जून 2024 के प्रमुख (महत्वपूर्ण) दिवस | List Important Day June 2024
जून 2024 के प्रमुख दिवस
Important Day June 2024
जून 2024 के प्रमुख (महत्वपूर्ण) दिवस की सूची
- अंतर्राष्ट्रीय बाल रक्षा दिवस 1 जून
- विश्व दुग्ध दिवस 1 जून
- विश्व साइकिल दिवस 3 जून
- विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस 07 जून
- विश्व महासागर दिवस 08 जून
- विश्व ब्रेन टयूमर दिवस 08 जून
- विश्व प्रत्यायन दिवस 09 जून
- विश्व
बाल श्रम निषेध दिवस 12 जून
- विश्व रक्तदाता दिवस 14 जून
- अंतर्राष्ट्रीय ऐल्बिनिज़्म जागरूकता दिवस 13
जून
- अंतर्राष्ट्रीय पारिवारिक प्रेषण दिवस 16 जून
- ऑटिस्टिक प्राइड डे 18 जून
- अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून
- विश्व संगीत दिवस 21 जून
- विश्व शरणार्थी दिवस 20 जून
- अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस 23 जून
- संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा दिवस 23 जून
- अंतर्राष्ट्रीय नाविक दिवस 25 जून
- अंतर्राष्ट्रीय क्षुद्रग्रह दिवस 30 जून
जून 2024 के प्रमुख (महत्वपूर्ण) दिवस के बारे में विस्तृत जानकारी
अंतर्राष्ट्रीय बाल रक्षा दिवस 1 जून
- विश्व भर में प्रत्येक वर्ष 1 जून को अंतर्राष्ट्रीय बाल रक्षा दिवस मनाया जाता है। रूस में अंतर्राष्ट्रीय बाल रक्षा दिवस पहली बार वर्ष 1949 में मनाया गया था। इसका निर्णय मॉस्को में अंतर्राष्ट्रीय महिला लोकतांत्रिक संघ की एक विशेष बैठक में लिया गया था।
- 1 जून, 1950 को विश्व के 51 देशों में अंतर्राष्ट्रीय बाल रक्षा दिवस पहली बार मनाया गया था।
- इसका उद्देश्य बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करना है। इस दिन बच्चों को तोहफे दिये जाते हैं तथा उनके लिये विशेष समारोहों का आयोजन किया जाता है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में करीब 43 लाख से ज़्यादा बच्चे बाल मज़दूरी करते हैं।
- यूनिसेफ के अनुसार विश्व के कुल बाल मज़दूरों में 12 फीसदी की हिस्सेदारी अकेले भारत की है। भारत में कानून के अनुसार, बाल श्रम कराने पर छह माह से दो साल तक कारावास की सज़ा हो सकती है।
विश्व दुग्ध दिवस 1 जून
- संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) द्वारा प्रतिवर्ष 1 जून को ‘विश्व दुग्ध दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस की शुरुआत वर्ष 2001 में की गई थी और इसका प्राथमिक लक्ष्य समाज के योगदान में डेयरी किसानों और डेयरी क्षेत्र के योगदान की सराहना करना तथा वैश्विक भोजन के रूप में दूध के महत्त्व को रेखांकित करना है।
- डेयरी क्षेत्र भारत में लाखों लोगों की आजीविका का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है। कोविड-19 महामारी के बीच विश्व दुग्ध दिवस-2021 की थीम मुख्यतः पर्यावरण, पोषण और सामाजिक-आर्थिक सशक्तीकरण के साथ-साथ डेयरी क्षेत्र में स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करती है।
- ज्ञात हो कि भारत में प्रतिवर्ष 26 नवंबर को श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन के जन्मदिन को ‘राष्ट्रीय दुग्ध दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। भारत, विश्व में दूध के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। वर्ष 1955 में भारत का मक्खन आयात 500 टन था और वर्ष 1975 तक दूध एवं दूध उत्पादों का सभी प्रकार का आयात लगभग शून्य हो गया, क्योंकि इस समय तक भारत दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया था। दुग्ध उत्पादन में भारत की सफलता में सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका डॉ. वर्गीज कुरियन की रही, जिन्हें भारत में ‘श्वेत क्रांति के जनक’ के रूप में जाना जाता है। उनके मार्गदर्शन में भारत में कई महत्त्वपूर्ण संस्थाओं जैसे- गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड आदि का गठन किया गया।
