अगस्त 2021 के चर्चित व्यक्ति | August 2021 Person in News Hindi
अगस्त 2021 के चर्चित व्यक्ति
August 2021 Person in News Hindi
लेखा महानियंत्रक- ‘दीपक दास’
- वरिष्ठ अधिकारी दीपक दास ने हाल ही में देश के नए ‘लेखा महानियंत्रक’ (CGA) के रूप में कार्यभार संभाला लिया है। वे देश के 25वें लेखा महानियंत्रक (CGA) हैं।
दीपक दास कौन हैं
- दीपक दास वर्ष 1986 बैच के भारतीय सिविल लेखा सेवा (ICAS) अधिकारी हैं। अपने 35 वर्षीय लंबे कॅरियर के दौरान दीपक दास ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण एवं वन, उद्योग संवर्द्धन विभाग तथा आंतरिक व्यापार और भारी उद्योग, वाणिज्य एवं वस्त्र, कृषि एवं किसान कल्याण, सड़क परिवहन जैसे मंत्रालयों में विभिन्न महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है।
- दीपक दास, भारतीय सिविल लेखा सेवा की प्रशिक्षण अकादमी- ‘सरकारी लेखा और वित्त संस्थान’ (INGAF) के निदेशक भी रह चुके हैं। ‘लेखा महानियंत्रक’ का कार्यभार संभालने से पूर्व दीपक दास ‘केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड’ (CBDT) में प्रधान मुख्य लेखा नियंत्रक के रूप में भी कार्य कर चुके हैं।
- विदित हो कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के तहत लेखा महानियंत्रक (CGA), भारत सरकार का प्रधान लेखा सलाहकार होता है, जो कि मुख्य तौर पर तकनीकी रूप से सुदृढ़ प्रबंधन लेखा प्रणाली की स्थापना और रखरखाव हेतु उत्तरदायी है।
सोनू सूद -‘देश के मेंटर’ कार्यक्रम
- बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद को हाल ही में दिल्ली सरकार के ‘देश के मेंटर’ कार्यक्रम के ब्रांड एंबेसडर के रूप में नियुक्त किया गया है। जल्द ही लॉन्च होने वाले इस कार्यक्रम में देश भर के नागरिक और दिल्ली के सरकारी स्कूल के बच्चे शामिल होंगे। अभी तक इस कार्यक्रम को दिल्ली में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर क्रियान्वित किया जा रहा था। इसके तहत हिस्सा लेने वाले नागरिक दिल्ली के सरकारी स्कूलों के अधिकतम 10 छात्रों को ‘अडॉप्ट’ करेंगे और उन्हें संबंधित क्षेत्र में मार्गदर्शन प्रदान करेंगे।
- छात्रों को फोन के माध्यम से मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु सभी ‘मेंटर्स’ प्रति सप्ताह 10 मिनट का समय निकालेंगे। इस कार्यक्रम का लक्ष्य कम-से-कम 10 लाख बच्चों और 3 लाख कामकाजी पेशेवरों तक पहुँच बनाना है। इस कार्यक्रम का लक्ष्य दिल्ली में शिक्षा को जन आंदोलन के रूप में विकसित करना है।
बुद्धदेब गुहा के बारे में जानकारी
- ‘मधुकरी’ जैसी कई उल्लेखनीय रचनाओं के रचयिता प्रख्यात बांग्ला लेखक ‘बुद्धदेब गुहा’ का हाल ही में 85 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। प्रधानमंत्री ने बुद्धदेब गुहा के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
- 29 जून, 1936 को कलकत्ता में जन्मे बुद्धदेब गुहा ने अपना बचपन मुख्यतः पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) के रंगपुर और बारीसाल ज़िलों में बिताया था। उनके बचपन के अनुभवों और यात्राओं ने उन पर गहरी छाप छोड़ी, जो बाद में उनकी रचनाओं में परिलक्षित हुई। उनके उपन्यासों और लघु कथाओं की आलोचकों द्वारा अत्यधिक प्रशंसा की गई है और उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिसमें वर्ष 1976 में आनंद पुरस्कार, शिरोमन पुरस्कार और शरत पुरस्कार आदि शामिल हैं।
- 'मधुकरी' के अलावा उनकी महत्त्वपूर्ण कृतियों में 'कोयलर कच्छे' (कोयल नदी के पास) और 'सोबिनॉय निबेदों' (विनम्र भेंट) भी शामिल हैं। बुद्धदेब गुहा की तमाम रचनाएँ पूर्वी भारत की प्रकृति और जंगलों के साथ उनकी निकटता को दर्शाती हैं। उनकी दो कृतियों- 'बाबा होवा' (बीइंग ए फादर) और 'स्वामी होवा' (बीइंग ए हसबैंड) पर एक पुरस्कार विजेता बंगाली फिल्म 'डिक्शनरी' भी बनाई गई थी। इसके अलावा बुद्धदेब गुहा एक सफल चार्टर्ड अकाउंटेंट, प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत गायक और कुशल चित्रकार भी थे।
