्य
  • तार्किक मूल्य
  • सौंदर्यपरक मूल्य
  •  मानव मूल्य


 

(1) नैतिक मूल्य

  • व्यापक सामाजिक हित एवं लोगों को अंतःकरण की स्वीकृति के लक्षण से युक्त सामाजिक मूल्यों को नैतिक मूल्य कहते हैं एवं जब इनमें बुद्धिसंगतता जुड़ जाती हैव्यापक सामाजिक हित एवं लोगों के अंतःकरण की स्वीकृति की प्राप्ति हो जाती है सार्वभौमिक मूल्य जाने है यद्यपि नैतिक मूल्यों के साथ कोई वैज्ञानिकता की बात नहीं होती एवं इनका आधार सामाजिक विश्वास होता है। परंतु वैश्वीकरण के वर्तमान दौर में उन सार्वभौमिक नैतिक मूल्यों का विकास हुआ है जो विवेक सम्मत हैं। उदाहरण- मानवतास्वतंत्रतासमानतासामाजिक न्याय आदि।

 

  • इसलिए नैतिक मूल्य विशिष्ट एवं सार्वभौम दोनों हो सकते हैं।


(2तार्किक मूल्य

  • सामान्यतः मूल्यों का संबंध विवेक से नहीं होता क्योंकि समाज अपने अनुभवों से लंबे समय में इसका स्वतः निर्माण करता है। मूल्यों के साथ कोई तर्क की बात नहीं होती क्योंकि यह तो एक सामूहिक विश्वास है।

 

  • परन्तु विज्ञान के विकास के साथ-साथ आधुनिक वैश्विक समाज में धीरे-धीरे - विवेकपूर्ण मूल्यों का विकास हुआ है। आधुनिकता के इन मूल्यों को ही बुद्धिसंगत या तार्किक मूल्य कहते हैं। उदाहरणार्थ- स्वतंत्रतासमानतान्यायपर्यावरण संरक्षणऊर्जा संरक्षण आदि। बुद्धिसंगत मूल्य के उदाहरण हैं।

 

  • चूँकि बुद्धिसंगतता सार्वभौम होती है इसलिए बुद्धिसंगत मूल्यों का संबंध भी मानवता की भलाईसार्वभौमिक मूल्यों से होता है जो सभी समाज द्वारा प्रायः स्वीकार्य होते हैं।

 

(3) सौंदर्यपरक मूल्य

  • विभिन्न प्रकार के कलाओं साहित्यसंगीतस्थापत्य आदि के मूल्यांकन हेतु प्रत्येक समाज के अपने सौंदर्यात्मक मूल्य होते हैं। इन्हीं आधार पर इन कलाओं का मूल्यांकन होता है।

 मानवीय मूल्य की व्याख्या 

(4) मानव मूल्य

 

  • (i) सामान्यतः सार्वभौमिक सामाजिक मूल्यों को ही मानव मूल्य की संज्ञा दी जाती है जो मानवीय क्रियाओं के उत्प्रेरक होते हैं एवं जो सभी समाजोंसंस्कृतियों में तथा सामान्यतः सभी कालों में पाये जाते हैं।

 

  • (ii) मानवीय मूल्य व्यक्ति के आंतरिक सार हैं जो मानव जीवन को क्षमता एवं उच्चतम अभिव्यक्ति की और अग्रसारित करते हैं।

 

  • (iii) मानवीय मूल्यों में एक अंतर्निहित ऊर्जा होती है जो व्यक्ति के लिए प्रेरक शक्ति के रूप में कार्य करती है।

 

  • (iv) मानवीय मूल्य सार्वभौम प्रकृति के होते हैं। समय तथा स्थान के साथ इनका ह्रास नहीं होता है।

 

  • (v) मानव मूल्य संवेगात्मक होते हैं जो व्यक्ति के मन के अंदर से उसकी बाह्यक्रियाओं के रूप में अभिव्यक्त होते हैं।

