जुलाई 2021 के चर्चित व्यक्ति | July 2021 Person in News Hindi
जून 2021 के चर्चित व्यक्ति
June 2021 Person in News Hindi
अभिमन्यु मिश्रा
- भारतीय मूल के 12 वर्षीय अभिमन्यु मिश्रा हाल ही में शतरंज में सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर बन गए हैं। अमेरिका के ‘न्यू जर्सी’ के अभिमन्यु मिश्रा ने वर्ष 2002 में ग्रैंडमास्टर सर्गेई कारजाकिन द्वारा बनाए गए 12 वर्ष, 7 महीने के रिकॉर्ड को तोड़ा दिया है। अभिमन्यु मिश्रा ने यह रिकॉर्ड 12 वर्ष, 4 माह की आयु में स्थापित किया है। इससे पूर्व 12 अगस्त, 2002 को सर्गेई कारजाकिन ने 12 वर्ष और 7 महीने की आयु में ग्रैंडमास्टर का खिताब हासिल किया था।
- 5 फरवरी, 2009 को जन्मे अभिमन्यु मिश्रा ने 15 वर्षीय भारतीय ग्रैंडमास्टर लियोन ल्यूक मेंडोंका को हराकर शतरंज में यह सर्वोच्च खिताब हासिल किया है। गौरतलब है कि इससे पूर्व अभिमन्यु मिश्रा ने भारत के आर प्रज्ञानानंद के सबसे कम उम्र के अंतर्राष्ट्रीय मास्टर बनने का रिकॉर्ड तोड़ा था। अभिमन्यु मिश्रा ने वर्ष 2019 में यह खिताब तब जीता था जब उनकी आयु 10 वर्ष, 9 महीने और 20 दिन थी। इसके अलावा अभिमन्यु मिश्रा मात्र नौ वर्ष की आयु में अमेरिका में सबसे कम उम्र के नेशनल मास्टर भी बने थे।
अमिताभ कांत
- केंद्रीय थिंक टैंक ‘नीति आयोग’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) के रूप में वरिष्ठ नौकरशाह अमिताभ कांत के कार्यकाल को एक वर्ष के लिये बढ़ा दिया गया है। केरल कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी अमिताभ कांत ने सरकार की कई नीतिगत पहलों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें 'मेक इन इंडिया,' 'स्टार्ट-अप इंडिया' और 'अतुल्य भारत' आदि शामिल हैं तथा हाल ही में नीति आयोग की ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ पहल का नेतृत्त्व कर रहे हैं।
- अमिताभ कांत कोविड प्रबंधन के लिये गठित एक टास्क फोर्स के अध्यक्ष के रूप में व्यापक पैमाने पर नागरिक समाज संगठनों के साथ भी जुड़े रहे। इससे पूर्व अमिताभ कांत को जून 2019 में इसी पद पर दो वर्ष का कार्यकाल विस्तार दिया गया था। भारत सरकार द्वारा एक 'नीतिगत थिंक टैंक' के रूप में ‘नीति आयोग’ की स्थापना 1 जनवरी, 2015 को की गई थी। नीति आयोग बैंकों के विनिवेश और निजीकरण समेत सरकार की विभिन्न पहलों के लिये प्रारंभिक ढाँचा तैयार कर नीति निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। नीति आयोग की अध्यक्षता प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है।
सर लुडविग गुट्टमन
- हाल ही में गूगल ने एक एनिमेटेड डूडल के माध्यम से जर्मन डॉक्टर और पैरालंपिक खेल के जनक माने जाने वाले ‘सर लुडविग गुट्टमन’ को उनके 122वें जन्मदिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
- सर लुडविग गुट्टमन का जन्म 3 जुलाई, 1899 को तत्कालीन जर्मनी के ‘टोस्ट’ (वर्तमान में पोलैंड के ‘टोस्ज़ेक’) नामक स्थान पर हुआ था। अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद सर गुट्टमन को वर्ष 1924 में एम.डी. की डिग्री प्राप्त हुई। उन्होंने एक सुप्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट के रूप में काफी ख्याति प्राप्त की और रीढ़ की हड्डी की चोटों और न्यूरोसर्जिकल कार्य प्रक्रियाओं पर उनके द्वारा किये गए शोध कार्य ने उन्हें जर्मनी के सबसे प्रमुख न्यूरोलॉजिस्ट के रूप में प्रसिद्ध किया।
- चूँकि वे एक यहूदी थे, अतः नाज़ीवाद के उदय के दौरान वर्ष 1933 में उन्हें देश में चिकित्सीय कार्य करने से रोक दिया गया, इसके पश्चात् वे अपनी जान बचाकर वर्ष 1939 में जर्मनी से इंग्लैंड चले गए। वहाँ उन्होंने विशेषतौर पर पैरापलेजिया नामक स्थिति के बारे में और अधिक शोध कार्य किये।
- वर्ष 1948 में उन्होंने पहली बार व्हीलचेयर उपयोगकर्त्ताओं के लिये एक तीरंदाजी प्रतियोगिता का आयोजन किया, जिसे अब 'पैरालंपिक खेलों' के रूप में जाना जाता है। उस समय इसे 'स्टोक मैंडविल गेम्स' के नाम से जाना जाता था, जिसका नाम उस अस्पताल के नाम पर रखा गया था, जहाँ सर गुट्टमन काम कर रहे थे। इस तरह रीढ़ की हड्डी की चोटों और न्यूरोलॉजी के अन्य पहलुओं में उनके शोध को दुनिया भर के चिकित्सकों द्वारा सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है, वहीं उन्हें दिव्यांग समुदाय को एक मंच प्रदान करने की दिशा में उनके बहुमूल्य योगदान के लिये भी याद किया जाता है।