अवनि लेखरा
- भारतीय पैरालिंपियन और राइफल शूटर ‘अवनि लेखरा’ ने हाल ही में पैरालंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीत कर इतिहास रच दिया है और वे स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं।
- अवनि लेखरा ने वर्ष 2016 के रियो खेलों के स्वर्ण पदक विजेता चीन के क्यूपिंग झांग को पीछे छोड़ दिया है।
- जयपुर की 19 वर्षीय अवनि लेखरा, जिन्हें वर्ष 2012 में एक कार दुर्घटना के दौरान रीढ़ की हड्डी में चोट का सामना करना पड़ा था, ने कुल 249.6 अंक अर्जित किये, जो कि स्वयं में एक पैरालंपिक विश्व रिकॉर्ड है। इसके अलावा वह तैराक मुरलीकांत पेटकर (1972), भाला फेंकने वाले देवेंद्र झाझरिया (2004 और 2016) और हाई जम्पर मरियप्पन थंगावेलु (2016) के बाद पैरालंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाली चौथी भारतीय एथलीट भी हैं। यह अवनि लखेरा का पहला बड़ा अंतर्राष्ट्रीय पदक भी है। वर्ष 2019 में पिछली विश्व चैंपियनशिप में वह चौथे स्थान पर रही थीं।
महान देशभक्त शहीद ऊधम सिंह
- उप-राष्ट्र9पति एम. वेंकैया नायडू ने क्रांतिकारी और महान देशभक्त शहीद ऊधम सिंह के शहीदी दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। वर्ष 1899 में पंजाब के संगरूर ज़िले के ‘सुनाम’ में पैदा हुए ऊधम सिंह एक राजनीतिक कार्यकर्त्ता थे, जो अमेरिका में रहते हुए गदर पार्टी से जुड़े हुए थे। गदर पार्टी साम्यवादी प्रवृत्ति का एक बहु-जातीय दल था और इसकी स्थापना वर्ष 1913 में सोहन सिंह भाकना द्वारा की गई थी।
- कैलिफोर्निया स्थित यह दल अंग्रेज़ों को भारत से बाहर निकालने के लिये प्रतिबद्ध था। 13 अप्रैल, 1919 को जलियाँवाला बाग में आयोजित एक शांतिपूर्ण बैठक में शामिल लोगों पर ब्रिगेडियर जनरल रेगीनाल्ड डायर ने गोली चलाने का आदेश दिया था, जिसमें हज़ारों निहत्थे पुरुष, महिलाएँ और बच्चे मारे गए थे।
- यद्यपि गोली चलाने का आदेश जनरल डायर द्वारा दिया गया था, किंतु ऊधम सिंह समेत अधिकांश लोगों ने माइकल ओ' ड्वायर को इस नरसंहार का ज़िम्मेदार माना, क्योंकि वह उस समय पंजाब के उप-राजपाल था और जनरल डायर उसी के आदेश पर काम कर रहा था।
- इसी के मद्देनज़र 13 मार्च, 1940 को ऊधम सिंह ने ‘ईस्ट इंडिया एसोसिएशन’ और ‘रॉयल सेंट्रल एशियन सोसाइटी’ की कैक्सटन हिल में एक बैठक में ओ'डायर को गोली मार दी। उन्हें तत्काल गिरफ्तार कर लिया गया और ब्रिक्सटन जेल भेज दिया गया।
- इस दौरान उन्होंने पुलिस के बयानों और अदालत की कार्यवाही में स्वयं को ‘मोहम्मद सिंह आज़ाद’ के रूप में संदर्भित किया, जो कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक था। हत्या के अपराध में उन्हें मौत की सज़ा सुनाई गई और 31 जुलाई, 1940 को पेंटनविले जेल में फाँसी दे दी गई।
पिंगली वेंकैया के बारे में जानकारी
- 02 अगस्त, 2021 को उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के डिज़ाइनर और महान स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
- 02 अगस्त, 1876 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले में जन्मे पिंगली वेंकैया ने प्रारंभिक शिक्षा भटाला पेनमरू और मछलीपट्टनम में प्राप्त की तथा 19 वर्ष की आयु में उन्होंने अफ्रीका में एंग्लो-बोअर युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना में सैनिक के रूप में कार्य किया।
- इसी युद्ध के दौरान दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए वे गांधी जी से मिले एवं उनसे काफी प्रभावित हुए। अफ्रीका से लौटने के बाद पिंगली वेंकैया ने अपना अधिकांश समय कृषि और कपास की खेती पर शोध करते हुए बिताया। उन्होंने लाहौर के एंग्लो वैदिक स्कूल में संस्कृत, उर्दू और जापानी का अध्ययन भी किया।
- वर्ष 1918 तथा वर्ष 1921 के बीच पिंगली वेंकैया ने काॅन्ग्रेस के लगभग प्रत्येक अधिवेशन में एक ध्वज की मांग का आह्वान किया। राष्ट्रीय ध्वज की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए वर्ष 1921 में राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस की एक बैठक में गांधी जी ने वेंकैया से नए सिरे से डिज़ाइन तैयार करने को कहा।
