विश्व रेबीज़ दिवस 28 सितंबर | विश्व रेबीज़ दिवस की थीम | World Rabies Day Theme 2021

 विश्व रेबीज़ दिवस 28 सितंबर | विश्व रेबीज़ दिवस की थीम | World Rabies Day Theme 2021

विश्व रेबीज़ दिवस 28 सितंबर | विश्व रेबीज़ दिवस की थीम | World Rabies Day Theme 2021



विश्व रेबीज़ दिवस कब मनाया जाता है ?

  • प्रतिवर्ष 28 सितंबर को


विश्व रेबीज़ दिवस किसकी याद में  मनाया जाता है ?

  • यह दिवस फ्रांँस के प्रसिद्ध जीवविज्ञानी लुई पाश्चर (Louis Pasteur) की पुण्यतिथि के अवसर पर 28 सितंबर को मनाया जाता है। 


विश्व रेबीज़ दिवस क्यों मनाया जाता है ?

  • प्रसिद्ध जीवविज्ञानी लुई पाश्चर (Louis Pasteur) द्वारा  पहला रेबीज़ टीका विकसित किया था और रेबीज़ के रोकथाम की नींव रखी थी।  इसलिए उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए उनकी  पुण्यतिथि के अवसर पर 28 सितंबर को मनाया जाता है। 


विश्व रेबीज़ दिवस किसके द्वारा आयोजित किया जाता है ?


विश्व रेबीज़ दिवस 

  • रेबीज़ और इसके रोकथाम के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये प्रतिवर्ष 28 सितंबर को विश्व रेबीज़ दिवस (World Rabies Day) मनाया जाता है। यह दिवस फ्रांँस के प्रसिद्ध जीवविज्ञानी लुई पाश्चर (Louis Pasteur) की पुण्यतिथि के अवसर पर 28 सितंबर को मनाया जाता है, जिन्होंने पहला रेबीज़ टीका विकसित किया था और रेबीज़ के रोकथाम की नींव रखी थी। 


विश्व रेबीज़ दिवस की थीम 


  • वर्ष 2021 के लिये इस दिवस की थीम- रेबीज़ तथ्य : डरे नहीं (Rabies: Facts, not Fear)  रखी गई है। 


  • वर्ष 2020 के लिये इस दिवस की थीम- एंड रेबीज़: कोलैबोरेट, वैसीनेट’ (End Rabies: Collaborate, Vaccinate) रखी गई थी।  


रेबीज़ क्या है 

  • रेबीज़ एक विषाणु जनित रोग है। यह वायरस अधिकांशतः रेबीज़ से ही पीड़ित जानवर जैसे कुत्ता, बिल्ली, बंदर, आदि की लार में मौजूद होता है। आँकड़ों के अनुसार, मनुष्यों के लगभग 99 प्रतिशत मामलों में कारण कुत्ते का काटना शामिल होता है। पागल जानवर के काटने और रेबीज़ के लक्षण दिखाई देने की समयावधि चार दिनों से लेकर दो वर्ष तक या कभी-कभी उससे भी अधिक हो सकती है। इसलिये घाव से वायरस को जल्द-से-जल्द हटाना ज़रूरी होता है।

 

रेबीज के बारे में जानकारी 

  • रेबीज एक बीमारी है जो कि रेबीज नामक विषाणु से होते हैं यह मुख्य उर्प से पशुओं की बीमारी है लेकिन संक्रमित पशुओं द्वारा मनुष्यों में भी हो जाती यह विषाणु संक्रमित पशुओं के लार में रहता है उअर जब कोई पशु मनुष्य को काट लेता है यह विषाणु मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाता है।यह भी बहुत मुमकिन  होता है कि संक्रमित लार से किसी की आँख, मुहँ या खुले घाव से संक्रमण होता है।इस बीमारी के लक्षण मनुष्यों में कई महीनों से लेकर कई वर्षों तक में दिखाई देते हैं।लेकिन साधारणतः मनुष्यों में ये लक्षण 1 से 3 महीनों में दिखाई देते हैं।रेबीज के प्रारंभिक लक्षणों में बदल जाते हैं।जसे आलस्य में पड़ना, निद्रा आना या चिड़चिड़ापन आदि} अगर व्यक्ति में ये लक्षण प्रकट हो जाते है तो उसका जिंदा रहना मुशिकल हो जाता है।उपरोक्त बातों में ध्यान में रखकर कहा जा सकता है कि रेबीज बहुत ही महत्वपूर्ण बिमारी है और जहाँ कहीं कोई जंगली या पालतू पशु जो कि रेबीज विषाणु से संक्रमित हो के मनुष्य को काट लेने पर आपे डॉक्टर कि सलाहनुसार इलाज करवाना अत्यंत ही अनिवार्य है।

 

रेबीज बीमारी के लक्षण क्या हैं?

