विश्व व्यापार संगठन के मंत्री स्तरीय सम्मेलन |WTO Ministerial Conference in Hindi
विश्व व्यापार संगठन के मंत्री स्तरीय सम्मेलन |WTO Ministerial Conference
WTO मंत्रालयिक सम्मेलन
बारहवां विश्व व्यापार संगठन मंत्रिस्तरीय सम्मेलन 2021
- 12वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (MC12) 30 नवंबर से 3 दिसंबर 2021 तक जिनेवा, स्विट्जरलैंड में होगा।
- MC12 मूल रूप से कजाकिस्तान की राजधानी नूर-सुल्तान में 8 से 11 जून 2020 तक होने वाला था, लेकिन COVID-19 महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया था।
- सम्मेलन की अध्यक्षता कजाकिस्तान के व्यापार और एकीकरण मंत्री, बख्त सुल्तानोव करेंगे, जैसा कि दिसंबर 2019 में विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों द्वारा अनुमोदित किया गया था।
सिंगापुर, 9-13 दिसंबर 1996 (MC1)
विश्व व्यापार संगठन के 120 से अधिक सदस्यों तथा
जो WTO में
सम्मिलित होने की प्रक्रिया में थे, की सरकारों के व्यापार, विदेश, वित्त एवं कृषि मंत्रियों ने इसमें भाग
लिया था।
निम्नलिखित चार मुद्दों को सिंगापुर मुद्दे नाम
दिया गया, ये
पहले चार मुद्दे थे जिन पर बहुपक्षीय निकाय वार्ता शुरू कर सकता था:
- व्यापार एवं निवेश
- व्यापार सरलीकरण
- सरकारी खरीद में पारदर्शिता
- व्यापार एवं प्रतियोगिता
जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड 18-20 मई 1998 (MC2)
- मंत्रालयिक घोषणा पत्र में निम्नलिखित कार्यक्रम शामिल थे:
- सदस्यों द्वारा सामने लाए गए मौजूदा समझौतों
एवं निर्णयों के कार्यान्वयन से संबंधित मुद्दों सहित मुद्दे;
- मारकेश में किये गए अन्य मौजूदा समझौतों एवं
निर्णयों के तहत पहले से तय किये गये भविष्य के कार्य;
- सिंगापुर में शुरू किये गए कार्यक्रम के आधार
पर भविष्य के संभावित कार्य;
- कृषि पर व्यापक वार्ता के अगले चरण के लिये प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में बाज़ार पहुँच, निर्यात सब्सिडी आदि शामिल हैं।
सीएटल (Seattle), संयुक्त राज्य अमेरिका 30 नवंबर-3 दिसंबर, 1999 (MC3)
इसमें दो प्रमुख मुद्दे थे:
- पहला मुद्दा यह था कि उरुग्वे राउंड जैसी नई व्यापक वार्ता शुरू की जाए अथवा अंतिम मंत्रालयिक बैठक में अधिदिष्ट कृषि एवं सेवाओं की तथाकथित ‘बिल्ट इन एजेंडा’ वार्ता को सीमित करना हो।
- दूसरी बात यह है कि वार्ता किस पर होनी चाहिये, विशेष रूप से वार्ता के दौरान बैठक के एजेंडे में क्या शामिल होना चाहिये।
- बैठक दोनों मुद्दों को हल करने में असमर्थ रही एवं गतिरोध में ही समाप्त हो गई।
- नये चरण की वार्ता के समझौते के बिना एवं मंत्रालयिक घोषणा पर समझौते के बिना विचार-विमर्श समाप्त कर दिया गया था।
दोहा, कतर 9-13 नवंबर 2001 (MC4)
- कृषि: विकासशील देशों को प्रभावी ढंग से खाद्य सुरक्षा एवं ग्रामीण विकास सहित उनकी विकास ज़रूरतों को पूर्ण करने में सक्षम बनाने के लिये विकासशील देशों हेतु विशेष एवं अंतर संबंधी उपाय वार्ता के सभी तत्त्वों के एक अभिन्न अंग होंगे।
- सेवाएँ: सभी व्यापारिक भागीदारों की आर्थिक वृद्धि और विकासशील एवं अल्प विकसित देशों के विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सेवाओं के व्यापार पर वार्ता आयोजित की जाएंगी।