विश्व साइकिल दिवस 3 जून
- प्रतिवर्ष 3 जून को ‘विश्व साइकिल दिवस’ मनाया जाता है। बीते दो दशकों से अनवरत प्रयोग की जा रही साइकिल की विशिष्टता को स्वीकार करते हुए इसे परिवहन के एक सरल, किफायती, भरोसेमंद, स्वच्छ और पर्यावरणीय रूप से उपयुक्त साधन के रूप में प्रोत्साहित करने के लिये संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा सर्वप्रथम 3 जून, 2018 को विश्व साइकिल दिवस का आयोजन किया गया था।
- यह दिवस हितधारकों के सतत् विकास को बढ़ावा देने और शारीरिक शिक्षा समेत सामान्य शिक्षा पद्धति को मज़बूत करने के साधन के रूप में उन्हें साइकिल के उपयोग पर ज़ोर देने के लिये प्रोत्साहित करता है। इस अवसर पर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को मज़बूत करने तथा समाज में साइकिल के उपयोग की संस्कृति को विकसित करने के लिये अनेक प्रकार के आयोजन किये जाते हैं।
- उल्लेखनीय है कि साइकिल परिवहन का एक सस्ता और स्वच्छ माध्यम है, इससे पर्यावरण में किसी भी किस्म का प्रदूषण नहीं होता है और यह स्वास्थ्य की दृष्टि से भी उपयोगी है। साइकिल टिकाऊ परिवहन का एक महत्त्वपूर्ण साधन है और यह स्थायी उपभोग को बढ़ावा देने के लिये भी उपयोगी है।
विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस 07 जून
- प्रतिवर्ष खाद्य-जनित जोखिमों को रोकने, उनका पता लगाने और उन्हें सीमित करने के उद्देश्य से 07 जून को ‘विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस’ का आयोजन किया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक लक्ष्य खाद्य सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना और मानव स्वास्थ्य, आर्थिक समृद्धि, कृषि, बाज़ार पहुँच तथा पर्यटन एवं सतत् विकास से संबंधित विभिन्न पहलुओं को रेखांकित करना है। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 2018 में प्रतिवर्ष 07 जून को ‘विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस’ के रूप में आयोजित करने की घोषणा की गई थी।
- इस दिवस के आयोजन की शुरुआत इस तथ्य को ध्यान में रखकर की गई थी कि खाद्य-जनित बीमारियों का बोझ 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों और कम आय वाले देशों में रहने वाले व्यक्तियों को सबसे अधिक प्रभावित कर रहा था। बीते वर्ष विश्व स्वास्थ्य सभा ने खाद्य-जनित बीमारी के बोझ को कम करने के लिये खाद्य सुरक्षा के वैश्विक प्रयासों को और मज़बूत करने हेतु एक प्रस्ताव पारित किया था। संयुक्त राष्ट्र का मत है कि पर्याप्त मात्रा में सुरक्षित भोजन तक पहुँच जीवन को बनाए रखने और अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिये महत्त्वपूर्ण है। विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस आम लोगों को खाद्य उत्पादन के बारे में शिक्षित करता है कि वे खाद्य शृंखला के प्रत्येक चरण में किस प्रकार सुरक्षित रह सकते हैं और खाद्य प्रसंस्करण, भंडारण और उत्पादन जैसी गतिविधियों में सुरक्षित रूप से संलग्न हो सकते हैं।
विश्व महासागर दिवस 08 जून
