पोषक तत्वों कार्य | पोषक तत्वों का उनके कार्य के आधार पर वर्गीकरण |Nutrient Functions
पोषक तत्वों कार्य Nutrient Functions
हम अपने आहार में विविध खाद्य पदार्थों (जैसे अनाज, दालें, सब्जियाँ, दूध आदि) को सम्मिलित करते हैं। इन सभी खाद्य पदार्थों में कुछ न कुछ मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। पोषक तत्व वह रासायनिक यौगिक हैं जो शरीर के पोषण में सहायक होते हैं। कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज लवण एवं जल विभिन्न पोषक तत्व हैं जो हमारे आहार में पाए जाते हैं। शरीर में पोषक तत्व कई कार्यों के संचालन एवं सम्पादन में सहायक हैं। अलग-अलग पोषक तत्व अलग-अलग कार्यों को सम्पादित करते हैं। पोषक तत्वों के कार्यों का वर्णन निम्नलिखित है:
1. कार्बोहाइड्रेट:
- कार्बोहाइड्रेट का मुख्य कार्य शरीर को ऊर्जा प्रदान करना है। एक ग्राम कार्बोहाइड्रेट 4 किलो कैलोरी ऊर्जा प्रदान करता है।
1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट = 4 किलो कैलोरी ऊर्जा
- प्रकृति में वनस्पतियों द्वारा प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा कार्बोहाइड्रेट का निर्माण किया जाता है। पौधे इस कार्बोहाइड्रेट को स्टार्च के रूप में संग्रहित करते हैं। शर्करा भी कार्बोहाइड्रेट का एक रूप है तथा यह भी वनस्पतियों में पाया जाता है। कार्बोहाइड्रेट कार्बनिक यौगिक है एवं यह कार्बन, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के संयोग द्वारा निर्मित होते हैं।
वनस्पतियों द्वारा प्राप्त कार्बोहाइड्रेट को हम दो श्रेणियों में विभाजित कर सकते हैं:
(अ) सरल शर्कराः प्रायः यह मीठी होती है। यह हमें मीठे फलों, शहद, शक्कर, गुड़ आदि से प्राप्त होती है।
(ब) स्टार्च: यह फीका एवं श्वेत रंग का होता है। वनस्पतियों में कार्बोहाइड्रेट मुख्य रूप से स्टार्च के रूप में संग्रहित रहता है। यह हमें अनाज, दालों, जड़ एवं कंद वाली सब्जियों द्वारा प्राप्त होता है। प्राणियों में कार्बोहाइड्रेट ग्लाइकोजन के रूप में संग्रहित होता है। शरीर में अतिरिक्त कार्बोहाइड्रेट वसा के रूप में परिवर्तित कर संग्रहित कर दिया जाता है।
2. वसा क्या है
वसा भी एक कार्बनिक यौगिक है जो कार्बन, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के संयोग द्वारा निर्मित होता है। कार्बोहाइड्रेट से वसा इस दृष्टि से भिन्न है कि इसमें ऑक्सीजन काफी कम अनुपात में उपस्थित होती है। शुद्ध वसा ग्लिसरॉल एवं वसीय अम्ल के संयोग द्वारा निर्मित होती है। वसा का मुख्य कार्य शरीर को ऊर्जा प्रदान करना है। शरीर के लिए वसा ऊर्जा का संघनित स्रोत है । एक ग्राम वसा से 9 किलो कैलारी ऊर्जा प्राप्त होती है।
1 ग्राम वसा = 9 किलो कैलोरी ऊर्जा
- वसा शरीर में संचित ऊर्जा के रूप में वसीय ऊतकों में एकत्रित रहती है। यह वसा में घुलनशील विटामिनों के लिए वाहक का कार्य भी करती है। वसा हमें प्राणी एवं वनस्पति दोनों ही स्रोतों से प्राप्त होती है। वनस्पति जगत से यह हमें तिलहनों, मूँगफली, सोयाबीन, सूखे मेवे एवं नारियल से तथा प्राणी जगत से यह हमें घी, मक्खन, क्रीम, लार्ड आदि साधनों से प्राप्त होती है।
3. प्रोटीन क्या है
- प्रोटीन एक अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। प्रोटीन को बनाने वाले तत्व हैं कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन एवं नाइट्रोजन अमीनो अम्ल प्रोटीन की मूल इकाई हैं। प्रोटीन का मुख्य कार्य शरीर के ऊतकों का निर्माण करना है। इसके साथ ही प्रोटीन शरीर के ऊतकों में होने वाली टूट-फूट की मरम्मत करने में सहायक है। शरीर की प्रत्येक कोशिका प्रोटीन द्वारा निर्मित है। इसके अतिरिक्त कई महत्वपूर्ण तत्व जैसे एन्जाइम, हार्मोन एवं ऐंटीबॉडीज के संश्लेषण हेतु भी प्रोटीन की आवश्यकता होती है। यह तत्व शरीर की कई महत्वपूर्ण क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि भी करते हैं। प्राणी खाद्य स्रोतों जैसे अण्डा, दूध, मांस, मछली से हमें उत्तम कोटि का प्रोटीन प्राप्त होता है। वनस्पति स्रोतों में दालें प्रोटीन प्राप्ति का उत्तम साधन हैं। प्रोटीन द्वारा शरीर को ऊर्जा की भी प्राप्ति होती है। एक ग्राम प्रोटीन से 4 किलो कैलारी ऊर्जा प्राप्त होती है।
