दिल्ली स्थापत्य कला | दिल्ली का इतिहास |Delhi Architecture in Hindi
दिल्ली स्थापत्य कला
दिल्ली का इतिहास
दिल्ली का इतिहास
- दिल्ली ने 2011 ई. में अपनी 100वीं जयन्ती मनाई। स्पष्ट ही है कि 1911 ई. में वह आधुनिक नगर बसा जिसे नई दिल्ली क हैं। तथापि दिल्ली का इतिहास तो इससे भी पुराना है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि सात महत्त्वपूर्ण नगरों को मिला कर दिल्ली नगरी बनी।
- पहली दिल्ली यमुना के दायें किनारे पर युधिष्ठिर द्वारा जो पाण्डवों में सबसे बड़े थे, इन्द्रप्रस्थ के नाम से बसाई गई। निश्चय ही आपको महाभारत की कहानी तो याद ही होगी जिसमें पाण्डव और कौरवों की कहानी है। लोककथाओं के आधार पर दिल्ली राजा ढिल्लु द्वारा ई. पश्चात् द्वितीय शताब्दी में बसाई गई। पालेमी, भूगोल, नक्शे में दिल्ली को दाइदल के नाम से दिखाया।
- लेकिन इससे भी बहुत समय पहले असंख्य हड़प्पा के स्थानों में दिल्ली नामक शहर ही दिखाया गया है। इसका प्रमाण आपको दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में मिल सकता है। उस समय से दिल्ली बढ़ती गई। आज यह इतनी बढ़ चुकी है कि यह न केवल अपने देश में बल्कि पूरे विश्व के बड़े-बड़े शहरों में से एक है।
- दिल्ली के साथ भी एक दिलचस्प कहानी जुड़ी हुई है। कहानी इस प्रकार है- राजा अशोक के जमाने में कुतुब मीनार परिसर में लौह स्तम्भ के नीचे एक सांप वासुकि को जमीन के भीतर ध केल दिया गया था। कुछ वर्षों बाद जब दिल्ली में लाल कोट के भीतर राजा अनंग पाल ने अपना राज्य स्थापित किया, तब उसने इस स्तम्भ को ऊपर खींच लिया और वासुकि को मुक्ति दिलवाई। उसी समय भविष्यवाणी की गई कि कोई भी वंश अब दिल्ली पर अधि क देर तक शासन नहीं कर पायेगा। तोमर वंश के बाद चौहान आए जिन्होंने महरौली के पास लाल कोट क्षेत्र में किला राय पिथौरा के नाम से एक नगर बसाया पृथ्वी राज चौहान महरौली से ही शासन करते थे।
- दिल्ली फिर सुर्खियों में आई जब गुलाम वंश का शासन प्रारंभ हुआ। आपको याद होगा कि कुतुबुद्दीन ऐबक ने प्रसिद्ध कुतुब मीनार बनवानी शुरू की जिसे बाद में इल्तुत्मिश ने पूरा करवाया।
- बाद में अलाउद्दीन खिलजी सुलतान बने, तब सीरी शक्ति का केन्द्र बनी। सीरी किला आज भी विद्यमान है और यह क्षेत्र दिल्ली में शाहपुर जाट नाम से प्रसिद्ध है। सीरी की भी एक दिलचस्प कहानी है।
- अलाउद्दीन खिलजी का शासन निरन्तर मंगोल आक्रमणकारियों द्वारा त्रस्त रहता था। कुछ मंगोल जो शहर में रह गये, वे विद्रोही बन गए। अलाउद्दीन खिलजी ने उनके सिर कटवा दिए और शहर की दीवारों के नीचे दबवा दिए। इससे यह स्थान सिरी कहलाने लगा। सिर शब्द आप जानते ही हैं, आज भी शरीर के ऊपरी भाग को सिर ही कहा जाता है।
- कुछ वर्षों बाद, जब तुगलक वंश गद्दी पर बैठा, सुलतान गियासुद्दीन तुगलक ने तुगलकाबाद नामक शहर बसाया। यह एक किले के समान बनाया गया शहर था। गियासुद्दीन की मृत्यु के बाद मोहम्मद बिन तुगलक (1320 ई. - 1388 ई.) ने दिल्ली के पुराने नगरों को एकत्रित करके एक नया शहर बनवाया जिसका नाम रखा गया जहाँपनाह ।
- इब्न बतूता ने, जो मुहम्मद बिन तुगलक के दरबार में रहता था, इस नगर का बहुत रोचक वर्णन किया है। वह वर्णन करता है- " भारत का एक महानगर, एक विस्तृत और शानदार नगर है जिसमें सौन्दर्य और शक्ति दोनों एक हो गई हैं। यह एक चारदिवारी से घिरा है जिसकी दुनिया में दूसरी मिसाल नहीं है और यह भारत का सबसे बड़ा नगर है; शायद पूरे मुस्लिम साम्राज्य में"।
