विमुक्त जाति दिवस 31 अगस्त |Vimukt Jati Diwas
विमुक्त जाति दिवस 31 अगस्त
Vimukt Jati Diwas
विमुक्त जाति दिवस 31 अगस्त
- अंग्रेजी सरकार ने 1871 में घुमन्तू जातियों के 193 कबीलों पर जन्मजात अपराधी कानून लगाया था। भारत की स्वतंत्रता के बाद यह कानून 31 अगस्त 1951 को हटाया गया था और उक्त सभी जातियों को घुमने का अधिकार मिला। तभी से इसे सभी घुमंतू जातियां विमुक्ति दिवस के रूप में हर वर्ष मनाती हैं।
- मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर 31 अगस्त, 2021 को विमुक्त जाति दिवस (Vimukt Jati Diwas) पर मध्य प्रदेश में विमुक्त, घुमक्कड़ एवं अर्द्धघुमक्कड़ जनजाति (Denotified, Nomadic and Semi-nomadic tribes) की विशेष पंचायत आयोजित की गई।
- मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के विभिन्न वर्गों के साथ संवाद स्थापित कर उनके विचारों और सुझावों के आधार पर कल्याणकारी कार्यक्रम और योजनाओं का निर्माण एवं क्रियान्वयन की प्रक्रिया प्रारंभ की है।
विमुक्त जाति दिवस (Vimukt Jati Diwas) का इतिहास
- अंग्रेजी सरकार ने 1871 में घुमन्तू जातियों के 193 कबीलों पर जन्मजात अपराधी कानून लगाया था। अंग्रेजों ने उक्त वक्त इन घुमंतू जातियों के लोगों को एक खास अधिनियम के तहत 180 साल तक उनके घरों में ही कैद कर दिया था।
- 1857 के विद्रोह में इन सभी जातियों ने भाग लिया था जिससे घबराकर यह कानून बनाया गया था। ये ऐसी जातियां थीं जो लगातार घुमती ही रहती थीं परंतु 193 के अलावा भी कई जातियां थीं जो अंग्रेजों की सूची में नहीं थी।
- इसके बाद पुलिस में भर्ती होने वाले रंगरूटों को इनके बारे में पढ़ाया जाने लगा। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें बताया जाता था कि ये जनजातियां पारंपरिक तौर से अपराध करती आई हैं।
- इस कानून के चलते देशभर में लगभग 50 ऐसी बस्तियां भी बनाई गईं जिनमें इन जनजातियों को जेल की तरह कैद कर दिया गया और यहां 24 घंटे पुलीस का पहरा लगा दिया गया। एक चौकी पर इसी को प्रतिदिन सभी को अपनी उपस्थिति दर्ज करानी पड़ती थी। कानपुर में 159 एकड़ में ये बस्तियां बसाई थी।
- भारत की स्वतंत्रता के बाद यह कानून 31 अगस्त 1951 को हटाया गया था और उक्त सभी जातियों को घुमने का अधिकार मिला। तभी से इसे सभी घुमंतू जातियां विमुक्ति दिवस के रूप में हर वर्ष मनाती हैं।
विमुक्त जाति दिवस मनाये जाने का उद्देश्य
- इसका मुख्य उद्देश्य संबंधित वर्ग को अधिकाधिक लाभ मुहैया कराते हुए विकास की मुख्य धारा से जोड़ना है। इसी क्रम में विभिन्न वर्गों की पंचायत का आयोजन पुन: शुरू कर विमुक्त, घुमक्कड़ और अर्द्धघुमक्कड़ वर्ग की पंचायत आयोजित की गई।
विमुक्त, घुमक्कड़ एवं अर्द्धघुमक्कड़ जनजाति कल्याण विभाग
- उल्लेखनीय है कि भारत के हृदय प्रदेश में विमुक्त, घुमक्कड़ एवं अर्द्धघुमक्कड़ जनजातियों के विकास तथा कल्याण हेतु मध्य प्रदेश शासन की अधिसूचना 22 जून, 2011 द्वारा पृथक् ‘विमुक्त, घुमक्कड़ एवं अर्द्धघुमक्कड़ जनजाति कल्याण विभाग’ (Denotified, Nomadic and Semi-nomadic Tribes Welfare Department) का गठन किया गया था।
- मध्य प्रदेश की 51 जातियों को विमुक्त, घुमक्कड़ एवं अर्द्धघुमक्कड़ जनजातियों में सम्मिलित किया गया है। इन जनजातियों की प्रमुख समस्या शैक्षणिक पिछड़ापन, आर्थिक रूप से विपन्नता एवं घुमक्कड़ प्रवृत्ति होने के कारण स्थायी आवास न होना है।
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