- प्रतिवर्ष 08 जून को दुनिया भर में ‘विश्व महासागर दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इसका उद्देश्य केवल महासागरों के प्रति जागरुकता फैलाना ही नहीं बल्कि दुनिया को महासागरों के महत्त्व और भविष्य की इनके सामने खड़ी चुनौतियों से भी अवगत कराना है। यह दिवस कई महासागरीय पहलुओं जैसे- सामुद्रिक संसाधनों के अनुचित उपयोग, पारिस्थितिक संतुलन, खाद्य सुरक्षा, जैव विविधता तथा जलवायु परिवर्तन आदि पर भी प्रकाश डालता है।
- 08 जून, 1992 को ‘अर्थ समिट’ में कनाडा के ‘ओशियन इंस्टीट्यूट’ ने प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय महासागर दिवस मनाने का विचार प्रस्तुत किया था। संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2008 में संबंधित प्रस्ताव पारित किया और इस दिन को आधिकारिक मान्यता प्रदान की। पहली बार विश्व महासागर दिवस 8 जून, 2009 को मनाया गया था। इस वर्ष विश्व महासागर दिवस की थीम है- ‘महासागर: जीवन और आजीविका’।
- संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, तीन अरब से अधिक लोग महासागर आधारित उद्योगों में कार्यरत हैं और यह संख्या समय के साथ और अधिक बढ़ती रहेगी। महासागरीय संसाधनों को समाप्त होने से बचाने के लिये महासागरों के सतत् उपयोग की आवश्यकता है। पृथ्वी की सतह पर पाया जाने वाला लगभग 97 प्रतिशत जल महासागरों में मौजूद है। जलीय पारिस्थितिक तंत्र में मछलियों और पौधों की अनगिनत प्रजातियाँ मौजूद हैं।
विश्व प्रत्यायन दिवस 09 जून
- प्रतिवर्ष 09 जून को वैश्विक स्तर पर व्यापार एवं अर्थव्यवस्था में प्रत्यायन की भूमिका को रेखांकित करने एवं बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘विश्व प्रत्यायन दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष ‘विश्व प्रत्यायन दिवस’ का विषय संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) के कार्यान्वयन के समर्थन में प्रत्यायन के उपयोग पर केंद्रित है। यह ‘अंतर्राष्ट्रीय प्रयोगशाला प्रत्यायन सहयोग’ (ILAC) और ‘अंतर्राष्ट्रीय प्रत्यायन फोरम’ (IAF) द्वारा स्थापित एक वैश्विक पहल है। भारत में प्रत्यापन संबंधी गतिविधियों की निगरानी ‘भारतीय गुणवत्ता परिषद’ (QCI) द्वारा की जाती है।
- भारत सरकार ने ‘भारतीय गुणवत्ता परिषद’ की स्थापना वर्ष 1997 में उद्योग संवर्द्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन एक स्वायत्त निकाय के तौर पर की थी। इस संगठन की स्थापना प्रत्यायन निकायों के लिये राष्ट्री य प्रत्यावयन ढाँचे की स्थापना करने एवं उनके प्रचालन करने के अलावा शिक्षा, स्वावस्य्वै तथा गुणवत्ता संवर्द्धन के क्षेत्र में प्रत्यावयन उपलब्धक कराने के लिये की गई थी।
विश्व ब्रेन टयूमर दिवस 08 जून
- प्रतिवर्ष 08 जून को विश्व भर में ‘विश्व ब्रेन टयूमर दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य आम जनमानस को ब्रेन टयूमर के बारे में जागरूक और उन्हें इस संबंध में यथासंभव शिक्षित करना है। विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस का आयोजन पहली बार वर्ष 2000 में लीपज़िग (जर्मनी) स्थित एक गैर-लाभकारी संगठन ‘जर्मन ब्रेन ट्यूमर एसोसिएशन’ द्वारा किया गया था।
- इस दिवस को दुनिया भर में ब्रेन ट्यूमर के रोगियों और उनके प्रियजनों के प्रति सम्मान प्रकट करने हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में घोषित किया गया था। ब्रेन ट्यूमर का आशय मस्तिष्क में असामान्य कोशिकाओं की वृद्धि से है।
