रूढ़ियुक्ति क्या होती है |रूढ़ियुक्ति का अर्थ परिभाषा विशेषताएँ कारण | Stereotype in Hindi
रूढ़ियुक्ति का अर्थ परिभाषा विशेषताएँ कारण
रूढ़ियुक्ति क्या होती है Stereotypes in Hindi
- रूढ़ियुक्ति किसी समूह के सदस्यों के बारे में विश्वास का ऐसा संग्रह जो तर्कहीन एवं विवेकहीन होता है।
रूढ़ियुक्ति के कारण
1. अशिक्षा,
2. अंधविश्वास,
3. सम्पूर्ण जानकारी का अभाव,
4. समूह में विभिन्नता,
5. धार्मिक मान्यता,
6. संकीर्ण मानसिकता,
7. सांस्कृतिक मानसिकता।
रूढ़ियुक्ति की विशेषताएँ
1. मानसिक प्रक्रिया,
2. तर्कहीन,
3. विवेकहीन,
4. समूहगत,
5. सार्वभौमिक परंतु स्वरूप भिन्न-भिन्न
6. सकारात्मक नकारात्मक
रूढ़ियुक्ति का अर्थ
- रूढ़ियुक्ति का अंग्रेजी रूपान्तर 'stereotype' है जिसका प्रयोग सर्वप्रथम वॉल्टर लिपमैन (Walter Lipman) ने अपनी पुस्तक 'Public opinion' में 1922 में सामान्य अर्थ में किया था।
लिपमैन के अनुसार रूढ़ियुक्ति से तात्पर्य
- विचारों एवं एक मनोवृत्तियों के उस संयुक्त रूप से होता है, जिसके आधार पर हम किसी वस्तु, व्यक्ति, राष्ट्र आदि के बारे में एक ऐसा दृढ़ एवं स्थायी प्रतिमा बना लेते हैं जो गलत तथ्यों (incorrect fact) तथा अतार्किक चिन्तन (illogical reasoning) पर आधारित होता है।
रूढ़ियुक्ति' शब्द का वैज्ञानिक अर्थ
- आधुनिक समाज मनोवैज्ञानिकों द्वारा 'रूढ़ियुक्ति' शब्द का प्रयोग अधिक वैज्ञानिक अर्थ में किया जाता है। आजकल इससे तात्पर्य किसी समूह के सभी सदस्यों के बारे में विश्वासों के एक ऐसे संग्रह से होता है जिसमें विवेकपूर्ण आधार (rational base) की कमी होती हैं।
- मेयर्स (Myers, 1987) तथा फिशर (Fisher, 1983) के अनुसार रूढ़ियुक्ति में किसी समूह के सदस्यों के बारे में एक स्थूल सामान्यीकरण (gross generalization) किया जाता है जिसमें वैयक्तिक विभिन्नता (individual difference) पर बिलकुल ही ध्यान नहीं दिया जाता है तथा साथ-ही-साथ इस ढंग का सामान्यीकरण नयी सूचनाओं के दिये जाने पर भी परिवर्तित नहीं होता है।
- जैसे- प्रायः लोग कहते हैं कि अंग्रेज (British) संयमी और अल्पभाषी होते हैं तथा अमेरिकन निर्मामी (outgoing) होते हैं। उसी तरह से भारतीय समाज में भी कुछ समुदाय के लोगों के बारे में हम इस प्रकार स्थूल सामान्यीकरण करते हैं (जिसका सम्बन्ध सच्चाई एवं विवेक से कम है) 'बनिए का बच्चा कभी नहीं सच्चा', 'सरदारजी का दिमाग बारह बजे खराब हो जाता हैं', 'बंगाली डरपोक होते हैं', 'लाख पढ़ लिख जाय, औरत का दिमाग बचकाना ही होता है' आदि, आदि।
- स्पष्ट है कि रूढ़ियुक्तियों में किसी समूह के सदस्य के बारे में एक ऐसा सामान्यीकरण किया जाता है जिसके अनुसार यह विश्वास कर लिया जाता है कि चूँकि व्यक्ति अमुक समूह का सदस्य है, इसलिए उसमें वैसा गुण होगा ही। सच्चाई यह है कि उस अमुक समूह के बहुत से सदस्यों में वैसा गुण नहीं भी हो सकता
रूढ़ियुक्ति (stereotype) की परिभाषा
भिन्न-भिन्न समाज मनोवैज्ञानिकों ने रूढ़ियुक्ति (stereotype) को परिभाषित किया है। इनमें से कुछ प्रमुख परिभाषाओं का उल्लेख हम नीचे कर रहे हैं
बेरोन तथा बर्न। (Baron & Byme, 1977) के अनुसार
- “किसी समूह के सदस्यों के बारे में विश्वासों का एक ऐसा संग्रह जिसमें विवेकपूर्ण आधार की कमी होती है, रूढ़ियुक्ति कहलाता है।
अल्ब्रेक, थॉमस तथा चादविक (Albrecht, Thomas & Chadwick, 1980) के अनुसार,
- “किसी सामाजिक समूह के सभी सदस्यों में कोई खास गुण का व्यापक रूप से होने का विश्वास रूढ़ियुक्ति कहलाता है। चाहे गुण कुछ भी हो, दिये हुए श्रेणी समूह के सभी लोगों में उसे निहित समझा जाता है और इसलिए समूह के अन्य सभी सदस्यों की भाँति ही उसे देखा जाता है तथा समझा जाता है।"
रूढ़ियुक्ति में बदलाव
