नागरिक समाज (सिविल सोसायटी) क्या होती हैं ? |What is a civil society?
नागरिक समाज (सिविल सोसायटी) क्या होती हैं ?
नागरिक समाज (सिविल सोसायटी) का अर्थ एवं परिभाषा
- नागरिक समाज को समझने के लिए पहले समाज को समझना होगा। समाज एक व्यापक आवधारणा का नाम है, जिसके अन्तर्गत दो परिवार से लेकर पूरे विश्व परिवार को रखा जा सकता है।
समाज का स्वरूप किसी भी प्रकार का हो सकता है, अच्छा या बुरा परन्तु जब नागरिक समाज की बात आयेगी तो इसका बुरा हो ही नहीं सकता। इसमें कहने का तात्पर्य है कि-
नागरिक समाज उस समाज को कहते हैं जहाँ राज्य और उसकी शक्ति के बिना नागरिक परस्पर संगठित होकर स्वप्रेरणा व सौहार्द से विकासात्मक कार्यों में भागीदारी निभाते हों। नागरिक समाज का केन्द्र बिन्दु राज्य राजनीति एवं प्रशासन, नागरिक समुदाय और स्वयंसेवी संस्थायें होती है। कानून व्यवस्था की स्थिति नागरिक समाज में व्यक्ति विशेष की नहीं, पूरे समाज के हित के बारे में सोचा जाता है तथा किसी के साथ किसी प्रकार का अन्तर नहीं किया जाता है।
समकालीन संदर्भ में नागरिक समाज (सिविल सोसायटी
- नागरिक समाज ऐसे गैर राज्यीय संगठनों, संस्थाओं और आंदोलनों का समग्र है जो राजनीति, सार्वजनिक नीति और सम्पूर्ण समाज को अपने गतिविधियों से प्रभावित कर न्याय के साथ-साथ सभी नागरिकों को अधिकाधिक स्वतंत्रता देने की वकालत करता है। इस प्रकार के समाज का उद्देश्य राज्य को संयमित करना और उसे नागरिक नियंत्रण में लाना है.
नागरिक समाज (सिविल सोसायटी) का विश्लेषण प्रमुखतः तीन संदर्भों में किया गया है-
1. सामुदायिक जीवन के आधार के रूप में।
2. अच्छे समाज के मॉडल के रूप में।
3. सार्वजनिक
क्षेत्र के माडल के रूप में।
सामान्यतः विचारकों ने अपनी विश्लेषण में तीन संदर्भों
को समन्वित करते हुए नागरिक समाज की संकल्पना को स्पष्ट किया है।
नागरिक समाज (सिविल सोसायटी) की परिभाषा
संत आयस्टाईन के अनुसार नागरिक समाज (सिविल सोसायटी)
“नगारिक समाज अथवा कॉमनवैल्थ, लोगों का वह संगठन है जो सामान्य अधिकारों तथ सामान्य हितों के फलस्वरूप सम्मिलित होते है। ”
जेफ्री अलेक्जेण्डर के अनुसार नागरिक समाज (सिविल सोसायटी)
“नागरिक समाज एक समावेशी छाले जैसी अवधारणा है जो राज्य के बार स्थिति असंख्य संस्थाओं को अपनी छाया में रखती है। "
जार्ज हजिंग के अनुसार नागरिक समाज (सिविल सोसायटी)
“नागरिक समाज एक सामाजिक स्थान है जो राज्य एवं व्यापारिक क्षेत्रों से अलग होता है, किन्तु साथ-साथ काम करते हुए राज्य के साथ, कभी-कभी तनावपूर्ण सह सम्बन्ध रखता है।”
मैरी डायमंड के अनुसार नागरिक समाज (सिविल सोसायटी)
“नागरिक समाज एवं संगठित सामाजिक जीवन को दर्शाता है जो कि स्वैच्छिक, स्वजनित, स्वसमर्पित होती है और एक वैधानिक व्यवस्था या सहभागिता मूल्यों के समुच्चय द्वारा घिरा होता है।”
एस0के0 दास के अनुसार नागरिक समाज (सिविल सोसायटी)
- “नागरिक समाज वह संगठित समाज है, जिस पर राज्य शासन करता है। "
नीरजा गोपाल जायाल के अनुसार नागरिक समाज (सिविल सोसायटी)
“नागरिक समाज तमाम ऐसे स्वैच्छिक संगठनों और सामाजिक अन्तर्क्रियाओं को समावेशित करता है, जिन पर राज्य का नियंत्रण नहीं होता है। '
उक्त परिभाषाओं के आधार पर हम कह सकते हैं कि नागरिक समाज (सिविल सोसायटी-
नागरिक समाज (सिविल सोसायटी) सभ्य जागरूक और उत्तरदायी व्यक्तियों का संगठित समूह है, जो राज्य से अलग इस दृष्टिकोण से होता है कि राज्य के अन्तर्गत समाज संगठित व असंगठित क्षेत्र आता है। जबकि सभ्य समाज के अन्तर्गत केवल संगठित क्षेत्र आता/राज्य के अन्तर्गत अनुत्तरदायी, सभी लोग सम्मिलित होते है। जबकि नागरिक समाज में मात्र उत्तरदायी विधि के अनुसार काम करने वाले लोग सम्मिलित होते है। यह व्यापारिक क्षेत्रों से भी अलग होता है, किन्तु यह राज्य एवं व्यापारिक क्षेत्रों के साथ तथा कभी तनावपूर्ण सह-संबंध रखता है।
नागरिक समाज (सिविल सोयसायटी) विषय सूची-
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