- ब्रेन ट्यूमर के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं: कैंसरयुक्त ट्यूमर और गैर-कैंसरयुक्त ट्यूमर। इसमें कैंसरयुक्त ट्यूमर अधिक घातक होता है। ब्रेन ट्यूमर एक जानलेवा बीमारी हो सकती है, लेकिन पूरी तरह से इलाज योग्य है। ब्रेन ट्यूमर के कुछ सामान्य उपचारों में सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, एंटी-सीज़र दवा, स्टेरॉयड उपचार आदि शामिल हैं।
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस 12 जून
- प्रत्येक वर्ष 12 जून को विश्व भर में ‘विश्व बाल श्रम निषेध दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य आम जनमानस को बाल श्रम के विरुद्ध जागरूक करना और इसके उन्मूलन के लिये आवश्यक कार्यवाही एवं प्रयासों को बढ़ावा देना है।
- विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की शुरुआत ‘अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन’ (ILO) द्वारा वर्ष 2002 में की गई थी। इस दिवस की शुरुआत प्रायः बाल श्रम को समाप्त करने हेतु विभिन्न देशों की सरकार को एक साथ एक मंच पर लाने और इस प्रथा को खत्म करने की दिशा में किये जा रहे प्रयासों के प्रति लोगों को अवगत करने के उद्देश्य से की गई थी। वर्ष 2021 में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की थीम ‘एक्ट नाउ: इंड चाइल्ड लेबर' है। संयुक्त राष्ट्र (UN) के मुताबिक, वर्तमान में विश्व भर में लगभग 218 मिलियन बच्चे बाल श्रम में संलग्न हैं। उनमें से आधे से अधिक बाल श्रम के सबसे खराब रूपों जैसे- खतरनाक वातावरण में कार्य, गुलामी, ज़बरन श्रम, मादक पदार्थों की तस्करी और वेश्यावृत्ति आदि में संलग्न हैं, इसके अलावा कई बच्चे सशस्त्र संघर्ष में भी शामिल हैं।
- वैश्विक महामारी के कारण दुनिया भर में बाल श्रम में महत्त्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की गई है, ऐसे में बाल श्रम के उन्मूलन के लिये किये गए विभिन्न प्रयास भी कमज़ोर हो गए हैं। इस चुनौतीपूर्ण समस्या को हल करने हेतु सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों, नागरिक समाज को एक साथ आने और सहयोगात्मक प्रयास करने की आवश्यकता है।
विश्व रक्तदाता दिवस 14 जून
- प्रतिवर्ष विश्व स्तर पर 14 जून को ‘विश्व रक्तदाता दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य रक्तदान के महत्त्व के बारे में जागरूकता फैलाना और जीवन बचाने में स्वैच्छिक अवैतनिक रक्तदाताओं के योगदान की पहचान करना है।
- पहला ‘विश्व रक्तदाता दिवस’ वर्ष 2004 में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मनाया गया था और वर्ष 2005 में 58वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में इसे वार्षिक वैश्विक कार्यक्रम के रूप में घोषित किया गया था।
- यह दिवस ऑस्ट्रियाई जीवविज्ञानी और चिकित्सक, कार्ल लैंडस्टीनर की जयंती के उपलक्ष में मनाया जाता है, उन्हें आधुनिक रक्त ट्रांसफ्यूज़न का जनक माना जाता है। उन्होंने ही मानव रक्तप में उपस्थित एग्यु जा टिनिन की मौजूदगी के आधार पर रक्तजकणों का A, B और O समूह में वर्गीकरण किया था। इस वर्गीकरण ने चिकित्सा विज्ञान में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी इसी खोज के कारण वर्तमान में करोड़ों लोग रोज़ाना रक्तदान करते हैं और लाखों लोगों की जिंदगियाँ बचाई जाती हैं। इस महत्त्वपूर्ण खोज के लिये ही कार्ल लैंडस्टा ईन को वर्ष 1930 में नोबल पुरस्कार भी दिया गया था।
