चर्चित स्थल 2021- मार्च | मार्च 2021 के चर्चित स्थल | Place In News March 2021
मार्च 2021 के चर्चित स्थल
Place In News March 2021
सुंदरबन Sunderbans
चर्चा
का कारण
- हाल ही में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों से पहले विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा सुंदरबन के विकास से संबंधित वादे किये जा रहे हैं।
- सुंदरबन क्षेत्र वर्ष 2020 में चक्रवात अम्फान (Cyclone Amphan) द्वारा बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था।
सुंदरबन क्षेत्र के बारे में जानकारी
- यह गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना नदियों के डेल्टा (दुनिया की सबसे बड़ी) पर भारत और बांग्लादेश में फैले बंगाल की खाड़ी के तटीय क्षेत्र में एक विशाल वन पारिस्थितिकी तंत्र है।
- इसमें दुनिया का सबसे बड़ा मैंग्रोव वन है।
- अधिकांश क्षेत्र को लंबे समय से आरक्षित वन (Forest Reseve) का दर्जा प्राप्त है, लेकिन इसे वर्ष 1973 में टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया।
- वर्ष 1984 में स्थापित सुंदरबन नेशनल पार्क (Sundarbans National Park), बाघ अभयारण्य के भीतर का कोर क्षेत्र है, जिसे वर्ष 1987 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।
- यूनेस्को द्वारा वर्ष 2001 में सुंदरबन को बायोस्फीयर रिज़र्व घोषित किया गया।
- भारत के सुंदरबन वेटलैंड को जनवरी 2019 में रामसर कन्वेंशन के तहत 'अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि' (Wetland of International Importance) के रूप में मान्यता दी गई थी।
- सुंदरबन नेशनल पार्क में 260 पक्षियों की प्रजातियों सहित जीवों की एक विस्तृत शृंखला पाई जाती है। यह पार्क कई दुर्लभ और विश्व स्तर पर संकटग्रस्त वन्यजीव प्रजातियों जैसे कि खारे पानी का मगरमच्छ (एस्टुराइन क्रोकोडाइल), रॉयल बंगाल टाइगर, वॉटर मॉनीटर छिपकली, गंगा डॉल्फिन तथा ओलिव रिडले कछुओं का घर है।
- सुंदरबन डेल्टा (Sunderbans Delta) विश्व का एकमात्र ऐसा मैंग्रोव जंगल है जहाँ बाघों का निवास है।
- इसके संरक्षण के लिये डिस्कवरी इंडिया (Discovery India) और वर्ल्ड वाइड फंड (World Wide Fund- WWF) भारत ने वर्ष 2019 में पश्चिम बंगाल सरकार तथा सुंदरवन के स्थानीय समुदायों के साथ भागीदारी की।
मैंग्रोव क्या होते हैं
- मैंग्रोव (Mangrove) विश्व के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के लवण-सहिष्णु पादप समुदायों का एक विविध समूह है।
- मैंग्रोव वन कई पारिस्थितिक कार्य करते हैं जैसे कि लकड़ी का उत्पादन, मछली प्रजनन क्षेत्र, पक्षियों और अन्य प्रमुख जीवों के लिये आवास, तटीय क्षेत्रों को चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा आदि।
- राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में पश्चिम बंगाल में मैंग्रोव आवरण का उच्चतम प्रतिशत क्षेत्र मौजूद है, जबकि उसके बाद गुजरात और अंडमान निकोबार द्वीप समूह का स्थान है।
- भारत वन स्थिति रिपोर्ट (India State of Forest Report-ISFR) देश में मैंग्रोव वन और
कुंभ मेला: हरिद्वार
चर्चा का
कारण
- हाल ही में केंद्र ने उत्तराखंड सरकार को राज्य (हरिद्वार में) में चल रहे कुंभ मेले (Kumbh Mela) के दौरान कोविड-19 के प्रसार पर नियंत्रण के लिये कड़े उपाय किये जाने के विषय में पत्र लिखा है।
कुंभ मेले के बारे में जानकारी