पिंगली वेंकैया
- 04 जुलाई, 2021 को उपराष्ट्र पति एम. वेंकैया नायडू ने राष्ट्री य ध्वौज का डिज़ाइन तैयार करने वाले प्रसिद्ध स्वातंत्रता सेनानी और कृषि वैज्ञानिक पिंगली वेंकैया की पुण्येतिथि पर उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की।
- 2 अगस्त, 1876 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले में जन्मे पिंगली वेंकैया ने प्रारंभिक शिक्षा भटाला पेनमरू और मछलीपट्टनम में प्राप्त की तथा 19 वर्ष की आयु में उन्होंने अफ्रीका में एंग्लो बोअर युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना में सैनिक के रूप में कार्य किया। इसी युद्ध के दौरान दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए वे गांधी जी से मिले एवं उनसे काफी प्रभावित हुए। अफ्रीका से लौटने के बाद पिंगली वेंकैया ने अपना अधिकांश समय कृषि और कपास की खेती विषय पर शोध करते हुए बिताया। उन्होंने लाहौर के एंग्लो वैदिक स्कूल में संस्कृत, उर्दू और जापानी का अध्ययन भी किया।
- वर्ष 1918 तथा वर्ष 1921 के बीच पिंगली वेंकैया ने काॅॅन्ग्रेस के लगभग प्रत्येक अधिवेशन में एक ध्वज की मांग का आह्वान किया। राष्ट्रीय ध्वज की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए वर्ष 1921 में राष्ट्रीय काॅॅन्ग्रेस की एक बैठक में गांधी जी ने वेंकैया से नए सिरे से डिज़ाइन तैयार करने को कहा। प्रारंभ में वेंकैया ने ध्वज में केवल लाल और हरे रंग का ही प्रयोग किया था, जो क्रमशः हिंदू तथा मुसलमान समुदायों का प्रतिनिधित्व करते थे। किंतु बाद में इसके केंद्र में एक चरखा और तीसरे रंग (सफेद) को भी शामिल किया गया।
- वर्ष 1931 में भारतीय राष्ट्रीय काॅॅन्ग्रेस द्वारा इस ध्वज को आधिकारिक तौर पर अपनाया गया। 4 जुलाई, 1963 को पिंगली वेंकैया की मृत्यु हो गई।
गुलजारी लाल नंदा
- 04 जुलाई, 2021 को देश भर में पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा की 123वीं जयंती का आयोजन किया गया। 4 जुलाई, 1898 को सियालकोट (पंजाब) में जन्मे गुलजारी लाल नंदा ने लाहौर, आगरा और इलाहाबाद से शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय (1920-1921) में श्रम समस्याओं पर एक शोध अध्येता के रूप में काम किया तथा वर्ष 1921 में नेशनल कॉलेज (बॉम्बे) में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर बने।
- इसी वर्ष वे असहयोग आंदोलन में भी शामिल हुए। स्वतंत्रता संग्राम में अपनी भूमिका के लिये उन्हें वर्ष 1932, वर्ष 1942 और वर्ष वर्ष 1944 में जेल भी जाना पड़ा। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद मार्च 1950 में वे उपाध्यक्ष के तौर पर ‘योजना आयोग’ (वर्तमान नीति आयोग) में शामिल हुए। सितंबर 1951 में उन्हें केंद्र सरकार में योजना मंत्री नियुक्त किया गया।
- वर्ष 1959 में उन्होंने जिनेवा में आयोजित ‘अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन’ में भारतीय दल का प्रतिनिधित्व किया। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की मृत्यु के बाद गुलजारी लाल नंदा ने 27 मई, 1964 को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। इसके पश्चात् 11 जनवरी, 1966 को ताशकंद में प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद एक बार पुनः प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। 15 जनवरी, 1998 में अहमदाबाद में उनकी मृत्यु हो गई।
दलाई लामा
- 06 जुलाई, 2021 को 14वें दलाई लामा, तेनज़िन ग्यात्सो का 86वाँ जन्मदिवस आयोजित किया गया। दलाई लामा का जन्मदिवस तिब्बती समुदाय के सबसे भव्य आयोजनों में से एक के रूप में मनाया जाता है। तिब्बती बौद्ध धर्म में दलाई लामा को सबसे महत्त्वपूर्ण धार्मिक नेता माना जाता है।
- तिब्बती बौद्ध धर्म का मानना है कि दलाई लामा करुणा के बुद्ध की अभिव्यक्ति हैं, जिन्होंने मानवता की सेवा हेतु पुनर्जन्म का विकल्प चुना है। ध्यातव्य है कि दलाई लामा के चयन की प्रथा काफी पुरानी है और पहले दलाई लामा की पहचान 15वीं शताब्दी में की गई थी।
