पर्यवेक्षण का अर्थ एवं व्याख्या | पर्यवेक्षण की विशेषताऐं | Supervision Meaning Explanation and Features in Hindi

पर्यवेक्षण का अर्थ एवं व्याख्या 
पर्यवेक्षण की विशेषताऐं
पर्यवेक्षण का अर्थ एवं व्याख्या | पर्यवेक्षण की विशेषताऐं | Supervision Meaning Explanation and Features in Hindi


पर्यवेक्षण किसे कहते हैं 

 

  • जब प्रशासनिक संगठनों में निर्णय निम्न अधिकारियों तक संचारित कर दिये जाये तो पदसोपान में उच्चाधिकारी को अगला कार्य पदसोपान में यह देखना होता है कि उन्हें प्रभावी रूप से क्रियान्वित किया जाये। उनका यह दायित्व है कि वे इस सम्बन्ध में आश्वस्त करते रहें कि संगठन सुचारू रूप से कार्य करता रहे तथा निर्दिष्ट उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये समन्वित प्रयास निरन्तर किये जाते रहें। प्रशासनिक संगठन की इसी आवश्यकता को ही पर्यवेक्षण कहा जाता है।

 

  • इस प्रकार किसी संगठन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए किये जाने वाले सामूहिक प्रयास का पर्यवेक्षण करना आवश्यक हो जाता है। 


  • दूसरे शब्दों में पर्यवेक्षण से अभिप्राय होता हैकार्यरत कर्मचारियों पर निगरानी रखना। यह ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत कोई व्यक्ति अन्य व्यक्तियों के कार्य का निर्देशन और निरीक्षण करता है। इसका मुख्य प्रयोजन यह सुनिश्चित करना है कि कर्मचारियों को जो कार्य सौंपे जाते हैंवे उन्हें भली-भाँति और पूर्वक करते हैं या नहीं। 


  • कुशलता कार्यालय प्रभारी या उसके ऊपर के अधिकारियों से मिले सामान्य आदेशों और निर्देशों को कार्यालय के पर्यवेक्षण स्तर पर कार्यान्वित किया जाता है। रिपोर्टों का तैयार होनाउनको टाइप किया जानापत्रों का फाइल होनाबैठकों की व्यवस्थाआगंतुकों का सत्कार कर विवरणियों को तैयार किया जाना तथा इसी प्रकृति के अन्य कार्यों को किया जाना और इन कार्यों के होने वाले परिणाम बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करते हैं कि कार्यालय पर्यवेक्षण किस प्रकार का है।

 

  • पर्यवेक्षण के दोषपूर्ण या उसमें कमी होने से नीतियों और कार्यक्रमों के सुचारू रूप से कार्यान्वयन में अनेक बाधाऐं आ सकती है। यदि पर्यवेक्षण न किया जाए तो प्रत्येक कर्मचारी कार्यालय के उद्देश्यों को ध्यान में रखे बिना ही अपनी सुविधा के अनुसार मनमनाने ढंग से काम करेगा। कार्यालय के कार्यों में बढ़ती जटिलता के कारण अब पर्यवेक्षण के महत्व को अधिक स्वीकारा जाने लगा है। केवल किताबी ज्ञान प्राप्त व्यक्ति यदि कार्यालय में काम करने आता है तो वह वहाँ हो रहे काम को देखकर ही उन्हें नहीं सीख सकता। इसके लिए तो आवश्यक है कि उसे सतत् मागदर्शन और निर्देशन प्राप्त होता रहे तथा कार्य को सीखने और कुशलता पूर्वक करने की उसे प्रेरणा मिले। कार्यालय पर्यवेक्षण के फलस्वरूप नये तथा पुराने सभी प्रकार के कर्मचारी कार्य को अच्छी तरह से कर पाते हैं। कार्यालय के पर्यवेक्षण के फलस्वरूप कार्यालय के कार्य समन्वित ढंग से हो पाते हैं। ये कार्य दिन-प्रतिदिन अधिकाधिक विशेषीकृत होते जा रहे हैं।