 

निष्कर्षतः हम कह सकते हैं कि मानव मूल्य एक शाश्वत तथ्य है जो मानवीय क्रियाओं को सशक्त करती हैंप्रेरित करती एवं ऊर्जा प्रदान करती है जो व्यक्ति एवं समाज दोनों के हित के विकास हेतु आवश्यक होता है।

 

मानव मूल्यों का वर्गीकरण

 

पाँच आधारभूत मानवीय मूल्य

 


  • (A) सदाचरण 
  • (B) अहिंसा 
  • (C) सत्य 
  • (D) प्रेम 
  • (E) शांति

 

सदाचरण मानवीय मूल्य क्या है 

  • यह एक आधारभूत मानवीय मूल्य है जिसका अर्थ है कि हमें अधिक से अधिक अच्छा व्यवहार अपनाने एवं इसके लिए उचित कर्म करने का प्रयास करना चाहिए। 
  • उचित एवं अनुचित क्या हैइसको लेकर आचार शास्त्रियों में मतभेद हो सकता है परंतु इस तथ्य से सभी सहमत हैं कि हमें उचित कर्म करना चाहिए। अनुचित से दूर रहना चाहिए। 

सदाचरण के सिद्धांत

  •  बुराई के ऊपर अच्छाई में अधिकाधिक वृद्धि की जाए 
  • किसी भी रूप में बुराई को हावी न होने दिया जाए। यथासंभव बुराई उत्पन्न करने या दूसरे को हानि पहुँचाने से परहेज किया जाये।

 

सत्य मानवीय मूल्य

 

  • सत्य वह है जो वास्तविकता से अनुरूपता रखता है अर्थात जो तथ्य के साथ एकमतता रखता है। 
  • सत्यवादिता एक मौलिक मानवीय मूल्य है एवं एक अर्थपूर्ण संप्रेषण के लिए आवश्यक शर्त है एवं इसके अभाव में दो व्यक्ति/व्यक्तियों के मध्य नैतिक संबंध संभव नहीं है। 
  • कोई भी समाज मनुष्यों के मध्य सहमति पर कायम है एवं यह सहमति तभी संभव है जब लोगों को यह विश्वास हो कि सामने वाला सत्य बोल रहा है।

 

इसलिए प्रत्येक आचार तंत्र में झूठ को अनुचित व सत्य को उचित माना गया है।

 

अहिंसा मानवीय मूल्य

 

  • अहिंसा एक परम मानवीय मूल्य है जिसका सामान्य अर्थ है- किसी की हत्या न करना परंतु व्यापक अर्थों में किसी भी जीव को कष्ट नहीं पहुँचाना ही अहिंसा है जिसका पालन मनवचन एवं कर्म से होना चाहिए।

 

  • गांधी के अनुसार अहिंसा मनुष्य जाति का नियम है एवं किसी जीव को कष्ट न पहुँचाना अहिंसा का निषेधात्मक पक्ष है परंतु इसका भावात्मक पक्ष है- आत्मबुद्धिआत्मसंयमप्रेमस्नेहसहानुभूतिदया इत्यादि ।।

 

प्रेम मानवीय मूल्य

 

  • प्रेम एक गुण है जिसमें दयालुता बिना स्वार्थ के किसी के प्रति समर्पण का भाव व लगाव की स्थिति अंतर्निहित होती है।

 

  • प्रेम अर्द्धचेतन मन से प्रभावित कोई संवेग नहीं है। बल्कि यह हृदय का शुद्ध एवं स्वत प्रक्रिया है।

 

शांति मानवीय मूल्य

  • शांति से आशय अन्य जीवों के साथ शांतिपूर्ण सह अस्तित्व को स्वीकार करते हुए जीवन यापन करना। शांति का व्यापक अर्थ मन वचनऔर कर्म से अन्य व्यक्तियों और जीवों के प्रति शांति का भाव रखना।


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