- लामा, बौद्ध धर्म का एक शीर्षक है जिसका अर्थ ‘श्रेष्ठ’ से है, इसे आधिकारिक तौर पर केवल कुछ चुनिंदा तिब्बती बौद्ध भिक्षुओं को दिया जाता है, जो आध्यात्मिकता के उच्चतम स्तर को प्राप्त करते हैं।
- तिब्बती बौद्ध धर्म के 14वें दलाई लामा- तेनज़िन ग्यात्सो का जन्म 6 जुलाई, 1935 को तिब्बत में हुआ था। उनकी पहचान 13वें दलाई लामा के पुनर्जन्म के रूप में की गई थी, जब वे मात्र 2 वर्ष के थे।
- वर्ष 1950 में जब चीन ने तिब्बत पर आक्रमण किया, तो किशोर होने के बावजूद वे राजनीतिक सत्ता संभालने के लिये मज़बूर हो गए। वर्ष 1959 में भारत में शरण लेने के पश्चात् दलाई लामा तिब्बत की स्वायत्ता और स्वतंत्रता के प्रमुख वैश्विक अधिवक्ता और नैतिक नेता के रूप में उभरे। वर्ष 1989 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
दिलीप कुमार
- हाल ही में बॉलीवुड के ट्रेजेडी किंग के रूप में प्रसिद्ध मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार का 98 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। दिलीप कुमार को भारतीय सिनेमा के सबसे महानतम अभिनेताओं में से एक माना जाता है।
- 11 दिसंबर, 1922 को पेशावर के ‘किस्सा खवानी बाज़ार’ क्षेत्र (वर्तमान पाकिस्तान) में जन्मे दिलीप कुमार ने अपने फिल्मी कॅॅॅरियर की शुरुआत वर्ष 1944 में 'ज्वार भाटा' फिल्म के साथ की थी। भारत के सबसे महान अभिनेताओं में से एक के रूप में प्रसिद्ध दिलीप कुमार का फिल्मी कॅॅॅरियर लगभग पाँच दशकों तक विस्तृत रहा। उनकी सबसे प्रसिद्ध फिल्मों में देवदास, मुग़ल-ए-आज़म, गंगा जमुना, राम और श्याम, नया दौर, मधुमती, क्रांति, विधाता, शक्ति और मशाल आदि शामिल हैं।
- दिलीप कुमार को भारतीय अभिनेता में सबसे अधिक पुरस्कार जीतने हेतु गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सूचीबद्ध किया गया है। उन्हें भारत के प्रथम ‘मेथड एक्टर’ का भी श्रेय दिया जाता है। दिलीप कुमार को वर्ष 1994 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार और वर्ष 2015 में पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था। दिलीप कुमार की अंतिम फिल्म वर्ष 1998 में रिलीज़ हुई थी।
वीरभद्र सिंह
- हाल ही में हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य के वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह का 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। 23 जून, 1934 को हिमाचल प्रदेश के ‘शिमला’ में जन्मे वीरभद्र सिंह कुल छह बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में चुने गए। वीरभद्र सिंह ने मार्च 1998 से मार्च 2003 तक हिमाचल प्रदेश विधानसभा में में विपक्ष के नेता के तौर पर भी कार्य किया।
- इसके अलावा उन्होंने केंद्र सरकार में केंद्रीय पर्यटन और नागरिक उड्डयन उप मंत्री, उद्योग राज्य मंत्री, केंद्रीय इस्पात मंत्री तथा केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) मंत्री के रूप में भी काम किया था।
- वह दिसंबर 2017 में हिमाचल प्रदेश के सोलन ज़िले की अर्की विधानसभा से 13वीं विधानसभा के लिये भी चुने गए थे।
हैती के राष्ट्रपति ‘जोवेनल मौइसे’ की हत्या
- हाल ही में हैती के राष्ट्रपति ‘जोवेनल मौइसे’ की उनके निजी आवास पर हत्या कर दी गई है। इस घटना के पश्चात् हैती में आपातकाल की घोषणा कर दी गई है। 48 वर्षीय व्यवसायी और राजनेता ‘जोवेनल मौइसे’ ने 7 फरवरी, 2017 को हैती के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी।
- विदित हो कि वर्ष 1957 से वर्ष 1986 तक फ्रेंकोइस और जीन-क्लाउड डुवेलियर की क्रूर तानाशाही के अंत के बाद से हैती गंभीर गरीबी और अपराध के साथ राजनीतिक अस्थिरता जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है।
- कैरेबियन सागर में स्थित देश हैती, हिसपनिओला द्वीप के पश्चिमी हिस्से में स्थित एक छोटा सा देश है। हैती ‘तैनो भाषा’ का एक शब्द है, जिसका अर्थ है ‘पहाड़ी देश’। वर्तमान में हैती के लगभग 11 मिलियन निवासी मुख्य रूप से अफ्रीकी मूल के हैं।
