संगठन के सिद्धांत के अंतर्गत-नियंत्रण का क्षेत्र |Cntrol area in Organization
संगठन के सिद्धांत के अंतर्गत-नियंत्रण का क्षेत्र
नियंत्रण का क्षेत्र
➥ यह अत्यन्त महत्वपूर्ण प्रश्न है कि प्रशासनिक संगठन में किसी अधिकारी का कार्य क्षेत्र कितना होना चाहिए?
➥ नियन्त्रण के माध्यम क्या होने चाहिये? इन प्रश्नों के उत्तर के रूप में नियंत्रण का क्षेत्र' नामक सिद्धान्त की स्थापना की गयी है। संगठन में अधिकारी के पास अधिक कार्य भी नहीं होना चाहिये और कम भी नहीं, क्षमता के अनुसार ही कार्य क्षेत्र निर्धारित होना चाहिये।
➥ लोक प्रशासन के चिन्तकों के अनुसार अधिकारियों का नियन्त्रण क्षेत्र सीमित होना चाहिये, क्योंकि नियन्त्रण क्षेत्र के व्यापक होने पर नियंत्रण का प्रभाव कम हो जाता है।
लोक प्रशासन में नियंत्रण के क्षेत्र का तात्पर्य
➥ ‘स्पैन' का शाब्दिक अर्थ वह दूरी है, जो किसी व्यक्ति के अंगूठे और कनिष्ठ ऊंगली को फैलाये जाने से बनती है। जबकि नियंत्रण शब्द का मतलब आदेश-निर्देश या नियंत्रित करने वाले अधिकार या सत्ता से है। लोक प्रशासन में नियंत्रण के क्षेत्र का तात्पर्य उन अधीनस्थ कर्मचारियों से है, जिन पर एक अधिकारी कारगर एवं प्रभावी ढंग से नियंत्रण करता है।
➥ संगठन में एक उच्च अधिकारी को अपने अधीनस्थ कर्मचारी वर्ग की क्रियाओं पर नियन्त्रण रखना होता है। इससे वह आश्वस्त होता है कि प्रत्येक कार्य नियमों एवं निर्देशों के अनुसार किया जा रहा है या नहीं। परन्तु उस नियन्त्रण के क्षेत्र की भी शारीरिक व मानसिक सीमाऐं होती हैं, जोकि एक उच्च अधिकारी अपने अधीनस्थ कर्मचारियों पर लागू कर सकता है।
➥ नियन्त्रण के क्षेत्र पर एक महत्वपूर्ण सीमा मानवीय ध्यान क्षेत्र द्वारा लागू होती है। उदाहरण के तौर पर यह देखा जाता है कि एक व्यक्ति केवल सीमित कर्मचारियों, जैसे- सात, नौ अथवा बारह का ही सक्रिय पर्यवेक्षक कर सकता है। यदि एक उच्च अधिकारी से आशा की जाये कि वह उससे अधिक व्यक्तियों की क्रियाओं का नियन्त्रण करेगा, जितनी कि वह वास्तव में कर सकता है तो उसका परिणाम होगा कार्य में देरी तथा अकुशलता।
➥ अनुसंधानकर्ताओं ने इस तथ्य की खोज के अनेक प्रयास किये हैं कि व्यक्तियों की वह आदर्श संख्या क्या होनी चाहिये जिनकी क्रियाओं पर एक उच्च अधिकारी द्वारा प्रभावी नियन्त्रण किया जा कर सके वस्तुतः ऐसा अनुसन्धान पूर्णतः निरर्थक है। एक अधिकारी द्वारा कितने व्यक्तियों पर प्रभावी नियन्त्रण किया जा सकता है। यह तथ्य नियन्त्रणकर्ता की शक्ति, सौंपे गये कार्य की प्रवृति और कर्मचारियों की शारीरिक स्थिति पर निर्भर करता हैं आइये सम्बन्ध में महत्वपूर्ण विचार को के मतों को जानने व समझने का प्रयास करें
नियन्त्रण के संबंध में विभिन्न विद्वानों के मत
➥ एल0 उर्विक के मतानुसार एक व्यक्ति अधिक से अधिक पाँच या छः सहायक कर्मचारियों की क्रियाओं पर सफलतापूर्वक नियन्त्रण रख सकता है।
➥ ई0 एफ0 एल0 ब्रीच के मतानुसार एक उच्चधिकारी के अधीन अधीनस्थों की संख्या पर्याप्त है। लिण्डाल के मतानुसार, कोई एक व्यक्ति अपने तुरन्त अधीन अधिक से अधिक पाँच सहायक कर्मचारियों की क्रियाओं का प्रबन्ध कर सकता है।
➥ हेमिल्टन ने अपने विचार व्यक्त करते हुए लिखा है, सामान्यतया एक मानव तीन से छः मस्तिष्क पर प्रभावी ढंग से नियंत्रण रख सकता है।
➥ हेनरी फेयोल के विचारानुसार प्रबन्धक पर्यवेक्षक के नियंत्रण में अधिक से अधिक पाँच या छः अधीनस्थ होने चाहिए।
वस्तुतः यह कहा जा सकता है कि सभी विचारकों में यह सहमति प्रदर्शित होती है कि क्षेत्र जितना छोटा होगा, सम्पर्क उतना ही ज्यादा होगा और परिणाम स्वरूप नियंत्रण अधिक कारगर होगा, क्योंकि शारीरिक और मानसिक दोनों ही दृष्टियों से मानव क्षमता की एक सीमा होती है। इसलिए कोई वरिष्ठ अधिकारी कितनी भी सक्षम क्यों न हो वह असीमित संख्या में अधीनस्थों का निरीक्षण नहीं कर सकता। एक प्रबन्धक अधिक से अधिक छः या सात अधीनस्थों के कार्य का नियंत्रण कर सकता है।
संगठन के सिद्धान्त
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