लोक प्रशासन का क्षेत्र |Scope of Public Administration
लोक प्रशासन का क्षेत्र Scope of Public Administration
लोक प्रशासन का क्षेत्र
- एक अध्ययन विषय के क्षेत्र का अभिप्राय है कि उस विषय के अधिकार क्षेत्र में कौन-कौन से कार्य या क्रियाएं सम्मिलित की जाती हैं। मोटे तौर पर हम कह सकते हैं कि लोक प्रशासन का क्षेत्र राज्य तथा सरकार के क्षेत्र के समरूप है किन्तु यदि हम सूक्ष्म रूप से विचार करें तो इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि लोक प्रशासन का क्षेत्र अभी पूर्णतया स्पष्ट नहीं हो पाया है क्योंकि कुछ मूलभूत प्रश्नों का सर्वमान्य हल खोजा जा रहा है।
लोक प्रशासन का क्षेत्र से संबन्धित दृष्टिकोण
1. संकुचित दृष्टिकोण
2. व्यापक दृष्टिकोण
3. पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण (Posd Corb View )
4. पाठ्य विषयवस्तु सम्बन्धी दृष्टिकोण
5. लोक नीति सम्बन्धी दृष्टिकोण
6. मनोसामाजिक दृष्टिकोण
7. लोक एवं निजी प्रशासन द्विविभाजन दृष्टिकोण
उपरोक्त सभी दृष्टिकोण का विस्तृत वर्णन नीचे दिया गया है:
लोक प्रशासन के क्षेत्र का संकुचित दृष्टिकोण
- संकुचित विचार (Narrow view ) के मानने वालों के अनुसार लोक प्रशासन का सम्बन्ध शासन की केवल कार्यपालिका शाखा (Executive Branch) से है। साइमन ने कहा है कि लोक प्रशासन से अभिप्राय उन क्रियाओं से है जो केन्द्र, राज्य तथा स्थानीय सरकारों की कार्यपालिका शाखाओं द्वारा सम्पादित की जाती हैं। लूथर गुलिक द्वारा प्रस्तुत "पोस्डकॉर्ब" विचार को भी इसी संकुचित दायरे में रखा जा सकता है।
लोक प्रशासन के क्षेत्र का व्यापक दृष्टिकोण
- व्यापक दृष्टिकोण के समर्थक यह मानते हैं कि लोक प्रशासन के अन्तर्गत सरकार के तीनों अंगों-व्यवस्थापिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका द्वारा सम्पादित कार्य शामिल हैं। इनके अनुसार लोक प्रशासन के क्षेत्र में वे सभी क्रियाकलाप सम्मिलित हैं जिनका प्रयोजन लोक-नीति को पूरा करना या उसे क्रियान्वित करना होता है। विलोबी, मार्क्स और एल० डी० हाइट इस विचार के समर्थक हैं। मार्क्स के शब्दों में, "अपने व्यापकतम क्षेत्र में लोक प्रशासन के अन्तर्गत सार्वजनिक नीति से सम्बन्धित समस्त क्रियाएँ आती हैं।"
लोक प्रशासन के क्षेत्र का पोस्डकोर्ब (POSDCORB ) दृष्टिकोण
लोक प्रशासन के कार्य क्षेत्र के सम्बन्ध में POSDCORB विचार लूथर गुलिक (Luther Gullick) की देन है। "POSDCORB" शब्द अंग्रेजी के सात शब्दों के प्रथम अक्षरों को मिलाकर बनाया गया है। ये शब्द निम्न प्रकार हैं:
POSDCORB Full Form
P-Planning -योजना बनाना
O-Organising -संगठन बनाना
S- Staffing -कर्मचारियों की व्यवस्था करना
D - Directing - निर्देशन प्रदान करना
CO-Co-coordinating-समन्वय करना
R - Reporting -प्रतिवेदन देना
B-Budgeting-
इन शब्दों का कुछ विस्तृत अध्ययन आवश्यक है, क्योंकि POSDCORB द्वारा निष्पादित कार्य मोटे तौर पर मुख्य कार्यपालिका द्वारा निष्पादित कार्य से काफी मिलता-जुलता है।
1. योजना बनाना (Planning):
बिना योजना के लक्ष्य प्राप्त करना कठिन हो जाता है। इच्छित कार्यों की रूपरेखा तैयार करना और निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति के लिए रीतियों एवं नीतियों का निर्धारण इसके अन्तर्गत किया जाता है।
