लोक प्रशासन की प्रकृति | Nature of Public Administration in Hindi

 लोक प्रशासन की प्रकृति
(Nature of Public Administration)
लोक प्रशासन की प्रकृति | Nature of Public Administration in Hindi


 

लोक प्रशासन की प्रकृति

  • किसी भी विषय की प्रकृति का सही अर्थ उसकी प्रमुख विशेषताओंलक्षणोंविषयगत स्वभाव सहित अवधारणात्मक व्याख्या से है जो उस विषय का सहज स्वरूप स्पष्ट कर सके।


  • लोक प्रशासन की प्रकृति का तात्पर्य है कि लोक प्रशासन के अन्तर्गत सम्मिलित क्रियाओं की प्रकृति क्या है। लोक प्रशासन की प्रकृति के सम्बन्ध में कोई सर्वमान्य विचार अभी तक नहीं उभर सका है तथा इसमें सम्मिलित क्रियाओं की प्रकृति कैसी हो इस बारे में भिन्न-भिन्न मत प्रकट किए गए हैं। 


लोक प्रशासन विज्ञान है या  कला वर्णन कीजिये ?

लोक प्रशासन की प्रकृति के सम्बन्ध में दो प्रमुख मान्यताएं 

लोक प्रशासन की प्रकृति के सम्बन्ध में दो प्रमुख मान्यताएं प्रचलित हैं जिनका वर्णन नीचे दिया गया है:

 

1. प्रबन्धकीय या एकीकृत दृष्टिकोणऔर 

2. विज्ञान या कला दृष्टिकोण |

 

लोक प्रशासन की प्रकृति- प्रबन्धकीय दृष्टिकोण

  • लोक प्रशासन की प्रकृति के प्रबन्धकीय दृष्टिकोण के समर्थकों का मानना है कि लोक प्रशासन की प्रकृति केवल उच्च स्तरीय प्रशासकीय निर्णय लेनेनीतियों एवं कानूनों के व्यावहारिक क्रियान्वयन को सुनिश्चित करवानेप्रशासनिक संगठन में नियंत्रण तथा व्यवस्था बनाए रखने तथा नियोजन एवं वित्तीय प्रबंधन से सम्बद्ध है अर्थात् संगठन में उत्तरदायी एवं उच्च पदों पर आसीन व्यक्ति तथा उनके कृत्य लोक प्रशासन की प्रकृति तथा क्षेत्र को स्पष्ट करते हैं। 


लूथर गुलिकसाइमनस्मिथबर्ग तथा थॉम्पसन ने लोक प्रशासन के प्रबन्धात्मक    दृष्टिकोण का समर्थन किया व लूथर गुलिक के अनुसार,

 "प्रशासन का दायित्व कार्य करवाना हैनिर्धारित उद्देश्यों को पूरा करवाना अर्थात् इसके अनुसार जो व्यक्ति नियम निर्माण प्रक्रिया (Decision making Process) तथा प्रबन्धकीय विभाग (Managerial Department) से जुड़े होंउन्हें ही प्रबन्धकीय दृष्टिकोण के अन्तर्गत रखा गया है।"

 

इसी प्रकार साइमन स्मिथबर्ग तथा थॉम्पसन ने अपनी पुस्तक Public Administration में लिखा है:


  • 'प्रशासनशब्द अपने संकुचित अर्थ में आचरण के उन आदर्शों को प्रगट करने के लिए प्रयोग किया जाता हैजो अनेक प्रकार के सहयोगी समूहों में समान रूप से पाये जाते हैं और जो न तो उस लक्ष्य विशेष पर ही आधारित हैं जिसकी प्राप्ति के लिए वे सहयोग कर रहे हैंऔर न उन विशेष औद्योगिक रीतियों पर ही अवलम्बित हैं जो उन लक्ष्यों के हेतु प्रयोग की जाती है।


लोक प्रशासन -एकीकृत दृष्टिकोण 

  • दूसरी ओर एकीकृत दृष्टिकोण के समर्थक यह मानते हैं कि लोक प्रशासन में केवल उच्च स्तरीय अधिकारीउनकी प्रबन्धकीय प्रणालियों तथा प्रबन्धन ही सम्मिलित नहीं है बल्कि संगठन में कार्यरत सभी कार्मिक (क्लर्कचपरासीसफाई कर्मचारी इत्यादि सहित) संयुक्त रूप से प्रशासन को संचालित करते हैं। 


  • अर्थात् प्रत्येक संगठन में लगे हुए बड़े से लेकर छोटे से छोटे पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों के कार्यों को प्रशासन का अभिन्न अंग माना जाएगा। दूसरे शब्दों मेंहम कह सकते हैं कि एकीकृत दृष्टिकोण के अनुसारलोक प्रशासन निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति हेतु सम्पादित की जाने वाली क्रियाओं का समग्र योग है। एकीकृत दृष्टिकोण के प्रमुख समर्थक फिफनरएफ० एम० मार्क्स और एल० डी० व्हाइट हैं ।


एल० डी० व्हाइट ने स्पष्ट रूप से लिखा है कि,

 "लोक प्रशासन उन सभी कृत्यों से मिलकर बना है जिनका प्रयोजन लोक नीति को पूरा करना या उसे लागू करना होता है।"

 

फिफनर ने इस व्यापक दृष्टिकोण को अपनाते हुए कहा है कि 

"लोक प्रशासन का अर्थ है सरकार का काम करनाफिर चाहे वह कार्य स्वास्थ्य प्रयोगशाला में एक्स-रे मशीन को संचालित करने का होअथवा टकसाल में सिक्के ढालने का। ..........प्रशासन से तात्पर्य है लोगों के प्रयत्नों में समन्वय स्थापित करके कार्य को सम्पन्न करना जिससे वे परस्पर मिलकर कार्य कर सके अथवा अपने निश्चित कार्य को पूरा कर सकें।"