अंतर्राष्ट्रीय ऐल्बिनिज़्म जागरूकता दिवस 13 जून
- संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिवर्ष 13 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय ऐल्बिनिज़्म जागरूकता दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य ऐल्बिनिज़्म अथवा रंगहीनता के बारे में लोगों को जागरूक करना तथा रंगहीनता से पीड़ित लोगों के मानवाधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाना है।
- उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 18 दिसंबर, 2014 को ऐल्बिनिज़्म से पीड़ित लोगों के साथ विश्व में होने वाले भेदभाव के विरुद्ध जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 13 जून को अंतर्राष्ट्रीय ऐल्बिनिज़्म जागरूकता दिवस मनाने की घोषणा की थी।
- ऐल्बिनिज़्म जन्म के समय से ही मौजूद एक दुर्लभ और आनुवंशिक रूप से विकसित रोग होता है। यह गैर-संक्रामक रोग भी है। यह मानव शरीर में मेलेनिन (Melanin) के उत्पादन में शामिल एंजाइम के अभाव में त्वचा, बाल एवं आँखों में रंजक या रंग के संपूर्ण या आंशिक अभाव द्वारा चिह्नित किया जाने वाला एक जन्मजात विकार है। ऐल्बिनिज़्म से पीड़ित लगभग सभी लोग दृष्टिबाधित होते हैं और उनमें त्वचा कैंसर होने का खतरा होता है। भारत में वर्तमान में ऐल्बिनिज़्म से पीड़ित लोगों की संख्या लगभग 1,00,000 है।
अंतर्राष्ट्रीय पारिवारिक प्रेषण दिवस 16 जून
- संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा प्रतिवर्ष 16 जून को अंतर्राष्ट्रीय पारिवारिक प्रेषण दिवस (IDFR) का आयोजन किया जाता है। इस दिवस के आयोजन की घोषणा वर्ष 2015 में की गई थी। ‘अंतर्राष्ट्रीय पारिवारिक प्रेषण दिवस’ उन दो सौ मिलियन प्रवासी श्रमिकों को मान्यता प्रदान करता है, जो अपने प्रियजनों को धन हस्तांतरित करते हैं।
- इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय पारिवारिक प्रेषण दिवस की थीम है- ‘रिकवरी एंड रेसिलिएंस थ्रू डिजिटल एंड फाइनेंशियल इन्क्लूज़न’। प्रेषित धन वह धन है जो किसी अन्य पार्टी (सामान्यत: एक देश से दूसरे देश में) को भेजा जाता है। प्रेषक आमतौर पर एक अप्रवासी होता है और प्राप्तकर्त्ता एक समुदाय/परिवार से संबंधित होता है। दूसरे शब्दों में रेमिटेंस या प्रेषण से आशय प्रवासी कामगारों द्वारा धन अथवा वस्तु के रूप में अपने मूल समुदाय/परिवार को भेजी जाने वाली आय से है। ज्ञात हो कि विश्व में प्रेषित धन या रेमिटेंस का सबसे बड़ा प्राप्तकर्त्ता भारत है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, ‘प्रेषण’ प्रवासी श्रमिकों को उनके परिवारों से आर्थिक रूप से जोड़ता है। यह दिवस इस तथ्य को रेखांकित करता है कि ‘प्रेषण’ दुनिया भर में परिवारों की कई बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करता है। संयुक्त राष्ट्र की मानें तो वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण प्रेषण में 1.6 प्रतिशत की गिरावट आई है।
ऑटिस्टिक प्राइड डे 18 जून
- प्रतिवर्ष 18 जून को विश्व स्तर पर 'ऑटिस्टिक प्राइड डे' के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य ‘ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर’ नामक विकार से पीड़ित लोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। ऑटिज़्म से पीड़ित लोगों को प्रायः मानवाधिकारों के उल्लंघन, भेदभाव और तमाम तरह की गलत धारणाओं का सामना करना पड़ता है।
