नवीन लोक प्रशासन के लक्ष्य |Goals of New Public Administration
नवीन लोक प्रशासन के लक्ष्य Goals of New Public Administration
नवीन लोक प्रशासन के चार प्रमुख लक्ष्य है- प्रासंगिकता, मूल्य, सामाजिक समता तथा परिवर्तन
नवीन लोक प्रशासन के लक्ष्य की व्याख्या
1 प्रासंगिकता
- नवीन लोक प्रशासन तथ्यों की प्रांसगिकता पर अत्यधिक बल देता है। यह परम्परागत लोक प्रशासन के लक्ष्यों कार्यकुशलता एवं मितव्यतिता को समकालीन समाज की समस्याओं के समाधान हेतु अपर्याप्त मानता है और इस बात पर बल देता है कि लोक प्रशासन का ज्ञान एवं शोध समाज की आवश्यकता के सन्दर्भ में प्रासंगिक तथा संगतिपूर्ण होना चाहिए।
- मिन्नोब्रुक सम्मेलन में प्रतिनिधियों ने नीति उन्मुख लोक प्रशासन की आवश्यकता पर अपना ध्यान केन्द्रित किया और इस बात पर प्रकाश डाला कि लोक प्रशासन को सभी प्रशासनिक कार्यों के राजनीतिक एवं आदर्श निहित अर्थों एवं तात्पर्यों पर स्पष्ट रूप से विचार करना चाहिए।
2 मूल्य
- नवीन लोक प्रशासन आदर्शपरक है और मूल्यों पर आधारित अध्ययन को महत्व प्रदान करता है। यह परम्प लोक प्रशासन के मूल्यों को छिपाने की प्रवृत्ति तथा प्रक्रियात्मक तटस्थता को अस्वीकार करते हुए ऐसे शोध प्रयासों को अपनाने पर बल देता है, जो सामाजिक न्याय के अनुरूप हों। इसके अनुसार लोक प्रशासन को खुले रूप में उन्हीं मूल्यों को अपनाना होगा जो समाज में उत्पन्न समस्याओं समाधान कर सकें तथा समाज के दुर्बल वर्गों के लिए सक्रिय कदम उठाये।
3 सामाजिक समता
- नवीन लोक प्रशासन समाज की विषमता को दूर करके सामाजिक समानता एवं सामाजिक न्याय के सिद्धान्तों को अपनाने पर बल देता है, यह इस बात पर बल देता है कि लोक प्रशासन समाज के कमजोर एवं पिछड़े वर्गों की आर्थिक, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक पीड़ा को समझे और इस दिशा में समुचित कदम उठाये।
- फैरडरिक्सन के शब्दों में "वह लोक प्रशासन जो परिवर्तन लाने में असफल है, जो अल्प संख्यकों के अभावों को दूर करने का निरर्थक प्रयास करता है, संभवतः उसका प्रयोग अंततः उन्हीं अल्प संख्यकों को कुचलने के लिए किया जायेगा। ” इस प्रकार नवीन लोक प्रशासन में जन कल्याण पर विशेष बल दिया गया है।
परिवर्तन
- नवीन लोक प्रशासन यथास्थिति बनाये रखने का विरोधी है और सामाजिक परिवर्तन में विश्वास करता है। इसमें इस बात पर बल दिया जाता है कि परिवर्तनों के समर्थक लोक प्रशासन को केवल शक्तिशाली हित समूहों या दबाव समूहों के अधीन कार्य नहीं करना चाहिए, बल्कि इसे तो सम्पूर्ण सामाजिक आर्थिक तंत्र में परिवर्तन का अगुवा बनना चाहिए। इस प्रकार सामाजिक आर्थिक परिवर्तन के लिए एक सशक्त अभिमुखता ही नवीन लोक प्रशासन की अनिवार्य विषय वस्तु है। शीघ्र परिवर्तित वातावरण के अनुरूप संगठन के नवीन रूपों का विकास किया जाना चाहिए।
- इस प्रकार कहा जा सकता है कि परम्परागत लोक प्रशासन की अपेक्षा नवीन लोक प्रशासन जातिगत कम और सार्वजनिक अधिक, वर्णनात्मक कम और आदेशात्मक अधिक, संस्था उन्मुख कम और जन प्रभाव उन्मुख अधिक तथा तटस्थ कम और आदर्शात्मक अधिक है। साथ ही इसमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने पर भी बल दिया गया है।
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