2- संगठन बनाना (Organising):
- प्रशासकीय ढाँचे को इस प्रकार संगठित किया जाय कि कार्यों का विभाजन उचित ढंग से हो सके। प्रशासकीय चार्ट, संगठन के सिद्धान्त एवं कार्यों का बँटवारा इन तीनों के बीच सन्तुलन बनाये रखना संगठन का एक प्रमुख कार्य है।
3. कर्मचारियों की व्यवस्था करना (Staffing):
- कर्मचारियों के माध्यम से ही लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है। कर्मचारियों की भर्ती, चयन प्रशिक्षण, पदोन्नति एवं कार्य करने की अनुकूल दशाओं का निर्माण करना इसके अन्तर्गत शामिल है।
4- निर्देशन प्रदान करना (Directing ):
लोक प्रशासन का कार्य प्रशासन सम्बन्धी कार्यों का विश्लेषण करके निर्णय लेना और निर्णय के अनुसार कर्मचारियों को निर्देश देना है। उचित निर्देशन के अभाव में प्रशासन अपने लक्ष्यों से भटक जायेगा।
5- समन्वय स्थापित करना (Co-ordinating ):
- प्रशासकीय कार्यों के सम्पादन में समन्वय एक आवश्यक तत्व है। कार्यों का विभाजन कर उचित कार्य उचित व्यक्ति को देना और उसमें तालमेल बैठाना या समन्वय करना एक बहुत बड़ी समस्या है। समन्वय के द्वारा कार्यों के दोहराव को भी रोका जाता है।
6. प्रतिवेदन देना (Reporting):
- इसका अर्थ है प्रशासकीय कार्यों की प्रगति से सम्बन्धित सूचनाएँ उन लोगों को प्रदान करना जिनके प्रति संगठन उत्तरदायी है। प्रशासन की उपलब्धियों, कमियों तथा समस्याओं के निरीक्षण के सम्बन्ध में प्रतिवेदन देकर ही हम प्रशासन को उत्तरदायी बना सकते हैं।
7. बजट तैयार करना (Budgeting):
- प्रशासन के लिए वित्त ही प्राण है। बिना समुचित वित्त की व्यवस्था के लोक प्रशासन शिथिल हो जायेगा। आय-व्यय का लेखा-जोखा तैयार करना, वित्तीय योजनाओं का निर्माण करना, करारोपण, व्यय करना और अंकेक्षण के माध्यम से नियन्त्रण रखना इसके अन्तर्गत शामिल हैं।
- POSDCORB की उपर्युक्त क्रियाएँ लोक प्रशासन के सभी संगठनों में पायी जाती हैं। प्रशासन के किसी भी क्षेत्र में ये प्रशासनिक क्रियाएँ समान रूप से काम में आती हैं। ये प्रबन्ध सम्बन्धी सामान्य समस्याएँ हैं जो प्रत्येक अभिकरण में पायी जाती हैं। अतः यह कहना उपयुक्त होगा कि मोटे रूप से लोक प्रशासन के कार्यक्षेत्र को ही POSDCORD के सूत्र में पिरोया गया है।
लोक प्रशासन के क्षेत्र के पोस्डकार्ब दृष्टिकोण की आलोचना
यद्यपि पोस्डकार्ब दृष्टिकोण लोक प्रशासन के क्षेत्र को समझने में काफी सहायक है किन्तु यह द दृष्टिकोण अधूरा है और इसी कारण अनेक विद्वानों ने इसकी कटु आलोचना की है। इन आलोचकों में लेविस मेरियम प्रमुख है। मेरियम ने इस दृष्टिकोण की आलोचना अपनी पुस्तक 'Public Service and Special Training' में की है। मेरियम के अनुसारः
- यह सिद्धान्त अत्यन्त स्वेच्छाचारी, काल्पनिक एवं संकुचित है जिसमें प्रशासन के वास्तविक तत्वों को कोई स्थान नहीं दिया गया है। इस सूत्र में पाठ्य-विषय के ज्ञान (Knowledge of Subject-matter) के तत्व को गौण रखा है।
- लेविस मेरियम ने इसे और अधिक स्पष्ट करते हुए लिखा है- "कैंची के दो फलकों के समान लोक प्रशासन दो फलकों वाला औजार है। उस औजार का एक फलक है "पोस्डकॉर्ब" के अन्तर्गत आने वाले क्षेत्रों का ज्ञान और दूसरा फलक है उस पाठ्य-विषय का ज्ञान, जिसमें ये तकनीक लागू की जाती है। उस औजार को असरदार बनाने के लिए यह जरूरी है कि उसके दोनों ही फलक ठीक हों।”