जनवरी 2000 में सेवाओं के व्यापार पर सामान्य
समझौते के अनुच्छेद 19 (GATS) के तहत की गई वार्ताओं में पहले से ही शुरू किये गए काम को इसमें
मान्यता दी गई। WTO के सदस्यों द्वारा कई क्षेत्रों एवं समस्तरीय मुद्दों से संबंधित बड़ी
संख्या में प्रस्ताव दिये गए।
गैर-कृषि उत्पादों की बाज़ार तक पहुँच:
- वार्ता में विकासशील एवं अल्प विकसित देश प्रतिभागियों की विशेष ज़रूरतों और हितों का ध्यान रखा जाएगा जिसमें GATT 1994 के अनुच्छेद 28 के प्रासंगिक प्रावधानों के अनुसार पूर्ण प्रतिबद्धताएँ शामिल हैं।
सरकारी खरीद में पारदर्शिता:
- सरकारी खरीद में पारदर्शिता पर एक बहुपक्षीय समझौते एवं इस क्षेत्र में तकनीकी सहायता में वृद्धि और क्षमता निर्माण की आवश्यकता को मान्यता देते हुए यह सहमति व्यक्त की गई कि समझौते सर्वसम्मति से किये जाने वाले निर्णय के आधार पर होंगे।
कान्कुन, मेक्सिको 10-14 सितंबर 2003 (MC5)
- इसका मुख्य कार्य दोहा विकास एजेंडा के तहत वार्ता एवं अन्य कार्यों में प्रगति का जायजा लेना था।
होंगकोंग, 13-18 दिसंबर 2005 (MC6)
- WTO की सदस्य अर्थव्यवस्थाओं ने सब्सिडी को कम करके कृषि व्यापार के उदारीकरण पर प्रारंभिक समझौते पर पहुँचने का लक्ष्य रखा एवं बैठक में अन्य मुद्दों को संबोधित किया जिसका उद्देश्य वर्ष 2006 में दोहा राउंड का सफल समापन था।
- एक गहन बातचीत के बाद विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों ने दोहा राउंड वार्ता के लिये प्रस्तावों एवं शर्तों का एक अंतरिम समूह तैयार किया:
- कृषि निर्यात सब्सिडी (2013) एवं कपास निर्यात
सब्सिडी (2006) के उन्मूलन की समय सीमा,
- और यह प्राधिकृत किया कि अल्प विकसित देशों (Least Developed Countries- LDC) में बनने वाले कम से कम 97% उत्पादों को वर्ष 2008 तक शुल्क एवं अंश मुक्त पहुँच प्रदान की जाएगी।
- गैर-कृषि बाज़ार पहुँच (NAMA) के लिये सदस्यों ने ‘स्विस सूत्र’ को अपनाया जिसमें उच्च प्रशुल्क में बड़ी कटौती की बात की गई थी और यह तय किया कि 30 अप्रैल 2006 तक प्रशुल्क में कटौती हेतु तौर-तरीके स्थापित किये जाएँ।
- स्विस सूत्र (स्विस प्रतिनिधि मंडल द्वारा WTO के लिये) दोनों विकसित एवं विकासशील देशों द्वारा गैर कृषि वस्तुओं (NAMA) पर प्रशुल्क को कम करने के लिये सुझाया गया एक तरीका है।
- यह विकसित एवं विकासशील देशों के लिये अलग-अलग गुणांक तैयार करता है।
- यहाँ प्रशुल्क कटौती को इस तरह समझा जाना चाहिये कि यह कम प्रशुल्क की तुलना में अधिक प्रशुल्क में ज़्यादा कटौती करता है।
- यह बैठक वर्ष 2001 में शुरू की गई दोहा व्यापार वार्ता का अंतिम चरण हो सकती है।
जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड 30 नवंबर - 2 दिसंबर 2009 (MC7)
- सम्मेलन का विषय “विश्व व्यापार संगठन, बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली एवं वर्तमान वैश्विक आर्थिक वातावरण” था।
- पिछले सम्मेलनों के विपरीत यह बैठक दोहा राउंड का सत्र नहीं थी बल्कि मंत्रियों के लिये डब्ल्यूटीओ के काम के सभी तत्त्वों को प्रतिबिंबित करने, विचारों का आदान-प्रदान करने एवं आने वाले वर्षों में आगे बढ़ने हेतु सर्वोत्तम मार्गदर्शन का अवसर था।
- जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड 15-17 दिसंबर 2011 (MC8)
- सम्मेलन ने रूसी संघ, समोआ एवं मोंटेनेग्रो के प्रवेश को मंज़ूरी प्रदान की।
- इसने बौद्धिक संपदा, इलेक्ट्रॉनिक वाणिज्य, लघु अर्थव्यवस्थाएँ, अल्प विकसित देशों के प्रवेश, अल्प विकसित देशों को सेवाओं की छूट एवं व्यापार नीति की समीक्षा पर कई निर्णय अपनाए।
- इसने विश्व व्यापार संगठन के समझौतों एवं दोहा अधिदेश को पूरा करने तथा उन्हें और अधिक सटीक, प्रभावी व क्रियाशील बनाने की दृष्टि से समीक्षा करने के उनके संकल्प को पूरा करने हेतु विशेष और अंतर संबंधी व्यवहार प्रावधानों के एकीकरण की पुष्टि की।
बाली, इंडोनेशिया 3-6 दिसंबर 2013 (MC9)
सम्मेलन में ‘बाली पैकेज’ अपनाया गया जिसमें निम्नलिखित बिंदुओं
पर लक्षित निर्णयों की एक शृंखला थी:
- व्यापार को सुव्यवस्थित करना,
- खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिये विकासशील
देशों को अधिक विकल्प प्रदान करना,
- अल्प विकसित देशों के व्यापार को बढ़ावा देना एवं विकास में अधिक व्यापक रूप से सहायता करना।
- बाली पैकेज में व्यापक दोहा राउंड वार्ता के चयनित मुद्दे हैं।
- सम्मेलन ने विश्व व्यापार संगठन के नए सदस्य के रूप में यमन के प्रवेश को भी मंज़ूरी प्रदान की।
नैरोबी, केन्या 15-19 दिसंबर 2015 (MC10)
कृषि, कपास एवं अल्प विकसित देशों (LDC) से संबंधित मुद्दों पर निर्णयों की शृंखला
‘नैरोबी
पैकेज’ को
अपनाने के परिणामस्वरूप इसका आयोजन किया गया।
कृषि
- सदस्य विकासशील के लिये विशेष सुरक्षा तंत्र;
- खाद्य सुरक्षा उद्देश्यों के लिये सार्वजनिक
हिस्सेदारी;
निर्यात प्रतियोगिता;
- कपास: कई विकासशील अर्थव्यवस्थाओं एवं विशेष
रूप से उनमें से कई अल्प विकसित देशों के लिये कपास के महत्त्व पर ध्यान देते हुए;
- ऐसा करने की घोषणा करने वाले सदस्य विकसित देश एवं सदस्य विकासशील देश 1 जनवरी 2016 से अल्प विकसित देशों के पक्ष में अधिमान्य व्यापार व्यवस्था प्रदान कर रहे हैं एवं अल्प विकसित देशों द्वारा उत्पादित एवं निर्यात किये जाने वाले कपास उत्पादों को कोटा मुक्त एवं शुल्क मुक्त बाज़ार तक पहुँच प्रदान कर रहे हैं।
अल्प विकसित देशों के मुद्दे
- अल्प विकसित देशों के लिये उत्पत्ति के
अधिमान्य नियम;
- अल्प विकसित देशों की सेवाओं एवं सेवा
आपूर्तिकर्ताओं के पक्ष में अधिमान्य उपचार का कार्यान्वयन;
- और सेवाओं के व्यापार में अल्प विकसित देशों की
भागीदारी में वृद्धि;
- नैरोबी निर्णय वर्ष 2013 के LDC के लिये उत्पत्ति के अधिमान्य नियमों पर बाली मंत्रालयिक निर्णय पर आधारित है।
- "नैरोबी पैकेज" संगठन के सबसे निर्धनतम सदस्यों को लाभान्वित करने वाली प्रतिबद्धताएँ प्रदान करके सम्मेलन के मेजबान, केन्या को पारितोषिक प्रदान करता है।
ब्यूनस आयर्स, अर्जेंटीना 10-13 दिसंबर 2017 (MC11)
- सम्मेलन मत्स्य पालन सब्सिडी और ई-वाणिज्य शुल्कों एवं सभी क्षेत्रों में वार्ता जारी रखने के लिये प्रतिबद्धता सहित कई मंत्रालयिक निर्णयों के साथ समाप्त हुआ।
