उपभोक्ता संरक्षण से जुड़े पक्ष।Consumer protection aspects
उपभोक्ता संरक्षण से जुड़े पक्ष
उपभोक्ता संरक्षण से जुड़े पक्ष
यदि आपने उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए कदम उठाये जाने की आवश्यकता को अच्छी तरह समझ लिया है तो सवाल यह है कि ये कदम कौन उठायेगा? क्या केवल उपभोक्ता ये कदम उठा सकते हैं। या हमें सरकार पर निर्भर रहना होगा। क्या व्यापारी कुछ कर सकते हैं? या कर उपभोक्ता को अपने हितों की रक्षा के लिए गैर सरकारी संगठनों के पास जाना चाहिये ? वास्तव में प्रभावी उपभोक्ता संरक्षण के लिए यह आवश्यक है कि इन तीनों पक्षों (i) उपभोक्ता (ii) व्यापारी और (iii) सरकार को इसमें सम्मिलित किया जाए।
आइए, हम विचार करें कि ये सभी पक्ष क्या कर सकते हैं ?
1 स्वयं सहायता सर्वोतम सहायता है:
- आप इस बात से तो सहमत होंगे कि स्वयं की सहायता, सर्वोतम सहायता है। इसलिए उपभोक्ताओं को जहां तक संभव हो सके अपने हितों का खुद ध्यान रखना चाहिए और बाजार के हथकंडों से अपनी रक्षा करनी चाहिए। इसके लिए आवश्यक है कि वे अपने अधिकारों और उनके इस्तेमाल के बारे में जानें। उन्हें व्यापारियों की समझ के भरोसे नहीं रहना चाहिए। उपभोक्ताओं को इससे सम्बन्धित जानकारी या सूचना पाने का अधिकार है और साथ ही अपनी बातें सुने जाने का अधिकार भी है। उन्हें स्थानीय उपभोक्ता संघ द्वारा उपभोक्ताओं के लिए आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेना चाहिए और सार्वजनिक कार्यकर्ताओं को उपभोक्ताओं के अधिकारों और उनके संरक्षण के लिए उपलब्ध कानूनों के बारे में बतलाने के लिए आमंत्रित करना चाहिए।
व्यापारियों द्वारा सम्मान
- जहां तक व्यापारियों का प्रश्न है, उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि उत्पादक, वितरक, डीलर, थोक विक्रेता और खुदरा विक्रेता सभी अपने हित में, उपभोक्ताओं के अधिकारों का पूरा सम्मान करें। उन्हें सही मूल्य पर उत्तम प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए। अनुचित तरीकों की रोकथाम के लिए व्यापारी संघों, वाणिज्य और उद्योग परिसंघों, और निर्माता संघों को अपने सदस्यों के खिलाफ उपभोक्ताओं की शिकायतें सुननी चाहिएँ और गलत शर्ते रखने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई करनी चाहिए।
सरकार द्वारा हितों का संरक्षण :
- सरकार को चाहिए कि वह पूरे समाज के हित में उपभोक्ता संरक्षण को दायित्व मानकर चले। यह आवश्यक है कि विभिन्न उपभोक्ता संघों के दृष्टिकोण के अनुरूप उपभोक्ता हितों के संरक्षण के लिए कानून लागू किए जायें और मौजूदा कानूनों में सुधार किया जाए। सरकार द्वारा केन्द्र और राज्य स्तर पर गठित नीति निर्धारक निकायों में उपभोक्ता संघों के प्रतिनिधियों को भी सम्मिलित किया जाना चाहिए। सरकार ने इस दिशा में समय-समय पर कई कदम उठाए भी हैं ।
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