नागरिक समाज (सिविल सोसायटी) के बारे में ग्रामस्की के विचार | Gramsci's view of civil society
नागरिक समाज (सिविल सोसायटी) के बारे में ग्रामस्की के विचारGramsci's view of civil society
नागरिक समाज के बारे में ग्रामस्की की अवधारणा ?
एन्टोनियो ग्रामस्की के अनुसार नागरिक समाज पर विचार
- इटली के साम्यवादी नेता तथा समाजशास्त्री एन्टोनियो ग्रामस्की को नागरिक समाज के वामपंथी मूल 'आलोचना के आधुनिक पुनर्नवीकरण का श्रेय दिया जा सकता है। ग्रामस्की मार्क्स का अनुयायी था लेकिन उसने हेजेल के विचारों का अध्ययन करके नागरिक समाज की अपनी अवधारणा को पर्याप्त संवर्धित बनाया था।
ग्रामस्की के अनुसार राज्य को नागरिक समाज की प्रकृति के साथ जोड़कर ही समझा जा सकता है। नागरिक समाज ऐसा समाज है जहाँ राज्य की तमाम शक्तियाँ (पुलिस कारावास, सशस्त्र बल) केन्द्रित करते हैं। जबकि समाज ऐसा होता है जहाँ
"राज्य शैक्षिक सांस्कृतिक तथा धार्मिक प्रणालियों तथा अन्य संस्थाओं के माध्यम से शक्ति के सूक्ष्म रूपों दृश्य तथा अदृश्य रूपों को लागू करने का कार्य करता है। राजनीतिक समाज दंड संहिताओं तथा कारावासों के जरिए संस्थाओं को अनुशासित रखता है लेकिन नागरिक समाज इन संरचनाओं के जरिये मन तथा मनोभावना को अनुशासन में रखता है। "
- ग्रामस्की की राय में राज्य में वे सब कार्यकलाप शामिल हैं जिन्हें सत्तारूढ़ वर्ग अपने प्रभुत्व को बनाए रखने में उपयोग में लाता है। यह नागरिक समाज में चल रहे उन सभी दैनिक कार्यों में अपने को परिलक्षित करता है जो व्यक्ति तथा सामूहिक चेतना का सूक्ष्म रूप से निर्माण करते हैं।
- ग्रामस्की की मुख्य अवधारणा में आधिपत्य को प्रतीकों तथा पौराणिक आख्यानों के इस्तेमाल के जरिए सहमति तैयार करने की अवधारणा के रूप में स्वीकार किया गया है। आधिपत्य एक ऐसा संगठनात्मक सिद्धान्त है जो संघर्ष से पूर्ण नागरिक क्षेत्र में तथा उसकी बहुलता में एकता उपलब्ध करता है।
नीरा चंडोक के शब्दों में-
"प्रभुत्वशाली वर्गों के बौद्धिक तथा नैतिक नेतृत्व के रूप में आधिपत्य राजनीतिक जीवन को नैतिक क्षण उपलब्ध कराता है यह राज्य के लिए स्वीकृति का आधार उपलब्ध कराता है नागरिक समाज एक ऐसा नैतिक क्षण है जहाँ नैतिक दृष्टि तथा अग्रणी वर्ग की दूरदर्शिता द्वारा विखंडित समाज को एकजुट बनाया रखा जा सकता है।"
- ग्रामस्की अर्थव्यवस्था और राज्य से नागरिक समाज के संघीय तथा सांस्कृतिक आयामों का अन्तर करते हुए (मार्क्सवाद की श्रेष्ठता) के आर्थिक तथा राजनीतिक कमियों से खुद को बचा कर रखता है।
- ग्रामस्की ने विकसित पूँजीवादी देशों में नागरिक समाज के संघों तथा सांस्कृतिक संस्थाओं को स्थापित प्रणाली की खाइयाँ बताया है। जो मध्यवर्गीय प्रशासन को स्थिरता प्रदान करती है इसलिए नागरिक समाज के इस संस्करण को नष्ट किया जाना चाहिए और इसके स्थान पर ( श्रमिक क्लबों, नई सर्वहारा पार्टी) के वैकल्पिक रूपों तथा बौद्धिक रूपों से भरा जाना चाहिए जो वर्तमान बूर्जुआ रूपों को हटाकर एक सर्वहारा प्रतिपूरक आधिपत्य तैयार करने में सहायता दें।
- इस प्रकार सामंजस्य नागरिक क्षेत्र में परिवर्तित परम्पराओं के द्वारा वर्गों के उपपरिवर्तन की विशेषताओं द्वारा भी लाया जा सकता है। ग्रामस्की दृष्टि में नागरिक समाज का एक व्यापक सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक क्रान्ति के जरिये रूपांतरण किया जाना चाहिए।
चंडोक के विचार मस्की के सिद्धान्त में नागरिक समाज
"एक सक्रिय और गतिशील आयाम प्राप्त कर लिया है। यह ऐसा स्थल है जहाँ बुनियादी वर्ग अपने खास हितों को व्यक्त करते हुए अन्य सामाजिक समूहों के साथ वर्ग की स्थितियों को मुखर बनाते हैं नागरिक समाज ऐसा स्थल है जहाँ राज्य की वैधता को सुदृढ़ बनाया जाता है यह संघर्ष स्थली भी है। यही वह स्थान है जहाँ अनेक उपवर्ग राज्य की शक्ति को चुनौती दे सकते हैं।"
हेजेल, मार्क्स और ग्रामस्की के सूत्रों का अध्ययन करने के बाद यह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि-
- इन मौलिक राजनीतिक दार्शनिकों ने नागरिक समाज की नए प्रकार से अवधारणा प्रस्तुत की है उन्होंने नागरिक समाज के उदार संस्करण का एक वैकल्पिक स्वरूप उपलब्ध कराया है। उनमें से प्रत्येक की धारणात्मक शब्दावली की अपनी विशिष्ट व्याख्याएँ हैं।
- राज्य सामाजिक सम्बंध दृष्टि तथा परिवर्तनात्मक प्रतिमान, तथापि सामूहिक रूप से उन्होंने उदार राजनीतिक सिद्धान्त को शक्तिशाली चुनौती दी है।
नीरा चंडोक ने इसका उपसंहार करते हुए लिखा है
"उन्होंने इस उदार व्याख्या को स्वीकार करने से इंकार कर दिया है कि नागरिक समाज अधिकारों, व्यक्तिवाद तथा बाजार का क्षेत्र हैं। ये क्षेत्र के सतही पहलू हैं। सतह के नीचे नागरिक समाज आधुनिक और अमानवीयता के सार जैसा प्रतीत होता है। यदि इसे अपनी क्षमता को हासिल करना है और ऐतिहासिक उद्देश्य पूरा करना है तो संगठित और परिवर्तित होना होगा।"
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