बारहवां विश्व व्यापार संगठन मंत्रिस्तरीय सम्मेलन 2021 (MC12)
- 12वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (MC12) 30 नवंबर से 3 दिसंबर 2021 तक जिनेवा, स्विट्जरलैंड में होगा।
- MC12 मूल रूप से कजाकिस्तान की राजधानी नूर-सुल्तान में 8 से 11 जून 2020 तक होने वाला था, लेकिन COVID-19 महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया था।
- सम्मेलन की अध्यक्षता कजाकिस्तान के व्यापार और एकीकरण मंत्री, बख्त सुल्तानोव करेंगे, जैसा कि दिसंबर 2019 में विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों द्वारा अनुमोदित किया गया था।
दोहा राउंड
- दोहा राउंड WTO सदस्यों के मध्य व्यापार वार्ता का नवीनतम दौर है। इसका उद्देश्य व्यापार बाधाओं को निम्न करके और संशोधित व्यापार नियमों की शुरुआत के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रणाली में अहम सुधार करना है।
- दोहा राउंड को अर्द्ध-आधिकारिक तौर पर दोहा विकास एजेंडा के रूप में भी जाना जाता है जैसा कि इसका एक मौलिक उद्देश्य विकासशील देशों की व्यापारिक संभावनाओं में सुधार करना है।
- दोहा राउंड को आधिकारिक तौर पर नवंबर 2001 में दोहा, कतर में WTO के चतुर्थ मंत्रालयिक सम्मेलन (MC4) में शुरू किया गया था।
दोहा मंत्रालयिक घोषणा ने वार्ता के लिये अधिदेश
प्रदान किया जिसमें निम्नलिखित विषय शामिल हैं:
कृषि:
- अधिक बाज़ार पहुँच, निर्यात सब्सिडी को खत्म करना, विकृत घरेलू समर्थन को कम करना, विकासशील देशों के मुद्दों को श्रेणीबद्ध करना एवं गैर व्यापारिक मुद्दों जैसे खाद्य सुरक्षा एवं ग्रामीण विकास पर बात करना।
गैर-कृषि बाज़ार पहुँच (NAMA):
- प्रशुल्कों का उन्मूलन अथवा उनमें तर्कसंगत कटौती, अधिकतम प्रशुल्क एवं प्रशुल्क वृद्धि (प्रसंस्करण में बाधक उच्च प्रशुल्क, कच्चे माल पर निम्न प्रशुल्क) को कम करने के साथ-साथ गैर प्रशुल्क बाधाओं को कम करना विशेष रूप से विकासशील देशों के निर्यातित उत्पादों पर।
सेवाएँ:
बाज़ार पहुँच में सुधार करना और नियमों
को मज़बूत करना।
प्रत्येक सरकार को यह तय करने का अधिकार है कि
वह किन क्षेत्रों को विदेशी कंपनियों के लिये खोलना चाहती है और किस सीमा तक खोलना
चाहती है, इनमें विदेशी स्वामित्व पर प्रतिबंध भी शामिल है।
कृषि एवं NAMA के विपरीत, सेवा समझौते "तौर-तरीकों" के
निश्चित कलेवर पर आधारित नहीं है। वे अपरिहार्य रूप से दो प्रकार से संचालित किये
जा रहे हैं:
(a) द्विपक्षीय और/या बहुपक्षीय समझौते
(केवल कुछ WTO सदस्यों
को शामिल करते हुए)।
(b) किन्हीं भी आवश्यक नियमों एवं विनियमों
को स्थापित करने के लिये सभी WTO सदस्यों के मध्य बहुपक्षीय वार्ता।
व्यापार सरलीकरण:
- सीमा शुल्क प्रक्रियाओं को आसान बनाने और माल की आवाजाही, रिलीज एवं निकासी की सुविधा के लिये।
- यह समग्र वार्ता में एक महत्त्वपूर्ण संयोजन है क्योंकि यह सीमा शुल्क प्रक्रियाओं में नौकरशाही एवं भ्रष्टाचार में कमी लाएगा और व्यापार को गति प्रदान करेगा तथा व्यापारिक प्रक्रिया कम खर्चीली हो जाएगी।
नियम:
- इनमें एंटी-डंपिंग, सब्सिडी और प्रतिकारी उपाय, मत्स्य पालन सब्सिडी और क्षेत्रीय व्यापार समझौते शामिल हैं।