- ‘ऑटिस्टिक प्राइड डे’ का लक्ष्य इसी प्रकार के भेदभाव को समाप्त कर ऑटिज़्म से पीड़ित लोगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना है। ‘ऑटिस्टिक प्राइड डे’ पहली बार वर्ष 2005 में ‘एस्पीज़ फॉर फ्रीडम’ नाम नागरिक संगठन द्वारा मनाया गया था। ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार (ASD) सामाजिक विकृतियों, संवाद में परेशानी, प्रतिबंधित, व्यवहार का दोहराव और व्यवहार का स्टिरियोटाइप पैटर्न द्वारा पहचाना जाने वाला तंत्रिका विकास संबंधी जटिल विकार है।
- नीले रंग को ऑटिज़्म का प्रतीक माना गया है। इस विकार के लक्षण जन्म या बाल्यावस्था (पहले तीन वर्षों) में ही नज़र आने लगते हैं। यह विकार व्यक्ति की सामाजिक कुशलता और संप्रेषण क्षमता पर विपरीत प्रभाव डालता है। यह जीवनपर्यंत बना रहने वाला विकार है। इस विकार से पीड़ित बच्चों का विकास अन्य बच्चों से अलग होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, विश्व स्तर पर प्रत्येक 160 बच्चों में से एक बच्चा ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से पीड़ित है। विश्व स्वास्थ्य संगठन एक ऐसे पारिस्थितिक तंत्र के निर्माण पर ज़ोर देता है, जो ऑटिज़्म से पीड़ित लोगों का समर्थन करता हो।
विश्व संगीत दिवस 21 जून
- प्रत्येक वर्ष 21 जून को ‘विश्व संगीत दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य संगीत के माध्यम से शांति और सद्भावना को बढ़ावा देना है। इस दिवस के आयोजन की कल्पना सर्वप्रथम वर्ष 1981 में फ्रांँस के तत्कालीन संस्कृति मंत्री द्वारा की गई थी।
- ‘विश्व संगीत दिवस’ की शुरुआत में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले फ्रांँस के तत्कालीन संस्कृति मंत्री मौरिस फ्लेरेट स्वयं एक प्रसिद्ध संगीतकार, पत्रकार और रेडियो प्रोडूसर थे। इस दिवस के अवसर पर भारत समेत विश्व के तमाम देशों में जगह-जगह संगीत प्रतियोगिताओं और संगीत कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
- वर्तमान समय में संगीत एक ऐसा सशक्त माध्यम बन गया है, जिसका प्रयोग वैज्ञानिकों द्वारा व्यक्ति को मानसिक रोगों व व्याधियों से मुक्ति प्रदान करने के लिये भी किया जा रहा है। कई अध्ययनों और विशेषज्ञों के मुताबिक, संगीत तनाव को कम करने और बेहतर नींद प्रदान करने में भी मददगार साबित हो सकता है। ध्यातव्य है कि एक कॅॅरियर के रूप में भी संगीत का क्षेत्र असीम संभावनाओं से भरा हुआ है और मौजूदा समय में युवा वर्ग संगीत को अपना रहे हैं।
विश्व शरणार्थी दिवस 20 जून
- विश्व भर के शरणार्थियों की शक्ति और दृढ़ निश्चय एवं उनके प्रति सम्मान को स्वीकृति देने के लिये संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिवर्ष 20 जून को विश्व शरणार्थी दिवस के रूप में आयोजित किया जाता है।
- इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य विश्व भर में आम जनमानस के बीच शरणार्थियों की स्थिति के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। यह दिवस मुख्यतः उन लोगों के प्रति समर्पित है, जिन्हें प्रताड़ना, संघर्ष और हिंसा की चुनौतियों के कारण अपना देश छोड़कर बाहर भागने को मजबूर होना पड़ता है। इस दिवस का आयोजन वस्तुतः शरणार्थियों की दुर्दशा और समस्याओं का समाधान करने हेतु किया जाता है।
