संगठन के सही रूप का चयन |Choosing the right form of organization in Hindi
संगठन के सही रूप का चयन
संगठन के सही रूप का चयन
हमारी अर्थव्यवस्था में व्यवसाय के विभिन्न रूप प्रचलित हैं। अतः व्यावसायिक संगठन के किसी भी रूप को चुनते समय हम उसके विभिन्न घटकों का विश्लेषण करते हैं तथा अपनी वित्तीय और प्रबन्धकीय क्षमताओं के अनुरूप अधिक उपयुक्त रूप को चुनने का प्रयास करते हैं। अब हम उन तथ्यों का अध्ययन करेंगे जो व्यावसायिक संगठन के सही रूप का चयन करने में हमारी मदद करेंगे ।
(क) संस्थापन में सरलता :
- एक अकेला व्यापारी किसी भी समय व्यवसाय आरंभ कर सकता है और अपनी इच्छा से उसे बन्द भी कर सकता है। साझेदारी में आपसी सद्भावना एवं विश्वास का होना आवश्यक है। कम्पनी को संस्थापन के लिए बहुत सी वैधानिक औपचारिकताओं को पूरा करना पड़ता है। इसीलिए एकल स्वामित्व की स्थापना सबसे सरल है।
(ख) व्यापक संसाधनों की उपलब्धता
- एक अकेले व्यक्ति का व्यवसाय विश्व में सबसे अच्छा होता है यदि उसके पास प्रचुर मात्रा में संसाधन हों तथा वह उसका प्रबंध करने में सक्षम हो । लेकिन साधारणतया एक अकेला व्यक्ति व्यवसाय को चलाने में इसीलिए सक्षम नहीं होता है क्योंकि उसके पास सीमित संसाधन होते हैं और उसमें प्रबंधन की योग्यता भी सीमित होती है। साझेदारी में भी साझेदारों के वित्तीय संसाधन सीमित होते हैं। इसीलिए केवल कम्पनी ही बड़े व्यवसाय के प्रबंधन के लिए पर्याप्त पूँजी और विशेषज्ञों की सेवाएं एकत्र कर सकती है।
(ग) दायित्व अथवा जोखिम
- हम जानते हैं कि एकल स्वामित्व व साझेदारी दोनों में सदस्यों का दायित्व असीमित होता है और सहकारी समिति व कम्पनी के सदस्यों का दायित्व सीमित होता है। चूंकि सदस्य बड़ा जोखिम उठाने से हिचकिचाते हैं इसीलिए वे एक कम्पनी में निवेश करना पसंद करते हैं।
(घ) स्थायित्व
- किसी व्यवसाय की सफलता के लिए स्थायित्व जरूरी होता है । कम्पनी और सहकारी समिति का अस्तित्व इसके सदस्यों के अस्तित्व और धन पर निर्भर नहीं करता है। व्यावसायिक संगठन के प्रकार एकल स्वामित्व तथा साझेदारी का अस्तित्व सदस्यों से जुड़ा है। उनकी मृत्यु या दिवालिया होने की दशा में विघटन हो जाता है किन्तु कम्पनी का अस्तित्व, इसके सदस्यों की मृत्यु अथवा दिवालिया होने पर भी जारी रहता है।
(ङ) लचीलापन
- व्यवसाय के एक आदर्श रूप के संचालन में लचीलापन होना आवश्यक है। इसके संचालन के लिए निर्णयों का शीघ्रता से एवं उन का शीघ्रता से लागू करना जरूरी है। इसके संचालन में किसी भी प्रकार की कठोरता, इसके अस्तित्व एवं विकास के लिए लाभदायी नहीं होगी।
- कम्पनी अधिक लचीलेपन का लाभ उठाती है क्योंकि वित्तीय आवश्यकता होने पर यह कभी भी पूँजी एकत्रित कर सकती है, साथ ही सदस्यों की संख्या में वृद्धि कर सकती है। साझेदारी में सदस्यों की अधिकतम संख्या 20 है । एकल स्वामित्व में केवल एक सदस्य होता है तथा उसके वित्तीय साधनों की उपलब्धता भी सीमित होती है।
- लेकिन कामकाज में सबसे अधिक लचीलापन केवल एकल स्वामित्व संगठन में ही होता है। उसे अन्य सदस्यों के अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होती जैसा कि साझेदारी या कम्पनी अधिनियम का प्रावधान है। इसीलिए, एकल स्वामित्व के मामले में व्यवसाय की प्रकृति एवं इसके संचालन को किसी भी समय परिवर्तित करने में सरलता होती है ।
(च) गोपनीयता :
- एकल व्यापारी अपने व्यवसाय का स्वामी होता है। उसे अपनी गोपनीयता को किसी अन्य से बांटना जरूरी नहीं होता। साझेदारी पारस्परिक एजेंसी पर आधारित होती है, इसीलिए इसके सभी सदस्यों को व्यवसाय की प्रत्येक जानकारी प्राप्त करने का अधिकार होता है। लेकिन उनके लिए भी गोपनीयता रखना अधिक कठिन नहीं होता । कम्पनी को बहुत सारे दस्तावेजों को जमा कराना होता है तथा उनको अपनी वार्षिक रिपोर्ट में प्रकाशित करना होता है। इसलिए कम्पनी संगठन में सबसे कम गोपनीयता होती है ।
(छ) सरकार का अत्यधिक नियंत्रण
- जबकि सभी व्यवसायों में सरकारी विनियमों को नजर अंदाज करना संभव नहीं है लेकिन फिर भी एक व्यवसायी ऐसा व्यावसायिक संगठन चुनना चाहेगा जिस पर सरकारी हस्तक्षेप कम से कम हो । एक कम्पनी को तो अपना व्यवसाय आरंभ करने से पूर्व ही बहुत सारी वैधानिक औपचारिकताओं को पूरा करना होता है। यहाँ तक कि स्थापना के उपरान्त भी कम्पनी को बहुत से वैधानिक प्रावधानों का पालन करना पड़ता है। एकल स्वामित्व और साझेदारी में सरकार का नियंत्रण अपेक्षाकृत कम होता है ।
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