लोक प्रशासन का महत्व | Importance of Public Administration in Hindi
लोक प्रशासन का महत्व Importance of Public Administration in Hindi
लोक प्रशासन का महत्व
- लोक प्रशासन आधुनिक राज्य का एक अनिवार्य तत्व है। आधुनिक राज्य का कार्य क्षेत्र बहुत विस्तृत हो गया है और उसे काफी नियोजित ढंग से कार्य करना पड़ रहा है। आधुनिक राज्यों के विस्तृत कार्यों एवं योजनाओं की पूर्ति के लिए एक सुसंगठित, विशाल और सकारात्मक उद्देश्य वाले लोक प्रशासन की आवश्यकता बढ़ गयी है।
- लोक कल्याणकारी राज्य के उदय ने पुराने नियामकीय कार्यों (कानून-व्यवस्था) को गौण बना दिया है और राज्य पर सामाजिक सेवाओं और समाज के चहुंमुखी नियोजित विकास का दायित्व लाद दिया है। फलतः लोक प्रशासन का दायित्व गुरूतर हो गया है, उसका आकार विशाल हो गया है और जनजीवन पर उसका व्यापक प्रभाव पड़ने लगा है।
- लोक प्रशासन का महत्व हमारे दैनिक जीवन में निरनतर बढ़ता जा रहा है। पिछली शताब्दी में राज्य ‘पुलिस राज्य' माना जाता था और उसका कार्य क्षेत्र सीमित था। वह केवल निषेधात्मक कार्य किया करता था। राज्य के निषेधात्मक कार्य थे- न्याय प्रदान करना, शान्ति बनाने रखना, सम्पत्ति की रक्षा करना, वैध समझौतों को लागू करना, आदि। किन्तु 20वीं शताब्दी की बदली हुई परिस्थितियों के साथ-साथ राज्य की प्रकृति में आमूल-चूल परिवर्तन हुआ। आज पुलिस राज्य' की निषेधात्मक अवधारणा का स्थान 'जनकल्याणकारी राज्य की सकारात्मक अवधारणा ने ले लिया है।
- वर्तमान में राज्य के कार्यों में लगातार वृद्धि होती जा रही है। हमारे जीवन का शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो, जो राज्य की क्रियाओं से प्रभावित न होता हो । राज्य की समस्त क्रियाओं एवं गतिविधियों का क्रियान्वयन व संचालन लोक प्रशासन द्वारा ही होता है। अतः राज्य के बढ़ते हुए दायित्वों एवं गतिविधियों साथ लोक प्रशासन का महत्व भी बढ़ता जा रहा है ।
- आधुनिक राज्य को ‘प्रशासकीय राज्य' कहा गया है। जहां 'झूले से लेकर कब्र' तक व्यष्टि जीवन के प्रत्येक मोड़ पर व्यक्ति लोक प्रशासन से सम्बन्धित रहता है। लोक प्रशासन व्यक्ति के जन्म से पूर्व ही उसमें रूचि लेने लगता है तथा उसकी मृत्यु के उपरान्त भी अपनी अभिरूचि बनाये रखता है। गर्भवती माता के समुचित आहार एवं दवाइयों की व्यवस्था करना; व्यक्ति की मृत्यु का सरकारी अभिलेख में उल्लेख करना; बेरोजगारी, अभाव, प्राकृतिक संकट, महामारी, इत्यादि के प्रकोप के समय नागरिकों की सहायता करना लोक प्रशासन के महत्व को दर्शाता है।
- राज्य की नीतियों को कार्यान्वित करने का उत्तरदायित्व लोक प्रशासन पर ही होता है। राज्य की नीतियाँ | चाहे कितनी ही अच्छी क्यों न हों, उसके परिणाम तभी अच्छे निकल सकते हैं, जब उनहें कुशलतापूर्वक एवं सत्यनिष्ठा के साथ लागू किया जाये। वस्तुतः राज्य के कार्यों के सफल संचालन के लिए कुशल प्रशासनिक अधिकारियों का सहायेग अत्यन्त महत्वपूर्ण है। सरकार एक आकार है जिसमें प्रशासक एक चित्रकार की भांति रंग भरता है, उसको उपयोगी एवं प्रभावशाली बनाता है।
- प्रशासन सरकार का व्यक्तित्व है, सरकार के हाथ, पैर और चक्षु हैं, चरकार की सफलता का रहस्य है। दूषित प्रशासन सरकार के लिए राजरोग से कम नहीं है। कभी भी प्रशासनिक अव्यवस्था, अदक्षता एवं अयोग्यता के विरूद्ध विस्फोट हो सकता है और सरकार की व्यवस्था धराशायी हो सकता है। इसलिए वर्तमान युग को प्रशासनिक राज्य का युग' कहा गया है।