- अफ्रीकी देशों की एकता को अभिव्यक्त करने के लिये वर्ष 2000 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया गया था। इस प्रस्ताव में वर्ष 2001 को शरणार्थियों की स्थिति से संबंधित वर्ष 1951 की संधि की 50वीं वर्षगाँठ के रूप में चिह्नित किया गया। ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ अफ्रीकन यूनिटी अंतर्राष्ट्रीय शरणार्थी दिवस को अफ्रीकी शरणार्थी दिवस के साथ 20 जून को मनाने के लिये सहमत हो गया। शरणार्थी का अभिप्राय एक ऐसे व्यक्ति से है जिसे उत्पीड़न, युद्ध या हिंसा के कारण उसके देश से भागने के लिये मज़बूर किया गया हो।
अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस 23 जून
- सैनिक गतिविधियों में खेल एवं स्वास्थ्य के महत्त्व को बढ़ावा देने के लिये प्रतिवर्ष 23 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस’ का आयोजन किया जाता है। यह दिवस वर्ष 1894 में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की स्थापना को चिह्नित करता है।
- इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य आम लोगों के बीच खेलों को प्रोत्साहित करना और खेल को जीवन का अभिन्न अंग बनाने का संदेश प्रसारित करना है। ज्ञात हो कि आधुनिक ओलंपिक खेलों की शुरुआत ओलंपिया (ग्रीस) में आठवीं शताब्दी ईसा पूर्व से चौथी शताब्दी ईस्वी तक आयोजित प्राचीन ओलंपिक खेलों से प्रेरित है। यह ग्रीस के ओलंपिया में ज़ीउस (Zeus) (ग्रीक धर्म के सर्वोच्च देवता) के सम्मान में आयोजित किया जाता था।
- बेरोन पियरे दी कोबर्टिन ने वर्ष 1894 में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) की स्थापना की और ओलंपिक खेलों की नींव रखी। यह एक गैर-लाभकारी स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो खेल के माध्यम से एक बेहतर विश्व के निर्माण के लिये प्रतिबद्ध है। यह ओलंपिक खेलों के नियमित आयोजन को सुनिश्चित करता है, सभी संबद्ध सदस्य संगठनों का समर्थन करता है और उचित तरीकों से ओलंपिक के मूल्यों को बढ़ावा देता है। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस के आयोजन का विचार वर्ष 1947 में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की बैठक में प्रस्तुत किया गया और वर्ष 1948 में इस प्रस्ताव को आधिकारिक स्वीकृति दी गई।
संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा दिवस 23 जून
- संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिवर्ष 23 जून को दुनिया भर के लोक सेवाओं के प्रति सम्मान और कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में ‘संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा दिवस’ का आयोजन किया जाता है। यह दिवस लोक सेवकों के कार्य को मान्यता देते हुए समाज के विकास में उनके योगदान पर ज़ोर देता है और युवाओं को सार्वजनिक क्षेत्र में कॅॅरियर बनाने के लिये प्रेरित करता है।
- 20 दिसंबर, 2002 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 23 जून को संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा दिवस के रूप में घोषित किया था। इस दिवस के संबंध में जागरूकता और लोक सेवा के महत्त्व को बढ़ाने के लिये संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2003 में ‘संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा पुरस्कार’ (UNPSA) कार्यक्रम की शुरुआत की थी, जिसे वर्ष 2016 में सतत् विकास के लिये वर्ष 2030 एजेंडा के अनुसार अपडेट किया गया था।
- ‘संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा पुरस्कार’ कार्यक्रम सार्वजनिक संस्थाओं की नवीन उपलब्धियों और सेवाओं को मान्यता देकर लोक सेवाओं में नवाचार एवं गुणवत्ता को बढ़ावा देता है तथा उन्हें पुरस्कृत करता है, जो सतत् विकास के पक्ष में दुनिया भर के देशों में अधिक कुशल एवं अनुकूल लोक प्रशासन में योगदान दे रहे हैं।
