संयुक्त पूँजी कम्पनी की सीमाएँ | संयुक्त पूँजी वाली कम्पनी की उपयुक्तता |Limitations of Joint Stock Company
संयुक्त पूँजी कम्पनी की सीमाएँ
Limitations of Joint Stock Company
संयुक्त पूँजी कम्पनी की सीमाएँ
संयुक्त पूँजी कम्पनी कुछ महत्वपूर्ण सीमाएं नीचे दी गई हैं:
(क) गठन में कठिनता
कम्पनी अधिनियम के अनुसार, कम्पनी निर्माण में अनेक कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करना पड़ता है। साथ ही सरकार द्वारा समय-समय पर बनाए गए कई नियम एवं बिनियमों का भी पालन करना होता है ।
(ख) समूह द्वारा नियंत्रित
- सैद्धान्तिक रूप से यह आशा की जाती है कि कम्पनी का प्रबन्ध जन प्रशिक्षित एवं अनुभवी निदेशकों द्वारा किया जाए। लेकिन व्यावहारिक तौर पर अधि कतर मामलों में ऐसा नहीं हो पाता। अधिकतर कम्पनियों का प्रबन्धन एक ही परिवार से संबंध रखने वाले व्यक्तियों द्वारा किया जाता है। चूंकि अधिकतर अंशधारी दूर-दूर फैले होने से उनका कम्पनी प्रबंधन के विषय में भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण होता है। वे अंशधारी जिनके पास कम्पनी के बहुमत वाले अंश होते हैं वह कम्पनी की ओर से सभी निर्णय लेते हैं। इसीलिए कम्पनी के प्रजातांत्रिक गुण व्यवहार में प्रकट नहीं हो पाते।
(ग) सरकार का अत्यधिक नियंत्रण
- कम्पनी से विभिन्न अधिनियमों के भिन्न-भिन्न प्रावध गानों के पालन की अपेक्षा की जाती है। इनकी अवज्ञा से उसे भारी जुर्माना देना पड़ सकता है। यह कम्पनी के सुचारु काम-काज को प्रभावित करता है।
(घ) निर्णय में देरी
- कम्पनी को निर्णय लेने से पहले कुछ कानूनी कार्यवाहियों को पूरा : करना होता है, जैसे उसे कम्पनी के निदेशकों और / अथवा अंशधारकों की साधारण सभा में उनसे अनुमोदन प्राप्त करना होता है। इस प्रकार की औपचारिकताओं को पूर्ण करने में लम्बा समय लगता है, इसीलिए कुछ महत्वपूर्ण निर्णयों में देरी हो जाती है। ।
(ङ) गोपनीयता का अभाव
- कम्पनी के कई विषयों में गोपनीयता रख पाना मुश्किल होता है क्योंकि उन्हें निदेशक मण्डल और / अथवा सार्वजनिक सभा, जिनकी कार्यवाही अक्सर जनता के सामने खुली रहती है, का अनुमोदन प्राप्त करना होता है।
(च) सामाजिक बुराईयाँ
- संयुक्त पूँजी कम्पनी एक बड़े स्तर का व्यावसायिक संगठन है जिसके पास पूँजी का बड़ा भंडार होता है। यह इतनी बड़ी मात्रा में इसे बहुत सारी शक्ति | प्रदान करता है। इन शक्तियों का दुरुपयोग समाज में अस्वस्थ वातावरण उत्पन्न कर सकता है। जैसे किसी व्यवसाय पर एकाधिकार, उद्योग अथवा उत्पादन पर एकाधिकार; राजनीतिज्ञों और सरकार के कार्यों को प्रभावित करना; श्रमिकों, उपभोक्ताओं और निवेशकों इत्यादि का शोषण आदि ।
संयुक्त पूँजी वाली कम्पनी की उपयुक्तता
- जहां पर व्यवसाय का स्वरूप व्यापक और कार्यक्षेत्र विस्तृत होता है तथा उसमें निहित जोखिम अधिक होता है और बहुत अधिक वित्तीय संसाधनों तथा बड़ी मानव शक्ति की आवश्यकता होती है, वहां संयुक्त पूँजी कम्पनी उपयुक्त होती है। ऐसे व्यवसाय जहां पेशेवर प्रबंधन की आवश्यकता होती है, वहां भी कम्पनी संगठन उपयुक्त रहता है।
- कुछ व्यवसाय जैसे बैंकिंग एवं बीमा आदि में संयुक्त पूँजी कम्पनी ज्यादा उपयुक्त है। बड़े पैमाने पर उत्पादन की वरीयता के कारण आजकल व्यवसाय के इस प्रकार को अपेक्षाकृत अधिक महत्व दिया जा रहा है।
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