समुदाय आधारित संगठन (सीबीओ) दृष्टिकोण की अनिवार्य प्रकृति |सहभागिता सोपान की अवधारणा |Essential Nature of the Community Based Organization (CBO) Approach
समुदाय आधारित संगठन (सीबीओ) दृष्टिकोण की अनिवार्य प्रकृति
समुदाय आधारित संगठन (सीबीओ) दृष्टिकोण की अनिवार्य प्रकृति
- पिछले अनुभव को ध्यान में रखते हुए और स्थायी विकास में एक मुख्य कारक के रूप में जन-भागीदारी को यथायोग्य मान्यता देते हुए भारतीय राज्य ने ग्राम विकास कार्यक्रमों में स्थानीय समुदायों की भागीदारी को आमंत्रण देने के लिए नीतिगत उपाय किए।
- विकास कार्यक्रमों में स्थानीय (लक्ष्य) की सक्रिय संबद्धता और भागीदारी के लिए प्रयासरत यह दृष्टिकोण ग्राम विकास के लिए बहुत हद तक हाल ही का दृष्टिकोण है। यह वस्तुतः ग्राम विकास के इतिहास में नया मोड़ रहा है क्योकि इसमें विकास कर्मियों के साथ-साथ ग्राम समुदायों की ओर से भी मनोवृत्ति और व्यवहार में एक बदलाव की अपेक्षा की गई थी।
- सहभागितापूर्ण दृष्टिकोण का निहितार्थ यह है कि लक्ष्य समुदाय मात्र विकास के लाभ उठाने वाले लाभार्थी ही नहीं हैं, बल्कि वे ग्राम विकास की प्रक्रिया में सक्रिय सहभागी भी हैं।
ग्राम विकास के लिए समुदाय आधारित दृष्टिकोण की परिकल्पनाएं निम्नलिखित हैं:
- किसी भी ग्राम विकास परियोजना अथवा कार्यक्रम में आरंभ से ही लक्ष्य समुदाय की भागीदारी;
- ग्रामीण समुदाय की भागीदारी के साथ स्थानीय स्तर पर ही विकास कार्यक्रम का संकल्पन, अभिकल्पन और नियोजन;
- कार्यक्रम के क्रियान्वयन से जुड़े सभी कार्यकलापों में लक्ष्य समुदाय का शामिल होना; कार्यक्रम द्वारा बनाई गई परिसंपत्तियों के अनुरक्षण में लक्ष्य समुदाय का शामिल होना; और
- विकास कार्यक्रम में आने वाली लागत पूरी करने के लिए विकास अभिकरण के साथ विनिर्दिष्ट अथवा सहमति के अनुसार आनुपातिक रूप में संसाधनों (वित्तीय समेत) का योगदान ।
- इन सभी कामों में किसी भी ग्राम विकास कार्यक्रम को चलाने वाले स्थानीय समुदाय की सुसंगत, समयबद्ध और संगठित भागीदारी की अपेक्षा होती है। स्थानीय समुदायों में आधारित संगठनों का गठन इन्हीं उत्तरदायित्वों को उठाने और निभाने के लिए होता है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में समुदायों की भागीदारी को संस्थागत किया जा सके।
- मूल रूप से यही ग्राम विकास सीबीओ-दृष्टिकोण है। लक्ष्य समुदायों की भागीदारी ही सीबीओ दृष्टिकोण के मूल में निहित है। यह दृष्टिकोण ग्राम विकास कार्यक्रमों को अधिक सक्षम, न्यायोचित और एक स्थायी तरीके से चलाने की परिकल्पना करता है। यह ग्राम-समुदायों को सशक्त बनाता है और इस तरह वे अपने निजी विकास को नियंत्रित करने में सक्षम हो जाते हैं।
- ऐसे अभूतपूर्व स्तर पर सीबीओ दृष्टिकोण के अंगीकरण के लिए मुख्य प्रेरणा पहले के (निकृष्ट निष्पादन वाले) ग्राम विकास कार्यक्रमों से सीखे गए सबक से मिली। तथापि, ऐसे अन्य कारक भी थे जिन्होंने इस दिशा में प्रवृत्त किया।
- एक गंभीर और सुविचारित सोच स्वैच्छिक क्षेत्र के भीतर से उभरी कि समुदाय केंद्रित सहभागी दृष्टिकोण ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी विकास लाने के लिए अपनाया ही जाना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय दानदाता देश तथा विश्वबैंक और संयुक्त राष्ट्र जैसे बहुपक्षीय सहायता अभिकरण ग्राम विकास में समुदायिक भागीदारी पर जोर दे रहे थे।
- विभिन्न देशों में विकासानुभव पर आधारित सशक्त प्रमाण था जो बताता था कि सामुदायिक भागीदारी के बिना विश्व में कहीं भी कोई विकास कार्यक्रम सफल नहीं हुआ है। ये सभी विचार ग्राम विकास की प्रक्रिया में समुदाय आधारित संगठनों की एक प्रमुख और निर्णायक भूमिका और राज्य की न्यूनीकृत (केवल सहायक के रूप में) भूमिका की मांग कर रहे थे। यह विकास स्वैच्छिकवाद के मूल तत्व से मेल खाता है ।