- रूढ़ियुक्ति में किसी वर्ग या समूह के व्यक्तियों के बारे में जो विश्वास कायम हो जाता है, उसमें परिवर्तन लाना साधारणतः सम्भव नहीं होता है। कोई कार्यपालक इन्जीनियर कितनी भी अपनी सफाई क्यों न दे दे परन्तु लोग यह मानने के लिए तैयार नहीं होंगे कि उसके पास काफी धन नहीं है।
- रूढ़ियुक्ति में किसी वर्ग के प्रति शीलगुण या विशेषताओं को आरोपित करने में लोगों में सहमति पायी जाती है जैसे हिन्दुओं में इस बात की आम सहमति रहती है कि मुसलमान में अमुक-अमुक गुण होते है।
- उन विश्वासों के आधार पर हम वर्ग के व्यक्तियों के बारे एक स्थूल सामान्यीकरण (Gross generalization) करते हैं जैसे, बनिया का बच्चा कभी नहीं सच्चा। उसी तरह से शारीरिक रूप से सुन्दर व्यक्ति को देखकर उसे तेज बुद्धि का तथा भद्र स्वभाव के होने का अंदाज हम लगा लेते हैं।
- रूढ़ियुक्ति में एक बात यह है कि किसी वर्ग या समूह का मात्र सदस्य होना इस बात के लिए काफी है कि उससे उस वर्ग या समूह के सभी शीलगुण होंगे ही। किसी कार्यपालक इंजीनियर को देखकर हम प्रायः इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि उसके पास आपार धन होगा, भले ही उस बेचारे इंजीनियर के पास एक स्कूटर भी न हो।
- रूढ़ियुक्ति विश्वासों का एक समूह होता है जिसके आधार पर हम एक निश्चित वर्ग में विभाजित होते हैं।
- किसी वर्ग की कुछ निश्चित विशेषताएँ जो शारीरिक या सामाजिक या सांस्कृतिक हो सकती हैं निर्धारित कर दी जाती हैं जिसके आधार पर उस वर्ग के सदस्यों को पहचान लिया जाता है। जैसे-हिप्पियों को हम आसानी से उनके लम्बे बाल तथा फटे पुराने कपड़ों के आधार पर पहचान कर लेते हैं। यहाँ हिप्पियों को उनकी शारीरिक विशेषताओं के आधार पर पहचाना गया है।
- किया गया वर्गीकरण काफी अतिरंजित (exaggerated) या बढ़ा-चढ़ा होता है, जिसमें सच्चाई कम होती है।
रूढ़ियुक्तियों की विशेषताएँ
1. रूढ़ियुक्ति एक मानसिक प्रतिमा है-
- रूढ़ियुक्ति किसी वर्ग या समुदाय के लोगों के बारे में एक ऐसी मानसिक प्रतिमा है जिसके आधार पर हम उस वर्ग के व्यक्तियों में कुछ शीलगुणों या विशेषताओं को आरोपित करते हैं जैसे, दलितों के बारे में उच्च जाति के मन में एक विशेष प्रतिमा बन गयी है जिसके आधार पर वे दलितों को गंदे, अनपढ़, निःसहाय कमजोर आदि समझते हैं।
2. रूढ़ियुक्ति में परिवर्तन सामान्यतनहीं होता है-
- रूढ़ियुक्ति की एक विशेषता यह भी होती है कि इनमें परिवर्तन सामान्यतः नहीं होता है। नयी सूचनाओं एवं विपरीत उदाहरणों के बावजूद रूढ़ियुक्तियों में परिवर्तन नहीं आता है।
- हिन्दू संस्कृति में पत्नियों को उचित दहेज न लाने के आरोप में पति द्वारा जला देने की अनेक घटनाओं के बावजूद हिन्दू पत्नियाँ अपने पति को देवता समझती है।
3. रूढ़ियुक्ति एक पूर्णरूपेण सम्मत विश्वास होता है
- रूढ़ियुक्ति में किसी वर्ग के व्यक्तियों के बारे में एक ऐसा विश्वास होता है जिस पर आम सहमति होती है। जैसे सभी हिन्दू पत्नियों में आम सहमति है कि चाहे भला हो या बुरा उसका पति उसके लिए देवता है।
4. रूढ़ियुक्ति सकारात्मक या नकारात्मक कुछ भी हो सकती है
- रूढ़ियुक्तियों का सम्बन्ध पूर्वाग्रह से काफी होता है मेयर्स (Myers 1983) ने तो पूर्वाग्रह के संज्ञानात्मक संघटक की अभिव्यक्ति को ही रूढ़ियुक्ति माना है। फलस्वरूप पूर्वाग्रह के समान ही रूढ़ियुक्ति सकारात्मक रूढ़ियुक्ति के उदाहरण इस प्रकार हैं- सरदारजी का दिमाग बारह बजे खराब हो जाता है। दलित बुद्धिहीन होते हैं। बंगाली कमजोर एवं दब्बू होते हैं।
5. रुढ़ियुक्ति में स्थूल एवं अतिरंजित समान्यीकरण होता है-
- रुढ़ियुक्ति की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसका विकास किसी वर्ग या समुदाय के कुछ लोगों के साथ हुए अनुभवों पर होता है, हम इन अनुभवों का सामान्यीकरण पूरे वर्ग के लोगों पर करते हैं।
very nice
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