- लूथर गुलिक का पोस्टकोर्ब अपने विचार को तकनीकों तक सीमित कर और विषय ज्ञान की उपेक्षा कर स्वयं को अधूरा बना देता है। किसी भी अभिकरण के प्रभावपूर्ण, तर्कसंगत और बुद्धिमतापूर्ण प्रशासन के लिए विषय-वस्तु सम्बन्धी गहन ज्ञान आवश्यक है।
- लूथर गुलिक के "पोस्डकॉर्ब" विचार पर एक बड़ा आक्षेप यह भी है कि इसमें मानवीय तत्वों की उपेक्षा की गई है। लोक प्रशासन के अन्तर्गत कार्यरत व्यक्तियों की मनोदशाओं, उनकी आदतों, स्वास्थ्य, उनके पारस्परिक सम्बन्धों तथा महत्त्वाकांक्षाओं इत्यादि का भी प्रभाव उत्पादन तथा संगठन पर पड़ता है।
- "पोस्डकॉर्ब" विचारधारा में मानवीय सम्बन्धों (Human Relations) को कोई स्थान नहीं दिया गया है।
- हॉथोर्न (Hothorn) प्रयोगकर्ता जो प्रशासन के क्षेत्र में मानवीय सम्बन्धों के द ष्टिकोण के समर्थक हैं, वे भी इस सिद्धान्त के कट्टर विरोधी हैं। हॉथोर्न प्रयोगों के द्वारा यह सिद्ध किया गया है कि मानवीय सम्बन्धों और उत्पादनकर्त्ता के कार्य करने की दशाओं पर भी उत्पादन निर्भर करता है।
- लूथर गुलिक के पोस्डकॉर्ब विचार की आलोचनाओं को ध्यान में रखते हुए कई विचारकों ने लोक प्रशासन के पाठ्य-विषय वस्तु सम्बन्धी क्षेत्र का वर्णन किया है। इनमें हारवे वाकर (Harvey Walker) व फेयोल (Henry Fayal) प्रमुख हैं।
वाकर ने विषय-वस्तु सम्बन्धी ज्ञान को प्रायोगिक लोक प्रशासन का नाम दिया है और इसे 10 भागों में बाँटा है-राजनैतिक, वैधानिक, वित्तीय, प्रतिरक्षा, शैक्षिक, सामाजिक, आर्थिक, विदेशी साम्राज्य सम्बन्धी तथा स्थानीय प्रशासन इन कार्यों के अन्तर्गत आने वाली प्रमुख क्रियाएं निम्नलिखित हैं:
1. प्रशासन के राजनीतिक कार्यों में आते हैं कार्यकारिणी-विधानमण्डल सम्बन्ध, मन्त्रिमण्डल या मन्त्रिपरिषद की राजनीतिक प्रशासनिक क्रियाएँ, मन्त्री तथा स्थायी अधिकारियों के सम्बन्ध ।
2. प्रशासन के वैधानिक कार्यों में सम्मिलित है प्रत्यायुक्त विधायन (Delegated Legislation) तथा विधान-मण्डल में विधेयक को पेश करने तथा पारित करने सम्बन्धी प्रारम्भिक कार्य जो प्रशासनिक अधिकारियों एवं विभागों द्वारा किये जाते हैं।
3.वित्तीय कार्यों में बजट को तैयार करने से लेकर उसको लागू करना, लेखाविधि, अंकेक्षण, खजाने का प्रबन्ध आदि समूचा वित्तीय प्रशासन सम्मिलित है।
4. प्रतिरक्षा कार्य के अन्तर्गत सैनिकों से सम्बन्धित कार्य आता है।
5. शैक्षिक कार्य में अपने विशाल अर्थ में शैक्षिक प्रशासन आता है।
6. सामाजिक प्रशासन में खाद्य, भवन निर्माण, सामाजिक सुरक्षा, रोजगार आदि से सम्बन्धित विभागों की क्रियाएँ सम्मिलित हैं।
7. आर्थिक प्रशासन का सम्बन्ध एक सम द्ध तथा स्थिर अर्थव्यवस्था की स्थापना से है। जैसे कृषि और उद्योगों की सुरक्षा तथा विकास, विदेशी व्यापार तथा वाणिज्य को प्रोत्साहन देना, उपभोक्ता के हित में उद्योगों का नियमन आदि।
8. विदेशी प्रशासन में हैं विदेशी मामलों का प्रबन्ध, कूटनीति अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग, विभिन्न प्रकार के अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों या अभिकरणों का प्रशासन आदि ।
9. साम्राज्य प्रशासन में वे समस्याएँ तथा तकनीकें आती हैं जो एक राष्ट्र के द्वारा दूसरे लोगों अथवा राष्ट्र पर शासन करने से उत्पन्न होती हैं।