- यह विकास की भावी दृष्टि और अंतरराष्ट्रीय वित्तपोषण अभिकरणों के अजेंडा के भी अनुरूप है। यह भारतीय राज्य के भी उपयुक्त था क्योंकि आगे चलकर, राज्य ग्राम विकास में लगे विकास कर्मियों के वेतन आदि पर आनेवाली लागत को कम कर सकता था। विशिष्ट कार्यक्रम संबंधी महत्व के होते हुए भी ग्राम विकास में सीबीओ दृष्टिकोण के लिए एक वृहत्तर औचित्य भी देखने में आता है।
- भारत चूंकि एक लोकतांत्रिक देश है, समुदाय आधारित संगठनों के माध्यम से ग्राम विकास ग्रामीण समाज में जन सामान्य स्तर पर लोकतंत्र को व्यापकता और गहराई प्रदान कर सकता है।
सहभागिता सोपान की अवधारणा में सीबीओ दृष्टिकोण का निर्धारण
सीबीओ दृष्टिकोण अन्य सहभागितापूर्ण दृष्टिकोणों से किस प्रकार भिन्न है, यह समझने और इसका महत्व जानने के लिए रॉबर्ट चैम्बर्स (2002) ने 'सहभागिता सोपान की अवधारणा को प्रयुक्त किया जो कि निम्न है:
निष्क्रिय सहभागिता
- सहभागिता की प्रक्रिया समुदाय की निष्क्रिय सहभागिता से आरंभ होती है। ग्रामवासी महज लाभग्राही रहते हैं और कोई भूमिका नहीं निभाते। कार्यक्रम का नियोजन और क्रियान्वयन पूर्ण रूप से विकास अभिकरणों, डीएज (Development Agencies) के हाथों में ही रहता है।
परामर्शी सहभागिता
- ग्रामवासियों से उनके विचार जानने के लिए परामर्श किया जाता है, परंतु निर्णय का अधिकार विकास अभिकरणों के पास ही रहता है। समुदायों से प्राप्त सूचना कार्यक्रम के अभिकल्पन और क्रिर्यान्वयन में प्रयोग की भी जा सकती हैं और नहीं भी।
योगदायी सहभागिता
- लाभार्थी ही परियोजनाओं की लागत को परस्पर वहन करते हैं। योगदान नकद या वस्तु अथवा श्रम के रूप में हो सकता है। कभी-कभी यह योगदान परियोजना द्वारा बनाई गई परिसंपत्तियों के भावी रखरखाव के लिए बचाकर रखा जाता है।
प्रकार्यात्मक सहभागिता
- सामुदायिक सहभागिता को सामूहिक क्रिया के रूप में संस्थागत बनाना। ग्राम विकास मंडल, स्व-सहायता समूह, प्रयोगकर्त्ता समूहों, वन परियोजना समिति, आदि जैसी संस्थाएं परियोजना के प्रभावकारी और पारदर्शी क्रियान्वयन के लिए बनाई जाती हैं। विकास अभिकरण ग्रामवासियों के साथ परियोजना विषयक सभी सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं।
अंतक्रियात्मक सहभागिता
- विकास अभिकरण परियोजनाओं के विषय में निर्णय लेने के लिए समुदाय के साथ परस्पर गहन विचार-विमर्श कर उसका क्षमता निर्माण करते हैं। विकास अभिकरण और ग्राम संस्थाओं जैसे पणधारियों की भूमिकाएं और ज़िम्मेदारियां इसी अवस्था के दौरान ही निर्धारित की जाती हैं। विकास अभिकरण सहायकों के रूप में कार्य करते हैं और समुदाय कार्यक्रम का कार्यान्वयनकर्ता बन जाता है।
स्वयं-संघटन
- इस अवस्था में समुदाय अपने संसाधनों, समस्याओं और संभावित समाधानों के विषय में जागरूकता और जानकारी पैदा कर लेता है। वह अपनी विकास आवश्यकताओं को समझने लगता है। विकास अभिकरण ग्राम समुदाय को अन्य अभिकरणों के साथ संबंध स्थापित करने में मदद करते हैं।
प्रारंभिक ग्राम विकास कार्यक्रमों में अंतर्निहित सहभागी दृष्टिकोण सहभागिता सोपान की प्रथम दो अवस्थाओं तक ही सीमित रहे, अर्थात निष्क्रिय और परामर्शी सहभागिता । सीबीओ-दृष्टिकोण के अंतर्गत ग्राम विकास कार्यक्रमों में समुदाय की योगदायी प्रकार्यात्मक और अंतर्क्रियात्मक भागीदारी भी शामिल होती है। यह दृष्टिकोण ग्रामीण समुदायों को सहभागिता सोपान के सर्वोच्च पद अर्थात ग्रामीण समुदाय को स्वयं-संघटन तक ले जाने के लिए प्रयास करता है। जब कोई ग्रामीण समुदाय स्वयं को सीबीओ दृष्टिकोण के अनुप्रयोग के साथ संघटित कर लेता है तो वह सशक्त स्थिति प्राप्त कर लेता है।
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