 

  • लोक प्रशासन की प्रकृति के सम्बन्ध में यद्यपि उपरोक्त दोनों ही दृष्टिकोण त्रुटिपूर्ण हैं तथापि एकीकृत दृष्टिकोण अधिक तर्कसंगत प्रतीत होता है क्योंकि वास्तव में लोक प्रशासन की प्रकृति जन सेवा से अधिक सम्बद्ध है। इसके अलावा प्रबन्धकीय द ष्टिकोण लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन में भेद करने में भी असमर्थ है। 


  • प्रबन्धकीय गतिविधियाँ तो किसी भी संगठन में सहजता से दिखाई दे जाती है किन्तु लोक प्रशासन में सरकार द्वारा प्रदत्त विविध प्रकार की जन-कल्याणकारी सामाजिक सेवाएंनियोजित आर्थिक विकासशांति एवं व्यवस्थाराष्ट्र की सुरक्षाजन शिकायत निराकरण तथा मानवीय गरिमा की स्थापना इत्यादि सम्मिलित हैं जो मुख्यतः अधीनस्थ कार्मिकों द्वारा निष्पादित होती हैं। 


आधुनिक लोक कल्याणकारी राज्यों में औपचारिक आधार पर होने वाला लोक कल्याण ही लोक प्रशासन की प्रकृति है। 


लोक प्रशासन का विज्ञान या कला दृष्टिकोण

  • तथ्यों पर आधारित क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कहते हैं। विज्ञान का अर्थ है विशिष्ट या विशेष ज्ञान तथा यह मानव की बौद्धिक क्षमताओं का उत्कृष्ट प्रमाण है।


  • एल० एल० बनार्ड ने विज्ञान को छः प्रमुख प्रक्रियाओं के रूप में परिभाषित करते हुए कहा है कि-"परीक्षणसत्यापनपरिभाषावर्गीकरणसंगठन तथा उन्मुखीकरण जिसमें पूर्वानुमान एवं प्रयोग भी सम्मिलित हैंविज्ञान है।" इस प्रकार कहा जा सकता है कि वैज्ञानिक पद्धति से प्राप्त ज्ञानप्रामाणिक माना जाता है एवं तथ्यों के आधार पर सिद्ध किया जा सकता हैवह विज्ञान है।

 

  • लोक प्रशासन के क्षेत्र में विद्वानों का एक वर्ग लोक प्रशासन को एक विज्ञान मानता है। इस मत के प्रबल समर्थक विलोबीलूथर गुलिकलिन्डल उरवीकवुडरो विलसनचार्ल्स ए० बेयर्ड इत्यादि हैं। इन विद्वानों के अनुसार लोक प्रशासन के क्षेत्र कुछेक ऐसे सिद्धान्तों का विकास हो चुका है जो सार्वभौम्य हैंतथा सभी परिस्थितियों में लागू होने योग्य हैं। में उन सिद्धान्तों को लागू करके हम किसी भी प्रशासन से वांछित उद्देश्यों की प्राप्ति कर सकते हैं।


विलोबी के अनुसार,

"प्रशासन में भी विज्ञान के विशिष्ट लक्षणों के अनुरूप कुछ मूलभूत सिद्धान्त हैं।" इसी प्रकार चार्ल्स ए० बेयर्ड का मानना है कि "लोक प्रशासन में ऐसे नियमों और स्वयं सिद्ध सूत्रों का विकास हो गया है जिनके बारे में अनुभव के आधार पर यह पता चलता है कि उन्हें निश्चित व्यवहार में लागू किया जा सकता है और उनसे लगभग भविष्यवाणी भी की जा सकती है। "

 

शब्दकोष के अनुसार

"कलाज्ञान और अभ्यास के जरिए किसी कार्य को करने की दक्षता या मानवीय कार्यक्षमता है।" कला में सौन्दर्य तथा उपादेयता का बोध होता है। प्रशिक्षणअभ्यास तथा समुचित मार्गदर्शन से सभी कलाएं निखरती हैं। ग्लैडन के अनुसार, "कला मानव की योग्यता से सम्बन्धित ऐसा ज्ञान है जिसमें सिद्धान्त की अपेक्षा अभ्यास पर अत्यधिक बल दिया जाता है। "

 

विद्वानों के दूसरे वर्ग के अनुसार लोक प्रशासन एक कला है। ऑर्डवे रीड व ग्लैडन इस विचार के प्रबल समर्थक हैं। ऑर्डवे रीड के शब्दों में प्रशासन एक सुंदर कला है।" इन विचारकों का मानना है कि क्रियात्मक रूप में लोक प्रशासन एक कला है। और अकबरनैपोलियनसमुद्रगुप्तअशोक इत्यादि प्रशासकों ने यह सिद्ध कर दिया हैक्योंकि बिना किसी प्रशासनिक ज्ञान या प्रशिक्षण के ये सभी बहुत अच्छे प्रशासक सिद्ध हुए। इससे स्पष्ट हो जाता है कि लोक प्रशासन व्यक्तिगत गुण या नैसर्गिक प्रतिभा द्वारा प्रभावित होता है। इससे स्पष्ट होता है कि प्रशासन एक कला है।

 

निष्कर्ष रूप में हम कह सकते हैं कि लोक प्रशासन विज्ञान और कला दोनों ही है। सैद्धान्तिक तथा विषयक दृष्टि से यह विज्ञान के अधिक निकट है जबकि व्यावहारिक रूप में यह कला के गुण अपने में समाए हुए हैं।


विषय सूची-
 

लोक प्रशासन की अवधारणाः अर्थ

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