- 10. स्थानीय प्रशासन का सम्बन्ध स्थानीय सरकारों की क्रियाओं से होता है। यद्यपि वाकर द्वारा लोक प्रशासन का पाठ्य वस्तु सम्बन्धी वर्गीकरण हमें लोक प्रशासन के क्षेत्र को समझने में काफी सहायता करता है किन्तु फिर भी यह एक ओर सम्पूर्ण नहीं है दूसरी ओर अतिराव या दोहराव से ग्रस्त है। फयोल ने पाठ्य वस्तु सम्बन्धी ज्ञान को केवल छः भागों में बाँटा है जो कि निम्नांकित हैं: तकनीकी, व्यावसायिक, सुरक्षा, लेखा, वित्तीय और प्रशासकीय । किन्तु पाठ्य वस्तु सम्बन्धी यह विभाजन भी अपूर्ण है। क्योंकि इसमें कई महत्त्वपूर्ण विषय, जिनका लोक प्रशासन निर्वाह करता है, छोड़ दिए गये हैं। उदाहरणार्थ, विदेश, सामाजिक सुरक्षा, लोक नीति इत्यादि ।
- संक्षेप में हम कह सकते हैं कि लोक प्रशासन के अन्तर्गत निम्नलिखित प्रमुख विषय सम्मिलित किए जाते हैं-संगठन, लक्ष्य, नीति, नियोजन, निर्णय, सेवीवर्ग प्रशासन, बजट व वित्त, समन्वय, पर्यवेक्षण, नियन्त्रण, लोक सम्बन्धी, मानवीय सम्बन्धी ग ह नीति, विदेश नीति, सामाजिक सुरक्षा, लोक कल्याणकारी योजनाएं एवं उनका कार्यान्वयन, संचार व्यवस्था आदि ।
लोक प्रशासन का क्षेत्र का लोक नीति सम्बन्धी दृष्टिकोण
- यद्यपि व्हाईट द्वारा दी गई परिभाषा के अन्तर्गत लोक प्रशासन, लोक नीतियों (Public Policies) के क्रियान्वयन से सम्बन्धित माना जाता रहा है, किन्तु विगत कुछ दशकों से यह कहा जा रहा है कि लोक प्रशासन केवल सरकारी नीतियों के व्यावहारिक क्रियान्वयन के लिए ही उत्तरदायी नहीं है बल्कि नीति के निर्माण में भी इसकी अहम भूमिका है।
- सामान्यतः यही माना जाता है कि लोक नीति का निर्माण सर्वोच्च राजनीतिक कार्यपालिका तथा विधायिका करती है तथा लोक प्रशासन के अधिकारी एवं संस्थाएँ राजनीतिज्ञों द्वारा निर्मित लोक नीति को लागू करते हैं।
- किन्तु लोक प्रशासन की नीति विज्ञान मानने वाले यह तर्क देते हैं कि वर्तमान परिस्थितियों में लोक नीति वैसी ही निर्मित होती है जैसा कि प्रारूप प्रशासनिक अधिकारी तैयार करके देते हैं या तथ्य तथा आँकड़े उपलब्ध करवाकर अपनी भूमिका निभाते हैं।
- दूसरा तर्क यह दिया जा रहा है कि लोक नीति तो एक स्थूल विचार है जबकि इस नीति का क्रियान्वयन वास्तव में वैसा ही होता है जैसे कि कार्यक्रम तथा योजनाएँ प्रशासन बनाता है।
- लोक प्रशासन में भी अधिकांश स्तरों पर नीतियाँ तैयार होती हैं। वैसे भी नीति विज्ञानी यह मानते हैं कि राजनीति विज्ञान तथा लोक प्रशासन का क्षेत्र मिलता-जुलता है इनके मध्य दूरी या विभाजक रेखा खींचना हितकर नहीं है। येझिकल ड्रोर तथा मर्सन इसी दृष्टिकोण के समर्थक हैं।
लोक प्रशासन के क्षेत्र मनो सामाजिक दृष्टिकोण
- फ्रेड रिग्ज, फैरेल हैडी एवं स्टॉक्स तथा रॉबर्ट डहाल इत्यादि प्रगतिशील विद्वान् यह मानते हैं कि लोक प्रशासन निर्वात (शून्य) में कार्य नहीं करता है बल्कि यह तो सम्पूर्ण मानव समाज का अनिवार्य अंग है, अतः लोक प्रशासन का क्षेत्र केवल कुछ प्रबंधकीय तकनीकें नहीं बल्कि मानव समाज की सभ्यता, संस्कृति, मूल्य, परिस्थितियाँ, अर्थव्यवस्था तथा मानव व्यवहार इत्यादि भी इसके अध्ययन क्षेत्र में सम्मिलित हैं।
