नागरिक चार्टर (नागरिक अधिकार पत्र) क्या होता है | Citizen Charter Kya Hota Hai
नागरिक चार्टर (नागरिक अधिकार पत्र)
क्या होता है
Citizen Charter Kya Hota Hai
नागरिक चार्टर की आवश्यकता क्यों हैं ?
- नौकरशाही मुख्यतः कुशलता ज्ञान व विवेक आधारित प्रणाली है। इसलिए इसमें सदैव शक्तियों के दुरूपयोग की सम्भावना बनी रहती है। इस प्रवृत्ति रोकने के लिए किसी भी प्रशासन के उत्तरदायित्व की व्यवस्था की जाती है।
- आज के जटिल समाज में उत्तरदायित्व का निर्धारण करना बहुत कठिन कार्य है, उत्तरदायित्व का निर्धारण, निभाने का तरीका आदि ऐसे प्रश्न है जो काफी महत्वपूर्ण हैं।
- नागरिक चार्टर एक ऐसा उपकरण है जो प्रशासन के लोक उत्तरदायित्व सुनिश्चित कर सकता है। जनता का समर्थन प्रशासन को तभी मिलता है जब उसे विश्वास हो जाता है कि प्रशासन का कार्य मिलाकर न्यायपूर्ण होता है, इस संदर्भ में प्रायः सरकारे जनता की चिन्ता के प्रति जागरूक नहीं है। नागरिकों की इसी चिन्ता का प्रतिफल नागरिक चार्टर है। इन चार्टरों में सेवा देने वाले कार्मिकों और कार्य की सम्भावित समय सीमा का उल्लेख होता है।
- नागरिक चार्टर वस्तुतः जनता के प्रति विशेष रूप सेवा उपभोक्ता के प्रति, प्रशासनिक उत्तरदायित्व का ही एक रूप है। नागरिक चार्टर सेवा की विशिष्ट गुणवत्ता एवं वचनों का संग्रह होता है, जो सेवा देने वाली संस्थाओं द्वारा नागरिकों को दिया जाता है, नागरिक चार्टर का सम्बन्ध उन आधारात्मक उपायों से भी है, जिसकी घोषणा सेवा प्रदान करने वाली संस्थाओं द्वारा अपने गलत कार्यो को ठीक करने हेतु की जाती है ।
नागरिक चार्टर का अर्थ एवं सिद्धान्त Meaning and Principles of Citizen's Charter
प्रजातांत्रिक कल्याणकारी शासन की अपने देश के लोक सेवाओं के उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने की पद्धति से सम्बन्धित अन्वेषण एवं खोज का परिणाम नागरिक चार्टर है।
नागरिक चार्टर या नागरिक अधिकार पत्र का मुख्य उद्देश्य
- नागरिक चार्टर या नागरिक अधिकार पत्र का मुख्य उद्देश्य नागरिकों का उनके अधिकारों के जागरूक और सामर्थ्यवान बनाया जाना है।
- 20वीं शताब्दी के अंत में नागरिक अधिकार पत्र को प्रशासन में समाहित करने का प्रमुख उद्देश्य प्रशासन समें आयी विभिन्न त्रुटियों को दूर करके उसे अधिक दक्ष, कार्यकुशल, सक्षम, विकसित एवं स्मार्ट बनाने हेतु किया गया था।
- उल्लेखनीय है कि 1970 से 1980 के दशकों में तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री श्रीमती मार्गेट थैचर ने प्रशासनिक उत्तरदायित्व को सम्भव बनाने एवं राज्य की भूमिका को पुर्नपरिभाषित करने हेतु प्रयत्न किये।
- इन्हीं प्रयत्नों की आधाशिला पर ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री जान मेजर के नेतृत्व में प्रशासन को जनता की जरूरतों और इच्छाओं के प्रति जिम्मेदार बनाने के लिए 22 जुलाई, 1991 को नागरिक चार्टर का जन्म हुआ। इस नागरिक चार्टर के प्रमुख चार मुद्दे थे- गुणवक्ता, विकल्प, मानकीकरण एवं मूल्य।
नागरिक चार्टर (नागरिक अधिकार पत्र) के सिद्धान्त
कालान्तर इस चार्टर का और विकास हुआ तथा इसके बेहतर क्रिन्यावनय के छः मुख्य सिद्धान्त बनाये गये।
1. मानकों का स्पष्ट निर्धारण
- नागरिकों द्वारा प्रशासन से सदैव यह अपेक्षा की जाती है वह अपने पैरामीटर (मानक) का प्रकाशन करें ताकि प्रशासन द्वारा किये गये वास्तविक कार्य मानकों के अनुरूप हुए हैं कि नहीं कि अध्ययन सम्भव हो सकें।
2. सूचना व खुलापन
- प्रशासन द्वारा नागरिकों को इस तथ्य की सही, सम्पूर्ण एवं सरल भाषा में जानकारी उपलब्ध करायी जानी चाहिए कि किस कार्य अथवा विभाग का प्रभारी प्रमुख कौन है तथा कार्य किस प्रक्रिया के अन्तर्गत संचालित हो रहा है।
3. विकल्प एवं परामर्श
- प्रशासन द्वारा नागरिकों के समक्ष आवश्यकतानुसार व्यवहारिक विकल्प प्रस्तुत किये जाने चाहिए तथा सेवा प्राप्ति के आकांक्षी अथवा जिन नागरिकों को सेवा उपलब्ध करायी जानी है के साथ नियमित तौर पर परामर्श किया जाना चाहिए।
4. उचित कार्यप्रणाली
- किसी कार्य के गलत हो जाने की दशा में प्रशासन को नागरिकों से क्षमा याचना करते हुए स्पष्टीकरण देना चाहिए तथा तत्काल सुधारात्मक कदम उठाये जाना चाहिए। जन शिकायतों के समुचित निपटारें हेतु सुलभ एवं सुप्रचारित प्रक्रियाओं का उपभोग करना चाहिए।
5. धन का उचित मूल्य
प्रशासन को चाहिए कि वह इस तथ्य को सुनिश्चित करें कि नागरि को उपलब्ध संसाधनों के साथ कुशल एवं कम खर्चीली सेवायें उपलब्ध करायी जाये। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु यह आवश्यक है कि प्रशासन द्वारा न्यूनतम समय, न्यूनतम लागत एवं न्यूनतम प्रयास के अन्तर्गत मानक एवं गुणात्मक प्रदर्शन का समुचित निर्धारण करें।
6. शिष्ट एवं सहयोगी व्यवहार
- अधिकारियों द्वारा नागरिकों के साथ सहयोग एवं शिष्ट व्यवहार और वर्षा का प्रयोग करते हुए सेवायें उपलब्ध करायी जानी चाहिए।
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