भारत में निर्धनता उन्मूलन तथा रोजगार सृजन के कार्यक्रम |Poverty Alleviation and Employment Generation Programs in India
भारत में निर्धनता उन्मूलन तथा रोजगार सृजन के कार्यक्रम
सरकार सम्मिलित विकास प्राप्त करने के लिए, निर्धनता उन्मूलन तथा रोजगार सृजन की कुछ विशेष योजनाओं के माध्यम से ध्यान केंद्रित कर रही है।
1 महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना ( एम. जी. एन. आर.ई.जी.ए.)
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम अर्थात् मनरेगा को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, 2005 (NREGA-नरेगा) के रूप में प्रस्तुत किया गया था। वर्ष 2010 में नरेगा (NREGA) का नाम बदलकर मनरेगा (MGNREGA) कर दिया गया।
- ग्रामीण भारत को ‘श्रम की गरिमा’ से परिचित कराने वाला मनरेगा रोज़गार की कानूनी स्तर पर गारंटी देने वाला विश्व का सबसे बड़ा सामाजिक कल्याणकारी कार्यक्रम है।
- मनरेगा कार्यक्रम के तहत प्रत्येक परिवार के अकुशल श्रम करने के इच्छुक वयस्क सदस्यों के लिये 100 दिन का गारंटीयुक्त रोज़गार, दैनिक बेरोज़गारी भत्ता और परिवहन भत्ता (5 किमी. से अधिक दूरी की दशा में) का प्रावधान किया गया है।
- ध्यातव्य है कि सूखाग्रस्त क्षेत्रों और जनजातीय इलाकों में मनरेगा के तहत 150 दिनों के रोज़गार का प्रावधान है।
- मनरेगा एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम है। वर्तमान में इस कार्यक्रम में पूर्णरूप से शहरों की श्रेणी में आने वाले कुछ ज़िलों को छोड़कर देश के सभी ज़िले शामिल हैं। मनरेगा के तहत मिलने वाले वेतन के निर्धारण का अधिकार केंद्र एवं राज्य सरकारों के पास है। जनवरी 2009 से केंद्र सरकार सभी राज्यों के लिये अधिसूचित की गई मनरेगा मज़दूरी दरों को प्रतिवर्ष संशोधित करती है।
मनरेगा की प्रमुख विशेषताएँ
- पूर्व की रोज़गार गारंटी योजनाओं के विपरीत मनरेगा के तहत ग्रामीण परिवारों के व्यस्क युवाओं को रोज़गार का कानूनी अधिकार प्रदान किया गया है।
- प्रावधान के मुताबिक, मनरेगा लाभार्थियों में एक-तिहाई महिलाओं का होना अनिवार्य है। साथ ही विकलांग एवं अकेली महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने का प्रावधान किया गया है।
- मनरेगा के तहत मज़दूरी का भुगतान न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम, 1948 के तहत राज्य में खेतिहर मज़दूरों के लिये निर्दिष्ट मज़दूरी के अनुसार ही किया जाता है, जब तक कि केंद्र सरकार मज़दूरी दर को अधिसूचित नहीं करती और यह 60 रुपए प्रतिदिन से कम नहीं हो सकती।
- प्रावधान के अनुसार, आवेदन जमा करने के 15 दिनों के भीतर या जिस दिन से काम की मांग की जाती है, आवेदक को रोज़गार प्रदान किया जाएगा।
- पंचायती राज संस्थानों को मनरेगा के तहत किये जा रहे कार्यों के नियोजन, कार्यान्वयन और निगरानी हेतु उत्तरदायी बनाया गया है।
- मनरेगा में सभी कर्मचारियों के लिये बुनियादी सुविधाओं जैसे- पीने का पानी और प्राथमिक चिकित्सा आदि के प्रावधान भी किये गए हैं।
- मनरेगा के तहत आर्थिक बोझ केंद्र और राज्य सरकार द्वारा साझा किया जाता है। इस कार्यक्रम के तहत कुल तीन क्षेत्रों पर धन व्यय किया जाता है (1) अकुशल, अर्द्ध-कुशल और कुशल श्रमिकों की मज़दूरी (2) आवश्यक सामग्री (3) प्रशासनिक लागत। केंद्र सरकार अकुशल श्रम की लागत का 100 प्रतिशत, अर्द्ध-कुशल और कुशल श्रम की लागत का 75 प्रतिशत, सामग्री की लागत का 75 प्रतिशत तथा प्रशासनिक लागत का 6 प्रतिशत वहन करती है, वहीं शेष लागत का वहन राज्य सरकार द्वारा किया जाता है।
2 राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन
- स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन एक स्वरोजगार कार्यक्रम है। इसकी स्थापना अप्रैल, 1999 में की गई। इसका उद्देश्य सहायता दिए गए ग्रामीण निर्धन परिवारों को ( स्वरोजगारियों/ बैंक ऋण तथा सरकारी आर्थिक सहायता के मिले-जुले माध्यम से आय सृजन की परिसंपत्तियां उपलब्ध कराकर, निर्धनता रेखा से ऊपर उठाना है। ग्रामीण निर्धनों को स्वयं सहायता वर्गों में व्यवस्थित किया जाता है और उनकी क्षमता का निर्माण प्रशिक्षण और कौशल के विकास के माध्यम से किया जाता है।
3 स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना
- यह योजना 1 दिसंबर, 1997 में लागू की गई। इसका उद्देश्य शहरी बेरोजगार या अल्प रोजगार व्यक्तियों को स्वरोजगार, साहसिक कार्य स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन देकर अथवा वेतन रोजगार के अवसर प्रदान करके लाभप्रद रोजगार उपलब्ध कराना है।
दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन
- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) केन्द्र द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य पूरे देश में गरीब ग्रामीण परिवारों के लिए विविध आजीविकाओं के संवर्धन द्वारा ग्रामीण गरीबी का उन्मूलन करना है। ग्रामीण गरीबी दूर करने के लिए डीएवाई-एनआरएलएम का जून 2011 में शुभारंभ गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों में प्रतिमान बदलाव का सूचक है।
- डीएवाई-एनआरएलएम सभी ग्रामीण गरीब परिवारों, अनुमानित लगभग 10 करोड़ परिवारों तक पहुंचने और सार्वभौमिक सामाजिक जागरूकता के माध्यम से उनकी आजीविका पर प्रभाव डालने के साथ-साथ उनके अपने संस्थानों और बैंकों से वित्तीय संसाधनों की पहुंच के माध्यम से प्रत्येक ग्रामीण गरीब परिवार से एक महिला सदस्य को स्वयं सहायता समूह में शामिल करना, उनके प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण और उनकी लघु आजीविका योजनाओं में सहायता प्रदान करना चाहती है।
- इस मिशन में स्वयं सहायता की भावना में समुदाय पशेवरों के माध्यम से समुदाय संस्थानों के साथ कार्य करना शामिल है। यह डीएवाई- एनआरएलएम का विशिष्ट प्रस्ताव है और इस प्रकार यह पिछले गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों से अलग है। इस कार्यक्रम की अन्य महत्वपूर्ण बात यह है कि इसे राष्ट्रीय, राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर समर्पित कार्यान्वयन सहायता इकाइयों के साथ एक विशेष उद्देश्य वाहन (स्वायत्तशासी राज्य समितियों) द्वारा एक मिशन मोड में लागू किया गया है। इसमें प्रत्येक ग्रामीण गरीब परिवार को लगातार और दीर्घकाल तक सहायता उपलब्ध कराने के क्रम में पेशेवर मानव संसाधनों का उपयोग किया गया है।
राष्ट्रीय ग्रामीण जीविकोपार्जन मिशन (एनआरएलएम)
- इस कार्यक्रम में विश्व बैंक ने निवेश किया है। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब वर्गों को दक्ष और प्रभावशाली संस्थागत मंच प्रदान करना और स्थायी जीविकोपार्जन में वृद्धि और वित्तीय सेवाओं की उपलब्धता में सुधार करना है, लेकिन इसके लिए यह जरूरी है कि दक्षता विकास में सतत निवेश किया जाए और उद्यमशीलता के जरिए उत्कृष्ट रोजगार सृजन के अवसरों को बढ़ाया जाए। भारत में कौशल की कमी को दूर करने और रोजगारपरकता को बढ़ाने के लिए ऐसी नीतियाँ और रणनीतियाँ बनाई जानी चाहिए जो श्रम प्रासंगिक शिक्षा प्रणालियों, कैरियर मार्गदर्शन, जीवन कौशल और तकनीकी-व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण योजनाओं तथा औपचारिक एवं अनौपचारिक क्षेत्र में ‘ऑन द जॉब’ प्रशिक्षण पर केंद्रित हों।
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