आर्थिक संवृद्धि और आर्थिक विकास | आर्थिक विकास का अर्थ |Economic growth and economic Development
आर्थिक संवृद्धि और आर्थिक विकास
- अर्थशास्त्र, दुर्लभता से सफलतापूर्वक निपटने के लिए तीव्र चुनाव से संबंधित अध्ययन है। दुर्लभ संसाधनों के आबंटन की सफलता के मूल्यांकन का सबसे अधिक मौलिक माप, आर्थिक संवृद्धि है। व्यक्ति अपनी आय और परिसंपत्तियों के मूल्य में परिवर्तन पर निगरानी रखते हैं।
- व्यवसाय अपने लाभों तथा बाजार में अंश का ध्यान रखते हैं। राष्ट्र, राष्ट्रीय आय और उत्पादकता आ जैसे आर्थिक संवृद्धि के मापने के विभिन्न आंकड़ों पर निगरानी रखते हैं। संवृद्धि और उत्पादकता से आगे बढ़कर कुछ अर्थशास्त्री यह तर्क देते हैं कि राष्ट्र की अर्थव्यवस्था का अनुमान लगाने में वितरण का माप, समता, प्रति व्यक्ति आय आदि को भी सम्मिलित करना चाहिए। इसके अलावा देश को अन्य सामाजिक आवश्यकताओं पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए। जैसे- पर्यावरण न्याय या आर्थिक संवृद्धि की प्रक्रिया की निरंतरता के लिए सांस्कृतिक विकास और शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, रोजगार और पर्यावरण की धारणीयता के अधिक अवसरों के माध्यम से अर्थव्यवस्था के सर्वांगीण विकास की अनुमति देता है।
इस आर्टिकल का अध्ययन करने के बाद आप
- आर्थिक संवृद्धि और आर्थिक विकास के अर्थ और अंतर को समझ पाएंगे;
- धारणीय विकास और मानव विकास की अवधारणाओं को समझ पाएंगे;
- आर्थिक संवृद्धि को प्रभावित करने वाले कारकों को जान पाएंगे; तथा
- विकासशील देशों की मुख्य विशेषताओं को समझ पाएंगे।
आर्थिक संवृद्धि का अर्थ Economic growth
- आर्थिक संवृद्धि पद को एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसमें देश की वास्तविक राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय में दीर्घ अवधि तक वृद्धि होती है।
आर्थिक संवृद्धि की इस परिभाषा में आर्थिक संवृद्धि की निम्न विशेषताएं सम्मिलित हैं
- आर्थिक संवृद्धि, राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि की प्रक्रिया का सम्मिलित संकेत करती है। प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि, आर्थिक संवृद्धि का एक बेहतर माप है, क्योंकि यह आम जनता के रहन-सहन के स्तर में वृद्धि की ओर संकेत करती है।
- आर्थिक संवृद्धि की माप राष्ट्रीय आय में वास्तविक वृद्धि के रूप में की जाती है, न केवल मौद्रिक आय अथवा सांकेतिक राष्ट्रीय आय में वृद्धि के रूप में दूसरे शब्दों में वृद्धि वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में वृद्धि के रूप में होनी चाहिए। केवल विद्यमान वस्तु की बाजार कीमत में वृद्धि के कारण नहीं ।
- राष्ट्रीय आय में वृद्धि दीर्घ काल के लिए होनी चाहिए। राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि दीर्घ कालीन अवधि तक रहनी चाहिए। आय में अल्प कालीन, मौसमी या अस्थायी वृद्धि को आर्थिक संवृद्धि से भ्रमित नहीं करना चाहिए।
- आय में वृद्धि, उत्पादन क्षमता में वृद्धि पर आधारित होनी चाहिए : अर्थव्यवस्था की आय में वृद्धि तभी निरंतर हो सकती है, जबकि यह वृद्धि उत्पादन क्षमता में स्थायी वृद्धि जैसे आधुनिकीकरण अथवा उत्पादन में नई प्रौद्योगिकी के प्रयोग के कारण, आधारिक संरचना के शक्तिशाली होने जैसे परिवहन नैटवर्क, बिजली के उत्पादन में वृद्धि आदि के कारण हो ।
आर्थिक विकास का अर्थ