- कुंभ मेला यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची (UNESCO's Representative List of Intangible Cultural Heritage of Humanity) के अंतर्गत आता है।
- कुंभ मेला पृथ्वी पर तीर्थयात्रियों का सबसे बड़ा और शांतिपूर्ण जनसमूह है, जिसके दौरान प्रतिभागी स्नान करते हैं या पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं।
- यह मेला प्रयागराज (गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम पर), हरिद्वार (गंगा पर), उज्जैन (शिप्रा पर) और नासिक (गोदावरी पर) में हर चार साल के आवर्तन के बाद आयोजित किया जाता है तथा जाति, पंथ या लिंग की परवाह किये बिना लाखों लोग इसमें भाग लेते हैं।
- यह मेला भारत के चार अलग-अलग शहरों में आयोजित होता है, इसलिये इसमें विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ शामिल होती हैं, जो इसे सांस्कृतिक विविधता का पर्व बनाती हैं।
- इसे सामान्यतः प्रत्येक 12 साल में एक बार उपर्युक्त स्थानों पर आयोजित किया जाता है।
- ज्ञात हो कि प्रत्येक छठे वर्ष अर्द्ध कुंभ मेला आयोजित किया जाता है। इसके अलावा इलाहाबाद में संगम पर हर साल माघ मेला जनवरी से फरवरी (हिंदू कैलेंडर के अनुसार) के मध्य मनाया जाता है।
- इस माघ मेले को जब छठे और बारहवें वर्ष में मनाया जाता है तब इसे क्रमशः अर्द्ध कुंभ मेला और कुंभ मेला के रूप में भी जाना जाता है ।
- हरिद्वार में कुंभ मेला विशेष शुभ तिथियों के कारण 11 साल बाद (12 साल नहीं) आयोजित किया जा रहा है। इस तरह की घटना 80 वर्षों में पहली बार हुई है।
- इस तरह की घटना खगोल विज्ञान, ज्योतिष, आध्यात्मिकता, कर्मकांड की परंपराओं, सामाजिक और सांस्कृतिक रीति-रिवाजों तथा ज्ञान को अत्यंत समृद्ध बनाती है।
- साधुओं का आश्रमों और अखाड़ों से शिक्षक-छात्र संबंध कुंभ मेले से संबंधित ज्ञान तथा कौशल प्रदान करने एवं इसे सुरक्षित रखने का सबसे महत्त्वपूर्ण तरीका है।
स्वेज़ नहर Suez Canal
चर्चा
का कारण
- हाल ही में स्वेज़ नहर (Suez Canal) के दक्षिणी छोर के पास खराब मौसम के कारण हुई दुर्घटना की वजह से ‘एवर गिवेन' (Ever Given) नामक एक बड़ा मालवाहक जहाज़ फँस गया।
- इसकी वजह से इस नहर के दोनों छोरों पर जहाज़ों का जमावड़ा लग गया।
स्वेज़ नहर के बारे में जानकारी
- स्वेज़ नहर एक कृत्रिम समुद्र-स्तरीय जलमार्ग (Waterway) है जो उत्तर से दक्षिण की ओर बहते हुए भूमध्य सागर (Mediterranean Sea) को लाल सागर (Red Sea) से जोड़ता है।
- यह नहर अफ्रीका को एशिया महाद्वीप से अलग करती है।
- यह एशिया और यूरोप के बीच सबसे छोटा समुद्री मार्ग प्रदान करती है।
- यह विश्व की सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली शिपिंग लेन में से एक है, जिसमें विश्व के कुल व्यापार का 12% से अधिक का व्यापार होता है।
- यह पूर्व से पश्चिम की ओर जाने वाले तेल, प्राकृतिक गैस आदि मालवाहकों को एक महत्त्वपूर्ण मार्ग प्रदान करती है।
- स्वेज नहर प्राधिकरण (Suez Canal Authority) के आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2020 में लगभग 19,000 जहाज़ों या प्रतिदिन औसतन 51.5 जहाज़ों पर लगभग 1.17 बिलियन टन माल इस नहर के माध्यम से ले जाया गया।
- नहर मिस्र की अर्थव्यवस्था के लिये एक प्रमुख आय का स्रोत है, इस अफ्रीकी देश ने पिछले साल इस नहर से 5.61 बिलियन अमेरिकी डॉलर का राजस्व प्राप्त किया था।
