सिविल सोसाइटी (नागरिक समाज) का अर्थ , प्रकृति और परिभाषा | Civil Society GK in Hindi

 

सिविल सोसाइटी (नागरिक समाज) का अर्थ ,प्रकृति और परिभाषा 
Meaning and nature of civil society in Hindi

सिविल सोसाइटी (नागरिक समाज) का अर्थ और प्रकृति | Civil Society GK in Hindi सिविल सोसाइटी (नागरिक समाज) की परिभाषा


विषय सूची -









 

सिविल सोसाइटी (नागरिक समाज) सामान्य परिचय 

 

  • लोकतंत्र अपने उदार बहुलतावादी रूप में समाज का एक आदर्श माना जाता है। लेकिन प्रश्न यह है कि किस प्रकार का नागरिक समाज आधुनिक लोकतान्त्रिक प्रणाली के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण है


  • नागरिक समाज के इस अवधारणीकरण के लिए राज्य और समाज के सम्बंध पर केन्द्रित पश्चिमी राजनीतिक विचारधारा की लम्बी परम्परा की ओर जाना होगा। राज्य के स्वरूप को समझते हुए अपने सामाजिक आधार पर इसकी समझ आवश्यक है।


  • लोकतान्त्रिक स्वरूप भागीदारी जबावदेही और नागरिकों के अधिकारों के आदर्शों पर आधारित होता है और लोकतान्त्रिक पद्धति की आधारशिला के रूप में नागरिक समाज की धारणा में केन्द्रित है तब, नागरिक समाज का अर्थ क्या है और कोई व्यक्ति इसके स्वरूप तथा राज्य के साथ इसके कार्यों को किस प्रकार परिभाषित करता है। 


  • राजनीतिक चिंतन में नागरिक समाज में विचार का किस प्रकार उद्भव हुआ और राजनीतिक व्यवस्था के विकास के मार्ग में तथा विभिन्न दशाओं में वास्तविक राज्य व्यवस्थाओं के संचालन में यह किस प्रकार विकसित हुआ। 


  • भागीदारी वाली राजनीति की भावना और जबावदेह सरकार और अधिकारों का सम्मान करने वाले राज्य की भावना को लेकर लोकतंत्र का विचार लगातार विस्तृत होता रहा है और सामयिक राजनीतिक विवेचना में इसे मूल रूप से स्वीकृति मिलती रही है। नागरिक समाज इसके सभी अर्थ भेदों में पर्याप्त सैद्धान्तिक और व्यावहारिक ध्यान आकृष्ट करता रहता रहा है। 


सिविल सोसाइटी (नागरिक समाज) का अर्थ और प्रकृति

 

नागरिक समाज की परिभाषा करना आसान नहीं है, क्योंकि यह इतिहास में विकास करती हुई एक अवधारणा है। प्रारंभ में ही, हम कह सकते हैं कि नागरिक समाज सामाजिक आत्म संगठन का एक ऐसा स्वरूप है जो राज्य के साथ सहयोग के लिए अनुमति देता है और साथ ही व्यक्तिकरण को समृद्धि प्रदान करता है। 


सिविल सोसाइटी (नागरिक समाज) की परिभाषा 


कोहन तथा अरातो (1997)  के अनुसार सिविल सोसाइटी (नागरिक समाज) की परिभाषा 

 

"हम जानते हैं कि नागरिक समाज अर्थनागरिक समाज और राज्य के बीच सामाजिक अन्तरकार्य का एक क्षेत्र है और सभी परिचित क्षेत्रों विशेषकर ( परिवार से) ऊपर है, संघों के क्षेत्र (विशेषकर स्वयंसेवी संघों) सामाजिक आन्दोलनों तथा सार्वजनिक संचार के रूप में इन सभी से ऊपर है। आधुनिक नागरिक समाज आत्मगठन के रूपों में तथा स्वयं गतिशीलता के जरिये पैदा होता है। यह कानूनों विशेषकर व्यक्तिगत अधिकारों जो कि सामाजिक भेदों को स्थिर करते हैं के जरिये साधारणीकृत होता है। "

 

साधारण शब्दों मेंसिविल सोसाइटी (नागरिक समाज)