- 19वीं सदी की शुरुआत में फ्राँँसीसी औपनिवेशिक नियंत्रण और दासता को समाप्त कर हैती दुनिया का पहला अश्वेत नेतृत्व वाला गणराज्य तथा स्वतंत्र कैरिबियन राज्य बना था। ‘पोर्ट-ऑ-प्रिंस’ हैती की राजधानी है। हैती दोनों अमेरिकी महाद्वीपों का एकमात्र देश है जिसे दुनिया के सबसे कम विकसित देशों में गिना जाता है।
माटेओ बेरेटिनी
- विश्व के 9वें नंबर के टेनिस खिलाड़ी माटेओ बेरेटिनी (Matteo Berrettini) विंबलडन के मेन्स सिंगल्स के सेमीफाइनल में विश्व के18वें नंबर के ह्यूबर्ट हर्काज़ (Hubert Hurkacz) को हराकर विंबलडन इतिहास में सिंगल्स के फाइनल में पहुँचने वाले इटली के पहले खिलाड़ी बन गए। 25 वर्षीय बेरेटिनी ग्रैंड स्लैम फाइनल में पहुँचने वाले इटली के पहले खिलाड़ी भी हैं।
नेपाल के नए प्रधानमंत्री: शेर बहादुर देउबा
- हाल ही में नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय ने संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा को बहाल कर दिया है और राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को नेपाली काॅन्ग्रेस के प्रमुख ‘शेर बहादुर देउबा’ को देश का प्रधानमंत्री नियुक्त करने का आदेश दिया है।
- आदेश के मुताबिक, शेर बहादुर देउबा को अपनी नियुक्ति के एक माह के भीतर सदन में विश्वास मत हासिल करना होगा। बीते पाँच माह में यह दूसरी बार है जब न्यायालय ने सदन को बहाल किया है।
- फरवरी माह में भी न्यायालय द्वारा इसी प्रकार की कार्रवाई की गई थी। गौरतलब है कि बीते दिनों 21 मई को प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली की सिफारिश पर संसद भंग कर दी गई थी और छह महीने में नए चुनाव कराने का आदेश दिया था। इसके पश्चात् नई सरकार के गठन के लिये न तो के.पी. शर्मा ओली और न ही विपक्ष बहुमत प्रदर्शित करने में सफल हो पाए थे।
- नेपाली काॅन्ग्रेस के प्रमुख शेर बहादुर देउबा का जन्म 13 जून, 1946 को नेपाल के सुदूर पश्चिमी क्षेत्र के दडेलहुरा ज़िले में हुआ था। वर्ष 1971 में उन्होंने नेपाल छात्र संघ की स्थापना की और उसके अध्यक्ष बने तथा वर्ष 1980 तक इस पद पर रहे। वर्ष 1896 में उन्होंने ‘नेपाली काॅन्ग्रेस डेमोक्रेटिक पार्टी’ का गठन किया। शेर बहादुर देउबा के पास बेहतरीन राजनीतिक अनुभव है और इस बार वे पाँचवीं बार प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे।
यशपाल शर्मा
- वर्ष 1983 की विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा रहे पूर्व भारतीय क्रिकेटर यशपाल शर्मा का हाल ही में 66 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। यशपाल शर्मा वर्ष 1983 में भारत की विश्व कप विजेता के नायकों में से एक थे।
- विश्व कप के दौरान उन्होंने 34.28 की औसत से 240 रन बनाकर भारत की जीत में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यशपाल ने क्षेत्रीय स्तर पर तब ख्याति हासिल की, जब वर्ष 1972 में उन्होंने जम्मू-कश्मीर स्कूल के विरुद्ध पंजाब स्कूल के लिये खेलते हुए 260 रन बनाए। इसके पश्चात् उन्हें पंजाब की टीम के लिये चुन लिया गया। वर्ष 1978 में पाकिस्तान के विरुद्ध खेलते हुए उन्होंने अपने अंतर्राष्ट्रीय कॅरियर की शुरुआत की थी।
- वर्ष 1979 से वर्ष 1983 तक के अपने कॅरियर में यशपाल ने भारत के लिये 37 टेस्ट मैच खेले और दो शतक एवं नौ अर्द्धशतक के साथ 1606 रन बनाए। रणजी ट्रॉफी में भी यशपाल शर्मा का कॅरियर काफी बेहतरीन रहा और उन्होंने इस दौरान तीन टीमों (पंजाब, हरियाणा तथा रेलवे) का प्रतिनिधित्त्व किया। वह एक अंपायर भी थे और कई एकदिवसीय मैचों में बतौर अंपायर हिस्सा भी लिया। इसके अलावा यशपाल शर्मा ने उत्तर प्रदेश रणजी टीम के कोच के रूप में भी काम किया था।
जगन्नादथ राव जोशी
- गृहमंत्री अमित शाह ने कर्नाटक केसरी जगन्नाोथ राव जोशी को उनकी पुण्यमतिथि पर श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुए उन्हें देशभक्ते कर्मयोगी और गोवा मुक्ति संग्राम के मुख्यथ स्तंलभ के रूप में संबोधित किया।
- केसरी जगन्नामथ राव जोशी का जन्म 23 जून, 1920 को वर्तमान गडग ज़िले (तत्कालीन अविभाजित धारवाड़ ज़िले) के नरगुंड में हुआ था। स्थानीय प्राथमिक विद्यालय से शिक्षा पूरी करने के बाद जगन्नामथ राव नरगुंड छोड़कर उच्च अध्ययन के लिये पुणे चले गए। इसके पश्चात् वह क्लर्क के रूप में सैन्य लेखा विभाग में शामिल हो गए। वर्ष 1945 में जगन्नामथ राव ने सैन्य लेखा विभाग से इस्तीफा दे दिया और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में बतौर प्रचारक के रूप में शामिल हो गए।