रेबीज बीमारी के लक्षण संक्रमित पशुओं के काटने के बाद या कुछ दिनों में लक्षण प्रकट होने लगते हैं लेकिन अधिकतर मामलों में रोग के लक्षण प्रकट होने  में कई दिनों से लेकर कई वर्षों तक लग जाते हैं।रेबीज बीमारी का एक खास लक्षण यह है कि जहाँ पर पशु काटते हैं उस जगह की मासपेशियों  में सनसनाहट की भावना पैदा हो जाती है।विषाणु के रोगों के शरीर में पहुँचने के बाद विषाणु नसों द्वारा मष्तिक में पहुँच जाते हैं और निम्नलिखित लक्षण दिखाई देने लगते हैं जैसे-

 

  • दर्द होना
  • थकावट महसूस करना।
  • सिरदर्द होना।
  • बुखार आना।
  • मांसपेशियों में जकड़न होना।
  • घूमना-फिरना ज्यादा हो जाता है।
  • चिड़चिड़ा होना था उग्र स्वाभाव होना।
  • व्याकुल होना।
  • अजोबो-गरीबो विचार आना।
  • कमजोरी होना तथा लकवा हों।
  • लार व आंसुओं  का बनना ज्यादा हो जाता है।
  • तेज रौशनी, आवाज से चिड़न होने लगते हैं।
  • बोलने में बड़ी तकलीफ होती है।
  • अचानक आक्रमण का धावा बोलना।


जब संक्रमण बहुत अधिक हो जाता है और नसों तक पहुँच जाता है तो निम्न लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं जैसे- 

 

  • सभी चीजों/वस्तुएं आदि दो दिखाई देने लगती हैं।
  • मुंह की मांसपेशियों को घुमाने में परेशानी होने लगती है।
  • शरीर मध्यभाग या उदर को वक्ष:स्थल से अलग निकाली पेशी का घुमान विचित्र प्रकार का होने लगता है।
  • लार ज्यादा बनने लगी है और मुंह में झाग बनने लगते हैं। 

रेबीज का उपचार कैसे किया जाता है?

  • रेबीज को टीकाकरण द्वारा हम उपचार भी कर सकते हैं और इसकी रोकथाम भी की जा सकती है।रेबीज का टीका किल्ड रेबीज विषाणु द्वारा तैयार किया जाता है।इस टीके में जो विषाणु होता है वह रेबीज नहीं करता।आजकल जो टीका बाजार में उपलब्ध है वह बहुत ही कम दर्द करने वाल तथा बाजू में लगाया जाता है।कुछ मामलों में विशिष्ट इम्यून ग्लोब्युलिन भी काफी सहायक होता है।जब यह लाभदायक होता है तो इसका उपयोग जल्दी करना चाहिए।एक चिकित्सक आपको सही सलाह दे सकता है कि विशिष्ट इम्यून ग्लोब्युलिन आपको लिए उपयुक्त है या नहीं
 

रेबीज का उपचार: 

यदि आप रेबीज से संक्रमित पशु द्वारा काट लिए गए है या किसी और माध्यम द्वारा रेबीज विषाणु से सम्पर्क में आ गये हैं तो तुरंत आपको चिकित्सक के पास पहुँचाना चाहिए।जैसे ही आप अस्पताल में पहुँचते हैं डॉक्टर आपके घाव ठीक प्रकार से साफ करता है और आपको टिटनेस का टीका लगायेंगे।रेबीज का उपचार बहुत से कारकों के आधार पर  एक खास प्रक्रिया द्वारा किया जाता है। जो कि निम्नलिखित है:
 

  • किसी स्थिति में अमुक व्यक्ति को पशुओं द्वारा काटा गया है।यानि कि घाव उत्तेजित या ऊत्तेजित है ।
 
  • जिस पशु द्वारा काटा गया है जंगली या पालतू और क्या प्राजाति का है।जिस पशु द्वारा व्युक्ति विशेष को काटा यगा है उस पशु का टीकाकरण का इतिहास क्या है।
 
  • अगर रेबीज का उपचार नहीं किया जाता है तो हमेशा ही प्राणनाशक होता है।सच्चाई या ही कि अगर किसी व्यक्ति में एक बार रेबीज के लक्षण दिखाई देने लगते हैं तो उसका वचना बहुत ही मुशिकल है।इसलिए यह जरुरी है कि जब कोई व्यक्ति किसी पशु द्वारा संक्रमित कर दिया जाता है तो उसका उपचार कराना बहुत जरुरी है।

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