- प्रारंभ में वेंकैया ने ध्वज में केवल लाल और हरे रंग का ही प्रयोग किया था, जो क्रमशः हिंदू तथा मुस्लिम समुदायों का प्रतिनिधित्व करते थे। किंतु बाद में इसके केंद्र में एक चरखा और तीसरे रंग (सफेद) को भी शामिल किया गया।
- वर्ष 1931 में भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस द्वारा इस ध्वज को आधिकारिक तौर पर अपनाया गया। 04 जुलाई, 1963 को पिंगली वेंकैया की मृत्यु हो गई।
नेल्लीयोड वासुदेवन नंबूदिरी
- हाल ही में मशहूर कत्थकली कलाकार ‘नेल्लीयोड वासुदेवन नंबूदिरी’ का 81 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। शास्त्रीय नृत्य नाटक में नकारात्मक ‘चुवन्ना थड़ी’ (लाल दाढ़ी) पात्रों के लिये पहचाने जाने वाले नेल्लीयोड ने ‘वट्टमुडी’ और ‘पेनकारी’ की भूमिकाएँ भी निभाईं तथा उसके लिये काफी सराहना भी हासिल की।
- ‘काली’, ‘दुशासन’ और ‘बकन’ जैसे नकारात्मक पात्रों के अलावा वह ‘कुचेलन’ जैसी सकारात्मक व पवित्र भूमिकाएँ निभाने के लिये भी प्रसिद्ध थे।
- संस्कृत और हिंदू पुराणों के विद्वान वासुदेवन नंबूदिरी संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, केरल शांति नाटक अकादमी पुरस्कार, केरल राज्य कत्थकली पुरस्कार और इसी प्रकार के अन्य सम्मानों के प्राप्तकर्त्ता थे। गौरतलब है कि केरल कई परंपरागत नृत्यों और नृत्य-नाटक शैलियों के लिये प्रसिद्ध है, जिसमें से एक ‘कत्थकली’ नृत्य भी है। कत्थकली नृत्य भारत के आठ शास्त्रीय नृत्यों में से एक है। कत्थकली, संगीत और अभिनय का विशिष्ट मिश्रण है। इसमें अधिकांशतः भारतीय महाकाव्यों से ली गई कथाओं का नाटकीकरण किया जाता है।
- केरल के सभी प्रारंभिक नृत्य और नाटक जैसे- चकइरकोथू, कोडियाट्टम, मुडियाअट्टू, थियाट्टम, थेयाम, सस्त्राकली, कृष्णाअट्टम तथा रामाअट्टम आदि कत्थकली की ही देन हैं। ‘कत्थकली के अलावा भारतीय शास्त्रीय नृत्य की प्रमुख शैलियों में शामिल हैं- कत्थक (उत्तर प्रदेश, जयपुर), भरतनाट्यम (तमिलनाडु), मणिपुरी (मणिपुर), ओडिसी (ओडिशा), कुचीपुड़ी (आंध्र प्रदेश), सत्रीया (असम) एवं मोहिनीअट्टम (केरल)।
डोगरी साहित्य की जननी -पद्मा सचदेव
- समकालीन डोगरी साहित्य की जननी कही जाने वाली पद्मा सचदेव का हाल ही में 81 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है।
- 14 अप्रैल, 1940 को जम्मू-कश्मीर के सांबा ज़िले के पुरमंडल गाँव में जन्मीं पद्मा सचदेव के पहले कविता संग्रह- ‘मेरी कविता मेरे गीत’ (1969) को वर्ष 1971 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह डोगरी भाषा की पहली आधुनिक महिला कवयित्री थीं। इसके अलावा उन्होंने हिंदी भाषा में भी रचनाएँ कीं।
- वर्ष 2015 में उन्हें अपनी आत्मकथा 'बूंद बावरी' के लिये पद्मश्री और सरस्वती सम्मान से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा वर्ष 2019 में उन्हें साहित्य के क्षेत्र में आजीवन उपलब्धि के लिये प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी फैलोशिप भी मिली।
- लेखिका उमा वासुदेव ने पद्मा सचदेव की आत्मकथा का अंग्रेज़ी में 'ए ड्रॉप इन द ओशन' नाम से अनुवाद किया था।
- वर्ष 2007-08 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पद्मा सचदेव को उनकी कविताओं के लिये ‘कबीर सम्मान’ प्रदान किया गया था। उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो- जम्मू और ऑल इंडिया रेडियो- मुंबई में भी एनाउंसर काम किया।
- उनकी कई किताबें प्रकाशित हुईं, जिसमें ‘तवी ते चानहन’ (नदियाँ ‘तवी’ और ‘चिनाब’, 1976), नहेरियान गलियाँ (डार्क लेन, 1982) और उत्तर वाहिनी (1992) प्रमुख हैं।
सरला ठुकराल
- हाल ही में दिग्गज इंटरनेट कंपनी गूगल ने विमान उड़ाने वाली पहली भारतीय महिला ‘सरला ठुकराल’ को उनकी 107वीं जयंती के अवसर पर एक डूडल समर्पित किया।