- मिस्र ने वर्ष 2015 में स्वेज़ नहर का विस्तार करने वाली योजना की घोषणा की, इसका उद्देश्य मालवाहक जहाज़ों के प्रतीक्षा समय को कम करना और वर्ष 2023 तक नहर का उपयोग करने वाले जहाज़ों की संख्या को दोगुना करना है।
स्वेज़ नहर का इतिहास:
- स्वेज़ नहर ऐसी पहली नहर है जो भूमध्य सागर को सीधे लाल सागर से जोड़ती है। इसे नवंबर 1869 में नौपरिवहन के लिये खोला गया था।
- 150 साल पुरानी इस नहर को शुरुआती वर्षों में ब्रिटिश और फ्राँसीसियों द्वारा नियंत्रित किया गया था, लेकिन वर्ष 1956 में मिस्र द्वारा इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया गया।
- मध्य-पूर्व में अंतर्राष्ट्रीय स्वेज़ संकट जुलाई 1956 में सामने आया, जब मिस्र के राष्ट्रपति गमाल अब्देल नासिर (Gamal Abdel Nasser) ने स्वेज़ नहर का राष्ट्रीयकरण किया। इस नहर का स्वामित्व स्वेज़ नहर कंपनी (Suez Canal Company) के पास था, जो फ्राँसीसी और ब्रिटिश हितों द्वारा नियंत्रित थी।
- इस नहर को पाँच बार बंद किया गया था, जबकि अंतिम बार तो यह 8 साल तक बंद थी। अंततः इसे जून 1975 में नौपरिवहन के लिये फिर से खोल दिया गया।
केप ऑफ गुड होप (Cape of Good Hope)
- हाल ही में स्वेज़ नहर (Suez Canal) में रुकावट के कारण केप ऑफ गुड होप (Cape of Good Hope) के माध्यम से जहाज़ों के पुनः संचालन के लिये मार्ग का विकल्प खोजा गया।
केप ऑफ गुड होप क्या है
- केप ऑफ गुड होप (Cape of Good Hope) दक्षिण अफ्रीका (South Africa) के केप प्रायद्वीप (Cape Peninsula) पर अटलांटिक के तट पर एक चट्टानी हेडलैंड (Headland) है।
- हेडलैंड अर्थात् रास, प्रायद्वीप का एक प्रकार है। यह सागर में भूमि का एक उभरा हुआ भाग होता है जो तीन ओर से पानी से घिरा होता है।
- केप ऑफ गुड होप मार्ग पूर्वी एशिया और यूरोप को अफ्रीका के दक्षिणी भागों से जोड़ता है।
- वर्ष 1869 में स्वेज़ नहर का संचालन शुरू होने से भूमध्य सागर से हिंद महासागर की दूरी काफी कम हो गई, जिसके चलते अफ्रीका के आस-पास से होकर जाने वाले लंबे मार्ग का उपयोग कम हो गया।
- केप ऑफ गुड होप मार्ग, स्वेज़ नहर मार्ग से 8900 किमी. लंबा है जिसे पूरा करने में अतिरिक्त दो सप्ताह का समय लगता है।
- एक गलत अवधारणा यह है कि केप ऑफ गुड होप अफ्रीका का दक्षिणी छोर है।
- समकालीन भौगोलिक जानकारी के अनुसार, अफ्रीका का सबसे दक्षिणी बिंदु केप अगुलहास है जो पूर्व और दक्षिण-पूर्व में लगभग 150 किमी. दूर स्थित है।
- अगुलहास की गर्म जलधारा (हिंद महासागर) बेंगुला की ठंडी जलधारा (अटलांटिक महासागर) से केप-अगुलहास और केप प्वाइंट (केप ऑफ गुड होप से लगभग 1.2 किमी. पूर्व) के मध्य मिलती है।
केप ऑफ गुड होप का इतिहास
- पुर्तगाली खोजकर्त्ता बार्टोलोमू डायस द्वारा वर्ष 1488 में केप को मूल रूप से केप ऑफ स्टॉर्म नाम दिया गया था।
- बाद में केप सी रूट (Cape Sea Route) जो कि अफ्रीका के दक्षिणी तट से गुज़रता है, अधिक लोगों द्वारा पार करने के कारण इसे केप गुड होप नाम दिया गया।
- अंततः यूरोप से एशिया की यात्रा करने वाले नाविकों के लिये केप एक महत्त्वपूर्ण बंदरगाह मार्ग बन गया।
रूपपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र- बांग्लादेश
