उपभोक्ता संरक्षण की आवश्यकता Need for Consumer Protection
उपभोक्ता संरक्षण की आवश्यकता Need for Consumer Protection
व्यवसाय में अपनाये जाने वाले गलत ओर अनुचित तरीके तथा उनसे बचने में आम उपभोक्ताओं की लाचारी के कारण ही उपभोक्ताओं के हितों को सुरक्षित करने के उपायों की आवश्यकता पड़ती है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि सेवाओं में कमी या खराब वस्तु की वजह से होने वाले नुकसान या हानि से स्वयं को बचाना, एक उपभोक्ता का मूलभूत अधिकार है। लेकिन इसके बावजूद अज्ञानता या जागरूकता के अभाव के कारण उपभोक्ता अपने अधिकारों का इस्तेमाल नहीं कर पाते। उदाहरण के तौर पर एक उपभोक्ता के रूप में हम सबको बाजार में उपलब्ध एक वस्तु के विभिन्न प्रकारों में से अच्छी किस्म की वस्तु चुनने का अधिकार है, लेकिन हम भ्रामक विज्ञापनों की वजह से सही चुनाव करने में असफल होते हैं और हल्की गुणवत्ता वाली चीजें खरीद लेते हैं।
कुछ परिस्थितियों में तो हम बिल्कुल लाचार हो जाते हैं, जैसे किसी उत्पाद की गुणवत्ता की पुष्टि करने में हम अपने आपको असमर्थ पाते हैं। चालाक दुकानदार अपनी लच्छेदार बातों से हमें आसानी से ठग सकता है। यदि दवा की गोलियों की पट्टी पर उसकी एक्सपायरी डेट ठीक से पढ़ी नहीं जा रही है तो हम इतनी जल्दी में होते हैं कि दुकानदार जो कहता है उसे मान लेते हैं। अब अगर उस दवा का असर नहीं होता है तो हम फिर डॉक्टर के पास जाते हैं और उनसे कोई दूसरी दवा लिखने का अनुरोध करते हैं। हम बिल्कुल भूल जाते हैं कि जो दवा हमने खरीदी थी, शायद उसका वांछित असर इसलिए नहीं हुआ क्योंकि हमें वह दवा दी गयी थी जिसका असर समाप्त हो चुका था।
कई बार तो ऐसा होता है कि हम अपनी ही कुछ निराधार मान्यताओं की वजह से हैं। जैसे हममें से कई लोगों का विश्वास होता है कि ऊंची कीमत का मतलब है बेहतर गुणवत्ता और ऐसे में अगर विक्रेता ने किसी उत्पाद की गुणवत्ता के अच्छी होने की सिफारिश कर दी तो हम उसके लिए ऊंची से ऊंची कीमत चुकाने की भी परवाह नहीं करते। इसके अलावा यह भी एक आम धारणा है कि आयातित वस्तुओं की गुणवत्ता बेहतर होगी ही। तो अगर किसी उत्पाद पर कोई भी लेबल या निशान लगा हो जो इसे विदेश में निर्मित बताए तो हम उत्पादन या निर्माण स्थल की कोई पुष्टि किये बिना ही इसे ऊंची कीमत पर खरीद लेते हैं ।
पैकेटों में बिकने वाले तैयार खाद्य पदार्थ जैसे आलू के चिप्स सेहत के लिए अच्छे नहीं होते। लेकिन बच्चे इन चीजों को खरीदते हैं, क्योंकि ये स्वादिष्ट होते हैं। शीतल पेय के कुछ ब्रांड युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं क्योंकि टेलीविजन पर नजर आने वाले इनके विज्ञापनों में नामी गिरामी फिल्मी कलाकार होते हैं और उनकी कही गई बातों का उनके ऊपर काफी प्रभाव होता है। अब तो ऐसा लगता है हम एक स्वादिष्ट पेय के रूप में चीनी और नमकके साथ ताजे नींबू पानी का स्वाद और महत्व बिल्कुल भूल ही गये हैं।
कई वस्तुओं के निर्माता प्राय: पैकिंग पर गुणवत्ता का स्तरीय प्रामाणिकता का मानक I.S.I. जैसा चिन्ह लगा देते हैं, जो कि कड़ी जांच परख के बाद ही लगाया जाने वाला प्रमाणिक चिन्ह होता है। इसी तरह यदि पैक किया सामान इस पर अंकित वजन से कम होता है तो खरीदने से पहले हमेशा इसमें वजन की पुष्टि कर पाना बहुत कठिन होता है। कभी-कभी तो तोलने की मशीनें भी त्रुटिपूर्ण होती है।
सबसे बड़ी बात तो यह है कि उपभोक्ताओं को, वस्तुओं के त्रुटिपूर्ण होने या सेवा में कमी होने की स्थिति के उपचार के रूप में अपने लिए सुलभ उपायों की सही जानकारी तक नहीं होती।
अब आप अच्छी तरह समझ सकते हैं कि उपभोक्ताओं को ऐसी अनुचित व्यापारिक गतिविधियों से बचाने के उपाय करना क्यों आवश्यक है, जिनसे उनका आर्थिक नुकसान तो होता ही है, वे उनके स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हो सकती है।
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