- तुगलक वंश का एक और महत्त्वपूर्ण शासक था फीरोज शाह तुगलक। उसके राज्य में दिल्ली की जनसंख्या बहुत बढ़ गई थी और इसका विस्तार भी बढ़ चुका था। उसने फिरोजाबाद बनाया जो फिरोजशाह कोटला के समीप ही स्थित है। फिर भी 1398 ई. में समरकन्द के शहंशाह तैमूर के आक्रमण ने इसकी शानोशौकत को नष्ट कर दिया, साथ ही जहांपनाह शहर को भी । तैमूर अपने साथ भारतीय वास्तुकारों और मजदूरों को समरकन्द में मस्जिदें बनवाने के लिए अपने साथ ले गया। बाद के शासकों ने आगरा को राजधानी बनाया।
- मुगल शासक हुमायुँ ने प्राचीन इन्द्रप्रस्थ के खण्डहरों पर 'दीनेपनाह' बनाया। लेकिन हुमायूँ के पोते शाहजहाँ ने दिल्ली की शान को फिर से जीवित कर दिया। उसने 1639 ई. में लाल किला बनवाना शुरू किया और 1648 ई. में पूरा किया।
- 1650 ई. में उसने प्रसिद्ध जामामस्जिद बनवानी प्रारंभ की। शाहजहाँ का नगर शाहजहानाबाद कहलाया। बड़े बड़े शायर जैसे दर्द, मीर तकी, मिर्जा गालिब ने गजलें लिखी और गजलों की भाषा उर्दु इस समय की प्रसिद्ध भाषा हो गई। ऐसा माना जाता है कि शाहजहांबाद ईराक के बगदाद से भी ज्यादा खूबसूरत था और तुर्की के कुस्तुन्तुनिया से भी अधिक शानदार ।
- शताब्दियों के बाद नादिरशाह 1939 ई. की सेनाओं ने तथा अहमद शाह अब्दाली (1748 ई.) ने और अन्दर से लगातार आक्रमणों ने इस शहर को लूट कर बर्बाद कर दिया। इससे शहर कमजोर पड़ गया।
- लेकिन इन सभी समस्याओं के बावजूद दिल्ली में अभी भी बहुत कुछ देने को था- संगीत, नृत्य, नाटक और लजीज खाने, साथ ही एक समृद्ध सांस्कृतिक भाषा और साहित्य ।
कहते हैं कि दिल्ली कम कम 24 सूफियों का घर थी जिनमें से अधिक प्रसिद्ध सूफी जहांपनाह क्षेत्र से ही थे। उनमें से कुछ थे
1. कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी जिनकी खानकाह या डेरा मेहरौली में था।
2. निजामुद्दीन औलिया जिसका डेरा निजामुद्दीन में था।
3. शेख नसीरूद्दीन महमूद जो लोगों मे चिरागे दिल्ली के नाम से प्रसिद्ध थे।
4. अमीर खुसरो जो एक महान कवि, जादूगर और विद्वान था।
- 1707 ई. के बाद मुगल शासन कमजोर पड़ गया और दिल्ली भी अपनी धुंधली छाया मात्र रह गई। 1803 ई. में अंग्रेजों ने मराठों को हरा कर दिल्ली पर कब्जा कर लिया। कश्मीरी गेट और सिविल लाइन्स के पास के क्षेत्र महत्त्वपूर्ण केन्द्र बन गए जहाँ अंग्रेजों ने कई ईमारतें बनवाई।
- 1911 ई. में अंग्रेजों ने अपनी राजधानी दिल्ली को बनाया और एक नया शहर 'नई दिल्ली' बसाया। यह बहुत शानदार ढंग से बनाया गया था।
- इण्डिया गेट, वायसराय हाउस जो अब राष्ट्रपति भवन है, संसद भवन, उत्तरी और दक्षिणी ब्लाक | जैसी सभी विशाल संरचनाएँ ब्रिटिश राज्य में भारतीय प्रजा पर रौब जमाने के लिए बनवाए गए। इनसे ब्रिटिश साम्राज्य की सर्वोच्चता, शाही शानोशौकत और भव्यता का प्रदर्शन होता था। यह शहर 1932 ई. तक बन कर तैयार हुआ।
- कनाट प्लेस आज भी शहर का प्रमुख व्यापारिक केन्द्र है। दिल्ली आज भी भारत का महत्त्वपूर्ण व्यापारिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक केन्द्र है। बड़ी बड़ी भव्य इमारतें, सुन्दर उद्यान, पुल, मेट्रो, खूबसूरत हवाई अड्डा, शिक्षा केन्द्र, संग्रहालय, थोक की मण्डियाँ राजदूतों के निवास, और विश्व में सभी देशों के उच्च आयुक्त, बड़े बड़े मॉल, प्रमुख उद्योग आदि सभी इसको एक शानदार शहर सिद्ध करते हैं। कहा जाता है दिल्ली है दिलवालों की। (दिल्ली उनकी है जिनके दिल बड़े हैं ) ।
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