नागरिक समाज राज्य में अलग होते हुए भी एक समानान्तर क्षेत्र है। यह ऐसा क्षेत्र है जहाँ नागरिक अपने हितों तथा इच्छायों के अनुसार इकट्ठे होते हैं। यह "संगठित सामाजिक जीवन एक ऐसा क्षेत्र है जो स्वैच्छिक आत्मजनित, पर्याप्त रूप से आत्म समर्थित और वैध व्यवस्था तथा निर्धारित आपसी मूल्यों के द्वारा बंधा हुआ है। अपने कुटुम्बों के बाहर समाज के सदस्य अपने हितों का संवर्धन करने और सुरक्षा करने के उद्देश्य के लिए अनेक प्रकार के मध्यवर्ती संगठनों का गठन करते हैं।

 


'सिविल सोसाइटीअर्थात नागरिक समाज शब्द की उत्पत्ति


  • 'सिविल सोसाइटीअर्थात नागरिक समाज शब्द की उत्पत्ति प्राचीन ग्रीक (यूनान) राजनीतिक विचारों से हुई और जिनका उल्लेख सिसरो तथा अन्य रोमन विचारकों की कृतियों में मिला। परन्तु नागरिक समाज की राज्य के साथ समानता व्यक्त की गई आधुनिक रूप से नागरिक समाज (सिविल सोसाइटी) 18वीं शताब्दी के स्काटिश एण्ड कॉटिनेन्टल एनलाइटेनमेन्ट में उभरा। 


क्या सामाजिक संगठन नागरिक समाज के दायरे में आते हैं ?

  • इस सवाल के बारे में कोई एकरूपता नहीं है कि किस प्रकार के सामाजिक संगठन नागरिक समाज के दायरे के अंदर आने चाहिए तथापि परंपरागत रूप से जो संगठन नागरिक समाज के हिस्से के रूप में समझे जाते हैं उनमें गिरजाघरों, पड़ोसी संघों, निजी धर्मार्थ संस्थाओं निचले मूल समूहों तथा स्थानीय क्लबों को शामिल किया जा सकता है, उन सभी सामाजिक संगठनों को जो राज्य से स्वायत्त आत्म उत्पादन स्वैच्छिक तथा खुले हैं तथा साथ ही कानूनी व्यवस्था से बंधे हुए हैं। 


  • नागरिक समाज में स्वतंत्र मास मीडिया (mass media ) तथा स्वायत्त सांस्कृतिक एवं बौद्धिक कार्यकलाप शामिल हैं। विश्वविद्यालयों, थियटरों, फिल्म सोसाइटियों, प्रकाशन गृहों तथा सामाजिक विचार से सम्पन्न बुद्धिजीवियों को नागरिक समाज का प्रमुख घटक माना जाता है। संक्षेप में यह मध्यवर्ती विशेषता है जो निजी क्षेत्र तथा राज्य के बीच स्थित है।


  • नागरिक समाज को सामन्य रूप से समाज की अपेक्षाकृत व्यापक अवधारणा से भिन्न समझे जाने की आवश्यकता है क्योंकि इसमें सार्वजनिक क्षेत्र में सामूहिक रूप से कार्य करने वाले तथा व्यवहार करने वाले शामिल होते हैं जो अपने हितों विचारों तथा प्राथमिकताओं को व्यक्त करने के लिए सामूहिक लक्ष्य को हासिल करने के लिए और राज्य के बारे में माँग करने के लिए शामिल होते हैं। इस प्रकार सामाजिक जीवन का सबकुछ नागरिक समाज में पूरी तरह समाहित नहीं हो सकता है।

 

  • व्यक्तिगत तथा पारिवारिक जीवन और अन्तरमुखी समूह गतिविधियों, जैसे धार्मिक पूजा आध्यात्मिकता आदि द्वारा प्रतिनिधित्व प्राप्त संकीर्ण समाज को नागरिक समाज के दायरे में नहीं माना जाता। इसी प्रकार व्यक्तिगत कारोबार वाली फर्मों में उद्यम करके मुनाफा कमाने वाले रूप में आर्थिक समाज को भी नागरिक समाज के दायरे से बाहर माना जाता है।

 

  • नागरिक समाज को राजनीतिक समाज से भिन्न किए जाने की आवश्यकता है। लोकतंत्र में राजनीतिक दलों तथा अभियान दलों तथा संगठनों द्वारा प्रतिनिधित्व प्राप्त संगठनों जो कि राज्य के नियंत्रण को प्राप्त करने के लिए आकांक्षा रखते हैं उनको भी राजनीतिक समाज से भिन्न समझा जाना चाहिए।


नागरिक समाज (सिविल सोयसायटी) विषय सूची- 





सिविल सोसाइटी (नागरिक समाज) का अर्थ , प्रकृति और परिभाषा 

लोकतंत्र और नागरिक समाज  (सिविल सोसायटी)

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