मानव विकास का अर्थ एवं परिभाषा |मानव विकास की अवधारणा |मानव विकास को मापना : मानव विकास सूचकांक | What is Human Development in Hindi
मानव विकास का अर्थ एवं परिभाषामानव विकास की अवधारणा मानव विकास को मापना : मानव विकास सूचकांक (HDI)
मानव विकास का अर्थ एवं परिभाषा
- संयुक्त राष्ट्र की विकास योजना के अनुसार, मानव विकास को लोगों के चयन में वृद्धि की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। विकास के सभी स्तरों पर लोगों के तीन अनिवार्य चुनाव में एक दीर्घकालीन स्वस्थ जीवन व्यतीत करना अच्छा ज्ञान प्राप्त करना तथा शानदार जीवन स्तर के लिए आवश्यक संसाधनों की पहुंच सम्मिलित हैं।
- यदि वह आवश्यक चुनाव उपलब्ध नहीं हैं तो जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए बहुत से अन्य अवसर पहुंच के बाहर होंगे। मानव विकास के दो आयाम हैं- मानव योग्यता प्राप्त करना और इन प्राप्त योग्यताओं का प्रयोग, उत्पादकता, आराम और अन्य उद्देश्यों के लिए करने से है।
- मानव विकास के लाभ, आय विस्तर और धन संचय से कहीं अधिक आगे तक जाते हैं, क्योंकि लोग मानव विकास की आवश्यकता का निर्माण करते हैं। मानव विकास, आर्थिक संवृद्धि से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।
- आर्थिक संवृद्धि केवल एक विकल्प में सुधार पर ध्यान केंद्रित करती है अर्थात् आय या उत्पाद, जबकि मानव विकास सभी मानवीय विकल्पों में वृद्धि, जिनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छ पर्यावरण और भौतिक कल्याण शामिल हैं, पर ध्यान केंद्रित करता है। इस प्रकार लोगों के जीवन को सुधारने के विकल्प विस्तृत रूप से आर्थिक संवृद्धि की गुणवत्ता से प्रभावित होते हैं, किंतु इस प्रकार की संवृद्धि का प्रभाव केवल इसके परिमाणात्मक पहलू तक ही सीमित रहता है।
- दूसरे शब्दों में, आर्थिक संवृद्धि को एक साधन के रूप में देखने की आवश्यकता है। यद्यपि एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में, किंतु विकास के एक अंतिम उद्देश्य के रूप में नहीं। आय, मोटे रूप से मानव कल्याण में एक महत्वपूर्ण योगदान देती है, यदि इसके लाभ लोगों के जीवन में सुधार लाने के लिए हों। किंतु आय में संवृद्धि अपने में एक उद्देश्य नहीं है। संवृद्धि की गुणवत्ता है, न कि इसका परिमाण, जो कि मानव के कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है।
मानव विकास की अवधारणा
- इस प्रकार, मानव विकास की अवधारणा का संबंध मुख्य रूप से मानव प्रयास के अंतिम उद्देश्य, लोगों को अच्छा जीवन बिताने के योग्य बनाने से है। देखना है कि यह उद्देश्य केवल आय में सुधार के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है अथवा लोगों के भौतिक कल्याण से।
- जैसा कि 1996 की मानव विकास रिपोर्ट में कहा गया, संवृद्धि रोजगार सृजन की अपेक्षा बिना रोजगार का, निर्धनता कम करने की अपेक्षा, क्रूर, भागीदार होने की अपेक्षा बिना आवाज का, सांस्कृतिक रूप से ऊंचा होने की अपेक्षा, निर्मूल, पर्यावरण के अनुकूल होने की अपेक्षा बिना भविष्य का हो सकता है।
- आर्थिक संवृद्धि, जो कि बिना रोजगार, क्रूर, बिना आवाज तथा बिना भविष्य की है, मानव विकास की प्रेरक नहीं होती। आय का अभाव अथवा आय की निर्धनता, मानव निर्धनता का एक पहलू है, अभाव का कष्ट अन्य क्षेत्रों मे भी हो सकता है, जैसे-कम तथा अस्वस्थ जीवन, अशिक्षित अथवा भागीदारी की अनुमति का न होना, व्यक्तिगत असुरक्षा अनुभव करना आदि । इस प्रकार, मानव निर्धनता, आय की निर्धनता से अधिक बड़ी है।
