मुम्बई भारत के पश्चिमी तट पर अरब सागर के किनारे बसी हुई है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि कभी यह सात द्वीपों का समूह थी ।
यद्यपि इस स्थल पर प्रागैतिहासिक समय से ही लोग बस रहे थे, परंतु मुम्बई शहर 17वीं शताब्दी में अंग्रेजों के आने से ही अपनी आज की स्थिति में आया।
वस्तुतः यह 19वीं शताब्दी में अपने पूरे रूप में आ पाया। यह पहला शहर था जहाँ रेलवे बनी। कलकत्ता के साथ | यह भी उन दो शहरों में से जहाँ समाचार पत्र निकलने प्रारंभ हुए।
19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में बहुत से नागरिक और सरकारी भवन मुम्बई में विक्टोरिया, गोथिक शैली में बनने प्रारंभ हुए, उदाहरणतया सचिवालय ( 1874 ई.) काउन्सिल हाल (1876 ई.), एल्फिन्स्टन कालेज (1890)ई.)। पर सबसे भव्य शैली में 1867 ई. में विशाल रेलवे स्टेशन विक्टोरिया टमिर्नल ( वर्तमान छत्रपति शिवाजी टर्मिनल) बनाया गया। यह एक चर्च प्रतीत होता है न कि रेलवे स्टेशन। इसमें खुदाई किए गए पत्थरों की चित्रवल्लरी, धब्बेदार शीशे की खिड़कियाँ और हवाई दीवारें हैं ।
प्रसिद्ध 'गेटवे ऑफ इण्डिया', किंगजार्ज पञ्चम और क्वीन मेरी के भारत आने के स्वागत में, पीले पत्थर से स्थापत्य की इण्डो सारासिनिक शैली में बनवाया गया। यह 1924 ई. में बनकर तैयार हुआ और इसमें 24 लाख रुपये व्यय हुआ जो उस समय में एक बड़ी रकम मानी जाती थी। इसमें 26 मीटर ऊँची मेहराब, चार बड़े कंगूरे और महीन जालीदार काम पीले असिताश्म पत्थर पर बनाया गया है।
स्वतंत्रता के बाद, मुम्बई भारत की अग्रणी व्यापारिक और औद्योगिक नगरी बन गई है। स्टॉक एक्सचेंज, व्यापार केंद्र, प्रसिद्ध फिल्म उद्योग जिसे बॉलीवुड कहा जाता है और वह जिसका आप पाश्चात्यकरण और आधुनिकीरण के रूप में नाम ले सकते हैं, वह सब यहाँ है। जैसा कि आप जानते हैं कि आज यह भारत का सबसे महत्त्वपूर्ण वित्तीय नगर है जिसमें अनेक उद्योग चल रहे हैं जैसे कपड़ा उद्योग, वित्त और फिल्म निर्माण आदि।
बॉलीवुड विश्व में सबसे बड़ा फिल्म उद्योग है जहाँ अनेकों हिंदी फिल्म बनाई जाती हैं। गेटवे ऑफ इण्डिया के कारण मुम्बई में अँग्रेजी राज्य के निशान आज भी यहाँ स्पष्ट दिखाई देते हैं।
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