- लोक प्रशासन राज्य के अन्तर्गत स्थैर्यकारी तत्व है तथा राज्य और समाज को स्थिरता एवं व्यवस्था प्रदान करता हैं लोकतन्त्रात्मक शासन प्रणाली में सरकारें प्रायः बदलती रहती हैं, परन्तु प्रशासन में स्थिरता और निरन्तरता बनी रहती है। उपनिवेशवाद के पटाक्षेप के साथ विश्व के सभी देशों में जन-सामान्य में नयी आशा का संचार हुआ। विज्ञान ने मनुष्य के हाथ में अतुल शक्ति दी जिसके द्वारा विश्व के इतिहास में प्रथम बार अभाव को मिटाने की सम्भावना मानव के हाथ में आयी ।
- पूर्व रूस की साम्यवादी क्रान्ति के बाद नियोजित विकास का एक क्या अध्याय प्रारम्भ हुआ जिसमें आर्थिक विकास की दिशा और गति अर्थशास्त्र के अन्धे नियमों की अनुगामी न होकर राज्य के द्वारा सुनिश्चित की जा सकती है। द्यितीय विश्व युद्ध के बाद में युद्ध क्षत-विक्षत राष्ट्रों की आर्थिक विकास की प्रक्रिया ने यह स्पष्ट कर दिया कि नियोजित विकास न केवल सम्भव है, वरन् आधुनिक युग में अनिवार्य है।
- आधुनिक युग में लोक प्रशासन सामाजिक परिवर्तन तथा सुधार संशोधन का एक महान अभियान है। महान सामाजिक परिवर्तनों को नियोजित तथा व्यवस्थित रूप में क्रियान्वित करने का भार देश में लोक प्रशासन के कन्धों पर ही है। हमारे देश में बेरोजगारी, गरीबी, बीमारी, छुआछूत मिटाने के लिए राज्य दृढ़ संकल्प लिये हुए है। नीति निदेशक सिद्धान्तों को अमल में लाने के लिए, समाजवादी समाज के निर्माण और लोककल्याणकारी आदर्शों के यथार्थ क्रियान्वयन के लिए राज्य कटिबद्ध है।
- यदि लोक प्रशासन इन कार्यों की सफलता या असफलता लोक प्रशासन पर ही निर्भर करती है। प्रो. डोनहम के शब्दों में “यदि हमारी सभ्यता असफल होती है तो ऐसा मुख्यतया प्रशासन के पतन के कारण होगा।”
- संक्षेप में, प्रशासन सभ्य समाज की प्रथम आवश्यकता है। देश में अमन-चैन, व्यवस्था एक स्थिरता बनाये रखने के लिए योगय एवं क्षमताशील प्रशासन का होना नितान्त आवश्यक है।
फाइनर के शब्दों में “कुशल प्रशासन सरकार का एकमात्र एक अवलम्ब है जिसकी अनुपस्थिति में राज्य क्षत-विक्षत हो जायेगा ।”
ब्रिटिश प्रशासन विशेषज्ञ ग्लैडन के शब्दों में
- “हम चाहें या न चाहें, आधुनिक युग में लोक प्रशासन हमारे लिए अत्यन्त आवश्यक बन गया है। यदि हम यह अनुभव कर सकते हैं कि इसका विस्तार अधिक हो रहा है तो हमें इसका क्षेत्र सीमित करने के लिए इसका अध्ययन करना पड़ेगा। यदि हम इसे सामाजिक कल्याण के लिए आवश्यक समझते हैं तो हमारे लिए इसका अध्ययन इस दृष्टि से आवश्यक है कि यह अपने उद्देश्य को क्षमतापूर्वक पूरा कर सके और उससे अधिक इसका विस्तार न हो । लोकतन्त्र मं लोक प्रशासन प्रत्येक नागरिक के अध्ययन, चिन्तन और मनन का विषय है, भले ही वह छात्र हो या मजदूर, विचारक हो या सरकारी कर्मचारी | सभी व्यक्ति उत्तर जीवन बिताना चाहते हैं, इसमें लोक प्रशासन बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, अतः वर्तमान युग में यह अतीव आवश्यक हो गया है।”
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लोक प्रशासन के सिद्धान्त
1. शास्त्रीय उपागमः हेरनी फेयोल, लूथर गुलिक एवं लिंडल उर्विक
2. वैज्ञानिक प्रबन्ध उपागम: फ्रेडरिक टेलर
4. मानवीय सम्बन्धात्मक उपागम: एल्टन मेयो
5. व्यवस्थावादी उपागम: चेस्टर बर्नार्ड
6. व्यवहारवादी उपागम: हर्बर्ट साइमन
7. सामाजिक मनोवैज्ञानिक उपागम: डगलस मैक्ग्रेगर एवं अब्राहम मैस्लों
8. पारिस्थितिकीय उपागम: फ्रेड डब्ल्यू. रिग्स
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