अंतर्राष्ट्रीय नाविक दिवस 25 जून
- दुनिया भर में वाणिज्य एवं आर्थिक प्रणाली में नाविकों के अमूल्य योगदान को मान्यता देने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 25 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय नाविक दिवस’ का आयोजन किया जाता है। दुनिया भर का लगभग 90 प्रतिशत व्यापार जहाज़ों के माध्यम से किया जाता है और इन जहाज़ों का संचालन नाविकों द्वारा किया जाता है, जो पानी के माध्यम से व्यापार के सुचारु प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिये अथक प्रयास करते हैं।
- ‘अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन’, जो कि नौवहन को विनियमित करने हेतु उत्तरदायी संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है, ने वर्ष 2010 में प्रतिवर्ष 25 जून को अंतर्राष्ट्रीय नाविक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। इसके पश्चात् वर्ष 2011 में पहला ‘अंतर्राष्ट्रीय नाविक दिवस’ आयोजित किया गया।
- इस दिवस की शुरुआत का प्राथमिक लक्ष्य आम लोगों को वैश्विक व्यापार और परिवहन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नाविकों के कार्य के संदर्भ में जागरूक करना है। साथ ही यह दिवस निजी जहाज़ कंपनियों से समुद्र में सुरक्षित यात्रा के लिये अपने नाविकों को पर्याप्त सुविधाएँ प्रदान करने का भी आग्रह करता है।
- गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक विशेष संस्था है, जिसकी स्थापना वर्ष 1948 में जिनेवा सम्मेलन के दौरान एक समझौते के माध्यम से की गई थी। यह एक अंतर्राष्ट्रीय मानक-निर्धारण प्राधिकरण है जो मुख्य रूप से अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग की सुरक्षा में सुधार करने हेतु उत्तरदायी है।
अंतर्राष्ट्रीय क्षुद्रग्रह दिवस 30 जून
- क्षुद्रग्रहों, उनके कारण उत्पन्न संभावित खतरों और उनके अध्ययन से ज्ञात वैज्ञानिक रहस्यों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये प्रतिवर्ष 30 जून को संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त अभियान के रूप में ‘अंतर्राष्ट्रीय क्षुद्रग्रह दिवस’ का आयोजन किया जाता है। साथ ही यह दिवस आम जनमानस को क्षुद्रग्रहों के बारे में जानने के लिये प्रेरित करता है।
- इस वर्ष का ‘अंतर्राष्ट्रीय क्षुद्रग्रह दिवस’ साइबेरिया में तुंगुस्का नदी के पास हुई सबसे बड़ी ‘क्षुद्रग्रह घटना’ की 113वीं वर्षगाँठ का प्रतीक है। दिसंबर 2016 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने प्रतिवर्ष 30 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय क्षुद्रग्रह दिवस’ के रूप में आयोजित करने के लिये एक प्रस्ताव को अपनाया था, जिसका उद्देश्य साइबेरिया में हुई ‘तुंगुस्का घटना’ को प्रतिवर्ष याद करना था। विदित हो कि क्षुद्रग्रह सूर्य की परिक्रमा करने वाले छोटे चट्टानी पदार्थ होते हैं। क्षुद्रग्रह द्वारा सूर्य की परिक्रमा ग्रहों के समान ही की जाती है लेकिन इनका आकार ग्रहों की तुलना में बहुत छोटा होता है। इन्हें लघु ग्रह भी कहा जाता है। नासा के अनुसार, ज्ञात क्षुद्रग्रहों की संख्या तकरीबन 1,097,106 है, जिनका निर्माण 4.6 अरब वर्ष पूर्व सौरमंडल के निर्माण के समय हुआ था।
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