- एंटी-डंपिंग एवं सब्सिडी समझौतों के तहत ‘स्पष्टीकरण एवं नियमों में सुधार’।
- विकासशील देशों के लिये इस क्षेत्र के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए मत्स्य पालन एवं सब्सिडी पर WTO नियमों को स्पष्ट करना एवं उनमें सुधार करना।
पर्यावरण:
ये GATT/WTO में
व्यापार एवं पर्यावरण पर प्रथम महत्त्वपूर्ण समझौते हैं। इनके दो प्रमुख घटक हैं:
- पर्यावरणीय वस्तुओं का मुक्त व्यापार-विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों द्वारा प्रस्तावित उत्पादों में शामिल हैं: पवन टर्बाइन, कार्बन कैप्चर भंडारण प्रौद्योगिकियाँ और सौर पैनल।
- पर्यावरणीय समझौते-बहुपक्षीय पर्यावरणीय समझौतों के सचिवालय के साथ सहयोग में सुधार और व्यापार एवं पर्यावरण नियमों के बीच अधिक सामंजस्य स्थापित करना।
भौगोलिक संकेत: मदिरा एवं स्प्रिट के लिये
बहुपक्षीय रजिस्टर
- भौगोलिक संकेतक स्थानों के नाम होते हैं (कुछ देशों में किसी स्थान से संबंधित शब्द) जो इन स्थानों से आने वाले उत्पादों की पहचान करने के लिये उपयोग किये जाते हैं और इनमें विशिष्ट स्थानिक विशेषताएँ होती हैं (उदाहरण के लिये, शैम्पेन, टकीला या रोक्फोर्ट)। ट्रिप्स समझौते (अनुच्छेद 22) के अंतर्गत लोगों को गुमराह करने एवं अनुचित प्रतिस्पर्धा को रोकने के लिये सभी भौगोलिक संकेतों को संरक्षित किया जाना चाहिए।
बौद्धिक संपदा से संबंधित यह एकमात्र मुद्दा है
जो दोहा वार्ता का भाग है।
- इसका उद्देश्य भाग लेने वाले देशों में मदिरा एवं स्प्रिट के व्यापार को संरक्षण प्रदान करना है है। इसको लेकर वार्ताएँ वर्ष 1997 में शुरू हुईं तथा वर्ष 2001 में दोहा राउंड में इन पर अमल किया गया।
- बौद्धिक संपदा से संबंधित अन्य मुद्दे: कुछ सदस्य दो अन्य विषयों पर बातचीत करना चाहते हैं और उन्हें मदिरा एवं स्प्रिट के रजिस्टर से जोड़ना चाहते हैं। अन्य सदस्य इससे सहमत नहीं हैं। इन दो विषयों पर चर्चा की जाती है:
- भौगौलिक संकेतक विस्तार-मदिरा एवं स्प्रिट के अतिरिक्त भौगोलिक संकेतकों के उच्च स्तरीय संरक्षण में वृद्धि।
- बायोपाइरेसी, लाभ साझा करने एवं पारंपरिक ज्ञान का उपयोग।
- विवाद निपटान: विवाद निपटान को बेहतर बनाने और स्पष्ट करने के लिये, कानूनी विवादों के निपटान हेतु डब्ल्यूटीओ समझौता।
- ये वार्ताएँ विवाद निपटान निकाय (DSB) के विशेष सत्रों में संपन्न होती हैं।
- दोहा राउंड दिशाहीन प्रतीत होता है, वर्ष 2008 की दूसरी छमाही में शुरू हुई वैश्विक महामंदी ने आशंकाओं को जन्म दिया कि विश्व संरक्षणवाद की एक लहर का सामना कर सकता है जिसे रोकने में WTO शक्तिहीन होगा। वर्ष 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद कम आशंकाओं के साथ वार्ताएँ जारी रहीं।
- वर्ष 2013 में इंडोनेशिया के बाली में मंत्रालयिक सम्मेलन (MC9) ने पहले बहुपक्षीय समझौते के रूप में विश्व व्यापार संगठन के निर्माण के बाद से एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल हुई।
- यह व्यापार सुविधा समझौता (Trade Facilitation Agreement- TFA) था जिसका उद्देश्य सीमा शुल्क प्रक्रियाओं को गति देना एवं व्यापार को सुगम, तीव्र एवं सस्ता बनाना है।