- सरला ठुकराल का जन्म 8 अगस्त, 1914 को दिल्ली, ब्रिटिश भारत में हुआ था और बाद में वे वर्तमान पाकिस्तान में लाहौर चली गईं। वह एक भारतीय पायलट, डिज़ाइनर और उद्यमी थीं। 21 वर्ष की उम्र में एक पारंपरिक साड़ी पहने हुए उन्होंने अपनी पहली उड़ान भरी थी और अपनी पहली उड़ान के साथ उन्होंने इतिहास रच दिया था।
- सरला ठुकराल ने अपना प्रशिक्षण ‘लाहौर फ्लाइंग क्लब’ से प्राप्त किया था तथा इस प्रशिक्षण के दौरान सरला ठुकराल ने उड़ान के 1,000 घंटे पूरे करने का गौरव भी हासिल किया था, जिससे उन्हें ‘A’ श्रेणी का लाइसेंस प्राप्त हुआ था। इस तरह वह ‘A’ श्रेणी का लाइसेंस प्राप्त करने वाली देश की पहली महिला थीं। हालाँकि द्वितीय विश्व युद्ध के कारण नागरिक उड्डयन प्रशिक्षण को आगे बढ़ाने की योजनाओं में एक महत्त्वपूर्ण चुनौती उत्पन्न हुई, किंतु उन्होंने अपना शिक्षण जारी रखा और लाहौर के ‘मायो स्कूल ऑफ आर्ट्स’ (अब नेशनल कॉलेज ऑफ आर्ट्स) में ललित कला एवं चित्रकला का अध्ययन किया। इसके पश्चात् वह दिल्ली लौट आईं, जहाँ उन्होंने पेंटिंग जारी रखी और एक डिज़ाइनर के तौर पर सफल कॅरियर का निर्माण किया।
रेखा शर्मा
- राष्ट्रीय महिला आयोग की मौजूदा अध्यक्ष रेखा शर्मा को हाल ही में तीन वर्ष का कार्यकाल विस्तार दिया गया है।
- 57 वर्षीय रेखा शर्मा ने 07 अगस्त, 2018 को राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया था। वह अगस्त 2015 में एक सदस्य के रूप तौर पर आयोग से जुड़ी थीं और पूर्णकालिक अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त होने से पूर्व उन्हें सितंबर, 2017 में अध्यक्ष के रूप में अतिरिक्त प्रभार प्रदान किया गया था।
- आयोग का गठन जनवरी 1992 में राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 के तहत एक सांविधिक निकाय के रूप में किया गया था। आयोग का उद्देश्य महिलाओं की संवैधानिक और कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित करना, उनके लिये विधायी सुझावों की सिफारिश करना, शिकायतों का निवारण करना तथा महिलाओं को प्रभावित करने वाले सभी नीतिगत मामलों में सरकार को सलाह देना है। इस आयोग में केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एक अध्यक्ष, पाँच सदस्य और एक सदस्य-सचिव होता है।
वी.वी. गिरी
- 10 अगस्त, 2021 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूर्व राष्ट्रपति ‘वी.वी. गिरी’ की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
- भारत के चौथे राष्ट्रपति ‘वराहगिरी वैंकट गिरी’ या ‘वी.वी. गिरी’ का जन्म 10 अगस्त, 1894 को ओडिशा के गंजाम ज़िले के बेरहामपुर में हुआ था। अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद वे कानून का अध्ययन करने के लिये आयरलैंड चले गए, जहाँ वे भारत और आयरलैंड दोनों देशों की राजनीति में काफी सक्रिय रहे, जिसके चलते 1 जून, 1916 को उन्हें आयरलैंड छोड़ना पड़ा।
- वर्ष 1916 में वे भारत लौटे और मद्रास उच्च न्यायालय में कार्य करने लगे। साथ ही वे काॅन्ग्रेस में शामिल होकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी सक्रिय हो गए। वर्ष 1934 में वे इम्पीरियल लेजिस्लेटिव असेंबली के सदस्य के तौर पर चुने गए और वर्ष 1937 तक इस पद पर रहे।
- 13 मई, 1967 को वी.वी. गिरी भारत के तीसरे उपराष्ट्रपति के तौर पर चुने गए और वे लगभग 2 वर्ष तक इस पद पर रहे, ज्ञात हो कि वे ऐसे पहले उपराष्ट्रपति थे जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया था। वर्ष 1969 में राष्ट्रपति चुनाव हुए और वी.वी. गिरी को भारत के चौथे राष्ट्रपति के तौर पर चुन लिया गया।
- वी.वी. गिरी वर्ष 1974 तक भारत के राष्ट्रपति रहे, वर्ष 1975 में उन्हें ‘भारत रत्न' से सम्मानित किया गया और 24 जून, 1980 को उनकी मृत्यु हो गई।
चोल सम्राट ‘राजेंद्र चोल प्रथम’
- तमिलनाडु सरकार ने हाल ही में ‘चोल वंश’ के महानतम सम्राटों में से एक ‘राजेंद्र चोल प्रथम’ की जयंती को अगले वर्ष से एक सरकारी कार्यक्रम के रूप में मनाए जाने की घोषणा की है।
