कुपोषण किसे कहते हैं? |कुपोषण के कारण | Reason of Malnutrition in Hindi
कुपोषण किसे कहते हैं? कुपोषण के कारण
कुपोषण किसे कहते हैं?
कुपोषण की स्थिति में व्यक्ति का शरीर कमजोर एवं रोग ग्रस्त हो जाता है। व्यक्ति के आहार में यदि पोषक तत्वों की कमी हो अथवा पोषक तत्व आवश्यकता से अधिक मात्रा में उपस्थित हों तो वे शरीर में कुपोषण की स्थिति उत्पन्न कर सकते हैं। कुपोषण की स्थिति में व्यक्ति को असंतुलित मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त होते हैं।
कुपोषण के प्रकार Types of malnutrition
(1) अल्प पोषण (Under nutrition)
(2) अति पोषण (Over nutrition)
अल्प पोषण (Under nutrition)
- अल्प पोषण का अर्थ है शरीर में एक या एक से अधिक पोषक तत्वों की कमी | अल्प पोषण की स्थिति में शरीर को पर्याप्त एवं आवश्यक मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त नहीं हो पाते हैं। बच्चों में प्रोटीन ऊर्जा कुपोषण, विटामिन 'ए' की कमी द्वारा उत्पन्न स्थिति रतौंधी, लौह लवण की कमी से उत्पन्न एनीमिया अल्प पोषण द्वारा उत्पन्न कुपोषण के उदाहरण हैं।
अल्प पोषण मुख्य रूप से निम्न दो कारणों द्वारा उत्पन्न होता है:
1. व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में भरपेट भोजन उपलब्ध न हो।
2. व्यक्ति को भरपेट भोजन तो उपलब्ध हो परन्तु उपलब्ध भोजन में पौष्टिक तत्वों का अभाव हो।
अल्प पोषण की दशा में व्यक्ति
- अल्प पोषण की दशा में व्यक्ति शारीरिक रूप से कमजोर हो जाता है। उसकी कार्य क्षमता कम हो जाती है। व्यक्ति को विभिन्न रोग एवं संक्रमण शीघ्र घेर लेते हैं। हमारा राष्ट्र आज उन्नति के मार्ग पर अग्रसर है परन्तु विभिन्न सर्वेक्षण से यह ज्ञात होता है कि भारत में निम्न आय वर्ग के बच्चे एवं महिलाएँ कुपोषण से ग्रसित हैं। बड़ी संख्या में बच्चे प्रोटीन ऊर्जा कुपोषण, विटामिन 'ए' की कमी, एनीमिया जैसे रोगों द्वारा ग्रसित हैं, किशोरियों तथा महिलाओं में भी लौह लवण की कमी द्वारा उत्पन्न एनीमिया रोग बहुतायत में दिखाई देता है।
- पोषक तत्वों की अधिकता भी कुपोषण का कारण हो सकता है। इसको हम अति पोषण द्वारा उत्पन्न कुपोषण की संज्ञा दे सकते हैं। मोटापा (Obesity) इसका उदाहरण है। इस स्थिति में व्यक्ति आवश्यकता से अधिक ऊर्जा/कैलोरी अपने आहार में सम्मिलित करता है। यह अतिरिक्त ऊर्जा शरीर में वसा के रूप में संग्रहित कर ली जाती है।
पोषण की स्थितियाँ
सुपोषण
कुपोषण
- अतिपोषण
- अल्पपोषण
कुपोषण के सम्भावित कारण Possible causes of malnutrition
कुपोषण कई कारणों से हो सकता है परन्तु कुपोषण की स्थिति के लिए मुख्य रूप से निम्न कारण उत्तरदायी हैं:
1. व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में आहार प्राप्त न होनाः
- यदि व्यक्ति को किसी कारणवश पर्याप्त मात्रा में भरपेट भोजन उपलब्ध नहीं हो तो स्वतः ही उसके शरीर में पौष्टिक तत्वों की कमी हो जाएगी एवं वह कुपोषण से शीघ्र ग्रसित हो जाएगा।
2. पोषक तत्वों की मांग की पूर्ति न होना:
- यदि व्यक्ति अपने आहार में विविध खाद्य पदार्थों को सम्मिलित नहीं करता तथा सन्तुलित आहार ग्रहण नहीं करता है तो उसके शरीर में कई पौष्टिक तत्वों की कमी हो सकती है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति के आहार में प्राय: विविधता नहीं होती है जिससे उसे भरपेट भोजन तो प्राप्त होता है परन्तु सभी पौष्टिक तत्वों की शारीरिक आवश्यकता की पूर्ति नहीं हो पाती है। फलतः वह कुपोषण का शिकार हो सकता है।
3. आयु लिंग, क्रियाशीलता एवं शारीरिक अवस्था के अनुरूप भोजन की अनुपलब्धता:
- अलग-अलग आयु, लिंग, क्रियाशीलता एवं शारीरिक अवस्था में लोगों की पौष्टिक तत्वों की माँग भिन्न-भिन्न होती है। उदाहरण के लिए किशोरावस्था एक वृद्धि काल है जिसमें वृद्धिकारक पोषक तत्वों की शरीर में अधिक आवश्यकता होती है। अधिक शारीरिक श्रम करने वाले व्यक्ति को अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। विशेष शारीरिक अवस्थाओं में भी पौष्टिक तत्वों की आवश्यकता में परिवर्तन आता है। यदि इन परिस्थितियों में शारीरिक आवश्यकता के अनुरूप पौष्टिक तत्वों की पूर्ति न हो तो व्यक्ति कुपोषण से ग्रस्त हो सकता है।
4. आर्थिक कारक:
- व्यक्ति की आर्थिक स्थिति खाद्य पदार्थों की उपलब्धता एवं चुनाव प्रभावित करती है। निम्न आय वर्ग के व्यक्ति अपने दैनिक आहार में महँगी खाद्य वस्तुओं को सम्मिलित नहीं कर पाते हैं। इनकी क्रय शक्ति कम होती है। इनके द्वारा ग्रहण किए जाने वाला आहार मात्रा एवं गुणवत्ता दोनों ही दृष्टि से अपूर्ण हो सकता है एवं व्यक्ति कुपोषण से ग्रसित हो सकता है।
5. सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारक:
- सामाजिक कारक जैसे रीति-रिवाज, विशेष अवस्थाओं में प्रतिबन्धित खाद्य पदार्थ, उपवास आदि प्रथाएँ भी व्यक्ति के शरीर में कुपोषण उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
6. अज्ञानता:
- अज्ञानता भी कुपोषण को जन्म देने वाला एक महत्वपूर्ण कारक है। कई बार व्यक्ति अज्ञानतावश पौष्टिक तत्वों से युक्त भोज्य पदार्थों को अपने आहार में सम्मिलित नहीं करते हैं। यह धारणा भी गलत है कि केवल महँगे खाद्य पदार्थों के सेवन से ही उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त किया जा सकता है। सस्ते मौसमी फल एवं सब्जियों से भी पोषक तत्वों जैसे विटामिन एवं खनिज लवणों की आवश्यकता की पूर्ति की जा सकती है। शोध द्वारा यह सिद्ध हो चुका है की मोटे अनाज को आहार में स्थान देना स्वास्थ्य की दृष्टि से श्रेष्ठकर है। यदि खाद्य पदार्थों को पकाने के दौरान अज्ञानतावश उचित विधि का प्रयोग न किया जाए तो पौष्टिक तत्वों की हानि हो सकती है।
7. अस्वास्थ्यकर वातावरणः
- यदि व्यक्ति स्वयं एवं भोजन की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान नहीं देते तो अतिसार, संक्रमण आदि से ग्रस्त हो सकते हैं। यदि यह लम्बे समय तक चलता है तो यह कुपोषण का कारण बन सकता है। इसके साथ ही यदि व्यक्ति दूषित वातावरण में निवास करता है, ऐसी स्थिति में उसे पर्याप्त सूर्य का प्रकाश एवं शुद्ध वायु नहीं मिल पाती है। ऐसी परिस्थितियाँ भी व्यक्ति में कुपोषण का कारण बन सकती हैं।
8. दोषपूर्ण पाचन एवं अवशोषण:
- यदि व्यक्ति का पाचन संस्थान रोग ग्रस्त है तो उसके द्वारा ग्रहण किए गए आहार का पाचन एवं पौष्टिक तत्वों का अवशोषण प्रभावित होगा। यह स्थिति कुपोषण उत्पन्न कर सकती है।
9. दोषपूर्ण भोजन सम्बन्धी आदतें:
- दोषपूर्ण भोजन सम्बन्धी आदतें जैसे केवल स्वाद की दृष्टि से भोजन ग्रहण करना, उचित समय पर भोजन न ग्रहण करना, अधिक तला एवं मसालेयुक्त भोजन ग्रहण करना आदि भोजन सम्बन्धी दोषपूर्ण आदतें भी कुपोषण का सम्भावित कारण बन सकती है।
कुपोषण के कारण
- व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में आहार प्राप्त न होना
- पोषक तत्वों की आवश्यक मांग की पूर्ति न होना
- आयु, लिंग, क्रियाशीलता एवं शारीरिक अवस्था के अनुरूप भोजन की अनुपलब्धता
- आर्थिक कारक
- सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारक
- अज्ञानता
- अस्वास्थ्यकर वातावरण
- दोषपूर्ण पाचन एवं अवशोषण
- दोषपूर्ण भोजन सम्बन्धी आदत
Post a Comment