1 ग्राम प्रोटीन = 4 किलो कैलोरी ऊर्जा
4. विटामिन क्या है
विटामिन वह कार्बनिक रासायनिक यौगिक है जो अल्प मात्रा में भी शरीर के लिए अति आवश्यक है। यह दो प्रकार के होते हैं:
वसा में घुलनशील विटामिन ए, डी, ई, के
जल में घुलनशील विटामिन 'बी' कॉम्प्लैक्स एवं विटामिन सी
- सभी विटामिनों का मुख्य कार्य शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करना है। भोजन में इनकी उपस्थिति सामान्य शारीरिक वृद्धि एवं विभिन्न प्रक्रियाओं के निर्वाहन हेतु महत्वपूर्ण है। विभिन्न विटामिनों की कमी से शरीर में कई रोग उत्पन्न हो जाते हैं जैसे विटामिन 'ए' की कमी द्वारा रतौंधी, विटामिन 'सी' की कमी से स्कर्वी रोग आदि। शरीर को विटामिन की प्राप्ति उचित मात्रा में हो सके इसके लिए सन्तुलित आहार का सेवन एवं सभी खाद्य समूहों को अपने आहार में सम्मिलित किया जाना चाहिए।
5. खनिज लवण क्या होते हैं
- खनिज लवण अकार्बनिक तत्व होते हैं जैसे कैल्शियम, फॉसफोरस, मैग्नीशियम, पोटेशियम, सल्फर, लौह लवण, आयोडीन आदि। यह शरीर में अकार्बनिक यौगिक के रूप में भी उपस्थित रहते हैं।
- खनिज लवण शरीर निर्माण में सहायक हैं। साथ ही यह शरीर में सम्पन्न होने वाली कई महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को संचालित एवं नियंत्रित करते हैं। उदाहरण के लिए कैल्शियम, फॉसफोरस एवं मैग्नीशियम अस्थियों एवं दाँतों के निर्माण हेतु आवश्यक हैं।
- इसके अतिरिक्त खनिज लवण शरीर में जल सन्तुलन एवं अम्ल-क्षार सन्तुलन को नियतांक बनाए रखने में सहायक हैं। रक्त का थक्का जमाने के लिए एवं मांस पेशियों के संकुचन हेतु भी खनिज लवणों की आवश्यकता होती है। किसी भी खाद्य पदार्थ को उच्च तापमान पर जलाये जाने पर जो राख अवशेष के रूप में बच जाती है वह वास्तव में खनिज लवण ही होते हैं।
6. जलः
- शरीर के लिए जल का महत्व अन्य पोषक तत्वों से अधिक है। जल के बिना जीवन सम्भव नहीं है। जल शरीर निर्माण के लिए आवश्यक है। यह शरीर के विभिन्न पदार्थों के लिए एक घोलक माध्यम के रूप में कार्य करता है। विभिन्न पोषक तत्व जल में घुल कर ही शरीर द्वारा प्रयोग किए जाते हैं। जल शरीर से व्यर्थ पदार्थों के उत्सर्जन का माध्यम भी है। शुद्ध पेय जल, तरल पेय पदार्थ, फलों-सब्जियों का रस एवं भोजन शरीर में जल प्राप्ति के विभिन्न साधन हैं।
पोषक तत्वों का उनके कार्य के आधार पर वर्गीकरण
पोषक तत्वों को उनके द्वारा शरीर में सम्पादित किए जाने वाले कार्यों के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है। पोषक तत्वों को उनके कार्यों को ध्यान में रखते हुए तीन प्रमुख समूहों में विभाजित किया गया है।
• ऊर्जा प्रदान करने वाले पोषक तत्व
• निर्माणात्मक पोषक तत्व
• संरक्षात्मक पोषक तत्व
ऊर्जा प्रदान करने वाले पोषक तत्व
- विभिन्न शारीरिक क्रियाओं के अतिरिक्त शरीर के तापमान को बनाए रखने के लिए, मांसपेशियों में संकुचन के लिए, हृदय की गति बनाए रखने के लिए तथा व्यर्थ पदार्थों के निष्कासन के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है । वसा एवं कार्बोहाइड्रेट को ऊर्जा प्रदान करने वाले पोषक तत्वों की श्रेणी में रखा गया है। इन पोषक तत्वों के विभिन्न खाद्य स्रोत हैं जैसे तेल, घी, मक्खन, गुड़, जैम, साबुदाना, चावल, अनाज, केला, आलू आदि ।
निर्माणात्मक पोषक तत्व
- इस वर्ग में प्रोटीन सम्मिलित है। प्रोटीन के द्वारा नई कोशिकाओं का निर्माण किया जाता है। साथ ही टूटी-फूटी कोशिकाओं का पुनः निर्माण भी होता है। इसी कारण शरीर में वृद्धि या बढ़त होती है। दालें, दूध, अंडा, मांस, मछली, सोयाबीन, भट्ट इसके प्रमुख खाद्य स्रोत हैं ।
संरक्षात्मक पोषक तत्व
- विटामिन व खनिज लवण इस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। इस वर्ग के पोषक तत्व हमारे शरीर की जैविक क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं तथा शरीर में नियमन का कार्य करने में सहायक होते हैं। इन तत्वों के असंतुलन से शरीर का विकास प्रभावित होता है और व्यक्ति अनेक रोगों से पीड़ित हो सकता है। दूध, अच्छे साधन हैं। घी, पत्तेदार हरी सब्जियां, अन्य सब्जियां, फल आदि इन पोषक तत्वों को पाने के सुलभ साधन हैं।
Post a Comment