- 11वीं शताब्दी के चोल सम्राट ने अपनी राजधानी को गंगईकोंडा चोलपुरम (वर्तमान अरियालुर ज़िले) में स्थानांतरित कर दिया था, जहाँ उन्होंने ‘पेरुवुदैयार मंदिर’ का निर्माण किया था। इस मंदिर को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गई है।
- महान राजा ‘राजेंद्र चोल प्रथम’ को भारतीय उपमहाद्वीप में कई मंदिरों के निर्माण का श्रेय दिया जाता है। राजेंद्र चोल प्रथम, दक्षिण भारत के महान चोल राजा ‘राजराजा चोल प्रथम’ के पुत्र थे।
- अपने शासनकाल के दौरान उन्होंने पहले से ही विशाल चोल साम्राज्य के प्रभाव को उत्तर में गंगा नदी के किनारे और समुद्र तक विस्तृत किया। राजेंद्र चोल प्रथम का राज्य क्षेत्र तटीय बर्मा, अंडमान व निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, मालदीव तक फैला हुआ था और उन्होंने अपने जहाज़ी बेड़े के साथ आस-पास के कई द्वीपों को जीत लिया था।
- उन्होंने बंगाल और बिहार के पाल राजा महिपाल को भी हराया। राजेंद्र चोल प्रथम अपनी सेना को समुद्र पार कर विदेश तक ले जाने वाले पहले भारतीय राजा थे। उन्होंने ‘परकेसरी’ और ‘युद्धमल्ला’ की उपाधि धारण की थी।
खुदीराम बोस
- 11 अगस्त, 2021 को स्वतंत्रता सेनानी खुदीराम बोस की पुण्यतिथि मनाई गई।
- खुदीराम बोस का जन्म वर्ष 1889 में पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर ज़िले के एक छोटे से गाँव में हुआ था। श्री अरबिंदो और भगिनी निवेदिता के व्याख्यानों से प्रेरित होकर खुदीराम बोस अपनी किशोरावस्था के शुरुआती वर्षों में ही क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हो गए थे।
- वर्ष 1905 में जब बंगाल का विभाजन हुआ तो उन्होंने सक्रिय रूप से ब्रिटिश हुकूमत के इस कदम का विरोध किया। वे 15 वर्ष की आयु में बोस अनुशीलन समिति में शामिल हो गए, यह 20वीं शताब्दी की उन प्रारंभिक संस्थाओं में से थी, जिसने बंगाल में क्रांतिकारी गतिविधियों को बढ़ावा दिया था।
- बोस के जीवन में निर्णायक क्षण वर्ष 1908 में तब आया, जब उन्हें उनके क्रांतिकारी साथी प्रफुल्ल चाकी के साथ मुज़फ्फरपुर के ज़िला मजिस्ट्रेट किंग्सफोर्ड की हत्या का काम सौंपा गया। ज्ञात हो कि मुज़फ्फरपुर को हस्तांतरित किये जाने से पूर्व किंग्सफोर्ड बंगाल के ज़िला मजिस्ट्रेट था और क्रांतिकारियों तथा आम नागरिकों पर किये गए अत्याचार के कारण कई युवा क्रांतिकारियों के मन में उसके प्रति क्रोध था। दोनों ने किंग्सफोर्ड की हत्या के कई प्रयास किये और 30 अप्रैल, 1908 को किंग्सफोर्ड की गाड़ी पर बम फेंका गया, यद्यपि इस हमले में वह बच निकला, किंतु इसमें एक अन्य अंग्रेज़ अफसर के परिजनों की मृत्यु हो गई। इसके बाद खुदीराम बोस को गिरफ्तार कर लिया गया और अदालत ने उन्हें फाँसी की सज़ा सुनाई। 11 अगस्त, 1908 को उन्हें फाँसी दे दी गई।
नीरज चोपड़ा के बारे में जानकारी
- भारत के जेवलिन थ्रो खिलाड़ी नीरज चोपड़ा नवीनतम विश्व एथलेटिक्स पुरुषों की रैंकिंग में नंबर 2 पर पहुँच गए हैं। ओलंपिक की शुरुआत से पूर्व नीरज चोपड़ा 16वें स्थान पर थे, लेकिन 23 वर्षीय नीरज चोपड़ा ने टोक्यो में स्वर्ण पदक जीतने के बाद रैंकिंग में कई प्रसिद्ध खिलाड़ियों को पीछे छोड़ दिया है। 1315 अंकों के साथ नीरज चोपड़ा विश्व एथलेटिक्स रैंकिंग में केवल जर्मनी के ‘जोहान्स वेटर’ से पीछे हैं। गौरतलब है कि नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में पुरुषों के जेवलिन थ्रो गेम में स्वर्ण पदक जीता था, जिससे वे स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय ट्रैक और फील्ड एथलीट बन गए हैं।
नीरज चोपड़ा का जन्म
- 24 दिसंबर, 1997 को हरियाणा के पानीपत में जन्मे नीरज चोपड़ा ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई महत्त्वपूर्ण पुरस्कार जीते हैं, जिनमें राष्ट्रीय जूनियर चैंपियनशिप (2021) में स्वर्ण पदक तथा एशियन जूनियर चैंपियनशिप (2017) में सिल्वर पदक शामिल हैं।
सुभद्रा कुमारी चौहान
- हाल ही में टेक कंपनी ‘गूगल’ ने ‘डूडल’ के माध्यम से अग्रणी लेखिका और स्वतंत्रता सेनानी ‘सुभद्रा कुमारी चौहान की 117वीं जयंती के अवसर पर उनके जीवन और उपलब्धियों के प्रति सम्मान प्रकट किया है। ज्ञात हो कि सुभद्रा कुमारी चौहान के कार्य को साहित्य के पुरुष-प्रधान युग के दौरान राष्ट्रीय प्रमुखता मिली थी।
- सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त, 1904 को इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) के निहालपुर में हुआ था। उनकी पहली कविता तब प्रकाशित हुई थी, जब वह मात्र 9 वर्ष की थीं। विवाह के बाद वह अंग्रेज़ों के विरुद्ध महात्मा गांधी के साथ ‘असहयोग आंदोलन’ में शामिल हो गईं और इस तरह देश की पहली महिला सत्याग्रही बनीं। ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने के कारण उन्हें दो बार (वर्ष 1923 और वर्ष 1942 में) जेल जाना पड़ा था।
- भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की एक प्रतिभागी के नाते उन्होंने अपने प्रभावशाली लेखन और कविताओं को अन्य लोगों को प्रेरित करने के लिये एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। उनकी रचनाओं में भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारतीय महिलाओं की कठिनाइयों और चुनौतियों को गंभीरता से दर्शाया गया है। उन्होंने अपने लेखन में हिंदी की ‘खड़ी बोली’ का प्रयोग किया। उनकी विचारोत्तेजक राष्ट्रवादी कविता ‘झांसी की रानी’ को व्यापक रूप से हिंदी साहित्य में सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली कविताओं में से एक माना जाता है।
क्रांतिवीर ‘संगोली रायन्ना’
- हाल ही में कर्नाटक सरकार द्वारा 18वीं सदी के स्वतंत्रता सेनानी क्रांतिवीर ‘संगोली रायन्ना’ की जयंती का आयोजन किया गया। इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा प्रतिवर्ष 26 जनवरी को क्रांतिवीर ‘संगोली रायन्ना’ का शहादत दिवस भी मनाया जाएगा।
- क्रांतिवीर ‘संगोली रायन्ना’ (1798-1831) रानी चेन्नम्मा द्वारा शासित तत्कालीन ‘कित्तूर साम्राज्य’ के सेना प्रमुख थे, जिन्होंने अंग्रेज़ों के विरुद्ध बहादुरी से जंग लड़ी थी। अंग्रेज़ शासकों द्वारा उन्हें वर्ष 1831 में बेलगावी ज़िले के नंदगड़ के पास एक बरगद के पेड़ से फाँसी पर लटका दिया गया था।
- ‘संगोली रायन्ना’ को ‘कुरुबा समुदाय’ के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया गया है। गौरतलब है कि ‘कुरुबा समुदाय’ कर्नाटक में तीसरा सबसे बड़ा समुदाय है।
अटल बिहारी वाजपेयी
- 16 अगस्त, 2021 को देश भर में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तीसरी पुण्यतिथि मनाई गई।
- भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। अटल बिहारी वाजपेयी अपने छात्र जीवन के दौरान सर्वप्रथम राष्ट्रवादी राजनीति में तब सामने आए जब उन्होंने वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया। कॉलेज के दिनों में ही उनकी रुचि विदेशी मामलों में काफी अधिक थी, यही कारण है कि बाद में उन्होंने विभिन्न बहुपक्षीय और द्विपक्षीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व कर अपने कौशल का परिचय दिया।
- वर्ष 1947 में वाजपेयी जी ने एक पत्रकार के तौर पर अपने कॅरियर की शुरुआत की और वर्ष 1951 में वे ‘भारतीय जनसंघ’ में शामिल हो गए। चुनावी राजनीति में उनकी यात्रा वर्ष 1957 में शुरू हुई, जब उन्होंने तीन सीटों से लोकसभा चुनाव लड़ा और उत्तर प्रदेश के बलरामपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए।
- दीनदयाल उपाध्याय की मृत्यु के बाद वर्ष 1968 में वाजपेयी जी को जनसंघ का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया।
- वाजपेयी जी को प्रधानमंत्री के तौर पर कुल 3 कार्यकाल मिले, वर्ष 1996 में उनका पहला कार्यकाल केवल 13 दिनों तक चला, जिसके बाद वर्ष 1998 से वर्ष 1999 तक वह 13 महीने के लिये प्रधानमंत्री पद पर रहे और अंत में वर्ष 1999 से वर्ष 2004 तक उन्होंने सफलतापूर्वक अपना पाँच वर्षीय कार्यकाल पूरा किया।
- 16 अगस्त, 2018 को 93 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई।
मलेशिया के प्रधानमंत्री मुहिद्दीन यासीन का इस्तीफा