- आर्थिक विकास को समाज के भौतिक कल्याण में निरंतर वृद्धि के रूप में परिभाषित किया जाता है। आर्थिक विकास, आर्थिक संवृद्धि से अधिक व्यापक अवधारणा है। राष्ट्रीय आय में वृद्धि के अलावा इसमें सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक तथा आर्थिक परिवर्तन, सम्मिलित होते हैं, जो कि भौतिक उन्नति में योगदान देते हैं। इसमें संसाधनों की आपूर्ति, पूंजी निर्माण की दर, जनसंख्या का आकार और बनावट, प्रौद्योगिकी, कौशल और कार्य कुशलता, संस्थागत तथा प्रबंध व्यवस्था में परिवर्तन शामिल होते हैं।
- ये परिवर्तन अधिक विस्तृत उद्देश्यों, जैसे-आय के अधिक समान वितरण की सुनिश्चितता, अधिक रोजगार, निर्धनता उन्मूलन को हैं। संक्षेप में, आर्थिक विकास एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें पूर्ति के मौलिक कारकों तथा मांग की बनावट जैसे अंतर्संबंधित परिवर्तनों की एक लंबी श्रेणी सम्मिलित होती है, जिनसे देश के शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन में दीर्घकाल तक वृद्धि होती है।
- पूरा करते आर्थिक संवृद्धि एक संकुचित पद है। उसमें उत्पादन में मात्रात्मक वृद्धि शामिल होती है, किंतु आर्थिक विकास में उत्पादन या राष्ट्रीय आय में मात्रात्मक वृद्धि के साथ गुणात्मक परिवर्तन जैसे सामाजिक दृष्टिकोण, रीति रिवाज आदि भी सम्मिलित हैं।
धारणीय विकास का अर्थ Sustainable growth
- धारणीय विकास एक ऐसा विकास है, जो भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं की पूर्ति की क्षमता से समझौता किए बिना वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। धारणीय विकास में भावी आर्थिक संवृद्धि तथा भावी विकास के संरक्षण सम्मिलित होता हैं। अन्य शब्दों में, इसका अभिप्राय प्रत्येक व्यक्ति के लिए जीवन की बेहतर गुणवत्ता से है। धारणीय विकास में भावी आर्थिक संवृद्धि तथा भावी विकास का संरक्षण सम्मिलित होता है।
- संवृद्धि अनिवार्य है, किंतु धारणीय विकास इसे विभिन्न प्रकार से देखता है। इसका संबंध भौतिक पर्यावरण से अधिक होना चाहिए, न केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए, किंतु भावी पीढ़ी के लिए भी इसका अभिप्राय है कि वर्तमान उपयोग की व्यवस्था आर्थिक ऋण को बढ़ाकर तथा परिस्थितिकीय असंतुलन लाकर, , जिनका भुगतान भावी पीढ़ी करेगी, दीर्घकाल तक नहीं की जा सकती। धारणीय विकास, सामाजिक और आर्थिक उन्नति के लिए ऐसी विधियों की लगातार खोज करता है, जिनसे पृथ्वी के सीमित प्राकृतिक संसाधन समाप्त नहीं होंगे।
- धारणीय विकास, विकास की ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें विकास लाने के लिए आर्थिक तथा अन्य नीतियां बनाई जाती है, जो आर्थिक, सामाजिक और परिस्थितिकीय धारणीय होती हैं। इस प्रकार, यह अवधारणा व्यक्तियों, रोजगार और प्रकृति के पक्ष से होती है। यह निर्धनता कम करने, उत्पादक रोजगार, सामाजिक गठबंधन तथा पर्यावरण पुनरुत्थान को उच्चतम प्राथमिकता देती है।
इस प्रकार धारणीय विकास के लिए आवश्यकता है
- परिस्थितिकीय संसाधनों को सुरक्षित रखना तथा नवीकरणीय संसाधनों का अधिक प्रयोग करना
- विकास के लिए पर्यावरण के लिए सुरक्षित प्रौद्योगिकी के प्रयोग को प्रोत्साहन देना अर्थात् आर्थिक क्रियाओं से होने वाले सभी प्रकार के प्रदूषणों को कम करने पर ध्यान केंद्रित करने से है।
- पारिस्थितिकीय और आर्थिक सुरक्षा को सम्मिलित करके लोगों की सुरक्षा और मानव न्याय की नीतियों का खाका तैयार करने और लागू करने से है।
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