- भारत के विदेश सचिव हर्षवर्द्धन शृंगला ने सूचित किया है कि भारत, बांग्लादेश को दी गई क्रेडिट लाइन के हिस्से के रूप में रूपपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिये ट्रांसमिशन लाइनों के विकास में सहायता करेगा। रूपपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र की ट्रांसमिशन लाइनों को भारतीय कंपनियों द्वारा क्रेडिट लाइन के तहत विकसित किया जाएगा। इन ट्रांसमिशन लाइनों का मूल्य लगभग 1 बिलियन डॉलर से अधिक होगा। ज्ञात हो कि बांग्लादेश की सरकार, पद्मा नदी के पूर्वी हिस्से में स्थित रूपपुर में अपना पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र बना रही है। इस परमाणु ऊर्जा संयंत्र में दो इकाइयाँ शामिल होंगी, रूपपुर यूनिट-1 और रूपपुर यूनिट-2, और इन दोनों की क्षमता 1.2GW होगी। रूपपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र परियोजना की शुरुआत वर्ष 2013 में हुई थी और इसका निर्माण कार्य वर्ष 2017 में शुरू हुआ था। इस परियोजना का कार्यान्वयन बांग्लादेश परमाणु ऊर्जा आयोग द्वारा किया जा रहा है। यह नया संयंत्र बांग्लादेश की बिजली उत्पादन क्षमता को बढ़ाएगा और उसे ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगा। साथ ही इस परियोजना में भारत की हिस्सेदारी दोनों देशों के संबंधों को और अधिक मज़बूत करेगी।
नाग नदी- नागपुर शहर
- हाल ही में केंद्र सरकार ने नाग नदी में सीवेज और औद्योगिक कचरे के कारण होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिये ‘नाग नदी प्रदूषण न्यूनीकरण’ परियोजना को मंज़ूरी दी है। केंद्र सरकार द्वारा ‘नाग नदी प्रदूषण न्यूनीकरण’ परियोजना के लिये तकरीबन 2,117.54 करोड़ रुपए की मंज़ूरी दी गई है। इस परियोजना को राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना के तहत मंज़ूरी दी गई है और इसे राष्ट्रीय नदी संरक्षण निदेशालय द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा। इस परियोजना के कार्यान्वयन से अनुपचारित सीवेज, ठोस अपशिष्ट और नाग नदी एवं उसकी सहायक नदियों में बहने वाले अन्य प्रदूषक तत्त्वों की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी और इनके स्तर में कमी लाते हुए नदी के स्वास्थ्य एवं पारिस्थितिक तंत्र में सुधार होगा। ध्यातव्य है कि यह नदी महाराष्ट्र में नागपुर शहर से होकर गुज़रती है और महाराष्ट्र के तीसरे सबसे बड़े शहर नागपुर को यह नाम इसी नदी से प्राप्त हुआ है। ‘नाग नदी’ मूल तौर पर पश्चिमी नागपुर में अंबाझरी झील से निकलती है। नाग नदी सीवेज और औद्योगिक कचरे के कारण काफी अधिक प्रदूषित है तथा बीते वर्ष बॉम्बे उच्च न्यायालय ने भी नदी के प्रदूषण की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया था।
ऑस्ट्रेलियाई -प्लैटिपस के लिये विश्व का पहला अभयारण्य
- ऑस्ट्रेलियाई संरक्षणवादियों ने हाल ही में प्लैटिपस के लिये विश्व का पहला अभयारण्य स्थापित करने की योजना बनाई है, ताकि प्लैटिपस के प्रजनन एवं पुनर्वास को बढ़ावा दिया जा सके, क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण यह लगभग विलुप्त होने की कगार पर है। योजना के मुताबिक, वर्ष 2022 तक सिडनी से 391 किमी. (243 मील) की दूरी पर यह केंद्र स्थापित किया जाएगा, जहाँ कुल 65 प्लैटिपस मौजूद होंगे। यह केंद्र संरक्षणवादियों और वैज्ञानिकों को प्लैटिपस के बारे में और अधिक जानने में मदद करेगा। प्लैटिपस एक ज़हरीला स्तनधारी जीव है, जिसमें इलेक्ट्रोलोकेशन की शक्ति होती है, अर्थात् ये किसी जीव का शिकार उसके पेशी संकुचन द्वारा उत्पन्न विद्युत तरंगों का पता लगाकर करते हैं। ऑस्ट्रेलिया के अन्य प्रसिद्ध जानवरों जैसे- कंगारू आदि के विपरीत प्लैटिपस अपनी एकांत प्रकृति और अत्यधिक विशिष्ट निवास संबंधी आवश्यकताओं के कारण प्रायः कम ही दिखाई देते हैं। इसे IUCN की रेड लिस्ट में ‘निकट संकटग्रस्त’ श्रेणी में रखा गया है।
