आदेश की एकता का सिद्धांत | लोक प्रशासन में आदेश की एकता |Principle of unity of command
लोक प्रशासन में आदेश की एकता
आदेश की एकता का सिद्धांत Principle of unity of command
➥ लोक प्रशासन की महत्वपूर्ण समस्याओं में से एक है सामूहिक साहयोग और समन्वय से काम करवाना, जिससे संगठन के सदस्य एक उद्देश्य के लिये, एक शक्ति से, एक स्वर से निरन्तर कार्य करें न कि एक-दूसरे के विरूद्ध कार्य निष्पादन में।
➥ इस सिद्धान्त के अनुसार आदेश में एकता होनी चाहिये। इसके लिये यह आवश्यक है कि प्रत्येक कर्मचारी को आदेश एक ही अधिकारी द्वारा दिये जाये। जिससे वह उसके प्रति जावबदेह रहे। इससे उनके मन में कोई आशंका नहीं होती, क्योंकि अनेक अधिकारियों द्वारा दिये गये आदेश एक-दूसरे के प्रतिकूल भी हो सकते हैं। इससे वह अपने उत्तर दायित्व का ठीक प्रकार से निर्वाह नहीं कर पाता, अनुशासन खतरे में पड़ जाता है। जिससे उपक्रम में शान्ति एवं स्थिरता का खतरा पैदा हो जाता है।
➥ आदेश की एकता से कर्मचारियों में कार्य के प्रति न हो भ्रान्तियाँ पैदा होती हैं, न ही गलतियाँ और न ही कार्यसम्पन्न करने में अनावश्यक विलम्ब होता है, जिससे वे सदैव आत्मविश्वास के साथ कार्य करते हैं। इस सिद्धान्त के अनुसार वह स्थिति बड़ी अवांछनीय होती है जब संगठन में किसी सदस्य को ऐसी स्थिति में रख दिया जाता है, जबकि उसे एक से अधिक उच्च अधिकारियों के आदेश प्राप्त होते हैं।
➥ एक महत्वपूर्ण तथा आवश्यक प्रश्न यह है कि क्या व्यवहार में संगठनों में आदेश की एकता को अपनाया जा सकता है। एक उदाहरण द्वारा इस प्रश्न पर विचार करें- मुख्य सचिव प्रदेश स्तर पर कृषि, पशुपालन, सहकारिता, कानून-व्यवस्था, शिक्षा, चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाओं जैसे सभी विभागों और कार्य-कलापों का प्रमुख होता है। इस प्रकार अगर देखा जाये तो प्रदेश के सभी विभागों के कर्मचरियों को सीधे उसी से आदेश लेने चाहिये, लेकिन व्यवहार में वे अपने प्रमुख सचिवों और विभागीय प्रमुखों दोनों से आदेश लेते हैं। विभागीय प्रमुख सचिव तथा मंत्री महोदय दोनों से आदेश लेते हैं। इस तरह, आधुनिक संगठनों की एकता लागू कर पाना मुश्किल होता है इस तरह समावेश की एकता में महत्व एकता का है न कि समावेश का।
➥ एकता का मतलब संगठन के काम में एकरूपता से है। आदेश में एकता का क्षेत्र अधिकारियों या सामान्य प्रशासकों और तकनीकी अधिकारियों द्वारा कर्मचारियों को आदेश दिये जाने से है, जब तक समावेश संगठन के उद्देश्य की एकरूपता के अनुकूल होते है। यह बात महत्वपूर्ण नहीं रहती कि कौन-कौन अधिकारी क्या आदेश दे रहे हैं?
आदेश की एकता का सिद्धांत की विशेषताएँ
उपरोक्त विवेचन से इस सिद्धान्त की निम्नलिखित विशेषताओं का अध्ययन किया जा सकता है। इसे क्रमबद्ध कर समझने का प्रयास करें
- आदेश की एकता से सत्ता या संगठन से सम्बद्ध सूत्रों का स्पष्टीकरण होता है।
- आदेश की एकता से कार्य व आदेश के उत्तर दायित्व का निर्धारण होता है।
- आदेश की एकता से इन बात की भी सम्भावना हो जाती है कि अनेक विरोधी आदेशे का लाभ उठाकर कर्मचारी व अधिकारियों के बीच मनमुटाव पैदा करा सकते हैं।
- निर्देशों में परस्पर विरोध का अभाव दृष्टिगत हो सकता है।
- कर्मचरियों का प्रभावपूर्ण निरीक्षण, पर्यवेक्षण व नियंत्रण सम्भव होता है।
- विभिन्न कार्यों के लिये उत्तर दायित्व का स्पष्ट निर्धारण किया जाता है, जिससे कार्य निस्पादन गुण से युक्त होता है।
वस्तुतः : आदेश की एकता कार्मचारियों को उद्देश्य के प्रति सजग, समर्पित और कार्य कुशल बनाती है।
संगठन के सिद्धान्त
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