संगठन के सिद्धांत लोक प्रशासन |Principles of Organization Public Administration
संगठन के सिद्धांत लोक प्रशासनPrinciples of Organization Public Administration
संगठन की सफलता अथवा असफलता इसके द्वारा प्राप्त परिणामों से ही ज्ञात की जा सकती है। संगठन की सफलता के लिए आवश्यक है कि इसकी रचना कुछ सिद्धान्तों के आधार पर की जाये जो संगठन के अभीष्ट उद्देश्यों की प्राप्ति में पूर्णत: सक्षम हो संगठन को कुशल व सुदृढ़ बनाने हेतु विभिन्न विद्वानों ने संगठन के सिद्धान्त प्रतिपादित किये हैं।
संगठन के सिद्धान्त Principles of organization
उत्तरदायित्व, समन्वय, उद्देश्य, विशिष्टीकरण, पदसोपान, अनुरूपता, व्याख्या, विस्तार, नियंत्रण एक सुदृढ़ संगठन में उपरोक्त सभी महत्वपूर्ण सिद्धान्तों का पालन किया जाना उपक्रम के अन्तिम उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायक माना जाता है।
एक प्रभावी संगठन निम्नलिखित प्रकार से एक प्रशासन की सफलता में अपनी भूमिका का निर्वहन करता है
1. संगठन ऐसा ढाँचा प्रदान करता है, जिससे प्रशासन अपने प्राथमिक व द्वितीयक कार्य प्रभावपूर्ण ढंग से करने में समर्थ होता है। विभिन्न कार्यों को संघिटत करके एक कार्यप्रणाली का रूप दिया जाता है। यह कार्य अधिकारियों व उनके अधीनस्थ कर्मचारियों के बीच सुनिश्चित संबंधों के द्वारा, अधिकार प्रत्योजन के द्वारा प्रशासन के कार्मिकों की जिम्मेदारी निश्चित करके किया जाता है।
2. यह प्रशासन से सम्बन्धित कर्मचारियों को पहल करने और रचनात्मक कार्यों के लिये प्रेरित करता है।
3. यह मानवीय संसाधनों, नियमों और उत्तर दायित्वों का अनुकूलतम उपयोग एवं समन्वय सुनिश्चित करता है।
4. यह प्रशासन के कार्यों में प्रगति के अवसर को स्थायित्व प्रदान करता है।
5. उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु संगठन को अति सुविधाजनक बनाया जाता है। इसके लिए उपक्रम के कार्यों का समूहीकरण इस प्रकार किया जाता है जिससे क्रिया, परामर्श तथा समन्वय तीनों सुव्यवस्थित तथा क्रमबद्ध तरीके से सम्पन्न हो सके।
6. संगठन की योजना में कर्तव्यों, उत्तर दायित्वों तथा सम्बन्धों की स्पष्ट व्याख्या होनी चाहिए।
7. एक प्रभावी संगठन में दिया जाने वाला नेतृत्व परम्परागत और प्रभावहीन न होकर गत्यात्मक और प्रभावशाली होना चाहिए।
8. एक आदर्श संगठन के विभिन्न विभागों के बीच प्रभावी संतुलन बनाये रखा जाना चाहिए।
संगठन और प्रशासन में क्या अन्तर है?
- बिना संगठन के प्रशासन निराधार, निरंकुश हो जाता है तथा इसके अभाव में किसी प्रकार का कार्य सम्भव नहीं हो सकता है। संगठन और प्रशासन के मध्य अन्तर को स्पष्ट करते हुए कहा जा सकता है कि जहाँ निश्चित एवं निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु संगठित क्रियाओं का योग प्रशासन है, वहीं व्यक्ति समूह, क्रियाओं आदि की नियोजित व्यवस्था संगठन है।
- दूसरी ओर, प्रशासन को निश्चित एवं निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु माध्यम कहा जा सकता है। जबकि संगठन को प्रशासनिक माध्यम का आधार कहा जा सकता है। इस प्रकार संगठन और प्रशासन को सम्बद्ध तो माना जा सकता है, पर यह कहना उचित होगा कि दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
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