साबरमती आश्रम -आज़ादी का ‘अमृत महोत्सव’
- प्रधानमंत्री ने 12 मार्च, 2021 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम में आज़ादी के ‘अमृत महोत्सव’ (India@75) का उद्घाटन किया। आजादी का ‘अमृत महोत्सव’ भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगाँठ मनाने हेतु भारत सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रमों की एक शृंखला है। यह महोत्सव जनभागीदारी की भावना के साथ जन उत्सव के रूप में मनाया जाएगा। स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगाँठ पर आयोजित किये जाने वाले कार्यक्रमों के बारे में नीतियों और योजनाओं को तैयार करने हेतु गृहमंत्री की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय क्रियान्वयन समिति बनाई गई है। महोत्सव के शुरुआती कार्यक्रम 12 मार्च, 2021 से प्रारंभ होंगे। ध्यातव्य है कि ये कार्यक्रम 15 अगस्त, 2022 से 75 सप्ताह पूर्व आयोजित किये जा रहे हैं। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने साबरमती आश्रम से पदयात्रा (स्वतंत्रता मार्च) भी शुरू की। 241 मील की यह यात्रा 25 दिन में 5 अप्रैल को समाप्त होगी। ज्ञात हो कि 12 मार्च, 1930 को ही महात्मा गांधी ने साबरमती आश्रम से दांडी मार्च की शुरुआत की थी। यह मार्च साबरमती आश्रम से गुजरात के दांडी नामक तटीय कस्बे में पहुँचकर समाप्त होना था। यह पहली राष्ट्रवादी गतिविधि थी, जिसमें महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और यहीं से सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई।
इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप -माउंट सिनाबुंग
- हाल ही में इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप पर स्थित एक सक्रिय ज्वालामुखी माउंट सिनाबुंग में विस्फोट हो गया है।
- इससे पहले इंडोनेशिया के अन्य ज्वालामुखियों में मेरापी और सेमेरू में भी विस्फोट हो चुका है।
माउंट सिनाबुंग:
- माउंट सिनाबुंग (2,600 मीटर) उत्तरी सुमात्रा के कारो रीजेंसी (Karo Regency) में अवस्थित है।
- सिनाबुंग इंडोनेशिया में स्थित 120 से अधिक सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक है, जो ‘पैसिफिक रिंग ऑफ फायर’ पर अवस्थित होने के कारण भूकंपीय उथल-पुथल प्रवण है।
- वर्ष 2010 में हुए विस्फोट से पहले 400 वर्षों तक यह ज्वालामुखी निष्क्रिय था।
- इसमें वर्ष 2014, 2016 और 2020 में पुनः विस्फोट हुआ।
सिद्धार्थ नगर -कालानमक चावल महोत्सव
- उत्तर प्रदेश सरकार सिद्धार्थ नगर ज़िले में तीन दिवसीय “कालानमक चावल महोत्सव” का आयोजन करेगी। यह महोत्सव 13 मार्च, 2021 से शुरू होगा। यह उत्सव "लखनऊ में जगमग महोत्सव" की शानदार सफलता के बाद आयोजित किया जा रहा है। इस चावल महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन ‘एक जनपद, एक उत्पाद’ (ODOP) के तहत चयनित उत्पादों को ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ और ‘लोकल फॉर वोकल’ के रूप में बाज़ार में बढ़ावा देने और ब्रांड बनाने के लिये किया जा रहा है। ‘एक जनपद, एक उत्पाद’ योजना का उद्देश्य स्थानीय शिल्प का संरक्षण एवं विकास, कला और क्षमता का विस्तार, आय में वृद्धि एवं स्थानीय रोज़गार का सृजन, उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार एवं दक्षता