मानव विकास सूचकांक
- मानव विकास सूचकांक संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा जारी होने वाली वार्षिक रिपोर्ट है जो जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और आय के मानकों के आधार पर प्रकाशित की जाती है। सबसे पहले 1990 में एचडीआई रिपोर्ट जारी की गई थी। तब से हर साल इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया जा रहा है।
मानव विकास सूचकांक दूसरे शब्दों में
- मानव विकास सूचकांक संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा जारी होने वाली वार्षिक रिपोर्ट है जो जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और आय के मानकों के आधार पर प्रकाशित की जाती है। सबसे पहले 1990 में एचडीआई रिपोर्ट जारी की गई थी। तब से हर साल इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया जा रहा है।
मानव विकास को मापना : मानव विकास सूचकांक (HDI)
- जैसा पहले कहा जा चुका है कि मानव विकास की तीन दिशाएं, लोगों की दीर्घ तथा स्वस्थ जीवन यापन करने की क्षमताएं, ज्ञान प्राप्त करना तथा एक शानदार जीवन स्तर के लिए अनिवार्य संसाधनों तक पहुंच हैं। मानव विकास के विभिन्न घटकों का मिला-जुला प्रभाव, मानव विकास सूचकांक (HDI) के माध्यम से मापा जाता है।
- मानव विकास सूचकांक के चार चर हैं। जन्म के समय जीवन की प्रत्याशा (दीर्घ स्वस्थ जीवन की दिशा को प्रदर्शन करना), वयस्क साक्षरता दर और ज्ञान की दिशा का प्रतिनिधित्व करने के लिए प्राथमिक, द्वितीयक तथा विश्वविद्यालय स्तर का मिश्रित नामांकन और प्रति व्यक्ति वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद, जो शानदार जीवन स्तर के लिए अनिवार्य संसाधनों का प्रतिनिधित्व कर सके। इस प्रकार, मानव विकास सूचकांक न केवल सकल घरेलू उत्पाद की संवृद्धि दर बल्कि देश के मानव विकास को मापने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, लिंग, असमानता तथा आय की स्थिर राशि पर भी विचार करता है।
- संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम, जो तीन योग्यता अर्थात् एक दीर्घ और स्वस्थ जीवन बिताना, शिक्षित तथा योग्य होना तथा एक शानदार आर्थिक रहन-सहन का स्तर रखना के आधार पर मानव विकास सूचकांक का अनुमान लगाता है।
मानव विकास रिपोर्ट (Humen Develpment Report- HDR) 2020
- संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा जारी मानव विकास रिपोर्ट (Humen Develpment Report- HDR) 2020 के अनुसार, मानव विकास सूचकांक ((Humen Develpment Index- HDI) में भारत 131वें स्थान पर है। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष भारत इस सूचकांक में 129वें स्थान पर था।
- वर्ष 2020 की इस रिपोर्ट में 189 देशों को उनके मानव विकास सूचकांक (HDI) की स्थिति के आधार पर रैंकिंग प्रदान की गई है।
- HDR 2020 में पृथ्वी पर दबाव-समायोजित मानव विकास सूचकांक को पेश किया गया है, जो देश के प्रति व्यक्ति कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन तथा सामग्री के पदचिह्न (Footprint) द्वारा मानक मानव विकास सूचकांक (HDI) को समायोजित करता है।
अन्य सूचकांक जो इस रिपोर्ट का ही भाग हैं, इस प्रकार हैं:
- असमानता समायोजित मानव विकास सूचकांक (Inequality adjusted Human Development
Index-IHDI)
- लैंगिक विकास सूचकांक (GDI),
- लैंगिक असमानता सूचकांक (GII)
- बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI).