- वर्ष 1948 में जब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर प्रतिबंध लगाया गया तब जगन्ना थ राव जोशी ने इस प्रतिबंध का विरोध किया और उन्हें गिरफ्तार कर बेलगाम की हिंदडाल्गा जेल में बंद कर दिया गया। 23 जून, 1955 को जगन्नाथ राव जोशी ने तटीय शहर गोवा को पुर्तगालियों से मुक्त कराने के लिये राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और जनसंघ के हज़ारों कार्यकर्त्ताओं का नेतृत्त्व किया। उन्हें बिना परमिट गोवा में प्रवेश करने के लिये गिरफ्तार कर लिया गया तथा जून 1955 से फरवरी 1957 तक एकांत कारावास में रखा गया।
कुमारस्वामी कामराज
- 15 जुलाई, 2021 को तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी कामराज की जयंती मनाई गई। गौरतलब है कि कुमारस्वामी कामराज ने वर्ष 1964 में जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद भारत की राजनीति को आकार देने में अग्रणी भूमिका निभाई थी। उनका जन्म 15 जुलाई, 1903 को तमिलनाडु के एक गरीब परिवार में हुआ था। जब वह अठारह वर्ष के थे, तब गांधीजी के आह्वान पर अंग्रेज़ों के खिलाफ असहयोग के लिये वे स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए।
- अप्रैल 1930 में कामराज, वेदारण्यम में नमक सत्याग्रह आंदोलन में शामिल हुए और उन्हें दो वर्ष की जेल की सज़ा सुनाई गई। वर्ष 1937 में के. कामराज मद्रास विधानसभा में निर्विरोध निर्वाचित हुए। वर्ष 1946 में वह भारत की संविधान सभा और बाद में वर्ष 1952 में संसद के लिये भी चुने गए।
- वर्ष 1954 में वह मद्रास के मुख्यमंत्री बने। वर्ष 1963 में उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सुझाव दिया कि काॅन्ग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को संगठनात्मक कार्य करने के लिये मंत्री पद छोड़ देना चाहिये, इस सुझाव को 'कामराज योजना' के नाम से जाना जाता है।
- 9 अक्तूबर, 1963 को कामराज को भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। 2 अक्तूबर, 1975 को के.कामराज की मृत्यु हो गई और वर्ष 1976 में उन्हें मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था।
अरूणा आसफ अली
- 16 जुलाई, 2021 को उपराष्ट्र पति एम. वेंकैया नायडू ने स्व तंत्रता सेनानी और वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाली ‘अरूणा आसफ अली’ की जयंती पर उन्हेंत श्रद्धांजलि अर्पित की।
- उनका जन्म 16 जुलाई, 1909 को तत्कालीन संयुक्त प्रांत में अरूणा गांगुली के रूप में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने कलकत्ता में बतौर शिक्षक अपने कॅॅरियर की शुरुआत की।
- वर्ष 1928 में उन्होंने प्रसिद्ध भारतीय वकील और भारतीय राष्ट्रीय काॅॅन्ग्रेस के प्रमुख सदस्य आसफ अली से विवाह किया। इसके पश्चात् उन्होंने सक्रिय रूप से राजनीति में प्रवेश किया और वर्ष 1932 में नमक सत्याग्रह के दौरान उन्हें पहली बार गिरफ्तार किया गया। हालाँकि जल्द ही विरोध प्रदर्शन के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। वर्ष 1932 में उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने के लिये एक बार फिर गिरफ्तार किया गया और कैदियों के साथ दुर्व्यवहार के विरोध में जेल में रहते हुए उन्होंने भूख हड़ताल कर दी।
- वर्ष 1942 में जब देश के सभी प्रमुख नेताओं को भारत छोड़ो आंदोलन के विरुद्ध एक पूर्व उपाय के रूप में अंग्रेज़ों द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था, तो उन्होंने गोवालिया टैंक मैदान में भारतीय ध्वज फहराकर भारत छोड़ो आंदोलन को आवश्यक नेतृत्त्व और मज़बूती प्रदान की। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् उन्होंने महिला शिक्षा को प्रोत्साहित करके महिलाओं की स्थिति के उत्थान की दिशा में महत्त्वपूर्ण कार्य किया।
- वर्ष 1958 में उन्होंने दिल्ली की पहली निर्वाचित मेयर के रूप में कार्य किया। उन्हें वर्ष 1992 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। वर्ष 1997 में उन्हें मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से भी सम्मानित किया गया था।