का विकास, उत्पादों की गुणवत्ता में बदलाव, उत्पादों को पर्यटन से जोड़ा जाना, क्षेत्रीय असंतुलन के कारण उत्पन्न होने वाली आर्थिक विसंगतियों को दूर करना और राज्य स्तर पर ODOP के सफल संचालन के बाद इसे राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना है। कालानमक चावल पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र में उगाया जाता है। कालानमक चावल को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग प्राप्त हुआ है, इसे सिद्धार्थनगर, देवरिया, गोरखपुर, महाराजगंज, कुशीनगर, बस्ती, संत कबीर नगर, गोंडा, बहराइच, बलरामपुर और श्रावस्ती में ODOP के रूप में उगाया जाता है। कालानमक चावल महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये जाएंगे, जिसमें स्थानीय कलाकारों एवं छात्रों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शन का मौका मिलेगा। इस महोत्सव में कालानमक चावल के विभिन्न व्यंजन प्रदर्शित किये जाएंगे।
भादर बाँध: गुजरात (Bhadar Dam: Gujarat)
- हाल ही में केंद्रीय जल आयोग (CWC) के बाँध सुरक्षा संगठन ने भादर बाँध के जलद्वार जो कि वर्ष 2015 की फ्लैश फ्लड में क्षतिग्रस्त हो गए थे, के प्रतिस्थापन की सिफारिश की है ।
- भादर बाँध राजकोट में स्थित है और शेतरुंजी बाँध के बाद सौराष्ट्र क्षेत्र का दूसरा सबसे बड़ा बाँध है।
- भादर बाँध गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में भादर नदी पर स्थित है।
अमेरिका -भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल
आपूर्तिकर्त्ता
- संयुक्त राज्य अमेरिका हाल ही में सऊदी अरब को पीछे छोड़ते हुए भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्त्ता बन गया है, क्योंकि ओपेक द्वारा आपूर्ति में कटौती किये जाने के बाद से भारत ने अमेरिकी से कच्चे तेल के आयात को बढ़ा दिया है। आँकड़ों के मुताबिक, अमेरिका जो कि विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक है, से भारत का आयात फरवरी में बीते माह की तुलना में 48 प्रतिशत बढ़कर 545,300 बैरल प्रतिदिन पहुँच गया था, यह भारत के कुल आयात का 14 प्रतिशत है। इसके विपरीत सऊदी अरब से फरवरी माह में कुल तेल आयात बीते माह की तुलना में 42 प्रतिशत कम होकर एक दशक के निचले स्तर तकरीबन 445,200 बैरल प्रतिदिन पर पहुँच गया था। ज्ञात हो कि चीन, अमेरिका के साथ चल रहे व्यापार तनावों के कारण अमेरिका से कच्चा तेल नहीं खरीद सकता है, जिसके चलते अमेरिका के पास भारत के रूप में एकमात्र तेल खरीदार बचता है। भारत, जो कि विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता है, वैश्विक आर्थिक रिकवरी के लिये लगातार प्रमुख तेल उत्पादक देशों से आपूर्ति कटौती को रोकने का आग्रह कर रहा है, ताकि वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों में बढ़ोतरी को रोका जा सके।
जम्मू-कश्मीर चिनाब नदी- विश्व का सबसे ऊँचा
रेल पुल
- हाल ही में केंद्रीय रेल मंत्री ने सूचित किया है कि जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर विश्व का सबसे ऊँचा रेल पुल अपने निर्माण के अंतिम चरण में है। जम्मू-कश्मीर के रियासी ज़िले में बनया जा रहा यह रेलवे पुल नदी तल से 359 मीटर ऊँचा होगा और पेरिस के सुप्रसिद्ध आइफिल टावर से भी 30 मीटर ऊँचा होगा। एक बार निर्माण कार्य पूरा होने के बाद यह रेलवे पुल चीन की बीपन नदी पर निर्मित शुआईबाई रेलवे पुल (275 मीटर) का रिकॉर्ड भी