मानव विकास सूचकांक परिचय:
HDI इस
बात पर ज़ोर देता है कि किसी देश के विकास का आकलन करने के लिये वहाँ के लोगों तथा
उनकी क्षमताओं को अंतिम मानदंड माना जाना चाहिये, न कि केवल आर्थिक विकास को।
मानव विकास तीन बुनियादी आयामों पर आधारित होता है:
- लंबा और स्वस्थ जीवन,
- ज्ञान तक पहुँच,
- जीने का एक सभ्य मानक।
वर्ष 2019
में शीर्ष स्थान प्राप्तकर्त्ता:
- नॉर्वे इस सूचकांक में शीर्ष पर है, इसके बाद आयरलैंड, स्विट्ज़रलैंड, हॉन्गकॉन्ग और आइसलैंड का स्थान है।
एशियाई क्षेत्र की स्थिति:
- वैश्विक सूचकांक में "बहुत उच्च मानव विकास" के साथ एशियाई देशों के मध्य शीर्ष स्थान का प्रतिनिधित्त्व करते हुए सिंगापुर 11वें, सऊदी अरब 40वें और मलेशिया 62वें स्थान पर थे।
- शेष देशों में से श्रीलंका (72), थाईलैंड (79), चीन (85), इंडोनेशिया और फिलीपींस (दोनों 107) तथा वियतनाम (117) "उच्च मानव विकास" वाले देशों की श्रेणी में थे।
- 120 से 156 रैंक तक भारत, भूटान, बांग्लादेश, म्याँमार, नेपाल, कंबोडिया, केन्या और पाकिस्तान "मध्यम मानव विकास" श्रेणी वाले देशों में शामिल थे।
मानव विकास सूचकांक और भारत की स्थिति:
- वर्ष 2019 के लिये HDI 0.645 है, जो देश को 'मध्यम मानव विकास' श्रेणी में तथा 189 देशों में 131वें स्थान पर रखता है।
- वर्ष 1990 और 2019 के मध्य भारत का HDI मान 0.429 से बढ़कर 0.645 हो गया है, यानी इसमें 50.3% की वृद्धि हुई है।
लंबा और स्वस्थ जीवन:
- वर्ष 2019 में भारत में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 69.7 वर्ष थी, जो दक्षिण एशियाई औसत 69.9 वर्षों की तुलना में थोड़ी कम थी।
- वर्ष 1990 और 2019 के मध्य भारत में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा में 11.8 वर्ष की वृद्धि हुई है।
ज्ञान तक पहुँच:
- भारत में स्कूली शिक्षा के लिये प्रत्याशित वर्ष 12.2 थे, जबकि बांग्लादेश में 11.2 और पाकिस्तान में 8.3 वर्ष थे।
- वर्ष 1990 और 2019 के बीच स्कूली शिक्षा के प्रत्याशित औसत वर्षों में 3.5 वर्ष की वृद्धि हुई तथा स्कूली शिक्षा के प्रत्याशित अनुमानित वर्षों में 4.5 वर्ष की वृद्धि हुई।
- जीने का एक सभ्य मानक: प्रति व्यक्ति के संदर्भ में सकल राष्ट्रीय आय (GNI) पिछले वर्ष की तुलना में गिरावट के बावजूद वर्ष 2019 में कुछ अन्य देशों की तुलना में भारत का प्रदर्शन बेहतर रहा है।
- वर्ष 1990 और 2019 के मध्य भारत के प्रति व्यक्ति GNI में लगभग 273.9% की वृद्धि हुई है।
ग्रहीय दबाव-समायोजित HDI/प्लैनेटरी प्रेशर-एड्जस्टेड HDI (PHDI)
- PHDI प्रत्येक व्यक्ति के आधार पर देश के कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन और मैटेरियल पदचिह्न (Material Footprint) के मानक HDI को समायोजित करता है।
मानव विकास सूचकांक और देशों का प्रदर्शन:
- नॉर्वे जोकि HDI में शीर्ष स्थान पर है, यदि PHDI मीट्रिक में इसका आकलन किया जाए तो यह 15 स्थान नीचे पहुँच जाएगा, आयरलैंड इस तालिका में शीर्ष पर है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका (HDI रैंक -17) और कनाडा (HDI रैंक -16) प्राकृतिक संसाधनों पर प्रतिकूल प्रभाव को दर्शाते हुए PHDI में क्रमशः 45वें और 40वें स्थान पर पहुँच जाएंगे।
- तेल और गैस से समृद्ध खाड़ी राज्यों के स्थान में भी गिरावट आई है। चीन अपने मौजूदा 85वें स्थान से 16 स्थान नीचे आ जाएगा।
भारत का प्रदर्शन:
- PHDI में आकलन करने पर भारत रैंकिंग में आठ स्थान ऊपर आ जाएगा।
- पेरिस समझौते के तहत भारत ने अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन क्षमता को वर्ष 2005 के स्तर से वर्ष 2030 तक 33-35% कम करने और गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 40% तक विद्युत शक्ति क्षमता प्राप्त करने का वादा किया।
- भारत में सौर क्षमता मार्च 2014 में 2.6 गीगावाट से बढ़कर जुलाई 2019 में 30 गीगावाट हो गई, परिणामस्वरूप इसने निर्धारित समय से चार वर्ष पहले ही अपना लक्ष्य (20 गीगावाट) प्राप्त कर लिया।
- वर्ष 2019 में भारत को संस्थापित सौर क्षमता के लिये 5वाँ स्थान प्राप्त हुआ था।
- राष्ट्रीय सौर मिशन का उद्देश्य विद्युत् उत्पादन के लिये सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना और सौर ऊर्जा को जीवाश्म ईंधन आधारित विकल्पों के साथ प्रतिस्पर्द्धी बनाना है।
अन्य संकेतक:
असमानता-समायोजित मानव विकास सूचकांक (Inequality-adjusted Human Development
Index- IHDI) :
- IHDI असमानता के कारण HDI में प्रतिशत हानि को प्रदर्शित करता है।
- वर्ष 2019 के लिये भारत का IHDI स्कोर 0.537 (समग्र नुकसान 16.8%) है।
लैंगिक विकास सूचकांक (Gender Development Index- GDI):
- GDI, HDI में असमानता को लैंगिक आधार पर मापता है।
- वर्ष 2019 के लिये भारत का GDI स्कोर 0.820 (विश्व का 0.943) है।
लैंगिक असमानता सूचकांक (Gender Inequality Index- GII) :
यह तीन आयामों में महिलाओं और पुरुषों के बीच
उपलब्धियों में असमानता को दर्शाने वाली एक समग्र माप है:
- प्रजनन स्वास्थ्य
- सशक्तीकरण तथा
- श्रम बाज़ार।
GII में
भारत 123वें स्थान पर है। पिछले वर्ष यह 162 देशों में 122वें स्थान पर था।
बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multidimensional Poverty Index- MPI):
- MPI में वे आयाम शामिल होते हैं जिनका सामना विकासशील देशों के लोग अपने स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर में करते हैं।
- भारत के MPI अनुमान के लिये सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सबसे हालिया सर्वेक्षण 2015-2016 का है। भारत में 27.9% जनसंख्या (3,77,492 हज़ार लोग) बहुआयामी गरीबी से ग्रसित है, जबकि इसके अतिरिक्त 19.3% जनसंख्या (2,60,596 हज़ार लोग)को बहुआयामी गरीबी के तहत सुभेद्य के रूप में में वर्गीकृत किया गया है।
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