राष्ट्रीय आय प्रमुख शब्दावली | National Income Terminology in Hindi

राष्ट्रीय आय  प्रमुख शब्दावली

राष्ट्रीय आय  प्रमुख शब्दावली | National Income Terminology in Hindi


 

मूल्यह्रास:

  • उत्पादन के दौरान पूँजीगत वस्तुओं जैसे मशीनउपकरणटैक्टरफैक्ट्री इत्यादि का ह्रास होता  है। एक समय अवधि के बाद इन पूँजीगत वस्तुओं का प्रतिस्थापन आवश्यक हो जाता हैं इसलिए कुल उत्पादन में से एक हिस्सा घिसावट व्यय के लिए अलग रखना होता है। इसी को मूल्यह्रास कहते हैं जो सकल घरेलू या राष्ट्रीय आय में शामिल होता है। सकल में से मूल्यह्रास को घटा देने पर शुद्ध प्राप्त होता है।

 

चालू पुनः स्थापन लागत:- 

  • समस्त अर्थव्यवस्था के स्तर पर मूल्यह्रास को चालू पुनः स्थापन लागत कहते हैं।

 

निगम बचत: 

  • निगम लाभ का कुछ भाग अवितरित लाभ के रूप में फर्मों के पास रह जाता है जिसे निगम बचत कहते हैं।

 

निगम कर:- 

  • निगम लाभ के कुछ भाग पर सरकार द्वारा लगाया गया कर निगम कर कहलाता है।

 

आधार वर्ष:- 

  • आधार वर्ष तुलना का वर्ष होता है। जब विश्वास किया जाता है कि समष्टि चर (जैसे उत्पादन तथा सामान्य कीमत स्तर) उस वर्ष में सामान्य रहते हैं।

 

प्रविधि:- 

  • प्रविधि से अभिप्राय उत्पादन के साधनों के एक निश्चित सम्बन्ध से है जिससे उत्पादन के एक निश्चित स्तर को प्राप्त किया जा सकता है।

 

प्रौद्योगिकी:- 

  • प्रौद्योगिकी से अभिप्राय ऐसे वैज्ञानिक विकास से है जिससे आगत-निर्गत अनुपात (प्रविधि) में परिवर्तन आता है। जो आगत-निर्गत अनुपात को पहले से उत्तम कर देएक निश्चित आगत से हम पहले की अपेक्षा अधिक निर्गत प्राप्त करने लगे या दूसरे शब्दों में जो उत्पादन फलन में ही परिवर्तन ला देंप्रौद्योगिकी की विषय वस्तु होगी ।

 

पूँजी सीमान्त क्षमता:- 

  • पूँजी की सीमान्त क्षमता कटौती की वह दर है जो पूँजी परिसम्पत्ति से प्राप्त होने वाली कुल सीमान्त आय को इसकी पुनः स्थापन लागत (पूर्ति कीमत का अर्थ वर्तमान बदली लागत अथवा पुनः स्थापन लागत के बराबर कर देती है।) पूँजी की सीमान्त क्षमता का सम्बन्ध सीमान्त इकाई से उसके सम्पूर्ण जीवन काल में मिलने वाली प्राप्ति से है। सीमान्त क्षमता का सम्बन्ध केवल चालू वार्षिक लाभ से नहीं है अपितु प्रत्याशित आदि प्राप्तियों को निवेश प्रेरणा के आवश्यक तत्व के रूप में स्वीकार करना है। पूँजी की सीमान्त क्षमता को लागत के ऊपर प्राप्ति की दर भी कहा जाता है।

 

पूँजी की सीमान्त उत्पादकता:-

  • पूँजी की सीमान्त उत्पादकता से अभिप्राय पूँजी की एक अतिरिक्त इकाई के प्रयोग से अन्य साधन स्थिर रहने पर उत्पादन में होने वाली वृद्धि है।

 

मुद्रा बाजार:- 

  • मुद्रा बाजार मौद्रिक नीति के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए केन्द्रीय बैंक की मौद्रिक क्रियाकलापों की धूरी हैयहाँ अल्पकालीन स्वभाव की मौद्रिक सम्पत्तियों या प्रतिभूतियाँ जिनकी परिपक्वता एक रात्रि से वर्ष होती है में व्यवहार होता है ।

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