तोड़ देगा। तकरीबन 1,250 करोड़ रुपए की लागत वाले इस पुल का निर्माण कार्य वर्ष 2017 में शुरू हुआ था। ज्ञात हो कि यह रेलवे पुल लगभग 8 तीव्रता वाले भूकंप का सामना करने में सक्षम है। यह रेलवे पुल जम्मू-कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाली एक महत्त्वाकांक्षी रेलवे परियोजना का हिस्सा है। उत्तर रेलवे दिसंबर 2022 तक ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक के सबसे कठिन 111 किलोमीटर लंबे खंड को पूरा करेगा, जो रेलवे नेटवर्क के माध्यम से कश्मीर को शेष भारत से जोड़ेगा। 272 किलोमीटर लंबी यह रेलवे लाइन उत्तर रेलवे द्वारा अनुमानित 28,000 करोड़ रुपए की लागत से बनाई जा रही है। जम्मू-कश्मीर का समग्र विकास सुनिश्चित करने और वैकल्पिक एवं विश्वसनीय परिवहन प्रणाली उपलब्ध कराने के लिये यह रेल परियोजना काफी महत्त्वपूर्ण है।
डेनिश रेड क्रॉस -वॉल्कैनिक बाॅण्ड
- डेनिश रेड क्रॉस, ज्वालामुखी विस्फोटों के लिये विश्व का पहला ‘वॉल्कैनिक बाॅण्ड’ प्रस्तुत करेगा, जिसे तीन महाद्वीपों में 10 ज्वालामुखियों के विस्फोट के बाद मानवीय राहत के प्रावधान और दक्षता में सुधार करने के लिये डिज़ाइन किया गया है। इस प्रकार के बाॅण्ड का उद्देश्य ज्वालामुखी विस्फोट के बाद सहायता के लिये निवेशकों से 3 मिलियन डॉलर तक का फंड जुटाना है। इस बाॅण्ड का उद्देश्य वैश्विक पूंजी बाज़ारों से सहायता जुटाकर आपदा सहायता प्रदान करने की संपूर्ण पद्धति में बदलाव लाना है। ब्लॉकचेन तकनीक और एडवांस मॉडलिंग का उपयोग करके इस बाॅण्ड के माध्यम से मानवीय सहायता हेतु एडवांस में धन जुटाया जाएगा और निवेशकों के लिये असंबद्ध रिटर्न की पेशकश करते हुए आपदा के समय सहायता को और अधिक तेज़ी से तथा प्रभावी रूप से जारी करने का प्रयास किया जाएगा। ‘वॉल्कैनिक बाॅण्ड’ के लिये चयनित 10 ज्वालामुखियों को उनके कारण उत्पन्न मानवीय खतरे के आधार पर चुना गया है, इसमें मुख्यतः वे ज्वालामुखी शामिल हैं, जिनमें संभावित विस्फोट क्षेत्र के 60 मील (100 किलोमीटर) के दायरे में रहने वाले व्यक्तियों की संख्या कम-से-कम 700,000 है।
शिगमोत्सव: गोवा Shigmotsav: Goa
- हाल ही में गोवा सरकार ने राज्य में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के कारण शिगमोत्सव अथवा शिगमो (Shigmotsav or Shigmo) उत्सव के परेड को केवल तीन स्थानों (पणजी, पोंडा और मापुसा) तक सीमित कर दिया है।
शिगमोत्सव क्या है
- यह गोवा के आदिवासी समुदायों द्वारा धान की समृद्ध और सुनहरी फसल के लिये मनाए जाने वाला उत्सव है।
- कुनबी, गावड़ा और वेलिप सहित विभिन्न कृषि समुदाय इस त्योहार को मनाते हैं जो वसंत की शुरुआत का भी प्रतीक है।
श्रीनगर-ट्यूलिप गार्डन
- केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर स्थित एशिया के सबसे बड़े ट्यूलिप गार्डन को आम जनता और पर्यटकों के लिये खोला गया है। श्रीनगर के इस ट्यूलिप गार्डन में इस समय विभिन्न रंगों के लाखों ट्यूलिप फूल मौजूद हैं। विश्व प्रसिद्ध डल झील के किनारों पर ज़बरवान पहाड़ियों की घाटी में स्थित गार्डन में ट्यूलिप के रंग-बिरंगे फूलों का इंद्रधनुष लोगों के आकर्षण का केंद्र बना है। कश्मीर के इस प्रतिष्ठित ट्यूलिप गार्डन में 1.5 मिलियन से अधिक ट्यूलिप पौधे मौजूद हैं। ज़बरवान पहाड़ियों की तलहटी पर स्थित यह एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन है। ट्यूलिप गार्डन में इस वर्ष 64 से अधिक किस्में