- तुलनात्मक लोक प्रशासन तथा सिद्धान्त निर्माण को एक-दूसरे का पर्याय मानने का कारण यही है कि ऐसा लोक प्रशासन को एक सैद्धान्तिक विषय के रूप में स्थापित करने के लिए यह नितांत आवश्यक है। रॉबर्ट डहाल का मानना है- "जब तक लोक प्रशासन का अध्ययन तुलनात्मक नहीं बनाया जाता, तब तक लोक प्रशासन को विज्ञान मानने का दावा खोखला ही बना रहेगा।" इस प्रकार यह द ष्टिकोण, पारिस्थितिकीय उपागम का समर्थक है जो न केवल सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक तथा सांस्कृतिक कारकों से लोक प्रशासन के अध्ययनों में सम्मिलित करता है बल्कि अन्य सामाजिक विज्ञानों के साथ अन्तरविषयी दृष्टिकोण पर भी बल प्रदान करता है। वास्तव में, लोक प्रशासन के क्षेत्र में सभी सामाजिक विज्ञानों का क्षेत्र तो सम्मिलित नहीं किया जा सकता है बल्कि लोक प्रशासन के अध्ययनों में कुछ सामाजिक पक्षों को समाहित करना एक सीमा तक अनिवार्य-सा है।
लोक प्रशासन एवं निजी प्रशासन द्विविभाजन दृष्टिकोण
- लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन में कुछ आधारभूत समानताएँ भी हैं तो कुछ स्पष्ट अंतर भी हैं। हेनरी फेयोल, मेरी पारकर फॉलेट तथा उरविक लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन में भेद (पार्थक्य) नहीं स्वीकारते हैं।
- फेयोल के अनुसार प्रशासन का जो अर्थ मैंने बताया है, वह प्रशासनिक विज्ञान के क्षेत्र को बहुत विस्तृ बना देता है।" अर्थात् लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन की कार्यप्रणाली, नियम तथा क्षेत्र एक समान हैं लेकिन बरसों से यह माना जाता रहा है कि लाभ, उद्देश्य, व्यापकता, दायित्व तथा लोकहित के आधारों पर लोक एवं निजी प्रशासन में व्यापक अंतर विद्यमान है। निस्संदेह एक बनिए की दुकान तथा सरकारी कार्यालय एक समान नहीं हो सकते हैं लेकिन लोक उपक्रमों के माध्यम से सरकार ने भी उन्हीं क्रियाओं को अपना लिया है जो एक निजी कम्पनी अपनाती है।
- दूसरी ओर, किसी भी देश की अर्थव्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा तथा सामाजिक विकास के दायित्व सरकार उठाती है, अतः सरकार कुछ कानून तथा नीतियों को इस प्रकार की बना देती है कि वे सरकारी संगठनों तथा निजी संगठनों पर एक समान लागू होती हैं। बढ़ते वैश्वीकरण, निजीकरण, उदारीकरण तथा सूचना प्रौद्योगिकी क्रान्ति ने लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन के अन्तर को कम किया है। लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन के इसी द्विविभाजन ने इसके क्षेत्र का रेखांकन अस्पष्ट बनाया हुआ है।
निष्कर्षः
- लोक प्रशासन एक बहुत अधिक अर्न्तविषयी (interdisciplinary) विषय है जो कि न केवल अन्य सामाजिक विज्ञानों से ज्ञान अर्जित कर अपने अन्दर समेट रहा है बल्कि यह अपने सिद्धान्तों की व्याख्या करने के लिए भौतिक तथा प्राकृतिक विज्ञानों का सहारा भी ले रहा है।
- इसके साथ ही यह गत्यात्मक एवं विकासशील (Dynamic and Growing) विषय है। इन सभी कारणों से इस विषय के क्षेत्र को सही-सही निर्धारित कर पाना काफी कठिन हो गया है। किन्तु हमें यह आशा एवं पूर्ण विश्वास है कि अस्तित्व के संकट से गुजर रहे लोक प्रशासन को शीघ्र ही स्पष्ट क्षेत्र तथा सिद्धान्तों का सहारा मिलेगा क्योंकि लोक प्रशासन के तुलनात्मक अध्ययन इस विषय को सबल प्रदान करेंगे और निर्णायक सिद्ध होंगे।
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