डॉ. कादंबिनी गांगुली
- हाल ही में गूगल ने एक एनिमेटेड डूडल के माध्यम से भारत की पहली प्रशिक्षित महिला चिकित्सक डॉ. कादंबिनी गांगुली को उनके 160वें जन्मदिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
- कादंबिनी गांगुली, कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में प्रवेश पाने वाली पहली महिला भी थीं, जहाँ से उन्होंने वर्ष 1886 मंव स्नातक की डिग्री हासिल की थी। उन्होंने चिकित्सा सेवा के साथ-साथ भारतीय महिला अधिकार आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई थी।
- गांगुली भी उन छह महिलाओं में से एक थीं, जिन्होंने वर्ष 1889 में भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस की पहली सर्व-महिला प्रतिनिधिमंडल का गठन किया था। कलकत्ता से अपनी मेडिकल डिग्री प्राप्त करने के पश्चात् उन्होंने स्त्री रोग में विशेषज्ञता के साथ तीन अतिरिक्त डॉक्टरेट प्रमाणपत्र भी हासिल किये थे, जो कि तत्कालीन समय में महिलाओं के लिये काफी दुर्लभ था।
- 1890 के दशक में वह भारत वापस लौटीं और उन्होंने अपना एक निजी क्लिनिक शुरू किया। प्रसिद्ध लेखिका एनी बेसेंट ने अपनी पुस्तक में कादंबिनी गांगुली को ‘भारत की आज़ादी में भारत की नारीत्व का प्रतीक’ बताया है। ‘गूगल’ द्वारा यह सम्मान ऐसे समय में दिया गया जब संपूर्ण विश्व कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहा है और डॉक्टर फ्रंटलाइन पर इस महामारी का मुकाबला कर रहे हैं।
सीमा नंदा
- संयुक्त राज्य अमेरिका की सीनेट ने भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक सीमा नंदा की नियुक्ति श्रम विभाग के सॉलिसिटर के रूप में की है। डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी सीमा नंदा ने ओबामा प्रशासन के दौरान भी श्रम विभाग में काम किया था।
- सीमा नंदा ने ओबामा-बाइडेन प्रशासन में अमेरिकी श्रम विभाग में चीफ ऑफ स्टाफ, डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ और डिप्टी सॉलिसिटर के रूप में कार्य किया। इससे पूर्व उन्होंने श्रम एवं रोज़गार अधिवक्ता के तौर पर विभिन्न भूमिकाओं में 15 वर्ष से अधिक समय तक सरकारी विभागों में कार्य किया था।
- सीमा नंदा वर्तमान में हार्वर्ड लॉ स्कूल के लेबर एंड वर्कलाइफ प्रोग्राम में फेलो हैं। वह कनेक्टिकट (अमेरिका) में पली-बढ़ी और ब्राउन यूनिवर्सिटी तथा बोस्टन कॉलेज लॉ स्कूल से उन्होंने स्नातक की डिग्री प्राप्त की। वह मैसाचुसेट्स बार एसोसिएशन की सदस्य भी हैं। इसके अतिरिक्त वह कई गैर-लाभकारी संगठनों के निदेशक मंडल का हिस्सा रही हैं।
- गौरतलब है कि मौजूदा अमेरिकी प्रशासन में कई भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों को महत्त्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया गया था, जिसमें सबसे प्रमुख उदाहरण अमेरिका की मौजूदा उपराष्ट्रपति कमला हैरिस हैं।
पेरू के नए राष्ट्रपति- पेड्रो कैस्टिलो
- हाल ही में पेड्रो कैस्टिलो को पेरू का नया राष्ट्रपति नियुक्त किया गया है। 51 वर्षीय पूर्व स्कूल शिक्षक और यूनियन नेता पेड्रो कैस्टिलो को 50% से अधिक मत प्राप्त हुए हैं।
- पेड्रो कैस्टिलो तकरीबन चार वर्ष पूर्व राष्ट्रीय राजनीतिक परिदृश्य में तब सामने आए थे, जब उन्होंने वेतन बढ़ोतरी को लेकर एक सफल राष्ट्रीय हड़ताल में हज़ारों शिक्षकों का नेतृत्त्व किया था। इतिहासकारों का कहना है कि पेड्रो कैस्टिलो पेरू के राष्ट्रपति बनने वाले पहले किसान हैं, वहाँ अब तक स्वदेशी लोगों को सबसे खराब सार्वजनिक सेवाओं जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था।
- पेरू प्रशांत महासागर के तट पर अवस्थित है तथा पाँच देशों- उत्तर दिशा में इक्वाडोर, कोलंबिया, पूर्व में ब्राज़ील, दक्षिण-पूर्व में बोलिविया तथा दक्षिण में चिली के साथ सीमा रेखा बनाता है। पेरू दक्षिण अमेरिका का तीसरा सबसे बड़ा (क्षेत्रफल में) देश है। पेरू में ‘ऐंग्लोबीज’ नामक मछली का सर्वाधिक उत्पादन होता है। अमेज़न नदी का उद्गम एंडीज़ पर्वत, पेरू से होता है, जबकि अंत में इसका जल अटलांटिक महासागर में मिल जाता है।
बान की मून
- हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बान की मून को एक बार पुनः ‘अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति’ के ‘नैतिकता आयोग’ के अध्यक्ष के रूप में चुना गया है। 77 वर्षीय दक्षिण कोरियाई राजनेता और राजनयिक ‘बान की मून’ वर्ष 2017 से ‘नैतिकता आयोग’ के अध्यक्ष की भूमिका निभा रहे हैं और वे अब अगले चार वर्ष तक इस पद पर रहेंगे।
- बान की मून संयुक्त राष्ट्र के आठवें महासचिव थे। ‘बान की मून’ ने 01 जनवरी, 2007 से 31 दिसंबर, 2016 तक संयुक्त राष्ट्र के महासचिव के तौर पर कार्य किया। 21 जून, 2011 को उन्हें सर्वसम्मति से दूसरे कार्यकाल के लिये महासभा द्वारा फिर से चुना गया था।
- बान की मून का जन्म 13 जून, 1944 को कोरिया गणराज्य में हुआ था। उन्होंने वर्ष 1970 में सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी से ‘अंतर्राष्ट्रीय संबंध’ में स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी। वर्ष 1985 में उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय के कैनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट से लोक प्रशासन में मास्टर डिग्री हासिल की। महासचिव के रूप में अपने चुनाव के समय बान की मून कोरिया गणराज्य के विदेश मामलों और व्यापार मामलों के मंत्री थे। वहीं ‘अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति’ ऐसा पहला खेल संगठन था, जिसने ओलंपिक आंदोलन के नैतिक सिद्धांतों की रक्षा के लिये वर्ष 1999 में एक स्वतंत्र नैतिकता आयोग की स्थापना की थी। ये सिद्धांत आचार संहिता और इसके कार्यान्वयन प्रावधानों में निर्धारित किये गए हैं।
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
- 27 जुलाई, 2021 को देश भर में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की छठी पुण्य तिथि मनाई गई।
- डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्तूबर, 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था।
- उन्होंने वर्ष 2002 से वर्ष 2007 तक भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। वे न केवल एक सुविख्यात एयरोस्पेस वैज्ञानिक थे, बल्कि महान शिक्षक भी थे, जिन्होंने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) तथा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के साथ काम किया था।
- डॉ. कलाम वर्ष 1962 में ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ से जुड़े और वहाँ उन्हें प्रोजेक्ट डायरेक्टर के तौर पर भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (SLV- lll) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल हुआ।
- अब्दुल कलाम भारत के मिसाइल कार्यक्रम के जनक माने जाते हैं, वे ‘आम जनमानस के राष्ट्रपति’ के तौर पर प्रसिद्ध हैं।
- डॉ. कलाम ने अपने ‘सादा जीवन, उच्च विचार’ के दर्शन से भारत समेत दुनिया भर के लाखों युवाओं को प्रेरित किया है।
- संयुक्त राष्ट्र (UN) ने डॉ. कलाम के जन्म दिवस को चिह्नित करते हुए वर्ष 2010 में 15 अक्तूबर को विश्व छात्र दिवस के रूप में नामित किया था।
- डॉ. कलाम की उपलब्धियों को इस बात से समझा जा सकता है कि उन्हें भारत एवं विदेशों के 48 विश्वविद्यालयों और संस्थानों द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था। उन्होंने वर्ष 1992 से वर्ष 1999 तक प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में भी कार्य किया।
- डॉ. कलाम को वर्ष 1981 में पद्म भूषण, वर्ष 1990 में पद्म विभूषण और वर्ष 1997 में ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।
राकेश अस्थाना
- गृह मंत्रालय की आधिकारिक सूचना के मुताबिक, सीमा सुरक्षा बल (BSF) के महानिदेशक राकेश अस्थाना को दिल्ली का नया पुलिस आयुक्त नियुक्त किया गया है।
- गुजरात कैडर के वर्ष 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना, दिल्ली के पुलिस आयुक्त बालाजी श्रीवास्तव का स्थान लेंगे, जिन्हें इस वर्ष जून माह में दिल्ली पुलिस प्रमुख का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था।
- राकेश अस्थाना का जन्म 9 जुलाई, 1961 को रांची में हुआ था और उन्होंने झारखंड के नेतरहाट आवासीय विद्यालय से अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। इसके पश्चात् उन्होंने दिल्ली के ‘जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय’ (JNU) से उच्च शिक्षा प्राप्त की और सिविल सेवा परीक्षा पास करने के बाद वे ‘भारतीय पुलिस सेवा’ (IPS) में शामिल हो गए।
