जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण क्रांति का स्वरूप | JP Narayan Sampurn Kranti
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जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण क्रांति का स्वरूप
जयप्रकाश नारायण ने छात्र शक्ति के महत्व को पहचनाते हुए उन्हें एक साल तक अपनी पढ़ाई छोड़कर सम्पूर्ण क्रांति में समर्पित होने का आह्यवान किया। उनका सम्पूर्ण क्रांति का आन्दोलन भारत छोड़ो आन्दोलन की तर्ज पर था।
जयप्रकाश नारायण की सम्पूर्ण क्रांति की अवधारणा
सम्पूर्ण क्रांति की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए जयप्रकाश नारायण ने कहा, सम्पूर्ण क्रांति एक ऐसी व्यापक क्रांति है जिसके अन्तर्गत सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, आध्यात्मिक क्रांन्तियां शामिल है। यह संख्या जरूरतों के अनुसार अल्प अथवा ज्यादा भी हो सकती है। उन्होंने आगे कहा कि सत्ता बदलाव हमारा उद्देश्य नहीं हैं परन्तु यह जरूरी व समय की मांग है कि जब हमारे प्रतिनिधी भ्रष्टाचार, असभ्यता तथा भाई-भतीजावाद के शिकार हो तो उन्हें सत्ता से हटा देना ही उचित है। इसके पश्चात् व्यक्ति तथा समाज में बदलाव हेतु कार्य करना होगा।
राजनीति स्तर पर बदलाव:-
जयप्रकाश नारायण ने राष्ट्र में राजनीतिक स्तर पर बदलाव लाने हेतु निम्नलिखित सुझाव दिए:
1) केन्द्र व राज्यों में लोकपाल जैसे स्वशासी संस्था की स्थापना हो जो सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार के मामलों में कार्यवाही कर सके। इस संस्था में अधिक से अधिक 05 सदस्यीय संस्था बनाने का सुझाव दिया।
2) चुनाव खर्चीले न हो तथा प्रशासन जनता के नजदीक हो ।
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