- लंबे समय से चल रही राजनीतिक उथल-पुथल के बाद मलेशिया के प्रधानमंत्री मुहिद्दीन यासीन ने हाल ही में अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। मुहिद्दीन यासीन ने प्रधानमंत्री के तौर पर अपने 17 महीने के कार्यकाल के बाद इस्तीफा दिया है, जो कि मलेशिया के किसी भी प्रधानमंत्री का अब तक का सबसे छोटा कार्यकाल है।
- दक्षिण-पूर्व एशियाई देश मलेशिया के राजा ने नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति तक मुहिद्दीन यासीन को कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया है, हालाँकि इसके लिये कोई समयसीमा निर्धारित नहीं की गई है।
- गौरतलब है कि मलेशिया दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थित एक संघीय राज्य है। मलेशिया मुख्य तौर पर दो क्षेत्रों से मिलकर बना है, जिन्हें दक्षिण चीन सागर द्वारा अलग किया जाता है- ‘पश्चिम मलेशिया’ (उत्तर में थाईलैंड और दक्षिण में सिंगापुर के साथ सीमा) और ‘पूर्वी मलेशिया’ (बोर्नियो द्वीप का उत्तरी भाग, जो दक्षिण में इंडोनेशिया और ब्रुनेई के साथ सीमा साझा करता है)। मलेशिया भूमध्य रेखा के काफी करीब स्थित है।
- मलेशिया की अर्थव्यवस्था काफी हद तक पाम आयल के कारोबार पर निर्भर है और भारत प्रतिवर्ष लगभग 90 लाख टन पाम तेल मलेशिया तथा इंडोनेशिया से आयात करता है।
सुडोकू के गॉडफादर माकी काजी
- हाल ही में ‘सुडोकू के गॉडफादर’ के रूप में प्रसिद्ध जापान के ‘माकी काजी’ का 69 वर्ष की आयु में निधन हो गया है।
- माकी काजी ने ‘सुडोकू’ को 1980 के दशक में सर्वप्रथम अपनी पत्रिका ‘निकोली’ में प्रकाशित किया था। तब से यह लोकप्रिय खेल- जिसमें 9x9 ग्रिड की प्रत्येक पंक्ति, स्तंभ और वर्ग में 1 से 9 तक की संख्या भरनी होती है, दुनिया भर में फैल गया है। दुनिया भर में इस नंबर पहेली के टूर्नामेंट आयोजित किये जाते हैं और यह अनुमान है कि प्रतिदिन लाखों लोग इस खेल के अलग-अलग संस्करण खेलते हैं।
- माकी काजी का जन्म उत्तरी जापान के ‘साप्पोरो’ शहर में वर्ष 1951 में हुआ था। जापान के ‘कीओ विश्वविद्यालय’ से अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ने के बाद उन्होंने एक पहेली पत्रिका ‘निकोली’ की स्थापना की और अगस्त 1980 में इसका पहला संस्करण प्रकाशित किया गया।
- एक खेल के रूप में ‘सुडोकू’ की उत्पत्ति का इतिहास स्पष्ट नहीं है, एक मत के अनुसार, इस खेल की उत्पत्ति का श्रेय 18वीं शताब्दी के स्विस गणितज्ञ ‘यूलर’ को दिया जाता है, जबकि एक अन्य मत के अनुसार, यह 8वीं या 9वीं शताब्दी में भारत के रास्ते चीन से अरब जगत में आया। ‘निकोली’ पत्रिका में प्रकाशित होने के बाद ‘सुडोकू’ खेल जापान समेत दुनिया भर में लोकप्रिय हो गया।
जाम्बिया के नए राष्ट्रपति: हाकैंडे हिचिलेमा
- जाम्बिया के विपक्षी नेता हाकैंडे हिचिलेमा को हाल ही में संपन्न हुए राष्ट्रपति चुनावों में देश का नया राष्ट्रपति चुना गया है। हाकैंडे हिचिलेमा का जन्म दक्षिणी ज़िले ‘मोंज़े’ में 04 जून, 1962 को हुआ था।
- जाम्बिया विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने ब्रिटेन में ‘बर्मिंघम विश्वविद्यालय’ से एमबीए की डिग्री हासिल की। वर्तमान में वे जाम्बिया के सबसे धनी व्यक्तियों में से एक हैं और वित्त, पशुपालन, संपत्ति, स्वास्थ्य देखभाल तथा पर्यटन जैसे क्षेत्रों में उनके व्यावसायिक हित मौजूद हैं। ज्ञात हो कि जाम्बिया, दक्षिण-मध्य अफ्रीका में एक लैंडलॉक देश है और यह अंगोला, ज़ैरे, तंजानिया, मलावी, मोज़ाम्बिक, ज़िम्बाब्वे, बोत्सवाना तथा नामीबिया के साथ अपनी सीमा साझा करता है।
- यह देश अधिकांशतः पठारीय क्षेत्र है, जो पूर्व में 8,000 फीट (2,434 मीटर) तक ऊँचा है। अफ्रीका खासतौर पर जाम्बिया के अग्रणी नेताओं में से एक डॉ. केनेथ कोंडा ने जाम्बिया में उपनिवेशवाद को समाप्त करने और एक नए जाम्बिया का गठन करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।
डॉ. शंकर दयाल शर्मा
- 19 अगस्त, 2021 को राष्ट्रापति रामनाथ कोविंद ने पूर्व राष्ट्रदपति डॉक्ट र शंकर दयाल शर्मा को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