  • जिम्मेदारी विभिन्न स्तरों के अधिकारियों के मध्य विभक्त होती है और एक-दूसरे पर निर्भरता भी होती है। इन सबके फलस्वरूप रिपोर्टोंबीजकों और पत्रों के मसोदों को अच्छी तरह से तैयार करने के कार्य में पर्यवेक्षण आवश्यक हो जाता है। चूँकि कार्य अनेक विभागों में होता हैअतः आवश्यक होता है कि काम के सम्बन्ध में कर्मचारी एक-दूसरे से विचार-विमर्श करते रहें।

 

  • इस प्रकार पर्यवेक्षण का कार्य करने वाले अधिकारी / कर्मचारी संगठन में कड़ी का काम करते हैं। इस सिद्धान्त के अनुसार नेता एवं कर्मचारियों के मध्य जितना अधिक व्यक्तिगत व प्रत्यक्ष सम्पर्क होगानेतृत्व भी उतना ही अधिक प्रभावशाली होगा।

 

पर्यवेक्षण की विशेषताऐं Features of Supervision

उपरोक्त विवेचन के उपरान्त पर्यवेक्षण की निम्नलिखित विशेषताऐं दृष्टिगत होती हैं। इनको क्रमशः समझने का प्रयास करें.

 

1. संगठन में काम करने वाले कर्मचारियों को निरंतर निर्देशित और अभिप्रेरित करना होता हैजिससे वे और अच्छे तरह से काम कर सकें। प्रबन्ध के सबसे नीचे के स्तर पर पर्यवेक्षक होते हैंजिनका कर्मचारियों के साथ लगातार सम्पर्क होता है तथा उनके दिन-प्रतिदिन के कार्य में वे उनका निर्देशन करते हैं। इस प्रकार पर्यवेक्षक एक सतत् गतिशील प्रक्रिया है।

 

2. कार्यालय पर्यवेक्षण प्रत्यायोजित कार्य है। कार्यालय के पर्यवेक्षक के पास जो शक्ति होती हैवह उसे अपने ऊपर के अधिकारियों से मिली होती है। कार्यालय का प्रबन्धक वहाँ के कर्मचारियों के काम के निर्देशन का अधिकार पर्यवेक्षक को सौंप देता है। पर्यवेक्षण प्रत्यायोजित कार्य तो हैपरन्तु इसके सम्बन्ध में मुख्य बात यह है कि पर्यवेक्षक के पास अधिकार तो होता है और उसके साथ ही साथ कार्य में लगे हुए कर्मचारियों के काम के सम्बन्ध में जिम्मेदारी भी उसी की होती है।

 

3. कार्यालय पर्यवेक्षण प्रबन्ध का पहला स्तर है। प्रबन्ध की अनेक श्रेणियों में से पर्यवेक्षण पहली श्रेणी है। पर्यवेक्षक योजना बनाने वाले और उन्हें कार्यान्वित करने वालों के बीच कड़ी का काम करता है। प्रबन्ध के प्रथम स्तर के अधिकारी होने के नाते पर्यवेक्षक के पास कार्य की प्रगति के सम्बन्ध में मूल स्रोत से प्राप्त सूचना होती है और वह कार्य को निर्धारित समय में पूरा कराता है।


आधुनिक युग में प्रशासकीय संगठन में पर्यवेक्षण का महत्व और भी बढ़ गया है। लोक प्रशासन में नीतियों की रचनाकार्यक्रमों का निर्धारणबजट निर्माण तथा कर्मचारियों की नियुक्ति इत्यादि कार्य तभी सफल हो सकता हैयदि उनके कार्यों के पर्यवेक्षण किया जाये। आज के युग में पर्यवेक्षण का स्वरूप पहले की तुलना में बदल गया है। अब इसका उद्देश्य पहले की तरह केवल गलतियों को खोजना नहींबल्कि यह देखना है कि कार्य करने की सुविधाऐं कर्मचारी को प्राप्त हैंया नहीं।


संगठन के सिद्धान्त

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