मौजूद हैं। लगभग 30 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डन को वर्ष 2007 में कश्मीर घाटी में फूलों की खेती और पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित गया था। इस गार्डन में ट्यूलिप के अलावा फूलों की कई अन्य प्रजातियाँ जैसे- जलकुंभी, डैफोडिल्स और रेननकुलस आदि भी मौजूद हैं। ट्यूलिप उत्सव एक वार्षिक उत्सव है, जिसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा पर्यटन प्रयासों के एक हिस्से के रूप में बगीचे में फूलों की शृंखला का प्रदर्शन करना है। यह कश्मीर घाटी में वसंत के मौसम की शुरुआत के दौरान आयोजित किया जाता है।
गोरखपु-शहीद अशफाक उल्ला खान चिड़ियाघर
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में गोरखपुर में शहीद अशफाक उल्ला खान चिड़ियाघर (गोरखपुर चिड़ियाघर) का उद्घाटन किया है। यह राज्यथ के पूर्वांचल क्षेत्र में पहला और सबसे बड़ा तथा उत्तर प्रदेश में तीसरा चिड़ियाघर है। इस परियोजना की परिकल्पना तकरीबन एक दशक पूर्व मई 2011 में की गई थी, किंतु राज्य की राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में इस परियोजना को पूरा नहीं किया जा सका। वर्ष 2017 में इस परियोजना के कार्य को पुनः शुरू किया गया। पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ यह चिड़ियाघर पूर्वांचल क्षेत्र में रोज़गार सृजन में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस संबंध में जारी अधिसूचना के मुताबिक, गोरखपुर चिड़ियाघर में अधिकांश जानवरों को लखनऊ और कानपुर के चिड़ियाघर से लाया गया है। साथ ही इस चिड़ियाघर में इज़रायल से ज़ेबरा लाए गए हैं, जो कि पर्यटकों के लिये आकर्षण का प्राथमिक केंद्र होगा। अब तक इस चिड़ियाघर में कुल 151 जानवरों को लाया गया है और इस संख्या को 400 तक पहुँचाने का प्रयास किया जा रहा है। ज्ञात हो कि इस चिड़ियाघर का नाम क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी अशफाक उल्ला खान के नाम पर रखा गया है। 22 अक्तूबर, 1900 को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में जन्मे अशफाक उल्ला खान को ‘काकोरी डकैती’ में शामिल होने के चलते राम प्रसाद 'बिस्मिल’, राजेंद्र लाहिड़ी तथा रोशन सिंह के साथ मौत की सज़ा दी गई थी।
माउंट मेरापी- इंडोनेशिया
- इंडोनेशिया के सबसे सक्रिय ज्वालामुखी ‘माउंट मेरापी’ में हाल ही में पुनः विस्फोट हुआ है। 2,968 मीटर (9,737 फुट) ऊँचा यह ज्वालामुखी इंडोनेशिया के घनी आबादी वाले द्वीप जावा और वहाँ के प्राचीन शहर याग्याकार्टा के पास है। माउंट मेरापी इंडोनेशिया में स्थित दर्जनों ज्वालामुखियों में सबसे अधिक सक्रिय ज्वालामुखी है और बीते कुछ वर्षों के दौरान इसमें लगातार विस्फोट होता रहा है। वर्ष 2010 में माउंट मेरापी में हुए बड़े विस्फोट में 347 लोगों की मौत हुई थी। इंडोनेशिया 270 मिलियन लोगों की आबादी वाला एक द्वीपसमूह है, जिसके ‘रिंग ऑफ फायर’ या परिप्रशांत महासागरीय मेखला में अवस्थित होने के कारण यहाँ कई सक्रिय ज्वालामुखी पाए जाते हैं और यह क्षेत्र भूकंप प्रवण क्षेत्र के अंतर्गत आता है। ‘रिंग ऑफ फायर’ प्रशांत महासागर के चारों ओर का एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ विवर्तनिक प्लेटें आपस में मिलती हैं। ध्यातव्य है कि इससे पूर्व माउंट मेरापी में इसी वर्ष जनवरी माह में विस्फोट देखा गया था।
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