- TFA सिर्फ वृहद दोहा एजेंडे का एक छोटा भाग था लेकिन सफल समझौता आशावाद का कारण रहा।
- वार्ताएँ ‘सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग’ पर एक अंतरिम समझौते (एक शांति चरण) तक पहुँच गई जिनमें ऐसे अपवाद शामिल हैं जो विकासशील देशों को खाद्य पदार्थों की कमी से बचाने के लिये कृषि उत्पादों को भंडारित करने की अनुमति प्रदान करते हैं।
- वर्ष 2015 मंत्रालयिक सम्मेलन नैरोबी, केन्या (MC10) में एक चयनित संख्या नें मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जो कि दोहा विकास एजेंडा (Doha Development Agenda- DDA) का हिस्सा हैं। DDA के निम्नलिखित मुद्दों पर समझौता हुआ:
- कृषि निर्यात को अनुचित ढंग से समर्थन देने वाली सब्सिडी के उपयोग एवं अन्य योजनाओं को रोकना
- यह सुनिश्चित करना कि विकासशील देशों के लिये खाद्य सहायता इस प्रकार प्रदान की जाए जिससे स्थानीय बाज़ारों विकृत नहीं हों
- निर्धनतम देशों के निर्यातकों द्वारा पूरी की जाने वाली शर्तों को आसान बनाने का प्रयास करना ताकि उन्हें व्यापार समझौतों से लाभ हो (तथाकथित मूल स्थान के नियम)
- विश्व व्यापार संगठन के 164 सदस्य देशों में सेवाएँ प्रदान करने के लिये निर्धनतम देशों को व्यवसायों के लिये अधिक अवसर प्रदान करना
- हालाँकि कई समीक्षकों के अनुसार नैरोबी सम्मेलन ने दोहा वार्ता के अंत का संकेत दिया है, यह विचार वर्ष 2016 में डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने के पश्चात् मज़बूत हुआ है।
- राष्ट्रपति ट्रंप ने पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद 12-देशीय ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (TTP) से अलग होकर द्विपक्षीय व्यापार के लिये अपनी प्राथमिकता स्पष्ट कर दी।
- वर्ष 2017 के मंत्रालयिक सम्मेलन ब्यूनस आयर्स (MC11) में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने बहुपक्षवाद के प्रति संशय को प्रतिबिंबित किया जब इसने एक मंत्रालयिक घोषणा मसौदे पर समझौते को अवरुद्ध कर दिया जिससे "बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली की केंद्रीयता और संगठन के कार्य के विकास आयाम की पुन: पुष्टि होती।"
- इस बीच यदि विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों ने खाद्य सुरक्षा के लिये सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग पर भारत की माँगों को स्वीकार नहीं करते हैं तो भारत ने बार-बार विश्व व्यापार संगठन के समझौतों (व्यापार सुगम समझौते सहित) को अवरुद्ध करने की चेतावनी दी है। भारत ने ई-कॉमर्स एवं निवेश सुविधा सहित नए मुद्दों पर भी अपना सख्त रुख अपनाया है।
- अंत में, यह कई पक्षों के लिये राहत की बात थी कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने सक्रिय रूप से विश्व व्यापार संगठन को नष्ट करने का प्रयास नहीं किया जो कि कुछ पक्षों ने आशंका जताई थी लेकिन अपनी पारंपरिक नेतृत्व भूमिका को छोड़ देने से कुछ ऐसे ही परिणाम प्राप्त होंगे सिर्फ उनकी गति मंद होगी।
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