- एक अनुभवी स्वतंत्रता सेनानी, वकील और राजनीतिज्ञ डॉ. शंकर दयाल शर्मा का जन्म 19 अगस्त, 1918 को भोपाल (मध्य प्रदेश) में हुआ था। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा आगरा और लखनऊ विश्वविद्यालयों से प्राप्त की, इसके पश्चात् उन्होंने ‘कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय’ से विधि (कानून) में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
- वर्ष 1940 में लखनऊ में उन्होंने वकील के तौर पर प्रैक्टिस शुरू की, जिसके कुछ समय पश्चात् वे काॅन्ग्रेस में शामिल हो गए। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेने के कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और वे लगभग आठ महीनों तक जेल में रहे।
- वर्ष 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद डॉ. शंकर दयाल शर्मा स्वतंत्र भारत के राजनीतिक वातावरण में और अधिक सक्रिय हो गए और उन्होंने राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर पर कई महत्त्वपूर्ण राजनीतिक पदों पर कार्य किया।
- डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने वर्ष 1992 से वर्ष 1997 तक देश के नौवें राष्ट्रपति के तौर पर कार्य किया, उन्हें वर्ष 1984 में आंध्र प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया था।
- 26 दिसंबर, 1999 को नई दिल्ली में 81 वर्ष की उम्र में डॉ. शंकर दयाल शर्मा का निधन हो गया।
राजीव गांधी
- 20 अगस्त, 2021 को उपराष्ट्रपति ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 77वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
- गौरतलब है कि मात्र 40 वर्ष की उम्र में प्रधानमंत्री बनने वाले राजीव गांधी भारत के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री थे और संभवतः दुनिया के उन युवा राजनेताओं में से एक हैं जिन्होंने इतनी कम उम्र में किसी सरकार का नेतृत्त्व किया।
- राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त, 1944 को बम्बई (मुंबई) में हुआ था। विज्ञान में रुचि रखने वाले राजीव गांधी वर्ष 1984 में अपनी माँ की हत्या के पश्चात् काॅन्ग्रेस अध्यक्ष एवं देश के प्रधानमंत्री बने और वर्ष 1989 तक देश के प्रधानमंत्री रहे।
- 21 मई, 1991 को चेन्नई में एक रैली के दौरान अलगाववादी संगठन लिट्टे की महिला सुसाइड बॉम्बर ने राजीव गांधी की हत्या कर दी थी। यही कारण है कि राजीव गांधी की पुण्यतिथि (21 मई) पर प्रतिवर्ष देश में एंटी-टेररिज़्म दिवस अथवा आतंकवाद विरोधी दिवस का आयोजन किया जाता है।
- ध्यातव्य है कि राजीव गांधी को 'भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं दूरसंचार क्रांति का जनक' और डिजिटल इंडिया के वास्तुकार के रूप में जाना जाता है। देश के छठे प्रधानमंत्री के तौर पर राजीव गांधी का कार्यकाल देश में सूचना प्रौद्योगिकी एवं दूरसंचार की दृष्टि से एक महत्त्वपूर्ण दौर था।
अभय कुमार सिंह
- हाल ही में आईएएस अधिकारी अभय कुमार सिंह को देश में सहकारिता आंदोलन को मज़बूत करने के उद्देश्य से गठित ‘सहकारिता मंत्रालय’ में संयुक्त सचिव के पद पर नियुक्त किया गया है।
- बिहार कैडर के वर्ष 2004 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अभय कुमार सिंह को इस नवनिर्मित पद पर कुल सात वर्ष के कार्यकाल के लिये नियुक्त किया गया है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा जुलाई 2021 में 'सहकार से समृद्धि' (सहकारिता के माध्यम से समृद्धि) के दृष्टिकोण को साकार करने और सहकारिता आंदोलन को नई दिशा देने के लिये एक अलग 'सहकारिता मंत्रालय' का गठन किया गया था।
- इसका उद्देश्य देश में सहकारिता आंदोलन को मज़बूत करने के लिये एक अलग प्रशासनिक, कानूनी और नीतिगत ढाँचा प्रदान करना था। यह मंत्रालय ज़मीनी स्तर तक पहुँच वाले सहकारी समितियों को एक जन आधारित आंदोलन के रूप में मज़बूत करने में मदद करेगा।
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