पूर्वाग्रह का परिस्थितिजन्य उपागम | Situational approach for Prejudice
पूर्वाग्रह एवं परिस्थितिजन्य उपागम (Situational approach)
फैल्डमैन का परिस्थितिजन्य उपागम
- परिस्थितजन्य उपागम में पूर्वाग्रह के उन कारणों पर बल डाला जाता है, जो व्यक्ति के तात्कालिक वातावरण से सम्बन्धित होते हैं।
- फैल्डमैन के शब्दों में “पूर्वाग्रह के स्थितिक उपागम के तरीकों पर बल डालता है। जिसमें व्यक्ति के तात्कालिक वातावरण पूर्वाग्रह मनोवृत्ति पैदा करते
परिस्थितिजन्य उपागम के कारक
फैल्डमैन (Feldman 1985), फिशर (fisher 1982 ) तथा मैयर्स (Myers 1988) ने परिस्थितिजन्य उपागम में निम्नलिखित तीन कारकों को महत्वपूर्ण बतलाया है।
(i) जनसांख्यिकीय विशेषताएँ-
- मेकोविच ने गोरे अमेरिकन में नीग्रो के प्रति नकारात्मक मनोवृत्ति के अध्ययन से तीन जनसांख्यिकीय विशेषताओं को अधिक महत्वपूर्ण पाया है। वे तीन विशेषताएँ हैं- भौगोलिक क्षेत्र, शैक्षिक स्तर तथा उम्र इनके अध्ययन के अनुसार अमेरिका के उत्तरी क्षेत्र के लोगों की उपेक्षा दक्षिण क्षेत्र के लोगों में नीग्रो के प्रति अधिक पूर्वाग्रह पाया गया। उसी तरह से अधिक पढ़े-लिखे व्यक्तियों की अपेक्षा कम पढ़े-लिखे व्यक्तियों में तथा कम उम्र के व्यक्तियों में नीग्रो के प्रति पूर्वाग्रह अधिक पाया गया। पूर्वाग्रह के विकास एवं सम्पोषण में अन्तिम दो तरह की जनसांख्यिकीय विशेषताओं के महत्व को सिन्हा एवं सिन्हा (Sinha & sinha 1975) ने भी अपने अध्ययन में दर्शाया है।
(ii) सामाजिक अधिगम (Social learning)
प्रत्येक बच्चा समाजीकरण के दौरान अपने माता-पिता, भाई बहनों एवं पड़ोसियों से दूसरे व्यक्तियों या समूहों के प्रति उपयुक्त व्यवहार करना, उन पर विश्वास आदि सीखता है। समाजीकरण के इन माध्यमों से उन्हें जैसी शिक्षा-दीक्षा मिलती है, उनमें वैसी ही मनोवृत्ति विकसित होती है। यही कारण है कि यदि पिता किसी जाति या वर्ग के प्रति पूर्वाग्रही होते हैं तो उनकी संतान में भी उसी ढंग का पूर्वाग्रह विकसित हो जाता है या होने की सम्भावना काफी अधिक होती है बच्चे अपने माता-पिता के पूर्वाग्रह को चार तरीकों से अपना सकते हैं।
- पहला, माता-पिता, अन्य व्यवहार सिखलाने के समान अपने बच्चों को सीधे किसी व्यक्ति या वर्ग के प्रति एक खास पूर्वाग्रह विकसित करने की राय दे सकते हैं।
- दूसरा माता-पिता अपने बच्चों के अन्तर समूह क्रियाओं पर नियंत्रण करके जैसे खास खास बच्चों के समूह के साथ खेलने देने की नहीं अनुमति देकर पूर्वाग्रह सिखला सकते हैं।
- तीसरा माता-पिता अन्य लोगों के साथ मिलने-जुलने का एक खास ढंग अपनाकर भी बच्चों में पूर्वाग्रह विकसित कर सकते हैं ।
- चौथा माता-पिता एक खास ढंग से बच्चों के पालन पोषण अभ्यास जैसे उदार तरीका (permissive practice) या सख्त तरीका अपनाकर भी बच्चों में पूर्वाग्रह विकसित कर सकते हैं।
कुछ अध्ययनों में यह भी पाया जाता है कि बच्चे माता-पिता की पूर्वाग्रही मनोवृत्ति को काफी कम उम्र में ही सीख लेते हैं। जैसे काज (Katz 1976) के अनुसार तीन या चार साल की उम्र में गोरे बच्चे नीग्रो के प्रति अपने माता-पिता की पूर्वाग्रही मनोवृत्ति को सीखकर उसके प्रति विभेद करना प्रारम्भ कर देते हैं।
(ii) नौकरी में प्रतियोगिता (job competition) -
- आधुनिक युग में नौकरी, चाहे सरकारी क्षेत्र में हो या गैर सरकारी क्षेत्र में, जीविका का एक प्रमुख माध्यम है। अधिकतर व्यक्ति ऊँची-से-ऊँची एवं प्रतिष्ठित नौकरी प्राप्त करने के लिए हर तरह के सम्भव प्रयास करता है। इसके लिए स्वभावत: अच्छे साधनों की भी जरूरत होती है। हमारे देश में उच्च जातियों या लाभान्वित समूह के पास अच्छे साधन जैसे बच्चों को शिक्षा देने के लिए रुपया-पैसा एवं अच्छे शिक्षकों की सुविधा आदि निम्न जातियों या अलाभान्वित (disadvantaged) समूह के लोगों की तुलना में अधिक प्राप्त है। स्वभावतः लाभान्वित समूह के ही अधिकतर व्यक्ति सरकारी या गैर सरकारी नौकरी के लिए हुई प्रतियोगिता परीक्षा में सफल होते हैं। ऐसी स्थिति में सरकार ने आरक्षण की नीति अपनाकर अलाभान्वित समूह के लोगों के लिए नौकरी में कुछ स्थान सुरक्षित कर दिया है। ऐसी परिस्थिति में लाभान्वित समूह के सदस्य ऐसा अनुभव करते हैं कि उनका हक छीनकर अलाभान्वित समूह के लोगों को दिया जा रहा है। फलस्वरूप, लाभान्वित समूह के लोग अलाभान्वित समूह के लोगों के प्रति अधिक पूर्वाग्रही (prejudiced) होते जा रहे हैं।
- भारतवर्ष में जिन-जिन राज्य सरकारों ने आरक्षण नीति का क्रियान्वयन किया है उन्हें लाभान्वित समूह के सदस्यों द्वारा कटु आलोचनाएं भी सहनी पड़ी है। जो अपने आप में अलाभान्वित समूह के सदस्यों के प्रति पूर्वाग्रह की एक महत्वपूर्ण अभिव्यक्ति है ।
फैल्डमेन (Feldmen 1985) के अनुसार अमेरिका में बहुसंख्यक समूह (Majority group) के सदस्यों के प्रति पूर्वाग्रह होने का एक कारण यह भी है, दोनों समूहों के सदस्य को ऐसा विश्वास हो गया है कि अल्पसंख्यक समूह के सदस्य उनसे नौकरी को छीन ले जा रहे हैं।
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