- वर्ष 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद वर्ष 1861 के भारतीय पुलिस अधिनियम के माध्यम से अंग्रेज़ों द्वारा पुलिस व्यवस्था को एक संगठित रूप दिया गया। वर्ष 1912 में दिल्ली के पहले मुख्य आयुक्त की नियुक्ति की गई और उन्हें पुलिस महानिरीक्षक की शक्तियाँ और कार्य दिये गए। स्वतंत्रता के बाद दिल्ली पुलिस को पुनर्गठित किया गया और इसमें कर्मियों की संख्या लगभग दोगुनी कर दी गई।
नंदू नाटेकर
- 28 जुलाई, 2021 को विश्व प्रसिद्ध भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी ‘नंदू नाटेकर’ का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया है।
- नंदू नाटेकर वर्ष 1956 में एक अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता जीतने वाले पहले भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी थे। छह बार के राष्ट्रीय एकल चैंपियन नंदू नाटेकर ने 20 वर्ष की आयु में भारत की ओर से अपना पदार्पण किया और वर्ष 1951-1963 तक (लगभग एक दशक से अधिक समय) ‘थॉमस कप चैंपियनशिप’ की पुरुष टीम में भारत का नेतृत्त्व किया। वर्ष 1933 में महाराष्ट्र के सांगली में जन्मे, नंदू नाटेकर ने 15 वर्ष के अपने कॅरियर में भारत के लिये 100 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खिताब जीते। इसके अलावा नंदू नाटेकर वर्ष 1961 में प्रथम अर्जुन पुरस्कार प्राप्तकर्त्ता भी थे।
बसवराज बोम्मई
- कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य के वरिष्ठ नेता बी.एस. येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद ‘बसवराज बोम्मयई’ ने राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। बसवराज बोम्मई ने वर्ष 2008 से वर्ष 2013 के बीच राज्य के ‘जल संसाधन मंत्री’ और जुलाई 2019 से राज्य के गृह मंत्री के रूप में कार्य किया है।
- उत्तरी कर्नाटक के हावेरी ज़िले के ‘शिगगाँव’ से तीन बार विधायक रह चुके 61 वर्षीय बसवराज बोम्मई, दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री ‘एस.आर. बोम्मई’ के पुत्र हैं। बसवराज बोम्मई सक्रिय राजनीति में शामिल होने से पूर्व एक मैकेनिकल इंजीनियर थे, जिन्होंने पुणे में टाटा कंपनी के साथ अपने इंजीनियरिंग कॅरियर की शुरुआत की थी।
मुंशी प्रेमचंद
- हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध लेखक और उपन्यास सम्राट का जन्म 31 जुलाई, 1880 में लमही गाँव (वाराणसी के पास) में हुआ था। उन्हें 20वीं सदी की शुरुआत के सुप्रसिद्ध लेखकों में से एक माना जाता हैं। उनका बचपन लमही गाँव में एक संयुक्त परिवार में बीता। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद वर्ष 1900 में उन्हें सरकारी ज़िला स्कूल, बहराइच में सहायक शिक्षक के रूप में नौकरी मिली। इसी बीच उन्होंने अपना पहला लघु उपन्यास ‘असरार-ए मुआबिद’ शीर्षक से लिखा, जिसका अर्थ है ‘देवस्थान रहस्य’ यानी ‘भगवान के निवास का रहस्य’।
- वर्ष 1907 में उन्होंने ‘ज़माना’ पत्रिका में ‘दुनिया का सबसे अनमोल रतन’ नाम से अपनी पहली कहानी प्रकाशित की। वर्ष 1914 में उन्होंने हिंदी में लिखना शुरू किया और अपना नाम ‘नवाब राय’ से बदलकर ‘प्रेमचंद’ कर लिया। उनका पहला लेख ‘सौत’ सरस्वती पत्रिका में दिसंबर 1915 में प्रकाशित हुआ। मुंशी प्रेमचंद का पहला हिंदी उपन्यास ‘सेवा सदन’ वर्ष 1919 में प्रकाशित हुआ। वर्ष 1921 में उन्होंने महात्मा गांधी के आह्वान पर अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी। इसके पश्चात् वर्ष 1923 में उन्होंने वाराणसी में ‘सरस्वती प्रेस’ नाम से एक प्रकाशन हाउस स्थापित किया, जहाँ उन्होंने रंगभूमि, निर्मला, प्रतिज्ञा, गबन, हंस, जागरण आदि का प्रकाशन किया। सेवासदन, प्रेमाश्रम, निर्मला, रंगभूमि, गबन, गोदान आदि उपन्यासों से लेकर नमक का दरोगा, प्रेम पचीसी, सोज़े वतन, प्रेम तीर्थ, पाँच फूल, सप्त सुमन, बाल साहित्य जैसे कहानी संग्रहों की रचना कर उन्होंने हिंदी साहित्य को एक नई ऊँचाई पर पहुँचाया।
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