हाई एल्टीट्यूड बैलून (लून बैलून) क्या होते हैं |प्रोजेक्ट लून क्या है |(High-altitude balloon In Hindi


हाई एल्टीट्यूड बैलून (लून बैलून) क्या होते हैं 
प्रोजेक्ट लून क्या है 
हाई एल्टीट्यूड बैलून (लून बैलून) क्या होते हैं  |प्रोजेक्ट लून क्या है |(High-altitude balloon In Hindi

हाई एल्टीट्यूड बैलून (लून बैलून) क्या होते हैं 


  • हाई एल्टीट्यूड बैलून को आमतौर पर लून बैलूनके रूप में जाना जाता है क्योंकि इंटरनेट प्रदान करने के लिये पहले हाई एल्टीट्यूड बैलूनका इस्तेमाल प्रोजेक्ट लूनके तहत किया गया था।
  • वे सामान्य प्लास्टिक की पॉलीथीन से बने होते हैं और एक टेनिस कोर्ट के आकार के होते हैं।
  • वे सौर पैनलों द्वारा संचालित होते हैं एवं ज़मीन पर सॉफ्टवेयर द्वारा नियंत्रित होते हैं।
  • हवा में ऊपर रहते हुए वे फ्लोटिंग सेल टावरों के रूप में कार्य करते हैं तथा इंटरनेट सिग्नल को ग्राउंड स्टेशनों और व्यक्तिगत उपकरणों तक पहुँचाते हैं।
  • वे वाणिज्यिक जेटलाइनर मार्गों (पृथ्वी से 60000 से 75000 फीट ऊपर) के ऊपर उड़ते रहते हैं।
  • पृथ्वी पर वापस आने से पहले वे समताप मंडल में 100 दिनों से अधिक समय तक रहते हैं।
  • प्रत्येक गुब्बारा हज़ारों लोगों की सेवा कर सकता है लेकिन समताप मंडल में कठोर परिस्थितियों के कारण उन्हें हर पाँच महीने में बदलना और गुब्बारों को नियंत्रित करना मुश्किल हो सकता है।



हाई एल्टीट्यूड बैलून का महत्त्व

 

सुलभ:

  • फोन कंपनियों को ज़रूरत पड़ने पर अपने कवरेज का विस्तार करने की अनुमति देकर, इस बैलून का उद्देश्य देशों को केबल बिछाने या सेल टावर बनाने की तुलना में एक सस्ता विकल्प प्रदान करना है।


दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुँच:

  • ये दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ मौजूदा प्रावधानों के तहत खराब सेवा प्रदान की जा रही है, इंटरनेट का उपयोग करने में सक्षम हैं और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान प्रभावित क्षेत्रों में संचार में सुधार करने में सक्षम हैं।



अलाभकारी:

  • लंबी अवधि में बैलून या ड्रोन-संचालित नेटवर्क के किफायती होने की संभावना नहीं है।


हाई एल्टीट्यूड बैलून की वर्तमान स्थिति 


  • बैलून की स्थिति को उचित रूप से मैप करने के लिये एल्गोरिदम विकसित करना, खराब मौसम से निपटने के लिये एक अच्छी रणनीति निर्धारित करना और गैर-नवीकरणीय संसाधनों पर भरोसा करने की चिंता को संबोधित करना अन्य चुनौतियों हैं।

 

प्रोजेक्ट लून क्या है 


  • इसकी शुरुआत वर्ष 2011 में गूगल (Google) की पैरेंट कंपनी एल्फाबेट (Alphabet) ने की थी। यह समताप मंडल में बैलून्स का एक नेटवर्क था जिसे ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिये डिज़ाइन किया गया था।


  • जनवरी 2020 में इस परियोजना को बंद कर दिया गयाक्योंकि यह व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य नहीं थी।

  • शटडाउन से पहले लून बैलून एक स्थानीय दूरसंचार के साथ साझेदारी के माध्यम से केन्या के पर्वतीय क्षेत्रों में सेवा प्रदान कर रहा था।

  • इस सेवा ने तूफान मारिया के बाद प्यूर्टो रिको में वायरलेस संचार प्रदान करने में भी मदद की।

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