संगठन को प्रभावित करने वाले कारक |Factors Affecting the organization
प्रबन्धकीय, संगठनात्मक और कार्य सम्बन्धित कारक
लक्ष्य
- संगठन साधन है न कि साध्य, यह उपक्रम के उद्देश्यों की प्राप्ति का एक साधन है, संगठन लक्ष्य अभिमुखी प्रणाली है। अतः संगठन का निर्माण करते समय इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि जो संगठन हम तैयार कर रहे हैं, वह प्रशासन के लक्ष्यों को पूरा करने में किस सीमा तक सक्षम होगा।
तकनीकी
- तकनीकी, कार्य निष्पादन के तरीके को दर्शाती है। तकनीकी की प्रकृति के आधार पर संगठन की सरंचना करनी चाहिए। यदि तकनीकी सरल एवं सामान्य प्रकृति की है तो सरंचना का प्रारूप कम जटिल होगा। इस प्रकार तकनीकी, संगठन सरंचना को प्रभावित करती है।
कर्मचारियों की योग्यता
- संस्था में कार्यरत कर्मचारियों की योग्यता भी संगठन को प्रभावित करती है। अधिकारों के विकेन्द्रीकरण एवं कार्यों का बंटवारा करते समय अधीनस्थ कर्मचारियों की योग्यताओं को भी ध्यान में रखना आवश्यक होता है, जिससे लोग उस सरंचना में स्वयं को उपयुक्त महसूस करें और वे उसके साथ समायोजित हो सकें।
उपक्रम का आकार
- संगठन की सरंचना प्रशासन के क्षेत्र पर भी निर्भर करती है। प्रशासन का क्षेत्र बड़ा होने पर विशिष्टीकरण तथा विकेन्द्रीकरण पर ध्यान दिया जा सकता है। क्षेत्र के बड़ा होने पर अधिकारों के केन्द्रीकरण एवं 'आदेश की एकता को ध्यान में रखा जाता है।
प्रशासकीय दृष्टिकोण
- संगठन का कार्य प्रशासक करते हैं, अतः उनका दृष्टिकोण भी संगठन को प्रभावित करता है।
वातावरण
- अनेक बड़े संगठन जटिल, गतिशील और अशांतमय वातावरण में काम करते हैं। सरंचनात्मक स्तरों पर प्रत्यक्ष रूप से वातावरणीय कारकों का अनुभव किया जाता है। संगठन की सरंचना राजनैतिक, आर्थिक व सामाजिक वातावरण को दृष्टिगत रखते हुए की जानी चाहिए, क्योंकि वातावरण भी संगठन को प्रभावित करता है। अतः संगठन की सरंचना करते समय बाहरी तथा आन्तरिक दोनों प्रकार के वातावरण का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
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